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एक मुलाक़ात

दरवाज़े पर दस्तक से वो चौंकी, जैसे किसी के ध्यान में बैठे व्यक्ति को झकझोर दिया हो, वो कुछ सोचतीं इससे पहले दरवाज़े पर फ़िर एक दस्तक हुई, अबकी बार पहले से भी थोड़ा और ज़ोर से दरवाज़े पर दस्तक दी गई थी, चूंकि दरवाज़ा पहले से ही खुला था, इसलिए हल्का सा खुला। शायद बाहर खड़ी व्यक्ति ने भी इस बात को महसूस किया और दरवाज़े को हल्का सा धकेल के खोल दिया। एक चरमराहट की आवाज़ के साथ दरवाज़ा खुल गया और कमरे में किसी के कदमों के चलने की आवाज़ आने लगी। हौले हौले उन क़दमों की आवाज़ नज़दीक आती जा रही थी और उस कमरे में बैठी उन्होंने वहीं बैठे हुए ही पूछा
"कौन हो ?"
"मैं"
"मैं" ! मैं कौन ?"
"उनकी पत्नी, जिनके प्रेम में तुम पागल हुई फ़िरती हो"
"ओह्ह...क्या मैं तुम्हें छू सकती हूं "
"क्यों ?"
"तुम्हें उन्होंने ज़रूर छुआ होगा, मैं उस छुअन को महसूस करना चाहती हूं"
"पागल मत बनो, मैं तुम्हें देखने आयी हूं, तुममें ऐसा क्या है, जो वो आज भी इतना प्रेम करते हैं तुम्हें"
"सच ! क्या वो मेरा नाम लेते हैं ? सच कहो क्या वो मेरा नाम लेते हैं ? ओह्ह मैं पागल ना हो जाऊं"
"तुम तो पागल हो, तुम उन्हें भूल क्यों नहीं जातीं ? तुम जानती हो अब मैं उनकी पत्नी हूं और तुम्हें क्या पता क्या हाल होता है एक पत्नी के होते हुए जब उसके पति का नाम किसी और से जोड़ा जाये"
"लेकिन मुझे छोड़ कर गये तो उन्हें बड़ा अरसा हो गया"
"हां, लेकिन आज भी वो तुम्हारा नाम लेते हैं, लोग भी तुम्हारा नाम पहले लेते हैं फ़िर उनका नाम लेते हैं"
"मैं कितनी सौभाग्यशाली हूं"
"लेकिन तुमने क्या जादू किया है कि तुम उनके दिल से निकलती ही नहीं"
"मैंने उन्हें कभी कुछ नहीं कहा"
"तुम जिस तरह उनके दिल पर राज जमा बैठी, अब ऐसा कुछ करो कि वो तुम्हें भूल जायें"
"ये तो कभी नहीं होगा, तुम्हें पता है यहां की हर चीज़ में वो हैं, आप क्या क्या ले जायेंगी यहां से ?"
"मैं सिर्फ़ तुम्हारे दिल से उनकी याद ले जाना चाहती हूं"
"ले जा सकती हैं तो लो दे दी"
"क्या वो अब तुम्हें कभी याद नहीं करेंगे ?"
"मैंने ऐसा तो नहीं कहा"
"तो फ़िर ?"
"वो आपको हर जनम में किसी न किसी रूप में आपके पति ही बन कर मिलेंगे"
"और तुम ?"
"मेरा और उनका मिलना सिर्फ़ एक ही जनम का था,मगर फ़िर भी जब तक ये सृष्टि रहेगी हमारा नाम साथ मे ही लिया जायेगा।"
"बड़ी चालाक हो"
"नहीं बहन वो आपके हैं और सदा आपके ही रहेंगे, वो मेरा प्रेम हैं, उन्हें पाना शायद दुनिया की कोई भी लड़की चाहेगी, लेकिन ये सौभाग्य भी उन्होंने सिर्फ़ आपको दिया है"
"जानती हो मैं यहां सिर्फ़ तुम्हें देखने आयी थी"
"क्या देखा आपने ?"
"यही कि यूं ही नहीं वो तुमसे इतना प्यार करते हैं"
"आप बहुत खूबसूरत हैं"
"अब मैं चलती हूं"
"बैठेंगी नहीं ?"
"नहीं उन्हें पता चल जायेगा कि मैं यहां तुमसे मिलने आयी हूं"
"वो तो चल चुका है"
"तुम्हें कैसे पता ?"
"वो देखो वो यहीं तो खड़े हैं"
"कहां ?"
"मुझे बताने के लिये मना कर रहे हैं"
"तुम कोई छलावा हो, मैं चलती हूं"
"सुनो तो....."
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