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मुझे भी स्कूल जाना है

मुझे भी स्कूल जाना है!

(बालिका शिक्षा हेतु लघु नाटक)

अशरफ़ लकड़िया लेके आ रही थी । तभी गुरुजी उधर से जा रहे थे ।
अशरफ- नमस्कार गुरुजी।
गुरुजी - नमस्कार। अरे अशरफ आज कल तुम स्कूल क्यों नहीं आ रही हो।
अशरफ- गुरुजी मैं दिन भर अपने छोटे भाई का ध्यान रखती हूं और अम्मा मुझे स्कूल नहीं आने देती है।
गुरुजी- क्या तुम्हारे माता पिता घर पर ही है।
अशरफ- हाँ गुरुजी।
गुरुजी अशरफ के घर जाते हैं वहां अशरफ के माता पिता दोनों बैठे हुए थे ।
दोनो मिल कर- नमस्ते गुरुजी ।
गुरुजी- नमस्ते।
रहमान(पिता)- क्या बात है गुरुजी आज कैसे आना हुआ।(अपनी पत्नी को कहते है) ज़रा गुरुजी के लिए कुर्सी ले आना।
(माता कुर्सी लाती है जिस पर गुरुजी बैठ जाते है)
गुरुजी- आप अपनी बेटी को स्कूल क्यों नहीं भेजते हो ?

माता- गुरुजी क्या करें! मैं दिन भर काम करती हूं और अशरफ अपने छोटे भाई का ध्यान रखती है अगर वह ध्यान ना रखें तो मैं काम नहीं कर सकूं।

गुरुजी - छोटे बच्चे को तो आप आंगनवाड़ी भेज सकते है। इसको तो स्कूल भेजा करो।

पिता - क्या करेगी स्कूल जाकर। वैसे भी शादी करके किसी और घर चली जाएगी ।लड़कियों की पढ़ाई कहां काम आती है।

तभी वहां एक डॉक्टर आती है उसने उनको बोला की मुझे आपने ही बुलाया था ना?

अशरफ के पिता - हां डॉक्टर मैडम मेरे छोटे बच्चे की तबीयत ठीक नहीं है जरा इसको देखना।

डॉक्टर- हां मैं देखती हूं।
(डॉक्टर उसको चेक करके कुछ दवाई लिख कर देती है।)
डॉक्टर- इसको बुखार आ गया है आप यह दवाई इसको दे देना।
(तभी गुरुजी अशरफ के पिता को बोलते हैं )- क्यों रहमान जी यह डॉक्टर भी तो एक लड़की है क्या यह किसी के काम नहीं आई इनको पूछो इनको इनके माता पिता ने कैसे पढ़ाया?

डॉक्टर- आप क्या और किसकी बात कर रहे हो गुरुजी?

गुरुजी- रहमान जी अपनी लड़की को स्कूल नहीं भेज रहे बोल रहे हैं लड़की क्या करेगी पढ़के।

डॉक्टर -अरे रहमान जी यह तो बहुत गलत बात है आपको अपनी लड़की को अवश्य पढ़ाना चाहिए ।जब मैं छोटी थी तो मेरे गांव वाले सभी बोलते थे कि मुझे क्यों पढ़ा रहे हैं लेकिन मेरे माता पिता ने मुझे पढ़ाया और आज मैं एक डॉक्टर हूं अतः आज गांव वाले सभी मेरा और मेरे माता पिता का सम्मान करते हैं।

गुरुजी - सुनिए रहमान जी आज के समय में लड़कियां हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है वह खेल में देश का नाम रोशन कर रही है डॉक्टर बनकर मरीजों की सेवा कर रही है हवाई जहाज उड़ा रही है गुरु बनकर शिक्षा दे रही है , बॉर्डर पर दिन रात हमारी हिफ़ाजत कर रही है और यहां तक की मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति बनकर देश भी चला रही है आपको पता है अभी हमारे जिले की कलेक्टर और जिला प्रमुख भी एक महिला है।

अशरफ- हां पिताजी मुझे भी स्कूल जाना है मुझे भी कुछ बनना है ।आप मुझे स्कूल क्यों नहीं भेजते?

रहमान- गुरुजी आपने तो हमारी आंखें खोल दी आज से हम हमेशा हमारी लड़की को स्कूल भेजेंगे।

गुरुजी सामने जनता की ओर होकर
रहमान जी तो समझ गए क्या आप समझे।

नन्दलाल सुथार"राही"