Noukrani ki Beti - 37 in Hindi Human Science by RACHNA ROY books and stories PDF | नौकरानी की बेटी - 37

नौकरानी की बेटी - 37

जयपुर से आने के बाद आनंदी फिर अपने काम में व्यस्त हो गई।


आनंदी ने कहा मां अब अन्वेशा के लिए सब कुछ करना है क्योंकि उसके अलावा कोई भी नहीं है और।
कृष्णा ने कहा हां समझ सकती हुं बेटी।


इसके बाद तो हमारा ये ही सहारा है।


आनंदी ने कहा देखा मां देखते देखते दस साल निकल गए।

आज अन्वेशा का पन्द्रह साल पुरा हुआ। आज उसका जन्मदिन भी है।


कृष्णा ने कहा हां तुम्हारी पोस्टिंग अब कहा होगी?

आनंदी ने कहा इस बार मुंबई में होगी।

अन्वेशा ने कहा अरे वाह मां, मुंबई बॉलीवुड।।

आनंदी ने हंस कर कहा हां,पर बेटा तुझे तो डाक्टर बनना है।
अन्वेशा ने कहा हां मां पर मैं आपकी तरह नहीं बन सकती हुं। आप आज कितने ऊचे पद पर हों और मुझे गर्व है कि मैं आपकी बेटी हुं।

अन्वेशा ने कहा मां पता है शना और रीतू मासी ने मुझे रात को ही विस किया।


आनंदी ने कहा हां अरे वाह!
कृष्णा ने कहा आनंदी सारे लोग आते तो अच्छा था।
आनंदी ने कहा हां मां रीतू दी तो अभी ऊंची पद पर कार्यरत हैं इसलिए नहीं आ पाई।

राजू दादा तो अपनी जीवन में व्यस्त हैं।


अन्वेशा ने कहा मां मैं निकलती हुं पहले युनिवर्सिटी जाऊंगी फिर शापिंग मॉल जाना है।

आनंदी ने कहा ठीक है पार्टी के टाइम आ जाना।

अन्वेशा ने कहा हां।

फिर आनंदी भी निकल गई।
गाड़ी में जाते हुए बात करने लगी और वो भी रीतू दी से।
आनंदी बोली हां दी आजकल के बच्चे हैं ना पार्टी रखी है वो भी एक बड़े से फाइव स्टार होटल पर।

हां जाते हुए सारा अरेंजमेंट देख लुंगी पर आप सभी को बहुत मिस करूंगी।

रीतू ने कहा हां आनंदी, चल रखती हुं।

फिर आनंदी वहां से होटल पर गई तो देखा सजावट चल रही थी।
फिर एक फोन आ गया और वहां से निकल गई।

फिर अन्वेशा का गिफ्ट आ गया एक गाउन था बहुत ही खूबसूरत लग रहा था।

अन्वेशा तैयार हो गई थी।
कृष्णा ने एक सोने का चेन उसके गले में डाल दिया।
अन्वेशा ने पैर छुए नानी के।

फिर आनंदी ने भी एक अंगुठी पहना दिया।
उस में अन्वेशा का "अ" लिखा था।
अन्वेशा ने कहा थैंक यू मां।

फिर सब गाड़ी में बैठ कर निकल गए जहां अन्वेशा का बर्थडे पार्टी था।

बहुत ही खूबसूरत लग रहा था वहां पुरे फुलों से महक रहा था गुलाब अन्वेशा को बहुत पसंद था।

फिर धीरे धीरे अन्वेशा के दोस्त आने लगें।
कौन कहेगा कि एक नौकरानी की बेटी ने एक अनाथ बच्चे को अपना नाम दिया और उसको वो सब दिया जो आनंदी को कभी नहीं मिला।


फिर सभी आमंत्रित लोग आने लगे।
बहुत ही अच्छे से सब कुछ अरेंजमेंट किया गया था। खाना पीने का भी बहुत अच्छी तरह से अरेंज किया गया था।

आनंदी ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी।
कहते हैं ना इन्सान पैसों से बड़ा नहीं होता बल्कि अपने कर्मों से बड़ा होता है।

आनंदी एक ऐसी लड़की थी जो सिर्फ और सिर्फ दूसरों के बारे में सोचती रहती थी।

आज जो कुछ भी हासिल किया था उसने उसका कोई गुरूर तो नहीं था उसे पर रीतू की सहायता के बिना वो कुछ नहीं कर पातीं ऐसा वो हमेशा कहती रहती थी।
उसे इस बात का गर्व था कि भगवान ने उसे एक ऐसे इन्सान से मिलाया जिसके बिना वो अपनी जिंदगी ही नहीं जी पाती।



इधर अन्वेशा एक परी जैसी लग रही थी अपने जन्मदिन को लेकर बहुत ही उत्साहित थी उसे कभी ऐसा महसूस ही नहीं हुआ कि आनंदी उसकी असली मां नहीं है। क्योंकि आनंदी ने कभी ऐसा महसूस नहीं होने दिया।

क्रमशः

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Shobhana Chatterjee

Nice story

priyabrata bhattacharya

Very nice 👌 story

Kitu

Kitu 2 years ago

Bablu Solanki

Bablu Solanki 2 years ago

RACHNA ROY

RACHNA ROY Matrubharti Verified 2 years ago