Wo khoufnak barsaat ki raat - 9 books and stories free download online pdf in Hindi

वो खौफनाक बरसात की रात.. - भाग-९

दो से तीन बार सोचने व दिमाग पर काफी जोर डालने के बाद आखिरकार शिवानी को प्रिया का बताया हुआ पासवर्ड याद आ ही गया। फोन में वाकई वो ही सबकुछ था जिसका जिक्र प्रिया की बातों में था मतलब कि जैसे - जैसे शिवानी समर के इस हमेशा अंडरग्राउंड रहने वाले फोन की गैलरी,कॉन्टैक्ट्स और कॉल लॉग देखती जा रही थी वैसे - वैसे प्रिया के द्वारा शिवानी को बोली गई सभी बातों पर एक के बाद एक मोहर लगती जा रही थी।

अब शिवानी ने उन नंबर्स में से एक - दो नंबर डायल करके भी अपनी तसल्ली की कि ये नंबर्स कॉन्टैक्ट्स की नेम लिस्ट से मैच कर रहे हैं या नहीं। इसके बाद समर की फोन गैलरी में से उसे मिले हुए तमाम पोर्न - वीडियोज तथा कई लड़कियों के साथ उसकी अंतरंग तस्वींरें उसकी चरित्रहीनता तथा उसके गुनाह की गवाही चीख - चीखकर दे रही थीं। शिवानी गुस्से से लाल हो गई। उसका चेहरा तथा उसका बदन गुस्से से तपने लगा। वो जैसे ही समर को उठाने के लिए पीछे की ओर मुड़ी तो उसनें देखा कि समर तो पहले से ही जाग चुका था और अब तक तो शायद उसनें शिवानी के हाथ में अपने गुनाहों का कच्चा चिट्ठा यानि कि अपना दूसरा फोन भी देख लिया था।

शिवानी कुछ कहती उससे पहले ही समर बोल उठा कि देखो तुम जैसा सोच रही हो वैसा कुछ भी नहीं है और तुम बस एक बार मेरी बात सुन लो,शिवू ! शिवू तुम....तुम मुझे गलत समझ रही हो।

देखो समर, मुझे अब तुम्हारे इन फिल्मी डायलॉग्स से रत्ती भर भी फर्क नहीं पड़ता है तो प्लीज़ अब मेरे साथ तुम ये अपना गंदा खेल खेलना बंद करो!!

शिवानी की बात सुनकर समर एक झटके से बिस्तर पर से उठा और उसनें शिवानी को छूने के लिए जैसे ही अपना हाथ बढ़ाया,शिवानी ने उसे धक्का दे दिया। समर फिर से एक बार खुद को सम्भालता हुआ शिवानी को छूने का प्रयास करने लगा पर इस बार शिवानी ने आगे बढ़कर समर के दोनों गालों पर बारी - बारी से लगातार चार - पाँच थप्पड़ मार दिये। अब जहाँ शिवानी की आँखों में समर के प्रति गुस्से और नफ़रत की ज्वाला भड़क रही थी तो वहीं अब समर भी अपना आपा खो चुका था मगर कुछ ही देर में उसनें अपने आपको बिल्कुल शांत कर लिया।

"अच्छा, बताओ कि तुम अब चाहती क्या हो ? देखो मैं जैसा हूँ वैसा ही रहूँगा पर तुम चाहो तो मेरे साथ इसी तरह से ज़िंदगी भर ऐश कर सकती हो बेब्स,माय जान!!", इस बार बोलते हुए समर के होठों पर एक कुटिल मुस्कान थी।

अपनी गंदी जुबान से मत बोल मुझे जान,कमीने!!

"अच्छा चलो ब्रेकअप! तुम ब्रेकअप ही चाहती हो न अब मुझसे??? क्योंकि अब तो मेरा बिस्तर गरम करने में तुम्हें घिन आयेगी क्योंकि अब मैं तुम्हारी नज़र में तुम्हारा देवता नहीं बल्कि एक गंदा,नीच और कमीना व्यक्ति हूँ,हैं न!! मगर जानेमन ब्रेकअप से पहले बस एक बार एक आखिरी बार मेरे साथ एक ड्रिंक पी लो,बस", इतना कहकर अपने एक गाल को सहलाता हुआ समर अपने और शिवानी के लिए ड्रिंक बनाने चला गया।

फिर जब शिवानी ड्रिंक की तरफ़ न देखते हुए अपना हैंडबैग उठाकर वहाँ से चलने को हुई तो समर बहुत ज़ोर से हंसने लगा और बोला कि डर गई क्या बच्ची!! डर गई कि कहीं मैंने तेरे इस ड्रिंक में ज़हर तो नहीं मिला दिया...हा...हा...समर तेज आवाज में हंसते हुए ताली बजाने लगा।

और बस यही वो लम्हा था जिसनें शिवानी की ज़िंदगी हमेशा के लिए बदल दी। उसनें आव देखा न ताव और तेज कदमों से समर की ओर बढ़कर उसके पास रखा हुआ वाइन का गिलास एक साँस में ही पूरा गटक लिया। इसके बाद वो रूम के दरवाज़े को जोर से मारते हुए वहाँ से निकल गई।

रात काफी हो चुकी थी और सड़क पर देर रात चलने वाले बड़े वाहनों की आवाजाही शुरू हो गई थी। शिवानी लाल आँखों में आँसुओं का समंदर लिए अपनी स्कूटी पर सवार थी और उसका दिमाग धीरे - धीरे सुन्न पड़ता जा रहा था कि तभी.....

क्रमशः....

आपकी लेखिका...🌷निशा शर्मा🌷


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