Protector in Hindi Motivational Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | रक्षक

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रक्षक

सब कुत्ते मैदान में आकर इकठे हो गए थे।रोज शाम को ऑफिसर कॉलोनी के बंगलो के नौकर कुत्तो को लेकर इस मैदान में आ जाते।फिर वे अपने अपने कुत्तो को खुला छोड़ देते।
कुत्ते इस मैदान में इकठे होकर घास में लोटपोट लगाते।एक दूसरे से हाल चाल पूछते। खेलते कूदते।हंसी मजाक करते
ऑफिसर कॉलोनी में काम करने वाले नौकरो ने बंगलो के सामने मैदान के उस पार खाली पड़ी सरकारी जमीन में अपनी झोपड़ियां बना ली थी।इन झोपड़ियो से मिलने वाली झूठन की आस में एक कुत्ता यहाँ आ बसा था।
साहिब लोगो के कुत्ते बंगलो में जंजीरो में जकड़े रहते।शाम को सब बंगलो के कुत्ते इस मैदान में आते और उनकी जंजीरे खोल दी जाती।झोपड़ियो के पास रहने वाला कुत्ता यह सब देखता।उन्हें हंसते खलते कूदते भी देखता।तब उस कुत्ते का मन भी उनके बीच जाने का करता।पर कैसे?वह कई दिनों तक सोचता रहा।जाए या नही जाए? वे सब अमीर और सरकारी अफसरों। के कुत्ते थे।जबकि वह आवारा।गली। का कुत्ता।आखिर एक दिन हिम्मत करके वे उन अभिजात्य वर्ग के कुत्तो के पास जा ही पहुंचा।
"तुम?यहाँ क्या करने आये हो?"सड़क छाप मरियल से कुत्ते को कलेक्टर का कुत्ता हिराकत। की नज़र से देखते हुए बोला
"मैं तुम लोगी से दोस्ती करना चाहता हूँ।"सड़क छाप कुत्ता साहस बटोरकर बोला।
"हमसे दोस्ती?"मुख्य सचिव का कुत्ता जोर से हंसा"कभी आइने में अपनी शक्ल देखी है?कहाँ राजा भोज,कहाँ गंगू तेली।"
सड़क छाप कुत्ता सकपका गया।
" भविष्य में भूल से भी इधर दिखे तो शरीर से चमड़ी उधड़वा दूंगा।'एस पी का कुत्ता दहाड़ता था।
सड़क छाप कुत्ता अपना से मुंह लेकर चला आया।उसकी इतनी बेज्जती,अपमान आज तक किसी ने नही किया था।आज उसी की बिरादरी के लोगो ने उसे बेज्जत करके भगा दिया था।उसे अपना जीवन व्यर्थ नज़र आने लगा।वह आत्महत्या के इरादे से चल पड़ा।
शाम ढल चुकी थी।आसमान से अंधरे की परतें धरती पर उतर रही थी।शहर के बाहर बहने वाली नदी की तरफ जाने वाला रास्ता दिन में ही सुनसान रहता था।इस समय तो कोई नही आता था।।सड़क छाप कुत्ता अकेला चला जा रहा था
।तभी उसकी नज़र रास्ते मे पड़ी गठरी पर पड़ी।उसमे क्या है?यह जानने के लिए उसने मुँह और पंजो से उस गठरी को खोला।खोलते ही वह दंग रह गया।गठरी में बच्चा लिपटा हुआ था।कुत्ते का स्वभाव है मांस पर झपटना।आये दिन समाचार आते है कि कुत्ते ने बच्चे को नोच खाया।लेकिन बच्चे कुत्ते के भी होते है।और उसकी ममता जाग गयी और वह सोच में पड़ गया।
रात में कोई इधर नही आता।अगर रात भर यह बच्चा यहाँ पड़ा रहा तो हो सकता है कोई जंगली जानवर उसे खा जाए। वह ऐसा नही होने देगा।उस नन्हे से बच्चे की वह रक्षा करेगा।और वह उस बच्चे के पास जम कर बैठ गया।
भोर होने पर पण्डित दीनानाथ नित्य नदी में स्नान करने के लिए जाते थे।जैसे ही दीनानाथ आये कुत्ते ने उनकी धोती पकड़ ली,"क्या करता है।छोड़।"
लेकिन कुत्ते ने धोती नही छोड़ी और दीनानाथ को खींच कर ले गया।बच्चे पर नज़र पड़ते ही दीनानाथ समझ गए।वह कुत्ते और बच्चे को साथ ले आये।
अखबार में कुत्ते ने बच्चे को बचाया समाचार के साथ फोटो भी छपा था।बंगलो में भी इस समाचार की चर्चा थी।बंगलो में रहने वाले कुत्तो ने यह समाचार सुना तो उन्हें मलाल हो रहा था कि उन्होंने उसकी बेज्जती क्यो की