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तोहफ़ा

मुंबई सिटी भागदौड़ वाली सब अपने अपने काम में लगे हुए हे,,,,,!! किसी को किसी के लिए थोड़ा भी वक्त निकाल ना भारी पड़ जाता है,,, आम दिनो मे !
पर आज संडे था तो फॅमिली टाईम,,,,, सब लोग अपने बीवी बच्चे""" कोई अपनी गर्लफ्रेंड - बॉयफ्रेंड तो कोई,,,,,,,,,,
न्यूली मैरिड कपल हर कोई अपनी फैमिली के साथ टाइम स्पेंड करने के लिए नीकला था,,,, !!
जुलाई का महीना चल रहा था,,,,, आमतौर पर ईस महिने मे तो बारिश आ जाती हैं मुंबई में ,,,,,,पर अभी
""चिलचिलाती कड़ी धूप"" थी।
दोपहर के करीब 1 या 2:00 बजे होगे । वहा रोड़ के साइड में करीब दस या बारा साल की एक लड़की गुब्बारा लेकर खड़ी थी।
मासूम...... सी,,,,, थी वो ,,,,,!! बीखरे बाल पसीना और धूल से लीपटा हुआ उसका चेहरा,,,,, और जो फ्रॉक पहनी थी वह हर जगह से थोड़ी थोड़ी फटी हुई थी। ।
उसको देखकर लग रहा था कि सुबह से लेकर अब तक ,,,,,एक भी गुब्बारा बिका नहीं था,,,,,।।।
उसके पांव में चप्पल नहीं थे उसने पॉलीथिन की बैग मे कागज डालके चप्पल की तरह पहनी हुई थी।
जब भी रेड लाइट होती सिग्नल पर तो वह गुब्बारे लेकर चली जाती,,, और बडे प्यार से बोलती ओ साहब एक गुब्बारा ले लो अपनी गुड़िया या मुन्ने के लिए ,,,,, वह खुश हो जाएंगे प्लीज साहब प्लीज मेमसाहब एक एक,,,, पर हर कोई अपनी ही धुन मे था तो इस मासूम की पुकार कोन सुनता,,,, ग्रीन लाईट होते ही सब अपनी अपनी मंजिल की और भाग ने लगते।
और वो लडकी भी उस गाड़ी के पीछे पीछे तब तक भागती जब तक वह गाड़ी फुल स्पीड में ना चली जाए।
और गाड़ी में बैठे अमीरबजादे उसकी और देखते फिर हसते हुए गाडी भगा लेते।
वह फिर भी मुस्कुराती ,,,, फिर उसी जगह आ जाती जहा वो खड़ी हुई थी ,,,, इस आश मे की कोई नही,,,,,, मे फिर कोशिश कर लुंगी इस बार नही तो अगली बार बिक जायेंगे।

ना जाने वह बच्चा किस खिलौनों से खेलता है।
जो दिन भर खुद बाजार में खिलौने बेचता है।


मासूम सी जान थी वो,,,,, शायद उसके भी "सपने" रहे होगे ""स्कूल" जाने के,,,,,!!
अपने मां-बाप के साथ,,,, घूमने...... के,,,,!!
जैसे अमीर बच्चे अपने मां बाप से जिद्द करते है खिलौने के लिए ,,, वैसे वो भी करना चाहती हो ,,,'''''
पर शायद जिम्मेदारियों के बोझ ने मजबूर कर दिया था उसे और समय से पहेले बडा भी,,,,,,,,,।।।।
वो जेब्रा क्रॉसिंग पर आते जाते लोगो को निहारती होठों पर हंसी पर आंखों पर चिंता के भाव,,,,, लिये खडी थी!!!

पिछले एक घंटे से वो एक भी गुब्बारा बेच नहीं पाई थी वो ,,,, वही तपती धूप में खड़ी थी कभी-कभी बादलों की छांव आ जाती और थोड़ी देर के लिए उसे धूप से सुकून मिल जाता।
फिर से सिग्नल रेड हुआ,,, और वह फिर गुब्बारे लेकर दौड़ी,,,,!!! फिर से एक एक गाड़ी के आगे जाके खड़ी रही तभी उसकी नज़र ब्लेक कलर की बीएमडब्ल्यू में बैठे कपल पर गई,,,, उनके साथ उनकी चार पांच साल की बेटी भी थी,,, वो उस कार के पास गई और शीशा ,,,,,
खटखटाया ।।
उस कार के मालिक ने शीशे को नीचे किए बीना हीं जाने का इशारा करा,,,
वो टकटकी लगा के वही खडी रही ,,,, जब वहां से वो नही हटी तो कार मालिक ने कांच नीचे करके कहा,,,,, चलो आगे जाओ नही चाहिए कोई गुब्बारे बुब्बारे चलो भागो ।

मासूम: साहब एक गुब्बारा ले लो ना सुबह से एक बोनी नहीं हुई, आप की गुड़िया खुश हो जाएगी,,,,
वह खुद ही एक गुड़िया थी,,,,और दूसरी गुड़िया को खुश करने की बात बोल रही थी।
जब उसकी वाइफ ने देखा कि वो लडकी नही जा रही है,,,, तो उसने कहा ले लो ना एक बलून क्या फर्क पड़ता है,,,, वो दोनो पति पत्नी बात कर ही रहे थे,,,,,"
तभी उनकी छोटी बेटी की नजर वो रंग बिरंगी गुब्बारे पर गई,
और उसने अपनी तोतली भाषा मे कहा,,,,, डेडु मुदे वो बलून ताइये,,,
बेटा हम मॉल जाके आपको बहुत सारे दिला देंगे ये वाले अच्छे नही हैं।
ना,ना,ना मुदे तो येही बलून ताइये,,, और वो रोने लगी।
उसने बहुत कोशिश की पर वो नहीं मानी

उसकी वाइफ : बडे प्यार से कहा ,,,,, हा मेरी प्रिंसेस आपको आपके डेडा यही बलून दीलायेंगे,,चलो चुप हो जाओ,, और उसने अपने पतिको इशारा किया।
उस कार मालिक ने परेशान होकर उस लड़की को कहा अच्छा एक दे दो।

वो मासूम लडकी : तब इतनी खुश हो गई जैसे उसके सारे गुब्बारे बिक गए हो,,,,!!
उसने धीरे से सारे गुब्बारों में से ढूंढ कर पिंक कलर का गुब्बारा उस लड़की को दिया ,,,,,, क्युं की शायद उसे भी वही कलर पसंद था।

दोनो खुश थी एक गुब्बारा लेकर ,,,,,!!!!
और एक गुब्बारा बैच कर,,,,,,!!!!!

इश्वर ने कैसी सृष्टि की रचना की है;,,,,, दोनों लड़की थी"" थोड़ा उम्र का ही फासला था ,,,,,''' मगर एक जिद कर सकती थी,,,, और एक नही,,,,!!!
कार मे बैठी उस लड़की को गुब्बारा इतना पसंद आया की उसने फिर से जिद्द की मुझे दूसरा चाहिए।
पहले भी उस कार मालिक के पास से मुश्किल से ₹दस रुपए निकले थे,,,
ओर अब उसके पास छुट्टे नही थे।
उसने अपनी बेटी को बहुत मनाया पर वो नहीं मानी वो और जोर जोर से रोने लगी।
उस महाशय के पास दस के छुट्टे नही थे ओर उसकी बैटी दुसरा गुब्बारा चाहिए था वो ओर जोर जोर से रो रही थी।

जब बहार खडी उस मासूम ने वो देखा तो,,,,,, उसने फिर से शीशे को खटखटाया,,,,

कार मालिक- गुस्से मे जाओ अब नही लेना बच्ची को रुला दिया,,,, कहा कहा से नजाने आ जाते है,,,
, ले लो साब उसे रुलाओ मत,,,,,!
उसने खडूस अंदाज मे कहा- छुट्टे नही है मेरे पास,,,,'उसने थोडा गुस्से मे कहा,,,!
उस लड़की ने उस कार मालिक को बड़े प्यार से कहा ,,,, कोई बात नहीं साबजी ,,,,, एक गुब्बारे के लिए अपनी गुड़िया के किंमती आंसुओ को मत बह ने दीजिए,,,! और उस ने एक और गुब्बारा देते हुए कहा,,,,,लो साब जी ये मेरी और से आपकी गुड़िया को,,,,,,
""" तोहफ़ा """

जब वह छोटी बच्ची को दूसरा गुब्बारा मीला तो जैसे उसे जहान की सारी खुशियां मिल गई हो वह इतना खुश हो गई।
और उसे देखकर वो मासूम जान,,,,,,,।

उस छोटी बच्ची को गुब्बारा देकर वो उछलती-कुदती वहा से चली गई ,,
क्योंकी उस ने देखा की अब सिग्नल हरा होने वाला है।
उस ने दस रुपए का गुब्बारा मुफ्त मे दिया था जबकी उसके लिए वो दस रुपए "सो " रुपए के बराबर थे,,,,,!
वो फिर से अपनी जगह जाके खड़ी हो गई,,,,,, और आसमान मे देख ने लगी की बारिश होगी या नही।
बीएमडब्ल्यू का मालिक सोच मे पड गया,,,,उस मासूम की दरियादिली देख कर वो अचंभित हो गया था ।
एक छोटी सी बच्ची ने आज उस के मुंह पर तमाचा मारा ,,,, उसका अमिरी का घमंड चूर-चूर हो गया।
आसमान मे बादलो का घेराव बढ ने ने लगा ,,,ये सीज़न की पहली बारिश थी,,,, थोड़ी देर मे रिमझिम करके बारिश शुरु भी हो गई ,,, और बीएमडब्ल्यू के मालिक का अमीरी से भरा घमंड भी बारिश के साथ बह गया,,,,,,।।।

एक आदमी जो महीने के लाखों कमाता होगा फिर भी एक 10 रुपए उससे छूटे नहीं और,,,,
इस और एक बच्ची जीसे हजारो का हिसाब नही पता उसके लिये तो दिन मे कमाये गये पचास- सो ही लाखो समान थे उसने एक पल भी सोचे बीना अपनी कमाई का कुछ हिस्सा खुशी खुशी गँवा दिया।

अमीरी सच मैं गाडियों मैं नही घूमती,,,,,,,!!
उसे देखना हो तो ,,,,,
तो यही कही नज़र डालो,,,,,,, सड़कों पर घूमते कीसी बच्चें के मासूम दिल मे मिल जायेंगी ।।।।।

🙏 समाप्त 🙏

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और रोड पर रोजी रोटी कमा रहे छोटे बच्चे हो या बडे उस्से दस या पांच रुपए के लिये उनसे बहस करने लगते है।
हो सके तो उनसे बीना बहस के चीजे ले लीजिए,,,, एक सुकून मिलता है ,,,,,सच करके देखना 🙏🙏🙏