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पक्षीराज - अनोखी लव स्टोरी - 6

"....अधिराज..."
" जी मां...!
" अधिराज ...तुम किस विशेष कार्य के लिए प्रतिदिन जा रहे हो ...हमे बिनाा बताए ....ऐसा क्या विशेष हैं जो हमसे भी तुमने गुप्त रखा हुआ है ...??
" मां आप परेशान मत हो ...हमारा विशेष कार्य क्या है हम आपको बता देंगे समय आने पर ..."
" वो तो ठीक है किंतु तुम अपनी प्रजा पर भी ध्यान नहीं दे रहे हो ....और राजकुमारी सागरिका से भी उचित व्यवहार नहीं कर रहे हो एक बार उससे बात कर लेते.... "
" मां... आप क्यूं चिंतित हो रही है हम अपना कार्य कर रहे है ...हमारी प्रजा को कोई कष्ट नहीं है ...और राजकुमारी सागरिका ...हमने आपको स्पष्ट मना किया है उससे विवाह हमे स्वीकार नहीं है ...." इतना कहकर अधिराज वहां से चला जाता है ....!
"...अधिराज.. रुको ..."
" शंशाक ...आओ मित्र ...!"
" अधिराज ...तुम राजकुमारी सागरिका से विवाह के लिए क्यूं मना कर रहे हो ...
" मित्र तुम अभी उसके व्यवहार से अनजान हो और वैसे हमे हमारी राजकुमारी मिल गयी है ...वो जल्द ही पक्षिलोक की रानी बनेंगी ...."
" बहुत अच्छा आखिर पक्षिराज को कोई तो भायी ...वैसे कौन हैं वो सौभाग्यशाली.... कोई ऐसी वैसी तो होंगी नही तुमने चुना है तो कोई खास ही होंगी... "
" हां ...बहुत खास हैं वो हमारे लिए ..उस जैसा कोई नहीं हैं..... समय आने पर हम तुम्हें उससे जरुर मिलवाएंगे..."
उसी दिन.....अधिराज अपने कमरे में बैठा आरुषि के बारे में ही सोच रहा था... तभी नीलदर्पण के जरिेए आरुषि से बात करता है ....उसी समय सागरिका पहुंचती है...!
"..प्रणाम ...राजमाता..."
" आओ सागरिका.. "
"..राजमाता.. हमे पक्षीराज से विशेष वार्ता करनी है ...कहां है वो ...?.."
" वो अपने कक्ष में है तुम विश्राम करो ....मयुरी (अधिराज की विशेष सेविका)..."
" जी ..राजमाता.."
"मयुरी अधिराज को सुचित करो राजकुमारी सागरिका आपसे मिलना चाहती है..."
...मयुरी अधिराज को सुचित करती है तब अधिराज अतिथि ग्रह में पहुंचता है ....बेमन से अपनी मां के कहने पर अधिराज सागरिका से बाग में मिलता है.......
"..अधिराज... हम आपकी कबसे प्रतिक्षा कर रहे है ...पक्षीराज आप हमे अनदेखा क्यूं कर रहे हैं..."
"...सागरिका ...हमने तुमसे मना कर दिया है न हम तुमसे मिलना नहीं चाहते ...."
"..अधिराज पर हमारा तो विवाह होने वाला है..."
"..तुम गलतफहमी में हो हम तुमसे विवाह नहीं करेंगे ...राजमाता ने आपको बता दिया है.. फिर तुम एक ही बात क्यूं कह रही हो ..."
"..अधिराज आप हमसे विवाह क्यूं नहीं करना चाहते ...देखिए हमे हम सुंदर भी है और थोड़ी बहुत शक्तियां भी है ,हमारे पास ..इनसे हम आपकी कालाशौंक से युद्ध में सहायता करेंगें..."
" हां तुम्हारे पास शक्तियां हैं किंतु हमे तुम्हारी सहायता नहीं चाहिए ....कालाशौंक के लिए हम अकेले ही पर्याप्त हैं ...आज के बाद तुम हमसे विवाह की हठ मत करना ..तुम्हारे लिए अच्छा होगा... "
गुस्से में सागरिका वहां से चली जाती हैं पर उसे चैन कहां अधिराज का उससे विवाह न करने के कारण को जानने के लिए सागरिका अपने गुप्तचर को भेजती ही ......

.....अगले दिन बिना किसी को बताऐ अधिराज इंसानी दुनिया में चला जाता है ....इधर राजमाता आंगिकी अधिराज के इस तरह बिना किसी को सुचित किये जाना अजीब लग रहा था ..इसकी जानकारी लेने के लिए वो अपने गुप्तचर गौरेया को अधिराज की खबर लाने के लिए भेजती हैं...
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अर्जुन आरुषि के गोद में सिर रखकर बहुत ही सुकुन महसूस कर रहा था.... "..आरुषि एक बात कहूं ...बुरा तो नहीं मानोगी...."
"..मैं बुरा क्यूं मानूंगी तुम कहो .."
"आरुषि ...अब तुमसे अलग नहीं रहा जाता ....क्या तुम शादी करोगी मुझसे ...मैं तुम्हें कभी कोई तकलीफ नहीं होने दुं..(तभी आरुषि चुप करा देती है)
" क्या तकलीफ न होना ही साथ रहना है.... मैं तो खुश हूं तुम जैसा लाइफ पार्टनर को पाकर ...हां .."
ये सब खबर लेकर दोनों के गुप्तचर अपनी अपनी जगह पहुंचकर खबर देते है.....
सागरिका : ओह ....तो हमसे विवाह न करने का कारण वो इंसानी लड़की है .....मार दूंगी मैं उसे ....अधिराज की शक्तियां सिर्फ हमारी ....खत्म कर देंगे हम उसे ....