Bigdail Ladki - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

बिगड़ैल लड़की - 1

यह कहानी,, पूर्ण रुप से काल्पनिक है ।किसी भी जाति धर्म स्थान व्यक्ति से कोई संबंध नहीं रखती है ।इसे सिर्फ मनोरंजन की दृष्टि से लिखा गया है ।तो इसे सिर्फ मनोरंजन की दृष्टि से ही पड़े ।और फिर भी यह किसी से मैच करती है तो ,वह सिर्फ एक संयोग होगा।

यह कहानी का भाग 1

एक आलीशान कोठी के अंदर ,ऊपर के माले से नीचे आती हुई, सीढ़ियों से 20 साल की खूबसूरत लड़की नीचे उतर कर आ रही थी ।देखने से ही पता लग रहा था कि इसमें हर वह बात है ,जो एक मॉडर्न लड़की में आजकल देखने को मिल जाती है।

बलवंत ,जो वही हॉल में बैठे हुए मोबाइल से,, किसी से बात कर रहे थे अपनी बेटी को बाहर जाता देख कर,,

बलवंत ,,"रवीना कहां जा रही हो इस वक्त रात के 11:00 ?

रवीना ,अपने खूबसूरत लंबे रेशमी बालों को अपने हाथ से पीछे की तरफ करती है ।और ,"पापा मैं दोस्तों के साथ पार्टी पर जा रही हूं सुबह 4:00 बजे तक आ जाऊंगी।

बलवंत ,अपना मोबाइल बंद करते हुए ,"चुपचाप अपने कमरे में चली जाओ ।कोई पार्टी वार्टी मैं नहीं जाओगी समझी तुम, तुम्हारी मां ने तुम्हें इतनी छूट दे दी है कि अब तुम रात भर बाहर पार्टी करने की कोशिश कर रही हो ,सीधा अपने कमरे में चली जाओ,।

रवीना, अपने पिता की बात सुनकर गुस्से से भर उठी थी," "मैं पार्टी में जाऊंगी मैं बालिग हो चुकी हूं मैं किसी की गुलाम नहीं हूं समझेगा पापा। इसलिए आप भी मुझे आप रोकने की कोशिश ना करें तो ज्यादा अच्छा है।

बलवंत ,उसकी बात सुनकर क्रोध में आ गए थे ,पर अभी वे कुछ बोलते ,तभी उन दोनों की तेज़ आवाज सुनकर, ऊपर के कमरे से, एक लेडीस निकल कर आ जाती जो बलवंत की पत्नी सायरा थी,

सायरा ,,"क्या हुआ क्यों शोर मचा रखा है यहां"

बलवंत ,,"क्या तुम देख नहीं रही हो ,तुमने अपनी बेटी को कितना बिगाड़ कर रख दिया है ।अब यह रात भर बाहर पार्टियों में भी अपना टाइमपास करने लगी हैं ।नशेड़ी हो चुकी है तुम्हारी बेटी ,,समझी तुम ।और तुम्हें कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा है।

सायरा ,अपना सिर हिलाती है और ,'क्या कह रहे हो तुम बच्ची है जाने दो उसे ,इस उमर में जवान बच्चे ऐश नहीं करेंगे तो फिर कब करेंगे ,क्या हमारी और तुम्हारी उम्र है अब ऐश करने की।

और अपनी बेटी की तरफ हाथ हिलाते हुए',"" जाओ बेटी तुम जहां जा रही हो, बेवजह की अपनी पिता की बातें मत सुना करो ,और अपने पति की तरफ बेपरवाही से देखती है,

बलवंत ,,"चुप रहो तुम ,तुम्हारी यही हरकत इसे बिगाड़ रही है तुम कहीं नहीं जाओगी और अगर तुमने घर से बाहर कदम भी रखा तो ,फिर वापस घर में तुम्हें कदम नहीं रखने दूंगा ,इस बात का ध्यान रख लेना।

रवीना ,अपने पिता की बात सुनकर ,बेहद गुस्से में आ जाती है और उसके चेहरे की रंगत और आंखें बदल गई थी, ऐसा लग रहा था, जैसे वह अब फट पड़ेगी ,और वाकई में ऐसा ही हुआ ,अपने पिता के ऊपर पागलों की तरह बरस पड़ी,,

रवीना,,"" ओह पापा आप मुझे घर से निकलेंगे ,अच्छा तो अब मुझे समझ में आया ,आप अपनी दौलत की वजह से मुझे रोकने की हिम्मत दिखा रहे हैं,,, तो फिर ठीक है मैं खुद आपकी इस दौलत को ,आपके इस घर को, लात मारकर जा रही हूं,, आप रखिए ,अपने इस पैसे को अपने पास, मुझे नहीं चाहिए आपकी यह दौलत, मुझे चाहिए आजादी, सिर्फ आजादी समझे आप ,,

सायरा,,"" अरे बेटी यह क्या बोल रही हो,, तुम हमारी इकलौती बेटी हो ,,यह सब कुछ तुम्हारा ही तो है ,तुम इसे जैसे मर्जी इस्तेमाल करो ,,इतना गुस्सा मत करो तुम अपने पिता की बात का बुरा नहीं मानते ,,जाओ तुम अपने दोस्तों के साथ ऐश करो,,

बलवंत ,,""चुप करो तुम ,यह कहीं नहीं जाएगी, और फिर एकदम से अपनी आंखें बंद करके ,,अपने गुस्से को कंट्रोल करने की कोशिश करते हैं।

और फिर,"" देखो बेटी रवीना, मेरी बात ध्यान से सुनो ,यह सब कुछ तुम्हारा ही है,, पर तुम समझने की कोशिश करो, तुम जिन दोस्तों के साथ जा रही हो,, वह तुम्हें गलत रास्ते पर ले जा रहे हैं ,,अभी तुम समझ नहीं रही हो ,,इसका अंजाम बहुत बुरा भी हो सकता है,, तुम्हें अपने दोस्तों को समझना होगा,,, मैं तुमसे यह नहीं कह रहा हूं ,,की तुम बाहर घूमने मत जाओ,, या कुछ भी ना करो,, बस मैं तो यह चाहता हूं कि,, तुम देखो और समझो ,,उसके बाद ही अपने कदम आगे बढ़ो,,,""

रवीना ,,"पापा मुझे बेवजह की नसीहत देने की जरूरत नहीं है,, मैं सब जानती हूं और सब समझती हूं ,अगर आपको मेरे दोस्तों से प्रॉब्लम है तो ,,मैं क्या कर सकती हूं ,,,अगर मैं कहूं कि मुझे आपके दोस्तों से प्रॉब्लम है,,, तो क्या आप अपने दोस्तों को एक तरफ कर देंगे ,,,,उन्हें अपनी जिंदगी से हटा देंगे,,

सायरा,, भी अब ऊपर से उतर कर उन्हीं के पास आ गई थी ,,,और अपनी बेटी को ,,जो गुस्से से काँप रही थी ,,,संभालने लग गई थी ,,,""""शांत हो जा बेटी वैसे ही तुम्हें बीपी की शिकायत है ,,शांत हो जाओ,,

बलवंत ,,अपनी बेटी की हालत देखकर बेहद परेशान हो जाता है ,,,रवीना की आंखें बिल्कुल लाल हो गई थी ,और उसकी मां उसे वहीं सोफे पर बैठा लेती हैं,,,,

रवीना ,,""मॉम बस आपकी वजह से मैं इस घर में रुक जाती हूं ,,वरना मैं कब का यहां से चली जाती ,,"और गुस्से से अपने पिता की तरफ देखती है।

बलवंत ,,""मेरी बात सुनो रवीना, ऐसे गुस्सा करने से कुछ नहीं होगा ,,तुम्हें अपने आप को बदलना होगा ,और यह रात रात भर बाहर रहकर ,,नशा करना छोड़ना होगा समझी तुम,,"

रवीना,, फिर से खड़ी हो जाती है और गुस्से से अपने सिर को हिलाती हुई ,,""आप चाहते हैं मैं यह नशा छोड़ दूं, और रात रात भर बाहर ना रहूं ,,,ठीक है मैं भी देखती हूं ,,कैसे आप मुझे रोक पाते हैं ,,,मेरी अपनी जिंदगी है,, और मुझे इसे जीना आता है """",,,,और बेहद तेज रफ्तार से ,चलते हुए वहां से बाहर निकल जाती है,,,,

बलवंत ,,गुस्से भरी नजरों से ,,अपनी बेटी को जाता हुआ देख रहा था,,,,

क्रमशः

एक लड़की ,,जो अपने पिता के विचारों से बिल्कुल भी सहमत नहीं है ,,और अब इसका क्या परिणाम निकलेगा, और कहानी क्या से क्या ,,मोड़ लेगी,, जाने के लिए बने रहे कहानी के साथ,,,,,

यह कहानी मैं बिल्कुल समाज के करीब रखकर लिखने की कोशिश करूंगा ,,,