Bigdail Ladki - 3 books and stories free download online pdf in Hindi

बिगड़ैल लड़की - 3

कहानी को समझने के लिए ,पिछले बार अवश्य पढ़े ,यह कहानी का भाग 3

अब आगे:-

रवीना, सुबह 5:00 बजे के करीब उस कोठी से बाहर अपनी कार लेकर निकल गई थी ,,उसका सिर भारी हो रहा था,,, और आंखों में हल्की जलन हो रही थी, आंखों की पुतलियां मोटी और लाल दिख रही थी,,,

रवीना ने ,,म्यूजिक ऑन कर दिया था ,,और बड़े आराम से अपने घर की बढ़ रही थी,,,,

रात को मारा गया कुत्ता भी, उसे वही मरा हुआ नजर आ गया था,,, और उसे अब मरा देखकर,, रवीना को थोड़ा अजीब सा फील हुआ था,,

रवीना,,,"" बेचारा बेवजह कल रात मेरे हाथों मारा गया,, पर यह सब पापा की वजह से हुआ,, उन्होंने ही मुझे इतना गुस्सा दिलाया था ,,,अगर वह ऐसा नहीं करते तो,, ऐसा बिल्कुल भी नहीं होता,,

""पापा को भी मुझसे जाने क्या दुश्मनी सी है,, हर बात पर मुझे ठोकते रहते हैं,,,एक नशा ही तो है,, कौन सी बड़ी आफत मैंने अपने ऊपर ले ली है,,, दुनिया नशा कर रही है,,, क्या फर्क पड़ता है ,,,पता नहीं पापा को इतनी एलर्जी क्यों है नशे से,,,,

और फिर,, वह अपने भवन के दरवाजे पर आ पहुंची थी,,,, और दूसरी तरफ से,, उसके पिता की गाड़ी भी आ रही थी,,,

रवीना ,,अपने पिता की गाड़ी को देखकर मन ही मन में,, """पापा सुबह-सुबह कहां से आ रहे हैं,,, कहीं यह भी मेरी तरह रात मस्ती में डूब कर तो नहीं आ रहे,,, और फिर उसके होठों पर मुस्कान आ जाती है,,,,

बलवंत,,, भी अपनी गाड़ी को अंदर लगा लेता है,,,

रवीना ,,,अपने डैडी की गाड़ी की तरह दिखती हैं, उसमें उसे एक बेहद खूबसूरत लड़की बैठी नजर आती हैं,,, जो अब उतरकर गाड़ी से बाहर आ गई थी,,,,

रवीना,, उसे ध्यान से देखती हैं ,,उसे वह चेहरा थोड़ा-थोड़ा पहचाना जाने लगता है,,, और फिर वह दौड़ कर उसके पास आ जाती है,,,,

रवीना ,,"" तुम रेणुका हो ना ,,जब मैं बचपन में गांव आती थी,, तुम मेरे साथ खेलती थी,, जब हम इतने छोटे-छोटे थे,,,"

रेणुका,,"" हां मैं वही हूं ""और मुस्कुराती हैं,,

रवीना ,उसे अपने गले से लगा लेती हैं,,तुम्हें देख कर बहुत खुशी हुई मुझे ,,,और अपना बचपन याद आ गया,,,,"

रेणुका,, भी उसे खासकर गले लगा लेती है और,,"" मुझे भी""

बलवंत ,,""चलो पहचाना तो सही,, मुझे तो लगा था, बिल्कुल नहीं पहचाने गी,,""

रेणुका ,,""तुम कैसी हो रवीना ""और यह क्या हालत बना रखी है ,,तुम्हारी आंखें ऐसी कैसे हो गई ,,मुझे लगता है ,तुम्हें बुखार है ,,चलो अंदर ""और उसे कंधे से पकड़कर घर के अंदर ले जाने लगती हैं,,,

बलवंत ,,"""रेणुका गांव से यहां रहने आई है,,, इसे ज्यादा परेशान मत करना रवीना,,""

रवीना,," मैं क्यों परेशान करने लगी पापा,, जो भी परेशान होता है,,, अपनी ही वजह से होता है,,,""

बलवंत,,"" ठीक है, ठीक है ,,रेणुका को तुम अपने कमरे में रखोगी या अलग कमरा दे दे,,,""

रेणुका,," मैं तो रवीना के ही कमरे में रहना चाहती हूं ,,,क्या मैं रह सकती हूं रवीना ,,,और उसकी तरफ देख कर मुस्कुराती है,,,, और फिर उसके गले में अपनी बाजू डाल लेती हैं,,,,,,

रवीना ,,,""वैसे मुझे अब आदत नहीं है ,किसी के साथ रहने की,,, पर अब तुम इतनी दूर से आई हो तो,, ठीक है, तुम मेरे बेडरूम में रह सकती हो,,"""

रेणुका ,,""लो अंकल जी हो गया फैसला""""

बलवंत ,,""जाओ रेणुका कुछ समय आराम कर लो,, फिर नाश्ते में मिलेंगे,, 9:00 बजे, ओके ,उसके बाद मुझे ऑफिस जाना होगा,,,""

रेणुका ,,""जी अंकल मैं नाश्ते के वक्त आ जाऊंगी"""

रवीना,,, रेणुका का समान उठाने में मदद करती है ,,,और फिर उसे अपने रूम में ले आती हैं,,,,

रवीना,, का सर अभी भी घूम रहा था ,,और वह एकदम से बाथरूम की तरफ भाग जाती है ,,,और उल्टी करने लगती है,,,

रेणुका ,,,उसे ऐसा करता देख कर घबरा गई थी ,,और वह भागकर उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगी थी,,,,

रेणुका,,"" क्या हुआ रवीना,, तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं है,, मुझे लगता है,, हमें डॉक्टर को बुला लेना चाहिए ,,रुको मैं अंकल जी को बोलती हूं,,""

रवीना,,"" नहीं इसकी जरूरत नहीं है ,,बस ऐसे ही सर घूम रहा था,,, रात ज्यादा लंबी पार्टी हो गई थी, इसलिए ,,"

रेणुका ,,"अच्छा तो तुम रात पार्टी से आ रही हो ,,और मुझे लगता है तुमने वहां कुछ ज्यादा ही पी ली है,, इतनी पीने की क्या जरूरत थी,,, थोड़ी बहुत पी लिया करो,, मैं तुम्हें बताऊंगी ,,कितनी पिया करते हैं ,,,जिससे तुम्हारी तबीयत ना बिगड़े,,""

रवीना,, उसकी तरफ देखती हैं ,,,""क्या कह रही हो,, तुम शराब पीती हो,, मुझे तो नहीं लगता है ,,तुम गांव की लड़की ऐसा करती होगी ,,,""और थोड़ा अजीब सा मुह बनाती है,,

रेणुका,," क्यों हम शराब नहीं पी सकते क्या,,, या कहीं लिखा है,, कि सिर्फ शहर की मॉडर्न लड़कियां ही शराब पिएंगी,,,,"""

रवीना ,,""हां मुझे तो ऐसा ही लगता था ,,,पर अब तुम कह रही हो तो ,,,पता लग जाएगा ,,,क्योंकि मेरा तो यह रोज का काम है,,""

रेणुका,," क्या कहा रोज-रोज,, नहीं नहीं, मैं तो कभी कबार ही लेती हूं ,,,जब मूड ज्यादा ही अच्छा हो,,

रवीना ,,""और क्या-क्या लेती हो ,,सिर्फ शराब या कुछ और भी,," और उसकी तरफ तिरछी नजरों से देखती है,,,,

रेणुका, लापरवाही से ,,बेड पर आ गिरती है और,,"" तू मेरे साथ गांव चल,, मैं तुझे दिखाती हूं ,,वहां हम क्या-क्या नशा करते हैं ,,,तेरा दिल खुश हो जाएगा,,,""

रवीना ,,भी उसके बगल में आकर लेट जाती है,, और ""अच्छा क्या वाकई में,, तुम्हारे गांव में ऐसा नाश मिलता है जिसे पीकर मदहोशी छा जाती है,,, सब कुछ सतरंगी हो जाता है ,,और एक अद्भुत दुनिया का आनंद प्राप्त होता है,,,

रेणुका ,,उसकी तरफ देखती है और ,,,""तू यह कैसी बातें कर रही है ,,,तेरी बातों से तो लग रहा है,, तू बहुत बड़ी नशेड़ी हो गई है ,,,अरे यार इतना नशा भी नहीं किया जाता की होश ही ना रहे,,,"""

रवीना,,"" नशा करने में मजा तभी आता है,, जब होश गुम हो जाएं,, समझी,,

रेणुका ,,""अरे नहीं यार ,तुझे तो अपने गांव ले जाना ही पड़ेगा,,, तभी तुझे पता लगेगा नशे का असली मजा क्या होता है,,,,,,

रवीना,,,"" तु मेरे साथ एक रात चल ,,,अगले दिन तू अपने गांव को भूल जाएगी समझी,,,, दिमाग में ऐसा नशा चढ़ेगा,,, की तुझे अपने गांव के सब नशे फीके लगने लगेंगे,,,,,""

रेणुका ,,""अच्छा ,,,और अगर तुम्हारे नशे मुझे खास नहीं लगे तो ,,,तुम्हें मेरे साथ गांव चलना होगा,,, फिर मैं तुम्हें बताऊंगी ,,,नशा क्या होता है ,बोलो मंजूर है ,,और जब तक मैं ना कहूं ,,,तुम गांव से शहर नहीं आ पाओगी बोलो मंजूर है,,""""

रवीना,,"" ठीक है ,,,मुझे तुम्हारी यह शर्त मंजूर है,,,, पर अगर मैं जीत गई तो,, तुम्हें मेरा साथ देना होगा,,,,

रेणुका ,,,लापरवाही से ,,,""अरे यार मैं तेरा साथ देने हीं तो आई हूं ,,,चल अब मुझे थोड़ी देर सोने दे,,, और तकिए को अपने चेहरे पर रखकर आराम से लेट जाती है,,,,,,

क्रमशः,,,

अब क्या होगा ,,क्या रवीना रेणुका को भी नशे की दलदल में उतार देगी ,,,या फिर कुछ होगा नया खेल,,, जानने के लिए बने रहें कहानी के साथ,,,,