Teri Kurbat me - 15 books and stories free download online pdf in Hindi

तेरी कुर्बत में - (भाग-15)

ऋषि के चुप रहने से संचिता के मन में एक उम्मीद सी जगी , कि शायद ऋषि भी उसकी तरह ही कुछ अलग सी फीलिंग रखता हो , जिसका मतलब तो संचिता अभी तक निकाल नहीं पाई थी , लेकिन ये तो वह समझ गई थी , कि ये फीलिंग्स दोस्ती नहीं हैं , बल्कि शायद कुछ और हैं और उसे ऋषि से इस वक्त यही सुनने की अपेक्षा थी । उसे लग रहा था , जैसे वो इन फीलिंग्स को लेकर कुछ तय नहीं कर पा रही है , वैसे ही फीलिंग्स शायद ऋषि के मन में भी हैं , लेकिन वह भी उन्हें नाम नही दे पा रहा है । लेकिन उसकी ये उम्मीद एक झटके में टूट गई , जब ऋषि ने कहा ।

ऋषि - क्योंकि तुम मेरी बेस्ट फ्रेंड हो और बेस्ट फ्रेंड्स से कुछ भी छुपाना नहीं चाहिए , ऐसा एक बार तुमने ही मुझसे कहा था ।

ऋषि की बात सुनते ही संचिता का चेहरा उतर गया और उसे याद आया , कि ये ज्ञान उसी ने पेला था यहीं बैठ कर , आज से लगभग एक महीने पहले । उसने मन ही मन खुद को कोसा , कि उसे ये दोस्ती जैसी चीज़ ऋषि के साथ निभानी ही नहीं चाहिए थी , क्योंकि इसमें जो उसकी उम्मीद बढ़ती जा रही थी किसी अदर फीलिंग्स के लिए , उस उम्मीद के बार - बार टूटने से संचिता का दिल रो देता था और अब ऐसा बार - बार होने से वह उकता गई थी । संचिता का उतरा चेहरा देख ऋषि ने कहा ।

ऋषि - क्या हुआ...??? तुम्हें खुशी , या एक्साइटमेंट नहीं हुई मेरी बात सुनकर ।

ऋषि की बात सुनकर संचिता अपने उदास मन से बाहर आई और कहा ।

संचिता - ऐसा नहीं है ऋषि , खुशी हुई हैं मुझे और एक्साइटमेंट भी , कि आखिर ऐसी क्या बात है तुमसे जुड़ी , जिसे तुम सिर्फ मुझसे शेयर करना चाहते हो ।

ऋषि उसकी बात सुनकर मुस्कुराया और कहा ।

ऋषि - जब से मैंने अपना होश संभाला है न संचिता , तब से मेरा एक ही सपना है । आर्मी ज्वाइन करना..।

संचिता उसकी इस बात पर उसे हैरानी से देखने लगी और कहा ।

संचिता - तुम आर्मी ज्वाइन करना चाहते हो???

ऋषि - हां..., क्योंकि मैंने बहुत सुना है आर्मी के बारे में । और देश की सेवा करने से बड़ा सुख भला कोई हो सकता है क्या संचिता??? मैं हमेशा से इसके लिए मेहनत करता आया हूं , चाहे स्टडीज में हो या फिर फिजिकल हेल्थ को लेकर । मैं एक बार में ही इसका एंट्रेंस एग्जाम और बाकी सारे टेस्ट क्लियर करना चाहता हूं ।

संचिता ( उसे एक टक देखकर ) - मेरे पिता और मेरी उजड़ी जिंदगी को जानने के बाद भी तुम्हें आर्मी ज्वाइन करना है ऋषि???

संचिता की बात पर ऋषि दो पल के लिए शांत हो गया । फिर उसका हाथ पकड़ कर उसे देखते हुए बोला ।

ऋषि - तुम ही कहती हो न संचिता , कि हर इंसान की जिंदगी एक सी नहीं होती । जरूरी तो नहीं , जो तुम्हारे और तुम्हारे परिवार के साथ हुआ , वो मेरे साथ भी हो ।

संचिता - और अगर हुआ तो ??? मेरा क्या होगा ऋषि???

ऋषि - तुम्हारा क्या होगा से क्या मतलब है संचिता??? तुम्हें कोई अच्छा सा फ्यूचर हसबैंड मिल जायेगा , जो तुम्हें बहुत प्यार करेगा और वह मुझसे भी अच्छी दोस्ती तुम्हारे साथ निभायेगा । वह तुम्हारी जिंदगी में , मेरी ..., तुम्हारे बेस्ट फ्रेंड की कमी को पूरा कर देगा , फिर समय के साथ तुम मुझे भूल जाओगी , सिंपल ।

संचिता - जब तक तुम जिंदा रहोगे , क्या तुम मुझे भूल पाओगे ऋषि???

ऋषि - ये कैसा सवाल है संचिता???

संचिता - मुझे सिर्फ जवाब चाहिए ।

ऋषि ( उसका हाथ छोड़ कर ) - नहीं....., इनफेक्ट कभी नहीं ।

संचिता ( उसका हाथ पकड़ कर उसे अपनी तरफ घुमाकर बोली ) - तो तुमने ये कैसा सोच लिया , कि कोई भी मेरी जिंदगी में तुम्हारी कमी को पूरा कर सकता है???

ऋषि को एहसास हुआ , कि वह संचिता को समझाने के चक्कर में क्या बोल गया है । उसने नजरें झुका ली ।

संचिता - बताओ न ऋषि , कैसे सोच लिया तुमने ऐसा???

ऋषि ( नजरें झुकाए ही बोला ) - सॉरी संचिता , मैं गलत बोल गया और तुम्हें हर्ट कर दिया ।

संचिता ( गुस्से से ) - वो तो तुमने किया है ऋषि । और मैं अपने दोस्त को किसी भी हालत में नहीं खोना चाहती , समझे तुम !!??

ऋषि - संचिता ....., संचिता ..., देखो...., सुनो मेरी बात । मेरे लिए मेरा सपना पूरा करना बहुत जरूरी है , वरना मैं कभी खुश नहीं रह पाऊंगा । ये सपना सिर्फ मेरा करियर को लेकर एक मुकाम ही नहीं , बल्कि जिंदगी बन चुका है । उठते बैठते सोते जागते मैं सिर्फ खुद को आर्मी यूनिफार्म में इमेजिन करता हूं और अब तुम ही बताओ , मैं कैसे छोड़ दूं इस सपने को??? तुम्हें पता है...., मेरे घर वाले कभी मुझे आर्मी ज्वाइन नहीं करने देंगे , क्योंकि उन्हें अपने बच्चे अपने आखों के सामने चाहिए । हमारे यहां सिर्फ दी को छोड़ , बाकी सब यहीं रहते हैं , क्योंकि कभी भी किसी की पोस्टिंग बाहर होने ही नहीं दी हमारे बड़ों ने , और दी ने अपना रास्ता अलग बनाया , तो अब उनकी कोई वैल्यू नहीं बची है हमारे बड़ों की नजरों में । अपने घर वालों से छुप कर , उन्हें बिना बताए मैंने ये फॉर्म भरा है , और उन्हें मैंने इसी लिए नहीं बताया , कि वो मुझे कभी यहां से दूसरी जगह जाने ही नहीं देंगे । पर तुम्हें बताया , क्योंकि मुझे लगता है , तुम मुझे मेरे घर वालों से भी ज्यादा समझती हो , मेरे घरवाले मेरे आर्मी में जाने की बात का कभी सपोर्ट नहीं करेंगे , पर तुम करोगी , यही सोचकर मैंने तुम्हें बताया संचिता । लेकिन अगर तुम ऐसे रिएक्ट करोगी , तो मैं क्या करूंगा फिर?? मैं अपनी जिंदगी से अलग होकर कभी जिंदा रह पाऊंगा क्या संचिता???

संचिता - और अपनी दोस्त , अपने परिवार से अलग होकर तुम कैसे रह पाओगे ऋषि????

ऋषि - एक आर्मी मैन के लिए , पूरा देश ही उसका परिवार होता है । उसके आर्मी साथी उसके सच्चे दोस्त और धरती माता उसकी मां ।

संचिता ( भरी आखों से ) - तो क्या तुम आर्मी ज्वाइन करने के बाद मुझे भूल जाओगे???

ऋषि ( उसके आखों से गालों पर आए आसुओं को साफ कर बोला ) - भला कोई अपनी सबसे अच्छी दोस्त को भूल सकता है क्या ??? मैं तुम्हें कभी नहीं भूलूंगा यार । यहां से जाने के बाद , मैं कभी अपने परिवार के पास लौट कर नहीं आऊंगा । क्योंकि मुझे पता है , अपनी मन मानी करने पर वो लोग मुझे वैसे भी घर अंदर नहीं आने देंगे । लेकिन मैं तुमसे और दी से मिलने हमेशा आता रहूंगा । तुम ये सोच सकती हो , कि छुट्टियों में सिर्फ मैं तुम्हारे और दी के लिए ही आऊंगा और उनके लिए भी , जो मेरे परिवार में से मेरे लिए फैसले के साथ खड़े होंगे । अब तो तुम नहीं रोकोगी न मुझे आर्मी ज्वाइन करने से???

संचिता ( मुंह बनाकर ) - जैसे मैं रोकूंगी , तो तुम रुक ही जाओगे।

ऋषि ( उदास सा बोला ) - लेकिन अपनी बेस्ट फ्रेंड को हर्ट कर मैं खुश भी तो नहीं रह सकता , इस लिए अगर तुम खुश नहीं रहोगी , तो नहीं जाऊंगा ।

ऋषि को उदास देखकर , संचिता का दिल भर आया । कहीं न कहीं वह ऋषि की बात समझ रही थी , उसकी बातों से इत्तेफाक तो रखती ही थी । लेकिन जो अंजाम उसके परिवार का हुआ , उसे याद कर वह अपने मन को राजी नहीं कर पा रही थी , ऋषि को जाने देने के लिए ।

संचिता ( आखिरी कोशिश करते हुए बोली ) - लेकिन तुम्हारे अपने परिवार...., आई मीन जब तुम शादी करोगे , और फिर तुम्हें कुछ हो गया , तो तुम्हारी पत्नी का क्या होगा , सोचा है तुमने कभी?? अगर उनका भी हाल भगवान न करे , मेरे परिवार जैसा हुआ तो.....।

संचिता चुप हो गई , वह ऋषि के इस तरह के भविष्य को सोचकर ही सहम सी गई थी । उसे खुद पर गुस्सा आ रहा था , कि उसके मुंह से ये बात आखिर निकली तो निकली कैसे ???

क्रमशः