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दिसंबर️️

दिसंबर तुम मेरे लिए सबसे खास हो, सबसे करीब भी..

खास क्यों ये मैं नहीं जानती लेकिन इतना पता है कि हर बार तुम मुझे और मजबूत बना जाते हो, बचपन से ही साल भर तुम्हारे तुम्हारे आने का इंतजार मुझे बेसब्र कर देता था... तुम्हारे साथ आने वाली ठंड, ओस और कोहरा सभी से मैं उतनी ही मोहब्बत करती हूं जितना तुमसे... हर साल तुम अपने साथ कई उतार चढ़ाव लेकर आते हो, याद है तुम्हें तुम्हारे साथ ही तो मेरे पहले प्यार की शुरुआत हुई थी... मैं कितनी खुश थी, लगा मानो अब जीवन में कोई आया जिससे मैं तुम्हारे जितना ही मोहब्बत करती हूं, जैसे तुम मुझे कभी छोड़कर नहीं गए वैसे ही वो भी नहीं जाएगा लेकिन तुमने ही बताया कि हमारी हर सोच सही नहीं होती कुछ साल बाद इसी महीने में ही सब खत्म भी हो गया, कितने दिनों तक रोई थी न मैं उस बार, तुम्हें भी खूब कोसा था, तुमसे कहा दिया था साफ - साफ की अब तुम मेरे पंसदीदा नहीं रहे, मुझे अब तुमसे भी बैर है, तुमसे भी वास्ता नहीं रखना, लेकिन तुमने मुझे कुछ नहीं कहा दिसंबर, खूब संभाला, जैसे अब मैं संभाला करती हूं तुम्हारी ओस की बूंदों को❤️...

हां, हर बार मुझे कड़ी चुनौती देते हो, लगता है मानों दिसंबर में 31 दिन नहीं बल्कि 365 दिन होते हैं, या फिर उससे भी कहीं ज्यादा, इतनी उथल पुथल... इतनी भाग दौड़... मैं समझ ही नहीं पाती की तुम आए हो तो तुम्हारा स्वागत करूं? या तुम्हारी इन चुनौतियों का मुकाबला? तुम मुझे थका जरूर देते हो लेकिन हारने कभी नहीं देते... यही तुम्हारी खूबसूरती मुझे तुमसे बंधे रखती है, जीवन का हर अहम फैसला मैंने तुम्हारे साथ ही तो लिया है, पढ़ाई हो... नौकरी हो... प्यार भी सब तुम्हारे साथ ही आए जीवन में...


बहुत कुछ खोया भी मैंने तुम्हारे साथ, कई बार लगा कि शायद सब कुछ खो दिया, हिम्मत, हौसला, साहस, सहनशक्ति सब कुछ, खुद को मैंने इतना बिखरा हुआ महसूस किया जैसे तुम अपने साथ पतझड़ ले आओ हो, लेकिन तुमने मुझे बताया कि ये रात रानी के फूल हैं जिसे सुबह होते ही कोई पुजारन अपने अंचल में समेट कर किसी शिवालय में चढ़ा आएगी, बस मुझे सुबह होने का इतंजार करना है.. ऐसा लगता है जैसे तुम कह रहे हो कि प्रिया तुम्हें अभी खुद को जानना बाकी है, अपनी हिम्मत, अपनी मजबूती, अपना सब्र पहचानना बाकी है.. ये भी जानना बाकी है कि तुम बिल्कुल मेरी जैसी हो, दिसंबर जैसी, जो लोगों को खुशियां ही देगा, लोगों के जीवन में ठंड, फूल, और खूब सारे ओस ले आएगी, जिस धूप लोग भागते हैं उसी का दिसंबर में इतंजार भी करते हैं, तुम भी ऐसी ही हो, बिल्कुल मेरी जैसी, इसी लिए तो मैंने तुम्हें जन्म दिया, वो भी साल के अंतिम दिन में, तुम जानती हो न कि दिसंबर महीने में बीतने वाला हर दिन हमें एक नए साल नए जीवन की ओर लेकर जाता है

यकीन मानो दिसंबर मैं तुम्हें कभी निराश होने भी नहीं दूंगी...


- शुक्रिया दिसंबर❤️