love ignorant of religion - 3 books and stories free download online pdf in Hindi

धर्म से अंजान प्यार - 3

मुझे कुछ भी समझ नही आ रहा था की ये मेरे साथ क्या हो गया। आज मैने कितने सपने बुने थे। कितनी खुश थी में एसा लग रहा था की मेरे साथ ये अचानक क्या हो गया। में घंटो वही बैठ के रोने लगी। फिर चारो तरफ मेरे गुम होने की अफवाह फैल गई। तब किसी तरह मेने खुद को संभाला और मै सब के पास आ गई और बोली की में आगे मेले में घूम रही थीं। फिर मैं सबके साथ घर चली गई।
फिर अगली सुबह में उठी और स्कूल के लिय निकल पड़ी। और जब क्लास में पहुंची तब रेहान वही बैठ था । उसे देख कर ऐसा लगा की मानो कल शाम कुछ हुआ ही नही। मगर में भी बहुत जिद्दी थी ।मेने भी इतनी आसानी से हार नही मानी। मगर मैन कितनी बार उससे बात करनी चाही मगर उसने मुझसे बात नही की।
फिर एक दिन अचानक हमारे स्कूल में पिकनिक के लिय त्यारी शुरू हुए और हमे भी पिकनिक के लिय पूछा गया । मेने तुरंत हां कर दी। फिर जाकर किसी से पूछा की क्या रेहान भी जा रहा है पिकनिक पे तब पता चला कि वो भी जा रहा है। ये सुन कर में बहुत खुश हुई। फिर में खुशी खुशी जल्दी घर गई और सबको बताया की में पिकनिक पे जा रही हु । मां ने बोला की अपने पिता जी से पूछ लो जो वो कहे वही करना। मुझे लगा की पिताजी हा बोल देंगे । मगर जैसे ही मैने पिताजी से पिकनिक के बारे में बोला उन्होंने मुझे तुरंत ही मना कर दिया। में रोने लगी फिर मैने बोला की प्लीज मुझे जाने दीजिए तो उन्होंने बोला नही शरीफ खानदान की लड़किया कही भी यू ही नही जाती। मेने बहुत जिद की खाना भी नही खाया । फिर जा कर मां ने पिताजी से बोला की सुनिए रोशनी खाना नही खा रही है और बहुत रो रही है । आप हा कर दीजिए ना। एक ही दिन की तो बात है पूरा स्कूल जा रहा है और उसके अध्यापक भी तो जा रहे है । वो उसका खयाल रख लेंगे आप उन्हें समझा देना। फिर पिता जी भी मान गए। और मां ने आकर मुझसे कहा की खुश हो जा तेरे पिताजी मान गए है। में बहुत खुश हुई।
फिर मैं अपनी त्यारियो में लग गई। रात भर में नही सोई बस यही सोचती रही की कल मैं पिकनिक पर जाऊंगी और मेरे साथ रेहान भी होगा। फिर सुबह हुई में जल्दी जल्दी त्यार हुई और स्कूल के लिय निकल पड़ी । स्कूल जा कर देखा तो सभी बच्चे लाइनों में लगे थे मै भी जाकर लग गई। फिर सब बच्चे बस में बैठ गए । और बस चल पड़ी।
रेहान मेरे सामने वाली सीट पर ही बैठ था । मै बस उसी को देख रही थीं। फिर एक जगह बस रुकी और हम सब भी उतर गए। और वहा घूमने लगे। मैं सीधा रेहान के पास गई और उससे बाते करने लगी की तुम मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहे हो मै सच में तुमसे प्यार करती हू। तो रेहान ने मुझे फिर मना कर दिया बोला की एसा नही हो सकता है क्योंकि तुम में और मुझ में बहुत फर्क है तुम अलग धर्म की हो और मै अलग धर्म का इस प्यार का कोई वजूद ही नही है।