Darr... in Hindi Short Stories by Dhadak❤ books and stories PDF | डर!

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डर!

"पिहु बेटा ! जानते तु कुछ करना चाहती है , पढ़ना चाहती है , हम सब भी चाहते है तु पढे आगे बड़े , पर ऐसे कैसे कही भी तुझे अकेले भेज दें , तु जानती है ना बाहर लोग कैसे है......."
पिहु कि मां सीमा ने कहा ।
"हां बेटा ! और तु टेंशन मत ले , पहले हम लोग देखेंगे जिस काॅलेज मे तुझे भेज रहे है वो यहां से ज्यादा दूर भी न हो ताकी हम लोग तुझसे मिलने आते रहे , और वो जगह तेरे लिए सेफ भी हो....." उसके पापा रजत बोले ।

पिहु एक सिम्पल सी लड़की है , लोगो से ज्यादा बात नहीं करती , और लड़को से जो जितना कम हो सके उतना ही , जरूरत पड़ने पर ही....... , सबसे दूर दूर सी रहती है, डरी सहमी सी , अपने मम्मी पपा की हर बात मानने वाली बस आज पहली बार वो उनके खिलाफ थी , वो दिल्ली यूनिवर्सिटी मे पढ़ना चाहती थी , उसके पर्सेंटेज भी बहुत अच्छे थे , मगर...... उसके पेरेंट्स का ये डर बीच मे आ रहा था जिसमे समाज की बनाई जाने वाली कुछ बाते भी थी - " लड़की को अकेले पढ़ने बाहर भेज दिया " " कुछ ऊच निच हो गई तो...." " अरे ! लड़कियां अपने घर मे ही सुरक्षित रहती है......" " कैसे मां बाप है उसके, बिगड़ जाएगी लड़की....." और न जाने क्या- क्या....

" अरे ! मै तो कहती हुं , इसी शहर के काॅलेज मे पढ़ा देते है ना , क्या जरूरत है लड़की को बाहर भेजने की , सब जानते है , आज जमाना कैसा है , मैने तो सुना है लड़कियों को उठा कर भी ले जा लेते है , और फिर....." इस बार उसकी चाची उर्मिला बोली ।

पिहु परेशान होकर , "पर चाची , यहां के काॅलेजेस वैसे नही है , और मै नई जगह पर जाना चाहती हुं ताकी खुद पर डिपेंड हो सकुं , दिल्ली यूनिवर्सिटी मे पढ़ने का मुझे मौका मिल रहा है प्लीज जाने दीजिए, ऐसा कुछ नही होगा समझिये ना ..... "
" नहीं पिहु चाची भी सही कह रही है , यही पढ़ सेफ भी रहेगी तु , अच्छा है ना घर से ही आना जाना कर लेगी , कही और रहकर भाग दौड़ भी नही करनी पड़ेगी....." सीमा ने कहा , फिर रजत से , " यही करा देते है इसका एडमिशन, बाहार भेजना सेफ नहीं लग रहा है मुझे......"

" पर मम्मा , पापा , कब तक सबसे बच कर रहुंगी , मै कोई खजाना नहीं हुं जो इस तरह सबसे छुपाते रहेंगे आप....! "

ये सुन रजत उसके पास आए और मुस्कुराते हुए उसके गाल पर हाथ फेरकर बोले , " खजाने से कम है क्या हमारी बच्ची. .... चल अब जिद मत कर , जो कर रहे है तेरे भले के लिए ही कर रहे है......" और वहां से आगे चले गए ।
पीछे से पिहु आंखो मे हल्के आंसु लिए बोली , "पर पापा आज तक कुछ मांगा है क्या आपसे , पहली बार तो जिद कर रही हुं वो भी पढ़ाई के लिए...."
"अच्छा और जो बचपन मे करती थी वो क्या था , हर एक चीज बस नाम लेते ही सामने चाहिए होती थी.... कितनी शरारती थी बचपन मे और अब......चल अब फिर से बचपन जैसी जिद्दी मत बन बात मान ले और वैसे भी ये वाला काॅलेज भी बहुत अच्छा है.....! " रजत बोले और फाइनली चले गए ।
उनकी बाते सुन पिहु ने आस भरी नजरो से पलट कर आपनी मां को देखा तो वो " बेटा यही चली जा ना , वैसे भी मेरी बेटी तो होशियार है कर लेगी सब , बहार जाना ठीक नही होगा समझ ना......"

उन्हे फिर से वहीं सब कहता देख पिहु दनदनाती हुई अपने कमरे मे चली गई , दरवाजा लोक किया और तकिये मे मुंह छिपा कर रोने लगी , " बचपन...!! मेरा बचपन......!!" सिसकियो के बीच उसने कहा और फिर से उसके आंसु बिखर गए....

जबसे उसने 12th पास कि थी , काॅलेज को लेकर यही बाते रोज हुआ करती थी , और कोई सेफ जगह देखेंगे ये कह कर बात को टाल दिया करते ।
पर आज तो उसी शहर के एक काॅलेज को डिसाइड कर लिया गया ।
पिहु बहुत उदास थी , सुबह से श्याम हो गई पर वो अपने कमरे से बाहर नहीं आई......

सीमा उसके कमरे का दरवाजा खटकटाते हुए , " बेटा ! देख श्याम हो गई है , सुबह से अंदर है , खाना भी नहीं खाया , चल बाहर आ......." पर अंदर से को जवाब नहीं आया , तो सीमा आगे बोली , " अच्छा ठीक है , बाहर मत आ दरवाजा खोल दे बस...."
उन्होंने कहा ही थी की पिहु ने दरवाजा खोला और बैड पर जाकर बैठ गई, आंखे सुजी हुई थी , होंठ सूख कर बेरंग से हो गए थे ।
सीमा उसके बाल सहीं करते हुए, " बेटा क्या है ये , तेरा बुरा चाहेंगे क्या हम , हम लोग भी तो चाहते है की तू हमारा नाम करे , पर दिल्ली जैसी जगह सेफ नही है ना तेरे लिए, ऊपर से तू अकेली कोई होता वहां तेरे साथ जिसपर हम भरोसा कर सकते तो सोचते भी , पर सेफ्टी भी तो जरूरी है ना.....!! "

ये सुन पिहु चुप ना रह सकी और जोर से चिल्लाई , " सेफ्टी! सेफ्टी! सेफ्टी !!.....सेफ्टी का मतलब जानती भी है आप...... " और आंखो से आंसुओ का झरना बह गया।
" क्या कहते है आप , मै घर मे सेफ रहुंगी !!....हा हा हा...." करके वो खुद पर ही हंस दी , पर हंसते हुए उसे फिर से रोना आ गया , " कितनी हां? कितनी सेफ थी मैं अपने इसी घर मे , बोलिए ना , आप तो सब जानती है ना , 10 साल पहले कैसे मुझसे मेरा बचपन छीन लिया गया , वो इंसान अभी खुले जंगली कुत्ते की तरह बाहर घुम रहा है और मै यहां घर मे डर डर के जियुं , क्या गलती थी मेरी , क्या गलती थी , हां.....!!!! ..... ये मत पहने वो मत पहनो , अपने तन को छिपा कर रखों यही कहां जाता है ना एक लड़की को , क्योंकि यही कुछ कम कपड़े, या शरीर से चिपके हुए कपड़े मर्दो को आकर्षित करते है उनसे रहा नही जाता , ठीक है नहीं पहनना मुझे ऐसे कपड़े, पर एक जो छोटी सी बच्ची होती है 8 साल की एक छोटी बच्ची उसे इन सब के लिए ज्यादा रोक टोक नहीं होती क्योंकि वो बच्ची है , उसके साथ कोई गलत नही करेगा...... तो उसे मै बच्ची नहीं दिखी क्या या मैने रोज सिम्पल फ्रोक पहनकर उसे मेरे साथ ये सब करने के लिए मजबूर कर दिया.....उसके हाथ नही कांपे, मै तो बच्ची थी मुझे तो कुछ समझ मे भी नहीं आता था , पर गलत लगता था , एक बार नही कितने बार छुआ उसने मुझे , मै नहीं समझ पा रही थी , पर आज वो सब याद करके घिन होती है मुझे अपने आपसे, उसकी वो गंदी सांसे......छि: , जब वो स...सामने अ..आता है ना मेरे म....मै कांप जाती हुं , डर लगता है उससे , बहुत डर लगता है , उसका सिर्फ नाम सुनकर ही वो सब आंखो के सामने आ जाता है , वो सारी यादे याद आ जाती है जिन्हें मैं चाह कर भी भुला नहीं पा रही , उसकी इतनी हिम्मत थी की मेरे ही घर मे आकर मुझे छुता था और आप लोगो को भनक भी नहीं लगती , उस दिन हिम्मत करके आपको बताया न होता तो पता नही आज मेरे साथ...........सोच कर भी रूह कांप जाती है , हां आपने मुझे उससे बचा लिया, पर उसके किए कि सजा उसको मिली , शायद आपको लग रहा होगा मै भुल गई हुं सब, मै कुछ नही भुली मम्मा , वो पहला दिन भी अच्छे से याद है और वो आखरी दिन भी , जिस दिन आपने बस कुछ बुरा भला कह कर उसे छोड़ दिया था, उस इंसान को जिसने आपकी बेटी से उसका बचपन ही छिन लिया.....छोड़ दिया उसे , उस बात को वही दबा दिया ताकी वो बाहर ना आए..... ये सो कोल्ड समाज के डर से आपने उस इंसान को सजा तक नही दी..... इस समाज के लिए आपने अपनी बेटी को उन घटिया यादो के साथ घुटने को कह दिया.....!! जब मै इस अपने घर मे ही सेफ नही हुं तो दुनिया के किसी भी कोने मे सेफ नहीं रहुंगी , तो क्या डर से मै घर मे छिप जाऊ , अरे सड़को पर चलने वाले हर एक इंसान को भी मौत का डर रहता है , पर वो चलना तो नहीं छोड़ देता ना , क्योंकि अगर वो छोड़ भी दे तो मौत उसे घर पर भी आ जाएगी..... क्यों मै डर कर जियुं , क्यों मै अपने आप को छिपाऊं , आखिर मेरी गलती क्या है , ये की मै एक लड़की हुं ,मुझे उन हैवानो की गंदी नजरो से बचना होगा , मै बचना नही उनसे लड़ना चाहती हुं , और वो भी नही बजेगा मम्मा जिसने मुझसे मेरा बचपन छिन लिया , जिसने मुझे हर लड़के मे पहले उसके बुरे रूप को देखने पर मजबूर कर दिया , नहीं छोडूंगी उसे ......अभी जी लेने दिजिये उसे , एक दिन उसके लिए भी आएगा तब वो अगर भीख भी मांगेगा ना मुझसे, तो भी नही छोडूंगी मै उसे......"

सीमा को सच मे लगता था , पिहु ये सब भुला चुकी होगी ।
वो इंसान कोई नही उसके एक चाचा थे (रजत के दादा का भाई का पोता) , जिसे वो बिट्टू चाचा कहती थी , हर वक्त उसके साथ खेलती थी , पर नहीं जानती थी की उसके लिए उसके प्यारे बिट्टू चाचा कितनी गंदी सोच रखते है ।

आज अगर किसी लड़की का रेप हो जाए तो सारा दोष उस पर ही मड़ दिया जाता -
*वो गई ही क्यों वहां , उसके कपड़े ठीक नहीं होता थे तभी तो , अरे सूट भी पहनती थी तो क्या देखा नही सुट कैसे होते थे.......एक दम कसे हुए.....*
एक नही तो दुसरा बहाना तैयार होता ही है , हां सब ऐसा नही सोचते पर ये लोग बहुत कम है , हमने कुछ विडियोज देखी थी , उसमे तो लोग साफ कहते थे ""लड़के क्या कर सकते है जब लड़की उन्हे उकसाए""
अरे कोई लड़की अपने साथ ही वो सब क्यों करवाएगी, क्यों गुजरेगी उस दर्द से जो सहने लायक भी नही होता और उससे भी कड़वी होती है लोगो की बाते , जो उसे पुरी तरह से तोड़ देती है , वो क्यों जानबूझकर ये सब करवाएगी अपने साथ....?!

ठीक है इन बातों के लिए बहुत बहाने मिल जाते है , जिससे पीड़िता को दोष दे सके , पर अब क्या हमे जवाब मिलेगा कि छोटी बच्चियां ऐसा क्या कर देती है जो उनके साथ ये सब होता है , यहां हम सिर्फ रेप की बात नही कर रहे है , उन गलत तरीके की छुअन की बात कर रहे है , क्योंकि वो बच्ची है कुछ कह नहीं पाती इसका मतलब ये नहीं है की कुछ भी करोगे , आज पिहु जैसी न जाने कितनी बच्चियां होगी , जो ये सब सह रही होगी या अपने अंदर वो सब घोट कर बैठी होगी , क्योंकि इन पर ध्यान नही दिया जाता है , और न ही ये सब बाहर आता है ।

प्लीज अपनी बहने, बेटी , या कोई भी लड़की जो आपकी जिंदगी का हिस्सा है उन्हे छिपाईये नही , उन्हे डर कर जीना नही , लड़ना सिखाईये ।
क्योंकि वो कही भी सेफ नही है कही नही , पर जीना है तो खुद को छिपाने से कुछ नही होगा जवाब देना सिखना होगा , एकदम करारा जवाब.....................

~धड़क(Dhadak........❤.......)