Noukrani ki Beti - 46 books and stories free download online pdf in Hindi

नौकरानी की बेटी - 46

आज पुरे चार साल बीत गए और आज आनंदी की हर एक कोशिश का फैसला होगा हां आज अन्वेशा एक डाक्टर बन गई और उसे बहुत ही अच्छे से सम्मानित किया गया।

इसी समारोह में सभी को आमंत्रित किया गया था आनंदी भी गई थी।


आनंदी का समर्पण एनजीओ आज एक सफल और जागरूकता का प्रतीक माना जाता है क्योंकि आनंदी ने इसका सटीक उदाहरण दिया कि आज हर कोई शिक्षित होगा और कोई भी बेसहारा नहीं रहेगा। समर्पण एनजीओ में वो सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित कराया था आनंदी ने की एक घर जैसा माहौल मिलें और सुरक्षित महसूस कर सकें।
आनंदी को जब स्टेज पर बुलाया गया तो लंदन में एक तालियों से गूंज उठी विश्व।।

आनंदी ने कहा कि तुम बेसहारा हो तो किसी का सहारा बनो। सभी आगे आओ।
आज अन्वेशा ने मेरा सपना पूरा किया है।

फिर आनंदी के हाथों अन्वेशा को गोल्ड मेडल पहना दिया गया।

अन्वेशा ने भी कहा कि आज मैं एक छोटी सी बच्ची की कहानी सुनाने जा रही हुं।
फिर अन्वेशा ने सब कुछ बताया और फिर कहा कि वो छोटी सी बच्ची कोई और नहीं मैं ही हूं।

सभी ने ताली बजाकर खुशी जाहिर किया।

आनंदी और अन्वेशा दोनों रो रहें थे।

कुछ दिन बाद आनंदी ने अन्वेशा के डाक्टर बन जाने की खुशी में एक बहुत बड़ी पार्टी रखी थी।

सभी अन्वेशा को बहुत सारी बधाई दे रहे थे।

पार्टी में सभी को बुलाया गया था।

रीतू, शैलेश शना सभी आए थे।

अन्वेशा बिल्कुल आनंदी की छवि लग रही थी। कहते हैं कि जन्म देने से ही कोई मां नहीं बनता और ना ही शक्ल मिलने पर ही मां बन पता है।
आनंदी ने अन्वेशा को भले ही जन्म नहीं दिया तो पर हर तरह से अन्वेशा ही उसकी बेटी लगती है।
अन्वेशा हु-ब-हु आनंदी की रूपरेखा है कोई नहीं कह सकता कि आनंदी ने जन्म नही दिया है।
फिर सभी तैयारियां पूरी करने लगे।

अन्वेशा भी एक साड़ी पहनी थी और बहुत प्यारी लग रही थी।
आनंदी और कृष्णा तैयार हो कर नीचे पहुंच गए।

मेहमानों की भीड़ देखते देखते बढ़ गई थी।

सभी फुलों का गुलदस्ता कार्ड, तोहफा लेकर आ रहे थे।
अन्वेशा बहुत खुश थी और सभी से बातचीत कर रही थी।

आनंदी के सारे दोस्त भी आ गए। समर्पण एनजीओ के सारी टीम भी आ गए थे।


आनंदी माइक लेकर बोली कि आज मैं आप लोगों को यहां पर बहुत बड़ी खुशी जाहिर करने के लिए आमंत्रित की हुं।

मेरी बेटी आज डाक्टर बन गई है और उसके लिए ही ये पार्टी रखी थी और साथ ही एक और बात बोलना चाहती हुं।
अन्वेशा और चेतन आप लोग प्लीज़ यहां आईये।

फिर दोनों आनंदी के पास आ गए।
आनंदी ने कहा ये चेतन है बहुत ही होनहार और ईमानदार लड़का। इन दोनों को आशीर्वाद दिजिए।चेतन ने कहा मुझे सिर्फ आनंदी मैम आपका आशीर्वाद चाहिए मैं एक दिन आप जैसा ही बनना चाहता हूं।मैं भी उन छोटे छोटे बच्चों का सपना पूरा होते देखना चाहता हूं। जिन बच्चों के माता-पिता ने उन्हें पागल समझ कर छोड़ दिया है वो बच्चे ही एक दिन सबका सहारा बन सकते हैं। जिन्दगी के इस कठिन सफर में हम सभी बच्चों को एक नया जन्म देना चाहते हैं।बस मैं इतना ही कहना चाहता हूं।

क्रमशः