Rakt bhare aanshu - 1 in Hindi Adventure Stories by Parveen Negi books and stories PDF | रक्त भरें आँशु - 1

Featured Books
Categories
Share

रक्त भरें आँशु - 1

यह कहानी पूर्ण रूप से काल्पनिक है किसी जाति धर्म इंसान से कोई मतलब नहीं रखती है फिर हम मनोरंजन की दृष्टि से से पढ़ें

चट्टानी पत्थरों से टकराकर , समुद्री लहरों का शोर उसके मन में गहरी उथल-पुथल मच आए हुए था, यहां से पहले भी कई लोगों ने आत्महत्या की है , यह बात वह शख्स अच्छी तरह से जानता था , जो इस वक्त खुद भी वहीं खड़ा था,,

अर्जुन यही नाम है ,उम्र 24 साल ,,,उसका पूरा बदन उछल कर आते पानी से भीग चुका है , आंखें रक्त के समान लाल हो चुकी हैं ,,,उसका चेहरा बता रहा है,, शायद वह समा जाना चाहता है , हमेशा के लिए समुंद्र की गोद में,,

आकाश में घुमड़ते काले बादल कभी भी बरस पड़ने को मचल रहे हैं , ऐसा लग रहा है जैसे आज प्रलय आ जाएगी,,,

अर्जुन,, समुंदर में उठते उस तूफान की परवाह किए बिना, अपनी सूख चुकी आंखों से ,उस समुंदर को घूर रहा है,,

उसकी सांसे तेज हो चुकी हैं ,जैसे दिल में कोई गुबार भरा हो,

और अपने दिल में भरे सब दर्द को ,इस समुंद्र में उड़ेल देना चाहता हो,

और वह गला फाड़कर चिल्ला उठता है ,,और उसके दोनों घुटने चट्टान पर आ लगते हैं, जैसे फरियाद कर रहा हो,,

प्रकृति के इस भीषण शोर और तूफान में भी , उसकी आंखें शून्य में झांकती चली जाती हैं , और उसका वह समय, जिसके कारण वह आज यहां बैठा था ,,उसकी आंखों के सामने घूम उठता है,,,

समुद्री बीच पर 6 छोटी लड़कियां ,, अर्जुन को चिल्ला चिल्ला कर पुकार रही हैं,,,

अर्जुन ,,भैया,,,, अर्जुन भैया ,,,बाहर आ जाओ ,,,बाहर आ जाओ,,,

माया , " यह भैया भी ना समुंदर में कितनी अंदर तक तैरने चले जाते हैं "

अर्जुन बाहर आते हुए, " क्यों चिल्ला रही हो तुम सब मैं कोई डूब थोड़ी जाऊंगा ,मुझे तैरना आता है"

सीमा, " भैया आप इतने अंदर मत जाया कीजिए, हमें बहुत डर लगता है , आपके सिवा हमारा है ही कौन" और गुस्से से आंखें दिखाती हैं,

माया , " अगर आप दोबारा इतनी अंदर गए तैरने तो, हम आपसे बात नहीं करेंगे " और सभी लड़कियां मुंह फुला कर खड़ी हो जाती है,,

अर्जुन हंसते हुए , " अच्छा बाबा, ठीक है, चलो घर चलते हैं"

यह सभी 6 लड़कियां , इस महानगर में अपने परिवार से बिछड़ गई लड़कियां थी, अर्जुन जो एक छोटी सी संस्था चलाता है , उसने यह लड़कियां अपने यहां , अपनी देखरेख में रखी थी , जिन लड़कियों के मां-बाप मिल जाते थे उन्हें वापस कर दिया जाता था और जिनके नहीं मिल पाते थे , वे अर्जुन के पास ही रह गई थी , यह सब लड़कियां ऐसी ही थी, सब लड़कियों की उम्र 8 से 12 साल के बीच में ही थी,

अर्जुन, अपने चार कमरों के उस घर में ही यह छोटी सी संस्था चला रहा था , और लोग उसके इस प्रयास की काफी सराहना कर रहे थे,

अर्जुन , घर में घुसते हुए , "माई,, माई ,आज बच्चों के लिए खाने में खीर बनाना"

माई , घर में लड़कियों की देखरेख करने के लिए रखी एक 40 साल की औरत थी , जिसका नाम उजला था, पर सब घर में उसे प्यार से, माई ही कहते थे,,

माई , " ठीक है अर्जुन ,बना दूंगी ,पर मुझे तुमसे कुछ कहना था , और थोड़ा संकोच में बोलती है ,,

अर्जुन , उसके चेहरे और शब्दों से उसके मन की बात समझ जाता है,।

अर्जुन ," माई,, फिक्र मत करो, कल शाम को मैं तुम्हें तुम्हारी पेमेंट कर दूंगा"

माई , " ठीक है अर्जुन, तुम तो जानते ही हो ना मुझे भी बच्चों की फीस भरनी होती है , और इस बार कपड़े भी लाने हैं, मेरा मरद तो सारा दिन शराब पीकर पड़ा रहता है, उसकी भी दवा का खर्चा मुझे ही करना पड़ता है"

अर्जुन, " हां मैं सब जानता हूं , तुम्हारे पति को मैंने कितनी बार कहा है , मेरे बाइक सर्विस सेंटर पर काम कर ले, पर वह तो मेरी सुनता ही नहीं है"

माई, " वह तो सिर्फ शराब की सुनता है " और मुस्कुराते हुए अंदर रसोई में चली जाती हैं,,

अर्जुन अपने दोस्त , अजय को फोन मिला देता है,

अर्जुन, " हेलो ,अजय क्या हाल है"

अजय, " मैं तो एकदम ठीक हूं , तू अपनी सुना"

अर्जुन, " यार कल 20 हजार रुपए की जरूरत है , अरेंजमेंट कर देना"

अजय ,, "20000 , यार मुश्किल है , आजकल काम धंधा कमजोर चल रहा है ", और फिर ताना मारते हुए,,
" तूने भी क्या मुसीबत मोल ले रखी है , बेवजह इतनी लड़कियों को सर पर बैठा रखा है , अरे यार जिंदगी के मजे लेता , अपनी शादी करता अपने बच्चे करता, और देख आज तुझे बेवजह उधार पैसे मांगने पढ़ रहे हैं , वरना तुझे पैसों की क्या कमी है , अच्छा भला तेरा गैराज चलता है"

अर्जुन, उसकी बात सुनकर , " देख मैंने तुझ से पैसे मांगे हैं, नसीहत नहीं , और मुझे तुम्हारी यह फालतू की बात बिल्कुल पसंद नहीं हैं"

अजय, " हां ,,हां ,,ठीक है ,,ठीक है,, पर इतने नहीं हो पाएंगे"

अर्जुन , " अच्छा , दस हजार तो कर ही देना, मैं कल आऊंगा तेरे पास"

अजय , "ठीक है आ जाना "और फोन रख देता है,,

अर्जुन , अपने आप में गुस्सा दिखाता है, " बात तो ऐसे करते हैं , जैसे इन्होंने मुझसे कभी उधार मांगे ही ना हो, आज मैंने मांग लिये तो , नसीहत देने लग गए , और जिसे देखो घूम फिर कर ,इन मासूम बच्चों पर आ जाते हैं"

उजला माई ने , सब लड़कियों को खीर परोस दी थी, सब लड़कियां खुशी से चहक रही थी ,

अर्जुन दूर बैठा उन्हें देख रहा था , और उनकी खुशी देखकर जाने क्यों अपने मन में संतोष महसूस कर रहा था, कुछ था उसके दिल में, जिसके कारण उन बच्चियों के चेहरे में खुशी देख कर, उसकी आंखों में आंसू आ गए थे,

माया , उठकर अर्जुन के पास जाती हैं , " भैया मेरे हाथ से खीर खाओ , " और अपने हाथ से अर्जुन को खीर खिलाती है.

फिर क्या था, सभी लड़कियां उठकर अर्जुन के पास पहुंच जाती हैं, और वहां उन सब का, एक शोर मच जाता है,,,

पहले मैं खिलाऊंगी,,,, नहीं पहले मैं खिलाऊंगी ,,,,,नहीं भैया पहले मेरे हाथ से खाओ,,,,,, नहीं भैया पहले मेरे हाथ से,,,,, मैं तुझसे बड़ी हूं ना, पहले मैं खिलाऊंगी,,,,,,, नहीं मैं तुझसे छोटी हूं ,पहले मैं खिलाऊंगी ,,,

अर्जुन , "अरे बस ,,बस,, मैं सबके हाथ से खाऊंगा " और जल्दी जल्दी उन सबके हाथ से खाने लगता है , यह सोच कर कोई नाराज ना हो जाए कि मेरे हाथ से देर से खाई,,

अर्जुन , " अब मैं तुम सबको अपने हाथ से खिलाऊंगा " और फिर अर्जुन जाने किस भव से विभोर होकर , उन्हें अपने हाथ से खिलाता हैं , और उसका हृदय ,जाने किस पश्चाताप से निकलने की कोशिश करता है,,,,

क्रमशः

क्या था ऐसा , जिसके कारण यह लड़कियां ,अर्जुन के पास थी ,जानने के लिए बने रहे