Rakt bhare aanshu - 4 books and stories free download online pdf in Hindi

रक्त भरें आँशु - 4

यह कहानी का भाग 4,

विकास चौधरी गुस्से से , बब्बू को फोन मिला देता है,

बब्बू ," हां बोलिए सरकार ,,क्या करना है"

विकास, " जाओ उन सब बच्चों को यह बोलो कि, तुम्हारे भैया अर्जुन ने तुम्हें हॉस्पिटल में बुलाया है , और तुम्हारे बारे में पूछे तो बोल देना उनके गैराज में काम करता हूं"

बब्बू, " ठीक है सरकार और उसके बाद उन्हें कहां लेकर आना है"

विकास चौधरी , " अपने उस गुप्त अड्डे पर ,जो शहर के बाहर बना है मैं वही जा रहा हूं , तुम बस लड़कियों को लेकर वही पहुंचो"

बब्बू, " ठीक है सरकार" और फोन रख देता है.

बब्बू , धीरे से दरवाजा खटखटाता है।

माया , " कौन है भैया घर पर नहीं है बाद में आना "

अपनी तरफ से तो उस बच्ची ने ठीक ही कहा था, पर दुनिया के छल को ,वह नहीं जानती थी,,,

बब्बू , "मुझे उस्ताद ने ही भेजा है"

माया , " उस्ताद कौन ,अर्जुन भैया"

बब्बू , " हां मैं ,उनके साथ काम करता हूं ,उनके गैराज में, उन्होंने आप सबको हॉस्पिटल बुलाया है , वहां कुछ गड़बड़ हो गई है इसलिए"

वे छोटे बच्चे उसकी चाल को ना समझ सके, और उसके झांसे में आ गए , और हॉस्पिटल का नाम सुनकर, कहीं अर्जुन भैया को कुछ हो तो नहीं गया, यह जानकर वे दरवाजा खोल देते हैं,,,,

माया, " क्या हुआ, अर्जुन भैया को"

बब्बू , " आप सब जल्दी चलिए,, बात करने का समय नहीं है, और सब लड़कियां उसके पीछे ,गाड़ी में बैठ जाती हैं ,

और आधे घंटे के सफर के बाद , गाड़ी शहर के बाहर बने विकास चौधरी के गुप्त अड्डे में पहुंच जाती है।

माया , " अंकल, यह आप हम सब को, कहां ले आए"

बब्बू , " अरे घबराओ मत लड़कियों , आओ अंदर आओ, अर्जुन भैया अंदर ही है"

और सब बच्चे , उससे पीछे अंदर चले जाते हैं।

बब्बू , दरवाजा बंद कर लेता है , " तुम सब लड़कियों वहां पर बैठो " और उन सब को एक तरफ , फर्श पर बैठने के लिए कहता है।

और तभी दूसरे कमरे से , विकास चौधरी भी आ जाता है,,,,

विकास चौधरी, " ले आए इन सब लड़कियों को, कब से नजर थी इन सब लड़कियों पर मेरी " और उसके चेहरे पर कुटिल मुस्कान आने लगती है.

रेनू, " माया दीदी, यह तो गंदे लोग है ,अर्जुन भैया कहां हैं"

माया और सब लड़कियां घबरा चुकी थी , और वह समझ रही थी कि ,अब वे फंस चुके हैं।।

माया , " अंकल जी ,अर्जुन भैया कहां हैं"

विकास चौधरी , "अर्जुन भैया ,अब उसे भूल जाओ , पांच लाख में तुम्हारे अर्जुन भैया ने तुम सब को, मुझे बेच दिया है, अब से तुम सब मेरे पास रहोगी"

माया , " क्या बेच दिया है" और सब लड़कियां रोने लगती हैं,,,

विकास चौधरी, " हां बेच दिया है ,उसका तो काम ही है, तुम्हारी जैसी लड़कियों को बेचना, तुमने देखा नहीं, तुम्हारे यहां लड़कियां आती रहती हैं, और जाती रहती हैं"

माया, " पर वह तो अपने मां बाप के पास चली जाती हैं"

विकास चौधरी , जोर से हंसते हुए , " यह बात भी तुम्हें अर्जुन ने ही बताई होगी , अरे बेवकूफ लड़कियों, वह लड़कियां अपने मां-बाप के पास नहीं जाती थी, अर्जुन उन्हें मेरे पास बेच जाता था"

विकास चौधरी , अर्जुन के प्रति उन लड़कियों के मन में जहर भर रहा था , और लड़कियों का बाल मन शायद , इस बात को स्वीकार कर रहा था,,,,

माया, उनकी बात सुनकर चुप हो जाती है, शायद वह कुछ और पूछना चाहती थी पर ऐसा नहीं करती,,,,

विकास, " इन सब को ,उस कमरे में बंद कर दो"

बब्बू , " अभी लो सरकार " और उन सब को एक कमरे में बंद करके वापस आ जाता है,,

बब्बू, " सरकार इनमें से कौन सी लड़की को , उस सेठ के पास भेजोगे"

विकास चौधरी, कुटिलता से " थोड़े समय तो रुको, पहले उस अर्जुन को सबक तो, सिखा लेने दो "

बब्बू , " ओ, हो,,,, तो सरकार का अभी दिल नहीं भरा है, मुझे तो लगा था, लड़कियों को उठा कर आप उसे भूल जाएंगे"

विकास चौधरी, " अरे नहीं ,अभी तो उसे तड़पाना है ,अच्छा अब तुम एक काम करो"

बब्बू , " बोलिए,, सरकार क्या करना है"

विकास चौधरी, " देखो अभी अर्जुन को लड़कियों के गायब होने के बारे में नहीं पता है, तुम थाने में जाओ , और रिपोर्ट लिखाओ की, अर्जुन ने अपने संस्था की लड़कियों को गायब कर दिया है"

और फिर , आसपास के लोगों को भड़का दो की, अर्जुन ने लड़कियों को धंधा करने वालों को बेच दिया, यह अफवाह उड़वा दो, फिर देखो तुम तमाशा,, पब्लिक और पुलिस उसे कैसे रगड़ती है"

बब्बू, " वाह सरकार मान गए आप को , आपके प्लान से तो कोई बच नहीं सकता " और अपना सिर झुकाता है,,,,

विकास , "अच्छा,, अच्छा ,,ठीक है,,, अब फौरन काम पर लग जाओ"

बब्बू,, " यह लो सरकार ,में चला" और बब्बू प्लान को अंजाम देने निकल जाता है,,,

दूसरी तरफ,,,,

अर्जुन ,, पैसों का इंतजाम कहां से करें ,सोच रहा था,,

अर्जुन, " क्यों ना मैं अपनी गाड़ी बेच दूं , पर उसमें तो मैं बच्चों को पिकनिक पर ले जाता हूं , पर अब इसके अलावा और कोई रास्ता नहीं है"

और फिर अर्जुन , अपने जान पहचान के डीलर को फोन मिला देता है , गाड़ी बेचने के लिए , और 10 - 15 मिनट बातचीत के बाद,,,

डीलर, " ठीक है तुम पैसे ले जाओ , और गाड़ी सुबह मेरे यहां छोड़ देना"

अर्जुन ," आपका बहुत-बहुत धन्यवाद" और अर्जुन पैसे लेने उस डीलर के पास पहुंच जाता है,,,,

दूसरी तरफ,,,

बब्बू कॉलोनी के, दो चार लोगों को पैसे खिला कर , अपने साथ लेकर थाने पहुंच जाता है , और वहां हल्ला करने लगता है,,,

इंस्पेक्टर , " क्या बात है ,क्यों हल्ला मचा रहे हो"

बब्बू , " सरकार आपने अर्जुन संस्था का नाम सुना है, आज वहां की सब लड़कियों को अर्जुन ने बेच डाला है"

इस्पेक्टर , "क्या बक रहे हो"

बब्बू , "ठीक कह रहा हूं सरकार , अर्जुन अब पहले की तरह फिर से अपने गलत धंधे पर उतर आया है ,, आप हमारी बात का विश्वास करें , " और सब लोग बब्बू की बात का समर्थन करते हैं,,,,

हवलदार, " पर सर ,,,,वह तो बहुत ही शरीफ और अच्छा लड़का है ,, हां शुरू में गलत आचरण में पड़ गया था,, पर चार-पांच साल से तो वह , गुम हुई लड़कियों को उनके मां-बाप से मिलाने का काम कर रहा है , और जिन लड़कियों के मां-बाप नहीं मिल पा रहे , वह अभी उसी के पास हैं"

बब्बू , "बस सरकार,,, इसी बात का उसने फायदा उठाया, और अपने पहले वाले धंधे के काम शुरू कर दिए"

इंस्पेक्टर ,, " अगर ऐसा है तो, मैं उसे छोड़ने वाला नहीं"

क्रमशः

विकास चौधरी अपना खेल खेल रहा है क्या अर्जुन निकल पाएगा उसके खेल से जानने के लिए बने रहें