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दर्द ए-दांत से दर्द-ए-दिल तक

दर्द ए-दांत से दर्द-ए-दिल तक

यशवंत कोठारी

जीवन का साठवां बसन्त या पतझड़ चल रहा है। बुढ़ापे का शरीर।बुढ़ापे की आंखे। बुढ़ापे के दांत। अक्सर कहीं न कहीं दर्द होता रहता है। सुबह से दाढ़ में दर्द था। दॉतों के डाक्टर की तलाश में निकला। प्राथमिक मुआईना करके डाक्टर ने मासूम सी राय दी ’यह दांत निकलवाना पड़ेगा। मगर मेरी इच्छा दांत निकलवाने की नहीं थी दूसरे डाक्टर के पास गया। एक्सरे के बाद उस डाक्टर की राय भी पहले वाले डाक्टर की तरह ही थी, दांत निकलवा दो नही तो दूसरे दांत भी खराब हो जायेंगे। मैंने सरकारी अस्पताल के दांतों के प्रोफेसर को दिखाया। उन्होंने भी स्पप्ट कह दिया भटकने से कोई फायदा नहीं है, दांत से और दर्द से निजात पाना जरूरी है।

थक-हार कर मैंने दॉंत निकलवाने की हामी भर दी। आखिर दर्द-ए दांत से मैं आजिज आ चुका था। सारी परेशानियों का शुभारम्भ अब शुरू हुआ। दन्त चिकित्सक ने स्पप्ट पूछा आपको उच्च रक्त चाप,मधुमेह आदि रोग तो नहीं है। मैंने भी स्पप्ट जवाब दिया ’मुझे कुछ जानकारी नहीं है। डाक्टर ने फिर दांत निकालने का कार्यक्रम स्थगित किया और मेरा रक्तचाप नापने लगा। रक्तचाप देखकर उसके माथे पर बल पड़ गये। बोला आपका रक्तचाप असामसन्य है। आप रक्त की भी जांचे कराईये। मैं केवल दांत-दर्द से मुक्ति चाहता था और इस कार्य हेतु मैं अपने सुन्दर दांत की बलि देने को तैयार था मगर डाक्टर मेरा दांत खींचने के बजाय मेरा रक्त खींचना चाहता था। मरता क्या न करता। दांतो के दर्द से मुक्ति पाने के लिए मैंने रक्त-मोंक्षण कराया। रक्त की जांच हुई। मधुमेह की जांचे हुई। सभी जांचो से पता चला कि मेरे रक्तचाप का कारण हृदय है। अब मैं समझगया मुझे दर्द-ए दिल हो गया था। सोचा देर से ही सही दिल में दर्द तो हुआ। जवानी में न सही बुढ़ापे में हुआ। हुआ तो सही।

का श दर्द-ए दिल जवानी में हुआ होता। कुछ प्रेम कविताएं लिखता। प्रेम, दर्द, मोहब्बत, इश्क के गाने गाता। दाढ़ी बढ़ा कर आवारा घूमता। मजनू बनता, मगर यह दांत का दर्द और इससे उपजा दिल का दर्द। दांतो के डाक्टर ने सब जांच रिपोर्ट देखकर फिर स्पप्ट कर दिया।आपका ये अन्तिम उपर का मोलर दांत है, इसे निकालने में बहुत खतरा है। बहुत रिस्क है। फिर आपको शुगर है, रक्तचाप है, ऐसी स्थिति में दांत को निकालना खतरे से खाली नहीं है। आप मुझे माफ करे। दांत निकाल ने की तो मामूली फीस मिलेगी और यदि आपको कुछ हो गया तो मैं बेमोत मारा जाउगां।

लगभग सभी दंत चिकित्सको की मेरे दांत के बारे में यहीं राय थी। एक मासूम सरकारी डाक्टर ने कहां आप का रक्तचाप सामान्य होते ही हम दांत निकाल देंगे। मैंने पूछा रक्तचाप सामान्य कब होगा। डाक्टर ने इस प्रश्न का जवाब देना आवश्यक नहीं समझा और दूसरी जवान, सुन्दर, चिकने चेहरे वाली महिला रोगी का दांत उखाड़ने में व्यस्त हो गया। डाक्टर व्यस्त था, मैं अस्त-व्यस्त था। दांत अस्त होने को तैयार था। मैं दांत को शहीद करके दर्द से मुक्ति चाहता था, मगर दर्द था जो मेरा पीछा नहीं छोड़ रहा था। इधर मुझे रह रह कर दिल के दर्द की भी याद सता रही थी। दर्द-ए दिल की जांच से एक फायदा हुआ। घर वाले मुझे महत्व देने लगे। अब नमक बन्द, शक्कर बन्द, वसा बन्द, केवल उबली सब्जियां और दलिया, खिचडी़ मिलने लगी। दर्द-ए दांत तो ठीक नहीं हुआ और दर्द-ए दिल गले पड़ गया।

तो पाठक मित्रो यदि दांत में दर्द हो तो तुरन्त किसी नीम-हकीम से दांत खिंचवा ले नही तो दर्द-ए दांत-दर्द-ए-दिल तक चला जायेगा और साल्ट, सुगर, फेट फ्री डाइट पर जिन्दा रहना पड़ेगा।

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यशवन्त कोठारी

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