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किसान का धैर्य

किसान का धैर्य

मेरे साथ जो हुआ वह अच्छा या बुरा (किसान का धैर्य)

क्यों पढ़ें - कई बार हम बहुत ज्यादा ही अपनी लाइफ को लेकर सीरियस हो जाते हैं। कि जैसे ही कुछ बुरा हुआ तो हम उदास हो जाते हैं और पल भर में जब कुछ अच्छा घटित होता है तो हम खुश हो जाते हैं। हमारे विचार बहुत जल्दी ही बदल जाते हैं।

हम यह नहीं सोचते कि जो कुछ घटित हुआ है वह हमारे लिए अच्छा है या बुरा। हमारे साथ घटी घटना का भविष्य में क्‍या प्रभाव पड़ेगा ये हमें खुद पता नही होता है।

(आज यह कहानी आपको कठिन परिस्थितियों में धैर्य का महत्व सिखाएगी)


किसान का धैर्य | Short Story On Patience In Hindi

एक समय की बात है। एक किसान था जिसके पास एक घोड़ा था। वह अपने इस घोड़े से बहुत प्यार करता था। उसे अपने घोड़े पर बहुत गर्व था जो किसान की कमाई का जरिया भी था। अपनी इस कमाई से किसान अपने परिवार का पेट भरता था।

लेकिन एक दिन वह घोड़ा भाग गया। उसके भागने के बाद समाज के लोग और उस किसान के पड़ोसी उसके पास आकर उससे कहने लगे- “हे भगवान! तुम्हारा घोड़ा, जिस पर तुम्हें बहुत घमंड था वह तो भाग गया।” उसको सांत्वना देने लगे कि उसके साथ बहुत बुरा हुआ। लेकिन किसान ने उसका जवाब बहुत ही सहजता से देते हुए कहा- “हाँ! बहुत बुरा हुआ।”

फिर अगले दिन,

अगले दिन घोड़ा वापस आ गया। लेकिन सिर्फ घोड़ा वापस नहीं आया बल्कि वह अपने साथ तीन जंगली घोड़े भी लाया। फिर उसके पड़ोसी उसके पास दौड़ते हुए आये और उस किसान से कहने लगे- “आप का घोड़ा आ गया और अपने साथ तीन और घोड़े भी लाया है। यह तो बहुत अच्छी बात है, आपकी किस्मत तो बहुत अच्छी है।”

किसान बहुत खुश हुआ, उनकी तरफ देखा फिर उसका जवाब बहुत ही साधारण रूप से दिया और कहा- “हाँ! शायद”

कुछ दिनों बाद,

कुछ दिनों बाद किसान का बेटा उसी जंगली घोड़े में से किसी एक को काम के लिए उपयोगी बनाने की कोशिश कर रहा था। लेकिन इसी कोशिश के दौरान घोड़े ने उसे जमीन पर पटक दिया और उसका पैर बुरी तरह से टूट गया। उसके पड़ोसी उससे कहने लगे- “उस पागल घोड़े ने देखो तुम्हारे बेटे के साथ क्या किया। उसका पैर तोड़ दिया। यह तो बहुत बुरा हुआ।” किसान दुखी हुआ और फिर से उसी तरह जवाब दिया और कहा- “हाँ! शायद मेरे बेटे के साथ गलत हुआ।”

अगले दिन,

अगले दिन सेना के कुछ जवान उस किसान के घर आते हैं जो जंग छिड़ने के कारण नए जवानों की भर्ती कर रहे होते है। उसमें से एक जवान ने किसान के बेटे को देखा और बोला- “इसका तो पैर टूटा हुआ है। हम इसे सेना में भर्ती नहीं कर सकते।” और वे जवान गाँव के सभी लड़कों को लेकर अपने साथ चले गए। यह जानकर उसके पड़ोसी और बाकी गाँव वाले उसके पास आए और बोलने लगे- “तुम्हारे बेटे को तो जवान जंग के लिए नहीं ले गए, तुम्हारी किस्मत तो बहुत ही अच्छी है।”

इस आखिरी बार भी किसान ने फिर से बड़ी सहजता से कहा- “हाँ! शायद।”


कहानी की प्रेरक बातें

इस कहानी से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि “हमारे लिए चीज़ो को नकारात्मक ढंग से सोचने में जरा भी समय नहीं लगता हैं।” जब भी कुछ हमारे अनुकूल नहीं होता, तो हम उसे बुरा ही समझते। लेकिन सच बात तो यह है कि “कोई नहीं जानता कि जो हमारे जो साथ घटा है वह बुरा है या अच्छा।”

इस कहानी में भी किसान के भावों में परिवर्तन परिस्थितियों के कारण होता है। बुरी परिस्थितियों में वह नकारात्मक हो जाता है और अच्छी परिस्थितियों में वह सकारात्मक। इन नकारात्मक और सकारात्मक परिस्थितियों के बीच के समय में धैर्य रखना बहुत जरूरी होता है।

क्या आप वाकई में यह बता सकते हैं कि हमारे साथ जो घट रहा है वो गलत है या सही! बिना यह जाने कि भविष्य में उसका क्या प्रभाव पड़ेगा हम पर यह हमारे जीवन पर।

मुझे लगता है आपका जवाब होगा “नहीं।”

हमारे समाज में, हमारे देश में ऐसे बहुत से महान लोग हैं जो अपने जीवन में असफल हुए, हारे, अनेक बड़ी-बड़ी बीमारियों से लड़े। किंतु उन्होंने कभी भी अपना धैर्य नहीं खोया और ना ही हार माने। यही आगे चलकर बड़े प्रसिद्ध हुए, सफलता के मुकाम पर पहुंचे और महान बने।

हमारे बड़े बुजुर्ग सही ही कह गए हैं कि

“जो होता हैं, अच्छे के लिए ही होता हैं।”

यह छोटी सी लाइन हमें बहुत कुछ सीखा जाती है और ये बात हमें कभी नहीं भूलनी चाहिए।

हमेशा कोशिश करते हो,
जीवन के पथ पर निरंतर आगे बढ़ते चलो।


आपको बस यह करना है

1. किसी बात को लेकर ज्यादा परेशान नही होना है।
2. अपने आपको शांत रखना है।
3. अपने काम से काम रखना है।