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किताबे

किताब एक निगाह है। जो की तमाम चीजों को खुद में समेट लेती है। किताबे किसी भी तरह की समस्या को हल करने में सहायक होती है। किताब आपको एक नजर देती है। जिससे आप अपनी एक अलग दुनिया बना सकते हो। किताब अहसास होती है। जो प्रत्येक जख्म का मरहम होती है। बचपन से लेकर बड़े होने तक किताब हमसफर की तरह साथ निभाती है। किताब में लिखी बाते एक गुजरे कल की याद और आने वाले कल की नसीहतों को दिखाती है। जिनको पढ़कर हम सब कुछ न कुछ नया सोचते है। आज कल आधुनिक युग का दौर है। जिसमे बस मोबाइल ही जीवन और जीने की कला है। लेकिन यह सब केवल एक क्षण भर को लेकर ही है। फिर एक बार वो दिन याद आते है। जब किताब ही घर बाहर की शान होती थी। विद्वान ज्ञानी संत सब कोई किताब को ही समझता था। इसलिए उनकी ज्ञान कोशिका भी किताब होती थी। बचपन से बड़े होने तक किताब का एक अहम हिस्सा होता है। जिसका निर्माण हमारे भविष्य के निर्माण से होता है। इसलिए बचपन से ही इन चीजों की ओर प्रायः प्रेरित किया जाता है। जिसे पढ़कर बचपन को संवारने की कोशिश की जाती है। किताबो के पन्ने जितने पुराने हो जाते है उनकी कीमत उतनी ही प्रबल हो जाती है। रामायण महाभारत पुराण कुरान गुरु ग्रंथ साहिब बाइबल। आदि कई ऐसी नायाब तोहफे है। जो की जीवन की रेखा में परिवर्तन ला सकते हैं। किताब अहसास है। जिसे जीना किसी प्रेम पीड़ित व्यक्ति को जीना है। उसमे रस न होना यही उसकी विशेषता है। उस नीरस में रस ढूढना व्यक्ति की अपनी विशेषता है। जन्म से ही वर्णमाला से लेकर और जीवंत आपको उदाहरण देती और आपको प्रेरित करती ये किताबे ही है। इनका मूल स्वभाव ही व्यक्ति को निखारना है। किताब की खास बात यह है की उसका चरित्र व्यक्ति के मन से सदैव जुड़ जाता हैं। जैसा वो पढ़ना चाहते हैं। वैसा ही वो बन जाती है। परंतु सब कुछ अभ्यास रत हो। तब संभव है। अन्यथा नहीं। एक पन्ना ही बहुत व्यक्ति को निखारने के लिए बुद्ध और महावीर बनाने के लिए। व्यक्ति पन्ने के एक कोने पर हस्ताक्षर कर दे तो वह धनवान जमीन अधिग्रहण अधिपति हो जाता है। ऐसे ही किताब की भी कीमत होती है। भारतीय भाषा में अधिकतम किताबे है। जो की भारत की वक्तव्य पर आधारित है। और उनकी संस्कृत साहित्य और समीक्षा में भी है। मैं अपने जीवन काल में राम की रामायण और कृष्ण की महाभारत तक पढ़ा है। जो की दुनिया की प्राचीन और श्रेष्ठतम किताबो में से एक है। आज कल अंग्रेजी और अन्य भाषाई मध्यम में कई किताबे आ गई है। जो की काफी अच्छी बात है। परंतु हिंदी भाषा में जो रस है वह अन्यत्र कहीं और नहीं। निराला सरोजिनी अबुल कलाम आज़ाद भगत कुमार बटालवी जैसे अन्य तुलसी सूर श्याम बेनेगल और भी लेखक जो की हिंदी को जीवन देने में एक परम भूमिका निभा चुके है। इसलिए हिंदी केवल एक मनोरंजन नही बल्कि जीने की कला है। आइए उसे समझे और प्रयोग करे।