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सजा--अनोखी कथा (पार्ट 2)

पहले तो उसने कभी भी इन बाती पर ध्यान नही दिया था।लेकिन लोग चर्चा करने लगे तो उसे भी चिंता हुई थी।आखिर ऐसी कौन औरत होगी जो मा बनना नही चाहती?कौन नही चाहती उसका आँगन किलकरियो से गूंजे?तोतली जबान में माँ की रट लगाकर उसका आँचल पकड़कर गोद मे लेने के लिये मचले।
हर विवाहित औरत की साध होती है,मातृत्व।माँ बनकर ही औरत सम्पूर्ण कहलाती है।राधा अब तक बेखबर थी.।लेकिन गांव की औरतो की कानाफूसी सुनकर चिंतित हो गयी।एक दिन वह पति को गांव की औरतो की बातें बताकर बोली,"अब तो मुझे भी चिंता होने लगी है?"
"कैसी चिंता?"राघव ने पूछा था।
"मैं अभी तक मां क्यो नही बनी?"
पत्नी की बातें सुनकर राघव खिलखिलाकर हंसते हुए बोला,"अभी तो हम ही बच्चे है।हमारे खेलने के दिन है "और राघव ने पत्नी को बाहों में भरकर चुम लिया।
"चलो हटो,"राधा पति की बाहों से आजाद होते हुए बोली,"तुम्हे हर समय मजाक,मसखरी ही सूझती रहती है।"
पत्नी की नाराजी देखकर वह गम्भीर हो गया।उसने राधा की बातों पर विचार किया और बोला,"हम डॉक्टर के पास चलेंगे।"
और राघव ने शहर ले जाकर पत्नी को कई डॉक्टरों को दिखाया।गण्डा,ताबीज भी करवाया।सन्त फकीरों का आशीर्वाद भी लिया।मनोतियाभी मांगी।जिसने जो भी बताया।राघव और राधा ने किया।पर सब व्यर्थ।लाख प्रयासों के बाद भी राधा के पैर भारी नही हुए।Iलम्बी भागदौड़ के बाद राधा निराश हो गयी।उसे विश्वास हो गया माँ बनना उसके भाग्य में नहीं है।गर्भवती होने का एहसास वह महसूस नही कर पायेगी।और वह सोचती रहती।और एक दिन वह पति से बोली,"तुम दूसरी शादी कर लो।"
"क्यो?"पत्नी की बात सुनकर राघव चोंककर बोला था।
"मैं मां नही बन सकती।इस खानदान को आगे बढ़ाने वाली वंशबेल नही दे सकती।"
"सिर्फ इसलिए तुम्हे छोड़ दूं कि तुम मुझे एक बच्चा नही दे सकती।फिर मुझे तुमसे कोई शिकायत नही।तुम माँ नही बन सकती इसलिए दूसरी शादी कर लूं।नही।"
"मैं भी तुम्हारी बातों से सहमत हूं।लेकिन जरा सोचो।सन्तान भी जरूरी है।वंश बेल को आगे बढ़ाने के लिए सन्तान जरूरी है।बुढ़ापे में सहारे के लिए भी सन्तान जरूरी है।और फिर मैं तुम्हारी पत्नी तुमसे दूसरी शादी करने के लिए कह रही हूँ।मुझे तुम्हारी शादी से कोई आपत्ति नही।मैं खुद अपने लिये सौतन लाना चाहती हूँ।क्या बहुत से लोग बहुविवाह नही करते।"राधा ने पति को समझाया था।
राघव दूसरी शादी करना नही चाहता था।वह नही चाहता था राधा के लिए सौतन लाये।पर राधा थी कि उसके पीछे ही पड़ी थी।और पत्नी की जिद्द के आगे उसे हार माननी पड़ी।और राघव दूसरी शादी करने के लिए तैयार हो गया।
और पति के हां कहने पर अपने लिये सौतन की तलाश शुरू कर दी।राधा के दूर के रिश्ते की बहन थी सुधा।राधा ने स्वंय जाकर सुधा की माँ से बात की थी।और उसकी माँ तैयार हो गयी।और एक दिन सुधा ब्याह कर आ गयी।सुधा के आ जाने पर राधा पति से बोली,"मैं मायके जाना चाहती हूं।"
"कब आओगी?"राघव ने पूछा था।
"कुछ साल बाद।"
"क्या मतलब/"राघव चोंका था।
"तुम्हारी अभी नई शादी हुई है।मैं चाहती हूँ तुम अपनी दूसरी पत्नी के साथ कुछ साल मस्ती से गुज़रो।"
राघव,राधा को बहुत चाहता था।प्यार करता था।वह नही चाहता था।राधा उससे दूर जाए।लेकिन राधा ने उसे समझा दिया।और वह अपने मायके चली गयी।

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