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Secret Admirer - Part 13

"तोह फिर तुम्हे यह भी पता होगा की उनके लिए तुम एक आउटसाइडर हो। और वोह तुम्हे बिलकुल भी आने नही देंगे। और यह पैसे भी तुम्हे कोई काम नही आने वाले।"

"हां। पता है मुझे। काश मैं उन्ही की तरह होती। मैं वहीं रहती और कितना आराम और शांति मिलती मुझे वहां।" अमायरा ने अपने ख्वाबों में खोए हुए कहा। उसकी आंखे फिर टिमटिमाने लगी थी।

"पर और भी तोह कितने सारे आइलैंड हैं, जहां तुम जा सकती हो, जहां तुम्हे शांति मिलेगी।" कबीर ने उसे सुझाव देते हुए कहा।

"अच्छा, तोह आपको कोई प्राब्लम नही है, अगर मैं आपको डाइवोर्स दे दूं और आधा पैसा ले कर चली जाऊं।" अमायरा ने अपनी एक आईब्रो ऊपर चढ़ाते हुए पूछा।

"नही। मेरा मतलब किसी आइलैंड पर छुट्टियां मनाने से था। मैने तुमसे कब कहा की मैं तुम्हे अपना आधा पैसा दे रहा हूं?" कबीर ने फिर एक कदम आगे बढ़ाते हुए पूछा।

"आपने नही कहा।" अमायरा ने भी एक कदम पीछे ले लिया।

"नही।" कबीर ने मुस्कुराते हुए कहा। उसने अपने दोनो हाथों को दीवार से टिका दिया। और अमायरा उसकी दोनो बाहों के बीच फसी हुई थी। लेकिन नज़दीकी इतनी भी नही थी, कबीर थोड़ा डिस्टेंस मेंटेन किया हुए था।

"क्यों?" अमायरा की सांसे ऊपर नीचे होने लगी थी। अचानक ही उसे हवा की कमी महसूस होने लगी थी।

"क्योंकि जैसा तुमने अभी थोड़ी देर पहले कहा, मैं भी तुम्हे डाइवोर्स देने के बारे में प्लान नही कर रहा। हमने तोह यह बात अपनी फर्स्ट मीटिंग पर ही डिस्कस कर ली थी की हम एक दूसरे को डाइवोर्स नही देंगे। अब हम एक साथ पूरी जिंदगी के लिए फस गए हैं। अब हमे बच्चा एडॉप्ट ही क्यों ना करना पड़े," कबीर ने चुलबुले अंदाज में कहा। उसे मज़ा आ रहा था अमायरा की असहजता देख कर।

"क्यों? अब यह मत कहना की अचानक आपको मुझसे प्यार हो गया है और अब आप मुझे जाने देना नही चाहते, या फिर ऐसा है की आप अपना आधा पैसा मुझे देना नही चाहते?" अमायरा ने पूछा। अभी भी कबीर की नज़दीकी से उसकी बेचैनी बढ़ती जा रही थी।

"तुम्हे सच जानना है?" कबीर ने अचानक गंभीर होते हुए पूछा।

"हां।"

"मैं तुम्हे नही जाने देना चाहता क्योंकि तुम्हारी वजह से मेरी फैमिली बहुत खुश है। मैं तुम्हे इस वक्त खुदगर्ज दिख रहा होंगा लेकिन मैं उनकी खुशी नही छीन सकता, इन्हे दुखी नहीं देख सकता, क्योंकि वोह तुम्हे बहुत चाहते हैं। मेरी मॉम चाहती हैं की मैं तुम्हे हमेशा खुश रखूं। मुझे नही लगता की ऐसा ही उन्होंने तुमसे कभी कहा होगा मेरे लिए। वोह सच में तुम्हे प्यार करती हैं। और यही वजह है की मैं तुम्हे जाने नही दे सकता।"

"बाय द वे, पैसा भी पूरा का पूरा तुम्हारा ही है, मिसीस मैहरा।" कबीर ने थोड़ी देर बाद अमायरा से फुसफुसाते हुए कहा। वोह अब थोड़ा उसकी तरफ झुक गया था। और अमायरा बस उसे देखने के अलावा कुछ नही कर सकती थी।

"जस्ट...जस्ट स्टे अवे फ्रॉम मी। और मुझे जाना है। छोड़िए मुझे।" वोह हकलाते हुए बोलने लगी थी।

"पर मैने तोह तुम्हे नही पकड़ा हुआ," कबीर ने मुस्कुराते हुए कहा।

अमायरा ने नज़रे उठा कर सामने देखा तोह, कबीर हाथ बांधे उसके सामने खड़ा था और अमायरा को समझ नही आ रहा था की क्या रिएक्ट करे।

"दुबारा ऐसा करने की हिम्मत भी मत करना, मिस्टर मैहरा।" उसने कबीर को हल्का धक्का देते हुए कहा और दरवाज़े की तरफ बढ़ गई।

"ये कमरा भी तुम्हारा ही है, किड्डो।" कबीर ने चिल्लाते हुए हड़बड़ाहट में जाति हुई अमायरा से कहा। "और तुम मुझे यह तोह बता के जाओ की तुम्हारी वेकेशन के लिए टिकट्स कब बुक करूं।"

*"व्होआ! मुझे लगा मैं पूरा ही खो गया था। चलो कम से कम यह तोह पक्का हो गया की मैं अंकल तोह नही हूं। अच्छा लग रहा है अब मुझे।"*

****

अगले दिन शाम को जब अमायरा वापिस घर आई तोह अपने कमरे में घुसते ही उसकी नज़र बैड पर चली गई।

"यह क्या है?" अमायरा को बैड पर एक गिफ्ट बॉक्स मिला जिसपर उसका नाम लिखा हुआ था।

"मुझे तोह ये एक गिफ्ट जैसा लग रहा है," कबीर ने यूहीं अपने लैपटॉप की तरफ देखते हुए कहा। वोह वहीं काउच पर बैठा हुआ था।

"वोह मुझे भी दिखता है। पर यह किसने रखा यहां पर? और क्यों?"

"हुउंह! तुम्हे इतने सारे सवाल क्यों पूछने होते हैं? यह हमारा कमरा है। ऑब्वियस्ली यह मैने रखा है।" कबीर ने अब लैपटॉप साइड में रख दिया था और वोह अमायरा की तरफ देखने लगा था।

"इसमें ऑब्वियस क्या है? हमारी फैमिली में से कोई भी आके रख सकता था।"

"ठीक है। अब तोह मैने तुम्हे बता दिया ना की ये मैने रखा है। अब क्या तुम्हे इन्विटेशन दूं इसे खोलने के लिए?" कबीर ने हताशा से कहा और उसकी तरफ बढ़ने लगा था।

"वैल, मुझे नही पता की मुझे इसे खोलना है क्योंकि अभी तक किसी ने यह मुझे दिया ही नहीं।"

"कम ऑन अमायरा। अब तुम्हारा यह ज्यादा हो रहा है। मैने तुम्हे कहा तोह की यह मैं लाया हूं। तुम्हारा नाम लिखा है इस पर। और क्या चाहिए तुम्हे।" कबीर ने पूछा और अमायरा अपनी आंखे मटकाने लगी थी।

ओके। अमायरा। यह तुम्हारे लिए है। प्लीज इसे एक्सेप्ट कर लो।" कबीर ने गिफ्ट को अमायरा के हाथ में थमाते हुए कहा।

"थैंक यू। पर आप यह मेरे लिए क्यों लाए हैं?"

"वैसे लोग बहुत खुश होते हैं जब उन्हे कोई गिफ्ट मिलता है, पर तुम अलग हो, बिलकुल अलग। तोह तुम्हारे सवाल का जवाब ये है की, मॉम ने सुबह मुझे याद दिलाया था की आज हमारी वन मंथ वैडिंग एनिवर्सरी है, तोह मुझे तुम्हे गिफ्ट देना चाहिए। इसलिए यह लाया।" कबीर ने कहा। "मैं नही चाहता की पिछली बार की तरह इस बार भी कोई मुझे कुछ कहे।

"ओह। ओके।" बिना इंटरेस्ट दिखाए अमायरा ने कहा।

"कम ऑन। खोलो तोह इसे।" कबीर ने मुस्कुराते हुए कहा।

"मैं बाद में देख लूंगी," अमायरा ने यूहीं कहा।

"नही। अभी देखो। मुझे तुम्हारा एक्सप्रेशन देखना है यह गिफ्ट देखते हुए।" कबीर ने उसे इंसिस्ट किया और अमायरा बेमन से वोह पैकेट खोलने लगी।

"व्हाट इस दिस? पजामा? रियली?" अमायरा ने अपनी आंखे हैरत से बड़ी करते हुए कहा और उसके एक्सप्रेशन देख कर कबीर खूब हसने लगा।

"आपने मुझे यह नाइट सूट क्यों दिया?"

"वैल, अगर सच कहूं तोह मुझे अपनी बेचारी आंखों पर दया आ गई। जो ब्राइट सा पिंक और पर्पल पजामा तुम पहनती हो उससे मेरी आंखें दुखती हैं। इसलिए मैने सोचा तुम्हे ये गिफ्ट करदू। और यह दो हैं, अगर एक पसंद न आए तोह दूसरा पहन लेना। उस दिन तुमने ब्रेकफास्ट टेबल पर कहा था ना की तुमने मुझे कुछ सोफिस्टिकेटेड और सब्टल लाने को कहा है, तोह मैं ले आया। यह हल्के रंग का नाइट सूट है, मेरी आंखों को भी शांति और तुम्हारे लिए सोफिस्टिकेटेड गिफ्ट भी।"

"मुझे तोह यकीन ही नहीं हो रहा। कल जब मुझसे सब पूछेंगे की आपने मुझे क्या गिफ्ट दिया तोह मैं सबको क्या जवाब दूंगी? दो पेयर पजामा के? रियली? आई स्टिल कांट बिलीव।" उसे सच में यकीन नही हो रहा था।

"वैसे इसमें कोई बुराई नही है सबको बताने में की मैं तुम्हारे लिए क्या लाया हूं, कम से कम यह कोई सेक्सी सा नाइट ड्रेस तोह नही है ना।" कबीर ने अमायरा को चिढ़ाते हुए कहा और अमायरा को सुहाग रात वाली बात याद आ गई थी जब उसने यह कबीर से कहा था। अमायरा याद करके थोड़ा शरमाने लगी थी।

"ओके। मुझे वोह सब याद दिलाने की जरूरत नहीं है। क्या अब मैं सोने जा सकती हूं?" अमायरा उसके चिढ़ाने से इरिटेट होने लगी थी।

"सी। इसलिए तोह मैं तुम्हारे लिए यह लाया था। क्योंकि तुम्हे अपनी नींद बहुत प्यारी है।" कबीर हस पड़ा था और अमायरा पैर पटकते हुए वाशरूम की तरफ बढ़ गई थी।

"वैसे मेरे पास तुम्हारे लिए और भी कुछ है।" कबीर की ये आवाज़ अमायरा के कानो में तब पड़ी जब वोह वाशरूम से बाहर निकली।

"मुझे कुछ नही चाहिए।"

"तुम्हे लेना होगा। कम से कम घर में सबको बताने के लिए।" कबीर ने उसका रास्ता रोकते हुए कहा। उसने अमायरा के सामने एक छोटा सा बॉक्स खोल दिया था जिसमे डायमंड के सुंदर से इयरिंग्स थे।

"ये....आ....आप यह क्यों लाए? वोह गिफ्ट मेरे लिए काफी था।" अमायरा ने पूछा, वैसे वोह अभी भी कबीर से गुस्सा थी।

"मैं तुम्हारे लिए यह इसलिए लाया हूं क्योंकि मॉम को भी तोह तुम्हे जवाब देना है और वोह पजामा इसलिए लाया हूं क्योंकि तुम यह इयरिंग्स तोह पहनोगी नही। जैसा की तुमने बाकी की ज्वैलरी भी नही पहनी है आज तक, वोह भी नही जो मेरे कहने पर तुम मॉम के साथ जा कर लाई थी।"

"क्या?"

"तुम क्यों नही पहनती हो वोह ज्वैलरी?"

"मैं छोटी छोटी जगह पर जाती रहती हूं और अनाथ आश्रम भी। ऐसी जगहों पर सेफ नहीं होता ज्वैलरी पहनना।"

"यह तोह वोह है जो तुमने मॉम से कहा था। मुझे सच जानना है। असली वजह।"

"मैं सच ही कह रही हूं।" अमायरा अब उससे नज़रे चुराने लगी थी।

"कम ऑन अमायरा। कुछ और तोह नही, लेकिन पहले दिन से हम इस रिश्ते में एक दूसरे से सच बोलते आ रहे हैं। मुझसे इस तरह कुछ छुपाओ मत। बताओ क्यों नही पहनती हो?"

"वोह सब आपकी पत्नी के लिए है, मेरे लिए नही। मुझे अच्छी तरह से याद है की हम दोनो कपल का सिर्फ नाटक कर रहे हैं। जब भी मुझे आपकी पत्नी बन कर कहीं रहना होता है तोह मैं वोह ज्वैलरी पहन लेती हूं। मुझे बिना वजह वोह ज्वैलरी नही पहननी जो असल में मेरी है है नही। जिसपर मेरा हक नही है।" अमायरा ने उसकी आंखों में देखते हुए सच्चाई से कहा।

"प्लीज अमायरा। मैने तुम्हे पहले भी कहा है की यह सब तुम्हारा है। हम दोनो एक दूसरे से प्यार नही करते लेकिन फिर भी हमारे बीच एक रिश्ता है। तुम ऐसा नहीं कर सकती। तुम अपने साथ ऐसा पक्षपात नहीं कर सकती। मैने तुम्हे कहा था की जो भी मेरा है, वोह तुम्हारा भी है। और इसका मतलब ये है की सब तुम्हारा है। सिर्फ तुम्हारा।"

"यह सब मेरा कैसे हो सकता है, जब आप ही मेरे नही हो।" अमायरा ने बिना सोचे समझे एक झटके में कह दिया।

"मैं.... उउह्ह..." कबीर सदमे में था। उसे समझ नही आ रहा था की उसकी सच्चाई पर कैसे रिएक्ट करे।
















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