Secret Admirer - 19 books and stories free download online pdf in Hindi

Secret Admirer - Part 19

कबीर और अमायरा की यह नई दोस्ती उन्हे आने वाले दिनों में बहुत काम आने वाली थी। वोह दोनो अब एक दूसरे के साथ रिलैक्स महसूस करते थे। उन्होंने एक दूसरे से एक दूसरे के बारे में काफी बात की थी जो वोह किसी और से शेयर नही कर सकते थे। कबीर ने उसे महिमा के बारे में और दोनो के बारे सब कुछ बता दिया था। उसने बताया की महिमा और उसकी शादी से रिलेटेड सब कुछ डिसाइड हो चुका था। अमायरा जानती थी की उसके बाद महिमा मर गई थी इसलिए उसने बात आगे बढ़ाना ठीक नही समझा क्योंकि फिर इससे कबीर को दुख होता।

और अमायरा की तरफ से ऐसा कुछ खास था ही नही शेयर करने लायक इसलिए उसने उसे अपने अनाथ आश्रम के बच्चों के बारे में बताया था, लेटेस्ट उसकी जिंदगी में जो चल रहा था, और फैमिली मेंबर्स के नई गॉसिप के बारे में बताती थी जिससे कभी कभी कबीर इरिटेट हो जाता था और अमायरा को मज़ा आता था।
ज्यादा तर तो कबीर इग्नोर कर देता था क्योंकि वोह जनता था की अमायरा उसे इसलिए बताती है ताकि वोह अपने अपने में खोया खोया ना रहे और फैमिली के साथ इंवॉल्व हो। कबीर को रियलाइज होने लगा था की अमायरा एक अच्छी जीवन साथी है जो किसी का भी मूड खुश कर देती थी लेकिन फिर भी कबीर को यही लगता था की वोह खुद दिल से खुश नहीं है। वोह जान बूझ कर झूठी हसी हस्ती थी। पर इसके अलावा उसके पास कोई और तरीका भी नही था क्योंकि किसी को परवाह ही नही थी की अमायरा सच में खुश है भी या नही। उसके लिए कबीर को अपनी फैमिली पर कई बार गुस्सा भी आता था। खास कर इसलिए क्योंकि अमायरा खुद अपने लिए कभी नही लड़ती थी। उन दोनो के रिश्तों में हो रहे बदलावों को देख कर आज कल उनकी फैमिली खुश थी। उन्हे यह भी लगने लगा था की जल्द ही दोनो एक दूसरे के नज़दीक आ जायेंगे अगर उन दोनो के बीच ऐसे ही रिलैक्स एटीट्यूड रहा और इसी तरह से वोह आगे भी बात करते रहे तोह।

कबीर को लगने लगा था की सच में जो उसकी फैमिली कहती थी वोह सच था की अमायरा एक अच्छी लड़की है। भले ही वोह उससे प्यार नही करता लेकिन उसका कैरेक्टर, उसका बिहेवियर, उसकी सोच सब कबीर को पसंद आने लगा था। इसी वजह से कबीर की फैमिली को लगने लगा था की कबीर अपने प्यार महिमा को भुल गया है और अपनी जिंदगी में आगे बढ़ने लगा है। अमायरा ने असल में किसी को नही खोया था लेकिन उसने अपनी जिंदगी खो दी थी। कबीर यह देख सकता था फिर भी वोह उसके साथ खुश था। कबीर को उसकी आदत लगने लगी थी। लेकिन फिर भी वोह यह मानने को तैयार नहीं था की अमायरा उसकी जिंदगी में दाखिल होने लगी है बल्कि वोह खुद उसे इजाजत देने लगा है। वोह उसे मिस करने लगा था जब वोह उसके आस पास नही होती थी तब। वोह उससे बात करने के लिए अलग अलग तरह के बहाने ढूंढने लगा था जबकि वोह अपने आपको एक सीरियस और कम बात करने वाला इंसान समझता था। वोह जानना चाहता था की आखिर उसके मन में अमायरा के लिए आखिर चल क्या रहा है। और ऐसा कुछ भी था जो अमायरा अपने दिल में दबाए हुई थी। वोह क्या था, कबीर नही जानता था, लेकिन वोह जानना चाहता था। अमायरा कबीर के साथ थोड़ी घुलने मिलने तोह लगी थी लेकिन फिर भी अभी भी उसने एक दूरी बना कर रखी हुई थी, इमोशनली। अमायरा पूरा दिन भर कबीर से बात करती थी लेकिन कभी उसने अपनी पर्सनल सोच के बारे में नही बताया था, कभी भी नही। कोई भी पर्सनल फीलिंग्स, कोई डिजायर, कोई रिग्रेट, कुछ नही। और कबीर को हल्का गुस्सा भी आने लगा था की अमायरा ने अभी तक कबीर के पैसों को हाथ तक नहीं लगाया था जो उसने अमायरा के लिए ज्वाइंट अकाउंट में छोड़े थे। सिवाए एक या दो बार के जो उसने तब यूज किए थे जब वोह मॉम के साथ शॉपिंग पर गई थी और उसे फैमिली के लिए कुछ लेना था। अमायरा की इंटर्नशिप अब खतम हो चुकी थी और कबीर ने अमायरा को कई बार बोला था की वोह ड्राइवर को लेकर जाया करे अनाथ आश्रम तक लेकिन अमायरा ने साफ इंकार कर दिया था। वोह तब मानी जब कबीर की मॉम ने उसे इंसिस्ट किया था। जब कबीर ने अमायरा से पूछा था पैसों के बारे में तोह अमायरा ने यह कह कर बात टाल दी की उसे अभी किसी चीज़ की जरूरत नहीं है और जब होगी तोह वोह ले लेगी। बदकिस्मती से उसकी जरूरत की सब चीज़े उसके पास काफी थी की वाकई में कुछ खरीदने के लिए उसे पैसों को खर्च करने की जरूरत अब तक नही पड़ी थी। कबीर तोह कन्फ्यूज्ड हो गया था की कैसे कोई लड़की महीनो तक बिना शॉपिंग के रह सकती है। यह तोह पॉसिबल ही नही है। पर अमायरा इसका जीता जागता एग्जांपल थी। पर वोह ऐसा क्यों कर रही थी, कबीर को अंदाजा बिलकुल नहीं था। कबीर यह भी जान गया था की अमायरा अब इशिता से पैसे नही ले रही है क्योंकि यह बात कबीर की मॉम ने कबीर से कही थी और उसको शाबाशी भी दी थी की वोह अब अच्छे से अमायरा का ख्याल रख रहा है की अमायरा को अपनी बहन के पैसों की जरूरत नहीं पड़ रही है। और इस बात की तोह कबीर को खुशी हुई थी। यह उन दोनो के रिश्ते को और आगे बढ़ा रहा था। हां लेकिन यह बात भी थी की अमायरा कम खर्चीली थी और जितना भी उसे अनाथ आश्रम से मिलता था उसमे ही खुश रहती थी।

अमायरा अभी भी इमोशनली कबीर से दूर रहती थी और यह बात अब कबीर को खटकने लगी थी। अमायरा का अच्छा बरताव अब कबीर को परेशान करने लगा था। सबसे बुरी बात तोह यह थी कबीर उसे यह बात बता भी नही सकता था। उसकी गट फीलिंग उसे यह कह रही थी की वोह और जाने अमायरा के बारे में, लेकिन क्या वोह पता नही।
*वोह दुखी क्यों नही है जबकि उसने अभी तक कितना कुछ खोया है? क्या वोह सच में कोई इंसान ही है या रोबोट?*

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"आप यहां क्या कर रहें हैं?" अमायरा कबीर को अपने कॉलेज के कन्वोकेशन डे में देख कर शॉक 😲 हो गई थी।
"मैने तोह तुम्हे बताया था की मैं आऊंगा यहां पर।" कबीर ने जवाब दिया और अमायरा उसे घूरने लगी। "अच्छा नही बताया मैने! मुझे लगा बता दिया था।"

"आप यहां क्यों आए हैं, मिस्टर मैहरा? अब मैं क्या करूंगी? अब में कैसे फेस करूंगी सबको?" अमायरा ने कहा। वोह चिंतित लग रही थी।

"मैं यहां आया तोह, कुक गलत हो गया? सबकी फैमिली यहां आई है। और मैं तुम्हारा हसबैंड हूं तोह मुझे पूरा हक है यहां आने का, तुम्हे भीड़ से चीयर करने का। और ऐसा कौन है जिसको तुम अब अपना चेहरा नही दिखा पाओगी मेरी वजह से? कोई सीक्रेट बॉयफ्रेंड है, हुऊऊ?" कबीर ने मज़ाक किया और अमायरा का चेहरा पीला पड़ने लगा।

"नही। कोई नही है यहां। बस सब मेरे दोस्त सोचेंगे की मैने आपको यहां बुलाया है शो ऑफ करने के लिए।" अमायरा ने दुखी मन से फुसफुसाते हुए कहा।

"क्या? इसका क्या मतलब है?" कबीर ने कन्फ्यूज होते हुए पूछा।

"अरे आप हैंडसम है और अमीर भी, और फिर आप महिमा से शादी करने वाले थे, द फेमस स्टार। उन्हे लगेगा की मैने आपको यहां बुलाया है उन्हे जलाने के लिए की अब आप मेरे हैं।" अमायरा गुस्सा होने लगी थी।

"वोह तुम्हारे एक्स फ्रेंड्स, जो तुम पर ट्रस्ट भी नही करते। तुम्हे उनके ओपिनियन की इतनी फिक्र क्यों जबकि वोह तुम्हारी अब परवाह भी नही करते? मुझे तोह आश्चर्य हो रहा है की मुझे तुम्हे यह समझना पड़ रहा है। फ्रैंकली अमायरा, यह बेवकूफी तुम पर सूट नही करती। अब मुझे कुछ मत कहना की मैं तुम्हे किडडो कहता हूं। इस बार तुमने खुद कहा है यह अपने आपको।"

"पर वोह मेरे फ्रेंड्स हैं। मुझे सच में बुरा लगता है उन्हे खोने में।"

"अब मैं तुम्हारे पास हूं। तुम्हे किसी और की पुष्टि की ज़रूरत नही है। और अगर उन्हें लगता है की तुम मुझे दिखा कर शो ऑफ कर रही हो तोह करो शो ऑफ।"

"व्हाट?" अमायरा कन्फ्यूज्ड हो गई थी।

"शो मी ऑफ।" कबीर ने कहा।

"आप सीरियस नही रह सकते।"

"मैं सीरियस ही हूं। चलो। तुम्हे अच्छा लगेगा। वोह थोड़ी सी जलन तोह डिजर्व करते हैं तुम्हारे साथ अनफेयर होने के लिए।" कबीर ने शैतानी मुस्कुराहट दिखा कर कहा।

"मुझे लगता था की आप एक सोच में डूबे हुए और गुस्से में रहने वाले बोरिंग अंकल हैं, जिसे मज़े करना आता ही नहीं।" अमायरा ने मुस्कुराती आंखों से कहा।

"तब तोह तुम मुझे जानती ही नही हो, अभी तक। आओ किडडो, अपने रिच और हैंडसम हसबैंड को शो ऑफ करो।" कबीर ने आंख मारते हुए कहा और अपना हाथ अमायरा के कमर पर रख दिया और फिर उस ओर चल पड़ा जहां सब लोग थे।












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