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गुनहगार (अंतिम भाग)

एक दिन राजेन्द्र प्रतिभा से बोला,"आज शाम को चौपाटी चलते है?"
"चलो,"और राजेंद्र,प्रतिभा के साथ चौपाटी घूमने के लिए गया था।यहां वह माया के साथ भी आ चुका था।लेकिन पहली बार प्रतिभा के साथ आकर वह बेहद रोमांचित महसूस कर रहा था।वे दोनों जुहू पर समुंदर के किनारे एक चट्टान पर बैठ गए थे।समुद्र में लहरे उठ रही थी।जो किनारे से टकराकर वापस लौट जाती थी।प्रतिभा उठती हुई लहरों को ध्यान से देख रही थी।राजेन्द्र का ध्यान प्रतिभा की सुंदरता पर था।जुहू पर हर उम्र हर वर्ग के लोग थे।सब अपने अपने मे मस्त।
पहले राजेन्द्र,माया का बहुत खयाल रखता था।ऑफिस से वह सीधा घर पहुंचता और सारा समय माया के साथ गुज़ारता।वह उसके साथ कहीं ने कहीं घूमने के लिए जाता रहता।वह माया की हर सुख सुविधा और जरूरत का पूरा ख्याल रखता था।लेकिन जब से वह प्रतिभा के सम्पर्क में आया।उसका समय उसके साथ गुज़रने लगा।ऑफिस के बाद प्रतिभा के साथ रहने की वजह से वह रोज घर लेट पहुंचने लगा।माया जब उस से लेट आने का कारण पूछती तो वह कोई न कोई बहाना बना देता।औरत शक्की स्वभाव की होती है।राजेन्द्र के रोज घर लेट आने पर उसे सन्देह हुआ।लेकिन उसने अपना सन्देह जाहिर नही किया।एक दिन माया राजेन्द्र के दफ्तर जा पहुंची।ऑफिस के बाहर गार्ड खड़ा था।उसने गार्ड से पूछा,"राजेन्द्र है?"
"नही।वह तो गए।"
"गए?'
"साहिब तो एक घण्टा पहले प्रतिभा मैडम के साथ चले गए।"गार्ड ने बताया था।
"प्रतिभा कौन है?"माया ने पूछा था।
"प्रतिभा मैडम साहिब की सेकेट्री है।कुछ महीने पहले वह ऑफिस में नई आयी है।साहिब उसी के साथ जाते है।"गार्ड ने माया को प्रतिभा के बारे में बताया था।और माया का सन्देह विश्वास में तब्दील हो गया था।
राजेन्द्र जो कभी माया के रंग रूप और खूबसूरती पर फिदा था।प्रतिभा के सम्पर्क में आते ही उससे दूर रहने का प्रयास करने लगा।माया लाख प्रयत्न, हर तरह के जतन और प्रयास करने के बाद भी राजेन्द्र को प्रतिभा के पास जाने से नहीं रोक पायी।
जब प्यार से बार बार समझाने पर भी जब माया,राजेन्द्र को प्रतिभा से अलग नही कर सकी।तब उसने प्यार का रास्ता छोड़कर झगड़े का रास्ता अपनाया।वह राजेन्द्र के देर से घर आने पर उससे झगड़ने लगी।शर्म हया छोड़कर वह प्रतिभा से लड़ने के लिए ऑफिस भी पहुंच जाती।माया और राजेंद्र के बीच झगड़ा धीरे धीरे बढ़ने लगा।एक दिन दोनो के बीच झगड़ा इतना बढ़ा की गुस्से में राजेंद्र ने माया को धक्का दे दिया।माया सीढ़ियों से नीचे आ गिरी।माया गर्भवती थी।उसका गर्भपात हो गया।
राजेन्द्र ,माया को तुरंत अस्पताल ले गया।माया की हालत गम्भीर हो गयी थी।राजेन्द्र ने सुधीर को फोन से सूचित करवा दिया।राजेन्द्र,माया को अस्पताल में भर्ती तो करा आया लेकिन उसका हाल चाल जानने के लिए फिर अस्पताल नही गया।उसने माया के अस्पताल पहुंचाने के बाद प्रतिभा से शादी करने में देर नही की।शादी के बाद वह प्रतिभा के साथ हनीमून मनाने के लिए विदेश चला गया।
सुधीर के लिए तो माया मर चुकी थी।इसलिए अस्पताल जाने का सवाल ही नही था।लेकिन उसने माया के बारे में टेलीफोन करके उसके पिता को बता दिया।
माया के माता पिता बेटी की करतूत से बहुत शर्मिंदा थे।इसलिय वे भी नही आये।
अस्पताल में माया लावारिस की तरह कई दिन तक तड़पती रही।और एक दिन दम तोड़ दिया।