Secret Admirer - 33 books and stories free download online pdf in Hindi

Secret Admirer - Part 33


कबीर ने उसे जाते हुए देखा और जल्दी से आ कर उसका हाथ पकड़, उसे अपनी करीब खींच लिया, अपनी बाहों में।

"क्या? क्या कर रहें हैं आप?" अमायरा घबरा गई थी।

"यह किसी तरह का ड्रामा नही है अमायरा। मैं तुमसे प्यार करता हूं। मैं तुम्हे पूरे दिल से चाहता हूं। तुम चूस कर सकती हो लव मी और नॉट, पर तुम यह नहीं कह सकती की मैं एक्टिंग कर रहा हूं। अगर तुम्हे अभी यकीन नही है तोह, कोई बात नही। मैं तुम्हे यकीन दिला दूंगा अपने प्यार पर, पर यह मत कहो की मैं किसी बोझ के तले यह सब कह रहा हूं। मैं महिमा को प्यार करता हूं और हमेशा करता रहूंगा। पर तुम्हारी बहुत स्पेशल जगह है मेरे दिल में और अब मैं बिल्कुल भी नही डरता इसे एक्सेप्ट करने में। अब यह तुम्हारे ऊपर है इसे एक्सेप्ट करना है या नही। और मैं तुमसे वादा करता हूं, की जल्द ही तुम्हे अपने प्यार पर यकीन दिला दूंगा। तुम मेरे प्यार पर यकीन करने से इंकार कर सकती हो लेकिन तुम मुझे तुम्हे प्यार करने से रोक नही सकती। और ना ही तुम अपने दिल को रोक सकती हो तुम्हारे लिए मेरे प्यार को एक्सेप्ट करने में।" कबीर ने वादा करते हुए कहा। उसकी आंखों में एक तेज़ नज़र आ रहा था, जिसे देख कर अमायरा थरथरा गई। कुछ समय के लिए वोह पलके झपकाना ही भूल गई थी।

"हमारी पूरी फैमिली बाहर है, हमे भी बाहर जाना चाहिए इससे पहले की कोई हमें ढूंढता हुआ यहां आ जाए," कबीर ने प्यार से कहा और अमायरा ने सिर हिला दिया। वोह अभी भी कबीर की बाहों में थी।

"आप नही कर सकते," अमायरा ने फुसफुसाते हुए कहा।

"क्या?" कबीर ने पूछा।

"मुझे यकीन दिलाना, जो भी अभी आपने कहा।"

"मुझे खुशी है की तुम अपनी सोच पर अभी भी डटी हुई हो, तुम बहुत सच्ची हो। पर अफसोस, मैने आज तक कभी कोई चैलेंज हारा नही है। और यह भी नही हारूंगा।" कबीर ने मुस्कुराते हुए कहा।

वोह दोनो बहुत करीब थे और दोनो ही एक दूसरे को देख रहे थे। कबीर ने अमायरा के चेहरे पर आए बालों को बड़े ही प्यार से और धीरे से पीछे किया और कान के पीछे टिका दिया। उसकी इस हरकत पर अमायरा के शरीर में सिरहन सी दौड़ गई।

"देखते हैं फिर," अमायरा ने खुद पर यकीन से कहा।

"ओके। फिर करते हैं। बहुत जल्द तुम मेरे प्यार पर यकीन भी करोगी और उसे एक्सेप्ट भी करोगी। और वोह दिन बहुत दूर नहीं जब तुम भी मुझे प्यार करने लगोगी।"

"ज्यादा ओवरकॉन्फिडेंट में मत रहिए।"

"यह ओवर कॉन्फिडेंट नही है, यह ट्रस्ट है जो मुझे मेरे प्यार ने दिया है। तुम चिंता मत करो, तुम्हे भी इसका एक्सपीरियंस जल्द ही होगा।" कबीर ने कहा अमायरा उसे चैलेंजिंग तौर पर देखने लगी।

"मैं तुम्हे पहले ही एक बात बता देना चाहता हूं की जब भी तुम मुझे इस तरह से देखती हो, ऐसे गुस्से में, तोह मुझे तुम्हे किस करने का मन करता है।" कबीर के कहते ही अमायरा ने अपनी नज़रे उस पर से तुरंत हटा ली।

"छोड़िए मुझे। मुझे बाहर जाना है।" अमायरा व्याकुल हो उठी। कबीर मुस्कुरा उठा अपनी एक छोटी सी जीत पर।

"ठीक है, अगर तुम कहती हो तोह। अभी के लिए मैं तुम्हे जाने दे रहा हूं। पर मेरे आस पास ही रहना। मैं ज्यादा देर तुमसे दूर नही रह सकता।" कबीर ने उसे बाहों से आज़ाद करते हुए कहा। और उसकी पकड़ से छूटते ही अमायरा दरवाज़े की तरफ भागी। दरवाज़े के पास आ कर वोह रुक गई और उसने पलट कर कबीर की तरफ देखा। उसने चिढ़ से उसे घूरा और फिर दरवाज़ा खोल कर बाहर चली गई।

"हुह्ह्!" कबीर ने एक गहरी सांस छोड़ी जो की वोह कबसे अमायरा के सामने रोक हुए था।

*सब ठीक ही हुआ। मैं उससे यही एक्सपेक्ट कर रहा था की वोह गुस्सा हो जायेगी जो की नॉर्मल है। मैं ना जाने क्यों डर रहा था।*
*पर अब मुझे सोचना होगा की मैं क्या कर सकता हूं उसका दिल जीतने के लिए। वोह टेड़ी खीर है। उसका दिल जीतना इतना आसान नहीं है।*
*पर अब कम से कम वोह जानती तोह है की मैं उससे प्यार करता हूं। अब मुझे उसके सामने चौकन्ना रहने की जरूरत नहीं है की उसके सामने गलती से कुछ बड़बड़ न करदूं।*
*एनीवे। मुझे अब साहिल की इंगेजमेंट पार्टी एंजॉय करनी चाहिए। उसके बाद मुझे एक जंग भी लड़नी है, जिसे मुझे जीतना ही है।*

****

जिस पार्टी को ऑर्गनाइज करने में अमायरा ने इतनी मेहनत की था, उसी पार्टी में अब उसका मन नही लग रहा था। उसका दिमाग अभी कमरे में ही था, उन बातों में खोया हुआ था जो उसने कबीर के साथ की थी। उसे यकीन ही नहीं हो रहा था की कबीर ने उसके सामने उसके लिए अपने प्यार का इज़हार कर दिया। उसने कभी उम्मीद ही नही की थी कबीर ऐसा भी कभी कुछ कहेगा। उसके लिए तोह वोह हमेशा से ही महिमा का प्यार था। उसने कभी इमेजिन ही नही किया था की कबीर उसके प्यार में पड़ जायेगा। और अब जब कबीर ने कह दिया था, तोह अमायरा को कुछ समझ ही नही आ रहा था।

*वोह झूठ बोल रहें थे। ऐसा हो ही नही सकता की वोह मुझसे प्यार करने लगे।*
*और अगर वोह झूठ नही भी बोल रहे थे, तोह यह उनका गिल्ट है जो उनसे कह रहा है की वोह मुझसे प्यार करते हैं जबकि असल में उन्हे मुझ पर तरस आता है।*
*बेचारी अमायरा, ओह इसकी जिंदगी में तोह खुशियां हैं ही नहीं, शायद मैं ही इसे प्यार देकर खुश कर सकता हूं। वोह यही सोच रहें होंगे।*
*मैं उन्हे गलत साबित कर दूंगी। मैं उन्हे दिखाऊंगी की खुश रहने के लिए मुझे किसी की जरूरत नहीं है। उन्हे तैयार हो जाना चाहिए पहली बार हारने के लिए। हुंह!*

अमायरा अपने दिमाग में यही सब सोचे जा रही थी पूरी पार्टी के दौरान। और अब वोह डर रही थी की पार्टी के बाद वोह वापिस अपने कमरे में कैसे जायेगी और कबीर के साथ एक ही रूम कैसे शेयर करेगी।

*इसमें इतनी बड़ी क्या बात है अमायरा? तुमने इतने महीनो उनके साथ एक ही रूम में बिताया है। अब क्यों डर रही हो?*
*मैं उनके साथ एक ही बैड कैसे शेयर करूंगी अब, जब उन्होंने मुझे बता दिया है की वोह मुझसे प्यार करते हैं?*
*पर तुम्हे तोह यकीन ही नहीं है ना उनपर। तोह इससे क्या फर्क पड़ता है?*
*पड़ता है। अगर उन्होंने मुझे दुबारा किस करने की कोशिश की तोह?*
*पर वोह तोह हल्की सी छुअन थी गर्दन पर। इसे किस नही कहते।*
*जस्ट शट अप।*
*उन्हे पहले ही कह दूंगी की ऐसा दुबारा बिलकुल भी मत करना।*
*हां पक्का, बता देना की तुम कितना एफेक्ट हुई थी उससे।*
*व्हाटेवर।*
*शायद मुझे सोफे पर सो जाना चाहिए। मैं उनके कमरे में आने से पहले ही सो जाऊंगी। हां, यही सही रहेगा।*

अपने दिमाग को शाबाशी देते हुए हुए वोह वापिस पार्टी में बिज़ी हो गई। जब सब चले गए उसके बाद थोड़ा बहुत काम निपटा कर जब वोह जाने लगी अपने कमरे में वापिस तोह उसने कबीर को ढूंढा। उसने देखा की कबीर अपने भाइयों के साथ गपशप में बिज़ी है तोह अपने आइडिया पर मुस्कुराते हुए वोह अपने कमरे में चली गई। अपने रोज़ के नाइट रूटीन को जल्दी जल्दी करके वोह सोफे पर बैठ गई, इस डर से की कहीं उसके सोने से पहले कबीर कमर में ना आ जाए।

अमायरा उन सब बातों को याद करते हुए वहीं सोफे पर लेट गई। थोड़ी देर बाद उसे कुछ महसूस हुआ और उसने अपनी आंखे खोली। चारों तरफ अंधेरा था और उसे महसूस हो रहा था की वोह हवा में तैर रही है।

नही तैर नही रही थी बल्कि किसकी बाहों में थी।

नही नही किसी की बाहों में नही बल्कि अपने पति की बाहों में थी। कबीर उसे अपनी बाहों में उठा कर बैड पर ले जा रहा था और अमायरा चुपचाप थी। वोह डर रही थी, वोह कबीर को नही बताना चाहती थी की वोह जाग गई है। उसने तुरंत अपनी आंखे बंद करली जब कबीर ने उसे बैड पर लेटाया और कंबल से अच्छी तरह ढक दिया।

अमायरा को कुछ पल तक कबीर की सांसे अपने चेहरे पर महसूस होती रहीं। उसके लिए सोने का नाटक करना बहुत मुश्किल हो रहा था। कबीर ने कुछ पल उसे निहारने के बाद उसके माथे पर शिद्दत से चूम लिया और फिर कान के पास जा कर धीरे से फुसफुसाते हुए कहा, "आई लव यू अमायरा। गुड नाईट 🤗"

और फिर उसने महसूस किया की कबीर दूसरी तरफ आ कर लेट गया है। कुछ देर में कबीर सो चुका था। लेकिन उस रात अमायरा की नींद उड़ चुकी थी।

*आई हेट यू मिस्टर मैहरा। आपने क्यों हमारी जिंदगी को इतना कॉनोलिकेटेड बना दिया है?*

****

अगली सुबह जब कबीर सो कर उठा तो उसने पाया की उसके बगल में अमायरा नही थी। अमायरा रोज़ देर से उठती थी। वोह कबीर के उठने के बाद ही उठती थी क्योंकि उसे अपनी नींद बहुत प्यारी थी पर आज वोह जल्दी उठ चुकी थी।

*"सो डियर वाइफ लगता है कल रात तुम ठीक से सोई नहीं। और जल्दी भी उठ गई।"*

*"ग्रेट। कम से कम तुम्हे फर्क तोह पड़ रहा है।"*



















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