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भैया जी का कैंडल मार्च

“अरे जल्दी से आ जाओ, कैंडल मार्च शुरू होने वाला है,” भैयाजी ने नीचे सड़क से हमे ऊपर देखते हुए कहा।

वे खुशी से फुले नही समा रहे थे, समाये भी क्यों ना, आज उनके बुलाने से 100 से ज्यादा लोग इक्कठे हो गए थे। भैयाजी हमारी सोसाइटी के एक स्वम्भू छूट भैया नेता थे। लेकिन उनकी कोई सुनता नही था, उन्होंने नेतागिरी चमकाने के लिए सभी राजनैतिक दलों के दफ्तरों में चक्कर लगाए पर किसी ने उन्हें घास नही डाली।

अब फौजियों की शहादत पर देश भर में लोग भारी संख्या में कैंडल मार्च निकाल रहे थे ,बस भैया जी ने सोचा नेता बनने का यही मौका है, ओर उन्होंने सोसाइटी के लोगों को कहा फौजियों को श्रधांजली देने के लिये सोसाइटी से डिस्ट्रिक्ट पार्क तक कैंडल मार्च निकाला जाएगा ।

ओर थोड़ी देर में सभी देशभक्तों का मोर्चा शुरू हो गया, भैया जी के ठीक पीछे हमारे पड़ोसी मिश्रा जी हाथ मे जलती हुई मोमबत्ती लिए खड़े थे । उनके चेहरे पर गर्व के भाव थे और वो आपे से बाहर हो रहे थे ।

“नीचे आ जाओ, कभी देश के बारे में भी सोचा करो “मिश्रा जी ने ऐसी हिकारत भरी नजर से हमे देखते हुए कहा, मानो कह रहा हो, देखो हम कितने बड़े देशभक्त हैं, ओर एक तुम हो नाली की कीड़े, तुम जैसे लोगों के कारण ही भारत वर्ष का यह हाल है । हमे स्वंय पर लज्जा आने लगी ।

मोर्चा शुरू हुआ,सभी के एक हाथ मे मोमबत्ती व दूसरे हाथ मे मोबाइल था । और लगभग सभी लोग जल्दी जल्दी सेल्फी ले कर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहे रहे थे ।

” भई हम तो कैंडल मार्च में है” गुप्ताजी जोर जोर से बोल कर मोबाइल पर किसी को बता रहे थे ।

हमने अपनी धर्मपत्नी को मिश्रा जी की महानता के बारे बताया कि वे कैसे दूसरों के गम में आंसू बहा रहे है ।

” दुसरो के गम में ओर मिश्रा जी, अरे 15 दिन पहले इन के बड़े भाई गुजर गये थे, वहां तो बीमारी का बहाना बना कर गए नही, देशप्रेमी माई फुट, घर के बाहर से कार निकलते है तो स्कूटी खड़ी कर देते है, ताकी किसी ओर की गाड़ी खड़ी ना हो सके” धर्मपत्नी ने अपनी भड़ास निकाली ।

खेर भैयाजी की अगवानी में मोर्चा आगे बढ़ा, वे जोर जोर से नारे लगा रहे थे
“पाकिस्तान मुर्दाबाद”
“हिंदुस्तान जिंदाबाद”
ओर भीड़ उनके सुर में सुर मिला रही थी । मोर्चा थोड़ा ही आगे बढ़ा था कि पीछे से आने आने वाले आवाजें धीरे धीरे धीमी पड़ने लगी, डिस्ट्रिक्ट पार्क अभी दूर था, जहां जा कर भैयाजी ने भाषण करना था, उन्होंने पीछे मुड़ कर देखा तो उनके होश उड़ गए, पीछे कुल 10-15 लोग रह गए थे, ओर वो भी खिसकने का मौका ढूंढ रहे थे । हुआ यह था कि, लोगो ने सेल्फी ली पोस्ट की ओर निकल लिए ।

पार्क तक पहुंचने पर कुल तीन लोग बाकी बचे थे, भैयाजी की आंखों में आसूं आ गए, इसलिए नही कि उनके नेता बनने का सपना चूर हो गया, बल्कि इस लिए की पहली बार उन्होंने अपनी पर्सनल पाकेट से पैसे खर्च कर के मोमबत्ती खरीदी थी व लोगों में बांटी थी ।