Cast-System books and stories free download online pdf in Hindi

वर्ण-व्यवस्था - जय भीम

वैसे तो इस मूवी को पर्दे पर आए काफी वक्त हो गया है मगर कल मैंने यह फिल्म दोबारा देखी। सच बताऊं तो सबकुछ जानते हुए कि क्या होने वाला है मैं यह फिल्म देखते उबासी नहीं ले रहा था जो कि एक पर्ल्स प्वोइंट है।
इसका रिव्यू लिखने का मन हुआ क्योंकि यह एक शानदार फिल्म है भारत में रहने वाले उन्हीं मूल रहेवासीयों की, जिनके साथ ऊंची जातियों वाले जानवर से भी बुरा बर्ताव करते हैं। जब कोई धर्म नहीं था तब भारत में यह लोग थे जो अपने तेज़ दिमाग से पुरी दुनिया में फैले हुए थे। लेकिन बाद में आर्यों ने आक्रमण किया जिसकी वजह से ये द्रविड़ अपनी जमीन छोड़ दक्षिण की ओर चले गए। चार वेद है। जिसमें रिगवेद एक है जहां यह जातियों को वर्ण-व्यवस्था कहा गया है।
वर्ण-व्यवस्था यानि की उस वक्त यह लोग पुरी तरह से साफ थे कि वे आगे क्या बनेंगे। चार वर्ण थे। ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र। मगर पहले यह कोई जाति नहीं थी। जैसे कि इसको वर्ण-व्यवस्था कहा गया है तो यह व्यवस्था ही थी। उस वक्त इतने बुद्धिमान विद्वान ऐसे महान ग्रंथ लिखे और उसमें ऐसी कोई रचना नहीं करते जिससे मानव एक दुसरे को बांटते।
यह व्यवस्था कर्म आधारित थी। मतलब जो बच्चा पढ़ाई में अव्वल होता तो वह विद्वान बनता, या गुरु बनता या पुजारी बनता जो कि ब्राह्मण कहलाता।
जो बच्चा बहादुर होता वह योद्धा, राजा, प्रशासक बनता जो कि क्षत्रिय कहलाता।
जो बच्चा अपने परिवार के काम को आगे बढ़ाता तो वह किसान, व्यापारी बनता जो वैश्य कहलाता। और जो बच्चा सब कुछ करने में मंद होता तो वह मजदूर बनता यानी की शुद्र।
देखिएगा हमारे पूर्वजों ने कितनी अच्छी व्यवस्था कर रखी थी हजारों वर्ष पूर्व। यहां कौई ऊंच-नीच होती ही नहीं थी। ब्राह्मण का बेटा अगर मंद बुद्धि है तो वह शुद्र बनता। वैश्य का बेटा पढ़ाई में अव्वल है तो वह ब्राह्मण बनता। मतलब बच्चों को भविष्य में करता बनना है वह वेदो के माध्यम से वे जानते।
लेकिन जैसे संस्कृत भाषा में से हिंदी बनी, वैसे समय के साथ-साथ यह बेहतरीन वर्ण-व्यवस्था जो कि कर्म आधारित थी वह अब जन्म आधारित हो गई। जिसमें मुख्य हाथ मनु का था जिसे इतिहास का प्रथम पुरुष भी कहते हैं। उन्होंने मनुस्मृति नामक रचना यह जन्म आधारित व्यवस्था दाखिल कि।
जिस वजह से जो हिन्दू धर्म था उसमें यह व्यवस्था बहुत दर्दनाक बन गई। लोग अब नए धर्म की राह देखने लगी। और फिर एक नया धर्म बना - बौद्ध धर्म। जिसको शुद्र और वैश्य अपनाने लगे। लेकिन बाद में आर्यों ने भगवान बुद्ध को भगवान विष्णु का अवतार बता दिया। और फिर से लोग तंग हुए। इसी वजह से भारत में बौद्ध धर्म का उतना प्रयोग नहीं है जितना जापान और चीन में है। अब दोबारा ने धर्म की जरूरत पड़ी। और नया धर्म आया - जैन धर्म। लोग फिर से इस धर्म में जुड़े।
जैन धर्म का एक सुत्र था - "अहिंसा परमो धर्म"। जिस वजह से यह काफि फैला।
वैसे मुझे जितना याद था वह सब मैंने लिख दिया है, कुछ ग़लत हो तो माफ़ किजिएगा।