Exploring east india and Bhutan... - Part 3 books and stories free download online pdf in Hindi

Exploring east india and Bhutan... - Part 3

Exploring east India and Bhutan...Chapter -3

तीसरा दिन :

दार्जीलिंग: सुबह तैयार हो कर होटल ट्रेवल डेस्क से हमने ₹3000/- में गंगटोक के लिए टेक्सी कर ली । यहां एक अजीब चक्कर है, दार्जीलिंग वेस्ट बंगाल में है, व गंगटोक सिक्किम में है, तो गगटोक में शहर केअंदर केवल स्थानीय यानी गंगटोक की टैक्सी ही जा सकती है व सिक्किम से बाहर की गाड़ी केवल गंगटोक टैक्सी स्टैंड तक ही जा सकती है,  बहरहाल हम सुबह ब्रेकफास्ट ले कर गंगटोक के लिए निकल लिए ।

 टैक्सी ड्राइवर विनोद नाम का व्यक्ति था, जो टैक्सी का मालिक भी था, व गंगटोक का रहने वाला था। बातचीत का सिलसिला आगे बढ़ा तो उसने बताया वो एक कस्टमर को दार्जीलिंग ड्राप करने आया था. ओर उसे इस ट्रिप के ₹1800/- मिले हैं, व बाकी ₹1200/- होटल का कमीशन था । फिर विनोद मुझे लाइन पर ले आया,और बोला : "Sir, आप को तो आगे टैक्सी से घूमने का ही है, आप होटल को जो पैसा देता है, हमे सीधा दो, हमारा फायदा होगा और हम आप को सारा एरिया घुमाएगा " प्रस्ताव मान लिया गया। विनोद ने अपनी बात बेच दी थी, ओर उसी के सुझाव पर, अतरिक्त ₹2000/- का भुगतान कर के, हम नामची हो कर गंगटाक गए।

 पर उससे पहले क्या हुआ :

 हम दार्जलिंग से लगभग 4-5 किलोमीटर आगे पेटाबोंग टी गार्डन से निकले ही  थे, की मेरी धर्मपत्नी ने अचानक कहा
"गाड़ी रोको"
"क्या हुआ"?
"रोको तो सही",
विनोद ने गाड़ी रोक दी ।
तभी पीछे से दौड़ती हुई एक लड़की विंडो के पास आ कर बोली
"लिफ्ट मिलेगी"
"कहां जाना है"
"बस अगले टेक्सी स्टैंड तक छोड़ दो"
"अंदर आ जाओ"

लड़की आगे वाली सीट पर बैठ गई, ओर उसने अपना लगेज बेग भी अपने पांव के पास रख लिया ।
उसका नाम मानसी था, वह एक तीखे नाक नख़्स, लंबे कद वाली, पतली दुबली, 21 वर्षीय, लड़की थी। वह दिल्ली  की रहने  वाली थी, एक न्यूज चैनल में काम करती थी, ओर गंगटोक जा रही थी ।

"यह मेरे हस्बैंड है" विनीता ने लडकी से मेरा मेरा परिचय करवाया
"अरे हस्बैंड का कोई नाम भी होता है"  मेने फरियाद की
"अच्छा नाम भी  होता है, तीसरा चैप्टर आ गया, आपने मेरा तो अभी तक नहीं बताया"
(रीडर्स क्या आप लोगों को पता है-नहीं ना )
"मेरी हमसफर, नाम विनीता", मेने तुरंत गलती सुधारी
"तो ये हैं वरुण, मेरे पतिदेव"
"और मैं हूं मानसी" लड़की तपाक से बोली।
और सभी जोर से हंस पड़े।

'मैम, आप क्या करते हैं? चलो मे ही गेस करती हूँ, आप या तो MNC में जॉब करती है, या आपका खुद का बिजनेस है" मानसी ने बात आगे बढ़ाई ।

"टेन ओ टेन, तुम्हारी गेस 100 प्रतिशत करेक्ट है, में जॉब करती हूं, मेरी कंपनी का नाम है #हाउस#, और यही मेरा बिज़नेस है, मै अपने  हाउस की मैनेजिंग डायरेक्टर हूं, यानी हाउसवाइफ हूं"  
विनीता ने मुस्कराते हुए जवाब दिया .
"हाउसवाइफ लगती तो नही",मानसी ने हैरानी से उसे देखते हुए कहा
"तुम ही नही अक्सर सभी यही समझते हैं",  वरुण ने मामला निपटाया
"मानसी तुम बहुत सुंदर लग रही हो" विनीता ने प्यार से मानसी की ओर देखते हुए कहा
"थैंक्स मेंम, पर सच कहूं तो मुझे काम्प्लेक्स आ रहा है, सच मे खूबसूरत तो आप हैं, ओर आपकी स्माइल कितनी स्वीट है"।
विनीता शर्मा गई व मैं गरमा गया ।

और फिर दोनो की बातों की  एक्सप्रेस ट्रेन हमारी टैक्सी से भी तेज दोड़ने लगी, ओर कब विनीता मेम से दीदी व में सर से भैया हो गया,पता ही नही चला ।

सच है, दो महिलाएं 15 मिनट में इतना घुलमिल जाती हैं, कि ये कारनामा पुरुष शायद  15 वर्षों  में भी ना कर पाएं । विनता ओर मानसी अब  पुरानी सहेलियां नजर आने लगी थी।

ओर फिर हम तीनों में केमेस्ट्री जम गई, व मानसी अगले टैक्सी स्टैंड पर ना उत्तर कर, उसने गैंगटॉक तक हमारे सफर को सुहाना कर दिया । दार्जलिंग से नामची की दूरी का 45 km है व् जाने में दो घंटे  लगते है, पर मानसी से उसकी कहानी सुनते हुए  सफ़र पलक झपकते ही पूरा हो गया .

पर वह एकेली गंगटोक क्यों जा रही थी, माजरा क्या था, असल मे वो कोन  थी, आगे चल कर पता चलेगा । cool