Exploring east india and Bhutan... - Part 4 books and stories free download online pdf in Hindi

Exploring east india and Bhutan... - Part 4

Exploring east india and Bhutan....Chapter -4

“थोड़े से समय में कई बार अजनबी लोग पहली नज़र में ही अपने से क्यों लगने लगते हैं “ मानसी  की जिज्ञासा ने अंगड़ाई ली

“अनदेखी राहों पर मिलने वाले अनजाने मुसाफिरों  को रिश्ता आज तक कोई नही समझ नही पाया “ विनीता भी इस अनबुझ पहेली को सुलझा ना सकी “

“चलो इस संयोग के और सुखद बनाते हैं “ मेने कहा

फिर हमारी तीन सदसीय कैबिनेट में, तीन नहीं चार, भई इसमें विनोद की रजामंदी भी जरुरी थी ,फेसला हुआ की दार्जिलिंग  के आस पास के कुछ और व्यू पॉइंट्स का भ्रमण किया जाए.

 

Peace Pagoda, Darjeeling, West Bengal India

यह बौद्ध स्तूप दार्जिलिंग शहर से लगभग 2.5 km की दूरी पर जलपहाड़ पहाड़ी क्षेत्र में स्थित है. पैगोडा की ऊंचाई 94 फीट है. पीस पैगोडा दार्जिलिंग शहर के सबसे लोकप्रिय आकर्षणों में से एक है. यह भगवान् बुध के चार अवतारों को दिखाता है. यहाँ भगवान् बुध की अति सुंदर स्वर्ण रंग की प्रतिमाएं है, जिसमें बुद्ध के आसन (postures) जैसे बैठना, सोना, खड़े होना और ध्यान करना दिखाए गये हैं.

 यहाँ लगभग 1 km का रास्ता आप के पैदल ही चलना पडेगा जो की पहले नीचे फिर उपर को जाता है, और कुछ सीडीयाँ भी चढ़नी पड़ेगी. जब आप थक कर उपर पहुंचते है तो सामने बेंच देख कर मजा आ जाता है, पर यहाँ लिखा है “Don’t sit here“ यहाँ ऊपर स्तूप पर पहुंच कर आपके नीचे जापानी मंदिर दिखाई पडेगा व् चारों और चीड़ के पेड़ों की कतारें नज़र आयेगी, पृष्ठभूमी में बर्फ से ढके पहाड़ों का अद्भुत दृश्य दिखाई देता है. यहाँ से आपको कंचनजंगा पहाड़ों व् दार्जिलिंग के सुंदर व् मनोरम दृश्य भी देखने को मिलते हैं. बौद्ध स्तूप की स्थापना का उदेश्य उन सब लोगों को एक मंच देना था, उनको इकट्ठा करना था, जो विश्व में शान्ती की खोज में लगे हुए थे. इसके खुलने का समय सुबह 4:30 से शाम 7:00 बजे तक है. कोई प्रवेश शुल्क नहीं है. सार्वजानिक सुविधाएं यहाँ उपलब्ध हैं.

 Padmaja Naidu Himalayan Zoological Park (also called the Darjeeling Zoo),Darjeeling West Bengal India

 पद्मजा नायडू हिमालयन जूलॉजिकल पार्क, 7000 ft की उचाई पर 67.56 ऐकड में फेला हुआ, बिर्च हिल (जिसे अब जवाहर पर्वत के रूप में जाना जाता है) पर स्थित है. इस का नाम सरोजनी नायडू की बेटी पद्मजा नायडू के नाम पर रखा गया था. यह भारत में सबसे ऊँची जगह पर स्थित चिड़ियाघर है. इस को दार्जिलिंग चिड़ियाघर भी कहा जाता है. यहाँ हर साल लगभग 3 लाख पर्यटक आते हैं. यह दार्जीलिंग के सबसे सुंदर दर्शनीय स्थलों में से एक है.

 चिड़ियाघर में प्रवेश करते ही दो रास्ते है, एक सामने मुख्य चिड़ियाघर को जाता है, व् दुसरा पीछे की ओर जाता है, जहां लाल पांडा पया जाता है, मुख्य चिड़ियाघर तक सड़क और सीडीयों दोनों से जाया जा सकता है, मेरी सलाह है आप जाएँ सड़क से व् वापिस आराम से सीडीयों से आनंद लेते हुए आयें. यहाँ पर लाल पांडा, दुर्लभ साइबेरियन टाइगर्स, याक, तिब्बती भेड़िये, हिम तेंदुए व् अन्य जानवर पाये जाते हैं . प्रवेश शुल्क मामूली है. जलपान चाय कोफी यहाँ उपलब्ध हैं. शौचालय की सुविधा उपलब्ध हैं.

खुलने का समय: गर्मी के मौसम में रोजाना (गुरुवार को छोड़कर) सुबह 8:30 से शाम 4:30 तक, सर्दियों के मौसम में सुबह 8:30 से शाम 4:00 बजे तक खुला रहता है .

 

Batasia Loop, Ghum, Darjling, West Bengal, India

बाटासिया लूप, यह दार्जिलिंग शहर से लगभग 5 km दूरी पर, दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे से 4 km की दूरी पर, हिल कार्ट रोड पर, घूम में स्थित है. यह एक प्रक्रतिक सुंदरता से भरपूर, पेरानोमिक व्यू के लिए मशहूर दर्शनीय स्थल है. वास्तव में यह एक रेल मार्ग है, यहाँ आप स्थानीय ड्रेस में फोटो शूट भी करवा सकतें है, और खुद को स्टार समझ सकते हैं, क्या हर्ज है. इसका निर्माण 1919 में दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे की ऊंचाई को कम करने के लिए, जरुरत अनुसार करवाया गया था.

 इस स्थान पर जब टॉय ट्रेन टाइगर हिल से वापस चलते समय दार्जिलिंग की ओर बढ़ती है, तो 100 ft की गहरी ढ़लान है, इसलिए, ढलान को कोमल बनाने के लिए लूप यानी एक बड़ा गोलाकार क्षेत्र बनाया गया था. यह रास्ता एक पहाड़ी सुरंग से हो कर गुजरता है. इसके निर्माण का दुसरा उदेश्य टॉय ट्रेन के लिए घूम स्टेशन से 1000 फुट की दूरी कम करना भी था. बतसिया का अर्थ हवादार स्थान होता है. लूप के चारों ओर एक बगीचा है, जिसे सुंदरता से सजाया गया है. यहाँ से टॉय ट्रेन को ढलान से नीचे जाते देखने का दृश्य अद्भुत होता है, और आप इससे एक तरफ दार्जिलिंग के मनोरम दृश्यों के साथ साथ दुसरी तरफ कंचनजंघा की बर्फीली चोटियों का आनंद ले सकते हैं.

 

Gorkha War Memorial, Batasia

गोरखा वार मेमोरियल, बाटासिया लूप के केंद्र में एक युद्ध स्मारक है. इस स्मारक का निर्माण 1995 में जिला सैनिक बोर्ड, द्वारा में बहादुर गोरखा सैनिकों की याद में किया गया था, जिन्होंनेअपने देश की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया था. यहाँ एक ऊंचे मंच पर एक सैनिक की प्रतिमा बनाई गई है. जो आप को इन सनिकों को याद करने और उनको नमन करने का सोभाग्य प्रदान करती है .