Ek Bevkuf - 2 books and stories free download online pdf in Hindi

एक बेवकूफ - 2

अगले दिन पुलिस केस हुआ, सबके बयान हुए। वो लड़का अभी भी गुमशुम बैठा था ज्यादा कुछ बोल ही नहीं रहा था। कुछ लोगों ने उस पर शक भी जताया परन्तु वो तो उस लड़की को छोड़ कर ही बाहर गया था और आया तब तक वो लड़की कहीं नहीं मिली, वो गायब हो चुकी थी तो वो हर इलज़ाम से बरी हो गया था। परन्तु सबसे अचरज की बात ये थी कि उसने किसी पर अपना शक भी नहीं जताया। अजीब मुर्ख था। पुलिस कुछ लोकल प्रभावशाली लोगों के प्रभाव में आकर छानबीन करती रही पर नतीजा वही ढाक के तीन पात, न मिलनी थी तो न मिली। वो लड़का भी चुपचाप क्लास के चक्कर लगाता रहा, कहीं न कहीं वो उस छोटे शहर में मिल ही जाता, भटकता हुआ। बस नूतन को ढूंढता रहता। लोग उसे पहले भी बेवकूफ ही समझते थे तो अब भी उनकी इस राय में कोई विशेष फर्क न आया. अब भी वो एक बेवकूफ ही था।

दो हफ्ते बाद....
पुलिस स्टेशन में सब इंस्पेक्टर(विक्रम) के सामने बैठे एक ५० साल के लगभग उम्र का आदमी (मोहन कुमार) हाथ जोड़ के गिड़गिड़ा रहा था। उसके साथ उसका साला(संतोष) भी बैठा था जो कदरन कुछ गरम मिज़ाज़ था। थोड़ी बहुत बहस कर रहा था।वो आदमी पहनावे से कुछ अमीर लग रहा था।
मोहन कुमार- इंस्पेक्टर साहब, मेरी बेटी दो दिनों से घर नहीं लौटी। मैं तीन बार यहाँ आ चूका हूँ। प्लीज आप कुछ कीजिये। आपको जो भी सपोर्ट चाहिए वो बोलिये मैं आपको दिलवा देता हूँ। सुपरिन्टेन्डेन्ट साहब मेरे दोस्त है आप उनसे भी बात कर लीजिये, कोई रुपये पैसों की जरुरत हो तो बोलिये मैं मेरी बेटी के लिए कुछ भी देने के लिए तैयार हूँ बस मुझे मेरी बेटी चाहिए। किसी भी हालत में।
एस. आई.- देखिये मोहन कुमार जी, मैं आपकी तकलीफ समझ रहा हूँ आपकी बेटी को ढूंढने के लिए आपको विशेष कुछ नहीं करना। मैं खुद ही पर्सनली इसमें लगा हुआ हूँ।आप भरोसा रखिये मैं बहुत जल्दी आपकी बेटी को ढूंढ ही लूँगा।
संतोष - जीजाजी, ये लोग ऐसे कुछ नहीं करेंगे, आप इनके मुँह पे कुछ दे मारिये तभी ये लोग कुछ न कुछ करेंगे और कोमल (गायब लड़की) को ढूंढेंगे। वरना कुछ दिन पहले भी तो कोमल के साथ पढ़ने वाली लड़की गायब हुई थी, इन लोगों ने क्या उखाड़ लिया। कल को भगवान न करे कि हमारी कोमल को कुछ हो जाये।
मोहन कुमार- देखिये साहब, मैं ये नहीं कह रहा की आप नहीं ढूंढ़ रहे, परन्तु मुझे मेरी बेटी किसी भी हालत में चाहिए। ये १० लाख का चेक है आप कल ही इससे केस करा लीजिये। ये सिर्फ आपको मेरी तरफ से एक गिफ्ट है।अगर आपने मेरी बेटी को ढूंढ़ दिया तो मैं आपकी तिजोरी भर दूंगा।आपको कभी किसी चीज़ की कमी नहीं होगी।
एस आई- (झिझकते हुए)- अरे मोहन कुमार जी इसकी क्या जरुरत थी?? (और चेक एस आई की जेब में)
इतने में उस लड़के का आना होता है वहां।
लड़का( बेवकूफ)- ये क्या सर आप मेरी दोस्त को ढूंढ ही नहीं रहे और इनको पक्का कह रहे हो? ऐसा सिर्फ इसलिए कि हमारे पास आपको देने के लिए ऐसा चैक नहीं है?
एस आई विक्रम - देख लड़के, फ़ालतू बात तो कर मत, मैंने कहा था न कि हम पूरी कोशिश कर रहे है। फिर क्यों हमारी जान चाटने बार बार आ जाता है। ऐ कमल (हवलदार) इसे बाहर का रास्ता दिखा। पता नहीं कहाँ -कहाँ से उठ कर आ जाते है हज़ार बार कह दिया कि काम कर रहे है पर कोई समझता ही नहीं , जैसे हम अपनी दराज़ में से निकाल के सामने रख देंगे, निकाल इसे बाहर।
लड़का- हाँ हाँ कर रहे है काम, दिख ही रहा है जेब में तो आपके आपका प्रशस्ति पत्र है न. साले कामचोर..
एस आई( भड़ककर )- साले क्या बकवास कर रहा है?? अभी बताता हुं तुझे कि मेरी जेब में क्या है. अबे कमल अंदर डाल साले को, आज इसकी चर्बी झाड़ता हूँ।

अब क्या होगा?? शहर में दो लड़कियां गायब हो गयी और उनका कोई सुराग भी नहीं है।इधर वो लड़का भी मुश्किल में फंस गया है। आगे जानने के लिए अगला पार्ट पढ़े।सो बी कंटिन्यू....