Ek Bevkuf - 6 in Hindi Detective stories by Priyansu Jain books and stories PDF | एक बेवकूफ - 6

एक बेवकूफ - 6

अगले दिन अभिमन्यु विक्रम को सादी वर्दी में उस क्लास के पास के पान वाले के लेकर गया। वहां जाकर सिगरेट का पैकेट लिया(सिगरेट पीने से कोई कूल डूड नहीं लगता और ये मेरा पर्सनल एक्सपेरिएंस है कि हेल्थ को बहुत नुकसान करती है। सिर्फ कहानी की तारतम्यता बिठाने के लिए इसका यहाँ जिक्र किया गया है।मैंने छोड़ दी आप भी छोड़ दो अगर पीते हो तो), दो पान लिए एक विक्रम को दिया एक खुद लिया।

विक्रम (धीरे से कान में बोला)-" यार सिगरेट पीने और पान खाने के लिए यहाँ इतनी दूर आये हैं??"

अभिमन्यु(धीरे से )-" अरे मेरे भोले बलम, ये पान वाले चलता फिरता इन्फार्मेशन सेंटर होते हैं।अभी देखो थोड़ी देर में इतनी इन्फार्मेशन बरसेगी कि सीधे कमिश्नर बन जाओगे।"

विक्रम(लम्बी सांस लेते हुए)-" प्रमोशन के लिए या तो जेब में नांवा हो या किसी के तलुवे चाटने की क्षमता हो, तब ही जल्दी हो सकता है।खैर बात जंची है मेरे, चलो मैं बात करता हुं।"

अभिमन्यु-" ऐसा गज़ब न करना, तुम पुलिसिआ अंदाज़ में बकोगे और वो डर जायेगा। फिर जो हाथ आना होगा वो भी नहीं मिलेगा। मैं ही बात करता हूँ देखते जाओ।

विक्रम- " तो फिर बढ़ो आगे,देखें क्या उखाड़ते हो।"

अभिमन्यु( पान वाले से )-" चचा पान में मज़ा नहीं आया आज वो वाली बात नहीं है जो पहले हुआ करती थी। बुढ़ापे ने नज़र और याद्दाश्त कमजोर कर दी तभी जो चीज़ डालनी हो वो भूल जाते हो।"

पानवाला-" क्यों नज़र कमजोर होगी बाज़ की नज़र है मेरी और याद्दाश्त तो इतनी है कि एक बार जो देख लूँ ज़िंदगीभर नहीं भूलता। अब देख लो मुझे अच्छे से याद है कि तुम यहाँ कभी नहीं आये हुए हो जो पान खाते।तो अब पहचान निकालने का नाटक बंद करो और काम बोलो क्या पूछना है??"
अभिमन्यु नज़रें चुराने लगा और विक्रम हंसी-हंसी में उसका मज़ाक उड़ाने लगा।उसने फिर पानवाले को बोला "देखो बाउजी हम दोनों पुलिस वाले हैं। मैं एस.आई. विक्रम और ये हवलदार अभिमन्यु। हम दोनों कुछ दिनों से गायब हो रही लड़कियों के केस की छानबीन कर रहे हैं।अगर आप कुछ मदद कर सके तो अच्छा होगा।"

हवलदार कहलाने से अभिमन्यु खीज गया वहीँ पानवाले ने बोलना शुरु किया-" देखो साहब, ज्यादा मैं जानता नहीं हूँ फिर भी आपको जो देखा वो बताता हूँ। जिस दिन वो पहली बच्ची गायब हुई उस दिन जब वो क्लास में जा रही थी तब गेट के पास उसे एक लड़का मिला था दोनों में काफी तेज़-तेज़ बातें हो रही थी, जैसे झगड़ रहे हो। फिर वो लड़का चला गया। फिर उसके अंदर जाने के बाद वो चार बच्चियां भी क्लास के अंदर गयी थी। फिर लगभग 2 घंटे बाद वो पहली बच्ची तेज़-तेज़ चलती हुई बाहर आयी और एक ऑटो में बैठ कर चली गयी। जबकि एक लड़का हमेशा उसके साथ ही रहता है।पर उस दिन वो लड़का उसे सिर्फ छोड़ने आया था। फिर उसके बाद वो चार बच्चियां भी लगभग भागते हुए आयी और अपनी अपनी स्कूटी पर बैठ कर निकल गयी। जब दूसरी बच्ची गायब हुई तब वही लड़का जिसने पहली लड़की से बहस की थी, उसने उस लड़की से बात की थी फिर पता नहीं क्या बात हुई कि वो लड़की गुस्से में पलट कर जाने लगी तो उस लड़के ने उसका बाजू पकड़ कर उसे पलटा और उस लड़की ने उसे थप्पड़ लगा दिया। वो लड़का भड़क कर चला गया और तीसरी लड़की जब गायब हुई थी तब वो लड़का दूर ही था पर मुझे ऐसा लगा जैसे वो उसी को घूर रहा था।"

अभिमन्यु और विक्रम कि आँखे सोचने के अंदाज़ में सिकुड़ गयी। विक्रम बोला "बाउजी उस लड़के का हुलिया बता सकते हो??"

पानवाला-" इतनी दूर से साफ़ तो नहीं दिखा पर एक चीज़ जरूर देखी कि वो लड़का बार-बार अपने हाथ को खींच रहा था जैसे अकड़न निकाल रहा हो और उसके हाथ पर वो पट्टी बंधी हुई थी जो अंदरूनी चोट लगने से बांधते है।"

अभिमन्यु -" धन्यवाद् चचा आपने हमारी मुश्किल कुछ आसान कर दी ।"

पानवाला (खींसे निपोरते हुए)-"अरे नहीं साहब क्यों शर्मिंदा कर रहे हैं। आपकी मदद करके बहुत अच्छा लगा।"
जब अभिमन्यु उसे पैसे देने लगा तो उसने इंकार कर दिया परन्तु उसने जबरदस्ती पकड़ा दिए।
वहां से लौटकर उन्होंने म्यूजिक टीचर को चौकी बुलाया और उन्हें सभी मेल स्टूडेंट्स को बुलाने को बोला। उन्होंने जिस अंदाज़ में उसको बोला वो देख कर ही गुरूजी कि आगे कुछ पूछने की हिम्मत नहीं हुई। फटाफट फ़ोन करके उन्होंने सबको बुला लिया। सबके आने के बाद अभिमन्यु और विक्रम ने तीखी नज़रों से सबको ऐसे देखा जैसे उनकी आँखों में स्कैनर फिट हो। विक्रम की पुलिसिया नज़रें पहले तो उस अजीब लड़के पर पड़ी और वहीं स्थिर रही, परन्तु उस लड़के(प्रियांशु) की भी ठंडी नजरों से उसका सामना हुआ तब उसने नज़रें हटाकर बाकियों को देखना शुरु कर दिया। फिर उसकी नज़रें उस लड़के पर पड़ी जो सभी के पीछे अपने आप को छुपाने की कोशिश कर रहा था और उसके हाथ में पट्टा बंधा था। विक्रम ने अभिमन्यु कि तरफ देखा अभिमन्यु ने भी उसकी आंखों में देख कर हां का इशारा किया। विक्रम ने उस लड़के की तरफ देखा और कड़क कर बोला-" ओ, इधर, इधर देख बे, हाँ तुझसे ही बोल रहा हूँ इधर आ फटाफट।"
लड़का घबरा गया, इधर-उधर देखने लगा पर उसने कदम न बढ़ाए। विक्रम उसके पास गया, उसे घूरा और बिजली कि गति से एक हाथ से उसकी कनपट्टी सेंक दी। उस लड़के को कुछ समझ ही नहीं आया, शायद इतनी जोर से कभी उसके माँ-बाप ने भी उसको नहीं दिया होगा जितना तगडा़ प्रसाद आज उसे मिला। काफी देर तक तो उसका दिमाग उसके पास न होकर पता नहीं कौन-कौनसे गृह के चक्कर निकालता रहा पर अचानक उसे ऐसा लगा कि कोई उसे पकड़ कर भँभोङ रहा है। उसको होश आया सामने देखा कि उसके आगे एक राक्षस जैसा आदमी है। जो वैसे तो देखने में काफी हैंडसम था पर उसके चेहरे पर जो कठोरता थी और उसका दिमाग जो अभी अंतरिक्ष का चक्कर लगा कर आया था तो आधे होशो-हवाश में होने से उसको वो चेहरा किसी राक्षस जैसा ही लगा। उसकी डर के मारे जोर से चीख निकल गयी। पर कुछ सेकण्ड्स में उसके होश पूरी तरह दुरुस्त हुए तो सामने विक्रम खड़ा था, परन्तु उसकी हवा तब वापस निकलती हुई महसूस हुई जब उसे पता चला की बाकी सभी लोग चले गए और वहां पर सिर्फ अभिमन्यु, विक्रम और बाकी पुलिसवाले थे। पर इतनी जल्दी, कुछ ही सेकण्ड्स में बाकी सब कहाँ चले गए?? उसने बेवकूफों कि तरह पूछा-" आप कोई जादू जानते हो क्या??" इतना सूनना था कि सभी लोग हंसने लगे।अभिमन्यु उसके पास आया और बोला-" जब हमने बुलाया तो छुप क्यूँ रहा था?? चल पहले अपने बारे में बता। वरना अब जो पडे़गी उससे 20 मिनट की जगह एक घंटे तक ह़ोश गुल रहेंगे। चल बकना शुरू कर।"
लड़का-" सर मेरा नाम गौतम है, मैं इंदौर से आया हूँ।"
विक्रम और अभिमन्यु दोनों चौंक गए ये सुनकर। दोनों एक दूसरे कि तरफ देखने लगे।अभिमन्यु-" तुम वही गौतम तो नहीं जो कोमल का बॉयफ्रेंड है??"
गौतम-" हाँ सर, मैं वही गौतम हूँ।"
दोनों अभी तक चौंके हुए थे।एक दूसरे को देख रहे थे।फिर एकाएक दोनों मुस्कुराने लगे। क्यूंकि केस का एक सिरा उनके हाथ आ गया था। अब उन्हें उम्मीद दिखने लगी थी।

आगे क्या होगा??
क्या केस सुलझ गया??
क्या गौतम ही इन सबका जिम्मेदार था ??
आखिर ये सब क्या और क्यों हो रहा था??

जानने के लिए साथ बने रहे. To be continue...

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KauR IndeR

KauR IndeR 4 months ago

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Parash Dhulia

Parash Dhulia 1 year ago

Rupa Soni

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