Secret Admirer - 55 books and stories free download online pdf in Hindi

Secret Admirer - Part 55


"तबियत ठीक नहीं लग रही? क्या हुआ है?" कबीर ने पूछा। वोह परेशान हो गया था उसकी खराब तबीयत सुन कर।

"मुझे लग रहा है शायद फीवर है।" अमायरा ने झूठ बोला और कबीर अपना हाथ लगा कर उसका माथा चेक करने लगा।

"मुझे नही लगता। यह तोह नॉर्मल है।" कबीर ने चेक करने के बाद कहा।

"ओह.....शायद नही। मुझे कुछ अजीब लग रहा है। उल्टी जैसी आ रही है। ऐसा अक्सर मेरे साथ होता है जब मैं पैसेंजर सीट पर बैठती हूं।"

"क्या? यह कब शुरू हुआ? हम तोह कितनी सारी जगह पर गाएं हैं , तुमने आज तक कभी कोई कंप्लेंट नही की।"

"हां। यह अभी शुरू हुआ है।"

"ओके। यह शायद सफर की वजह से हुआ है। होता है कभी कभी, पर अब तुम्हे क्या चाहिए? लेमन सोडा? कोई दवाई?" कबीर ने पूछा।

"नही। मैं ठीक हो जाऊंगी अगर घर पर आराम करूं तोह।"

"घर? घर तोह अब बहुत दूर है। हम आधे घंटे में फार्म हाउस पहुंच जायेंगे। तुम वहां आराम कर सकती हो। मुझे यकीन है तुम्हे वहां अच्छा लगेगा। वोह एक बहुत ही खूबसूरत जगह है, जहां सी बीच के साथ साथ बहुत ही ग्रीनरी भी है।" कबीर ने मनाने की कोशिश की और अमायरा जानती थी वो अब ना नही कह सकती। उसने अभी भी अपनी लास्ट ट्रिक अजमाने की कोशिश की।

"क्या मैं ड्राइव करूं? मुझे लगता है की मुझे अच्छा लगेगा अगर मैं ड्राइव करूं तोह।"

"हां हां क्यों नहीं। अगर इससे तुम्हे अच्छा लगेगा, तोह चलाओ।" कबीर ने कहा और वो गाड़ी से उतर गया। दोनो ने तुरंत ही अपनी सीट एक्सचेंज कर ली। कबीर ने उसे आगे जाने का रास्ता बताया और फिर सीट पर रिलैक्स हो गया। अमायरा ने गाड़ी स्टार्ट की और बहुत धीरे धीरे चलाने लगी।

कबीर ने उस से पूछा था की वोह इतना धीरे क्यों गाड़ी चला रही है, तोह उसने यह कह कर जवाब दिया की उसने शादी से पहले गाड़ी आखरी बार चलाई थी और वो भी बहुत पुरानी गाड़ी थी। और यह एक नई एक्सपेंसिव गाड़ी है, इसलिए वोह डर रही है गाड़ी चलाने में। कबीर ने उस से कहा भी की वोह चिंता ना करे और थोड़ा तेज़ चलाए। लेकिन अमायरा फिर भी कछुए की चाल से ही गाड़ी चला रही थी। उसने कुछ गलत टर्न भी लिए थे और आखिर कार वोह दोनो पहुंच ही गए थे लेकिन दो घंटे बाद। पूरे रास्ते कबीर उसे धैर्य से ही रास्ता समझता रहा। अमायरा को अपने ऊपर गर्व महसूस हो रहा था की उसने खतरे को दो घंटे देर किया। पर अब तोह वोह दोनो उस जगह पहुंच चुके थे और अमायरा को समझ नही आ रहा था की वोह क्या करे।
उनको पहुंचते पहुंचते दुपहर हो चुकी थी, इसलिए अब तक अमायरा को भूख लग चुकी थी। हालांकि जितना वोह कबीर के साथ यहां अकेले रहने में घबराई हुई थी, उस से उसे अपनी भूख पर ज्यादा कुछ ध्यान नही जा रहा था लेकिन पेट ने जो भूख से गुड़गुड़ किया उस से वोह और कबीर दोनो समझ चुके थे की अमायरा को भूख लगी है।

"हम बिलकुल सही समय पर पहुंचे हैं। बाबू लाल ने अब तक खाना बना दिया होगा। तोह फिर तुम पहले खाना खा लेना फिर हम थोड़ी देर सो जायेंगे। मैं बहुत थक गया हूं इस सफर से।" कबीर ने पहले अमायरा की तरफ के साइड का गाड़ी का दरवाज़ा खोला और फिर कहा। क्योंकि अभी तक अमायरा ने गाड़ी का दरवाज़ा नही खोला था, वोह डर रही थी बहुत गाड़ी में से बाहर आने से।

सोना। सोना? क्या इन्होंने अभी सोने के लिए कहा? ओह माय गॉड
रिलैक्स अमायरा। इन्होंने तुम्हे सिर्फ खाना खाने और फिर सोने के लिए कहा है।


अमायरा गाड़ी से उतर बाहर आई और अपने आस पास देखने लगी। उसे यह जगह एक्चुअली पसंद आ गई थी। दो स्टोरीज का बहुत सुंदर सा घर था जिसके बाहर बेहद खूबसूरत और बहुत बड़ा गार्डन था। किनारे किनारे एक लाइन से बहुत खूबसूरत फूलों के पौधे लगे हुए थे और उस पूरी जगह की बाउंड्री पर बड़े बड़े पेड़ लगे हुए थे लाइन से। और साथ ही उसे पानी की लहरों की आवाज़ भी सुनाई पड़ रही थी लेकिन समुंद्र दिखाई नही दे रहा था। जो खतरा उसे रास्ते भर महसूस हो रहा था वोह खतरा अब भी महसूस कर रही थी लेकिन उसके बावजूद भी वोह यहां आ कर अपने घर जैसा महसूस कर रही थी। सुकून भरा वातावरण था।

"चलो अंदर चलते हैं। तुम बाद में यह गार्डन निहार लेना।" कबीर ने हल्के से उसकी पीठ पर अपना हाथ रखा उसे अंदर ले जाने के लिए और अमायरा तुरंत घबरा गई।

वोह दोनो घर में घुसे। केयर टेकर ने उनका बहुत प्यार और सम्मान से वेलकम किया और बताया की खाना तैयार है। वोह जब कहेंगे खाना सर्व हो जायेगा। कबीर ने उसे जाने के लिए कह दिया था और कहा था की वोह अब डिनर के टाइम पर ही वापिस आए। कबीर ने उस से यह भी कह दिया था की वोह खाना खुद सर्व कर लेंगे इसलिए रात डिनर से पहले उसकी कोई जरूरत नही है। इन सभी बातों के बीच अमायरा अपनी ही दुनिया में गुम थी। वोह अलग अलग संभावित घटनाओं का अंदाजा लगा रही थी की उसे साथ अब क्या क्या हो सकता है। और सोच सोच कर डरे जा रही थी।
कबीर और अमायरा ने बाबू लाल के जाने के बाद लंच किया और फिर कबीर उसे फर्स्ट फ्लोर पर बने बेडरूम में ले गया और आराम करने के लिए कहा। कुछ ऑफिस से कॉल्स आने लगे थे और जरूरी इश्यू था इसलिए कबीर उस से यह कह गाया की ऑफिस में कुछ कॉल्स करके और इश्यूज सौट आउट करके वोह जल्दी वापिस आ जायेगा। जैसे ही कबीर कमरे से बाहर गया, अमायरा रिलैक्स हो गई और बैड पर कूद पड़ी। जब वोह सो कर उठी तोह दो घंटे बीत चुके थे और उसने महसूस किया की कबीर उसके बगल में ही सो रहा है। कबीर का एक हाथ अमायरा की कमर पर सोफ्टली रखा हुआ था और कबीर सोते हुए अमायरा को बहुत की क्यूट लग रहा था। उसने उन ख्यालों को अपने दिमाग से झटका जो वोह सुबह से सोचे जा रही थी और बैड से उठ खड़ी हुई। वोह उठ कर सीधे बालकनी में गई और उसे वहां से समुंद्र दिखाई पड़ गया। उसने नीचे गार्डन की तरफ देखा तोह बहुत सुंदर दिखाई पड़ रहा था। समुंद्र का नज़ारा और गार्डन का नज़ारा देख कर उसका मन खुश हो गया और मन ही मन कबीर का शुक्रिया करने लगी की वोह उसे यहां ले कर आया।
कबीर थोड़ी देर बाद उठा और उसे नीचे गार्डन में ले गया। गार्डनर वहां पौधों में पानी डाल रहा था और अमायरा ने उस से हजारों सवाल पूछ दिया पेड़ पौंधों के बारे में। कौन कौन सी सब्जियां उस ने यहां उगाई है और कितने तरफ के फूल हैं यहां। उसने छोटे से किचन गार्डन से कुछ सब्जियां तोड़ी और किचन में रख दी केयर टेकर के लिए ताकि वोह इसे रात को डिनर के लिए इस्तेमाल कर ले। वोह दोनो फिर समुंद्र किनारे गए और अमायरा वहां नंगे पैर भागने लगी जैसे वोह बचपन में खेलती थी अपने पापा के साथ।
जब वोह दोनो समुंद्र से वापिस आए तो एक बार फिर अमायरा को भूख लग गई और थैंक गॉड की केयर टेकर ने पहले से ही खाना रेडी कर रखा था। उन्होंने खाना खाया और फिर कबीर के ऑफिस की बातें करने लगे। अमायरा ने उस से पूछा की वोह एस अ फाइनेंस हेड क्या काम करते हैं, वोह जो की उसने आज से पहले कभी इस बात पर ध्यान नहीं दिया था। कबीर ने उस से उसके अनाथ आश्रम के बारे में पूछा और उसके बारे में जो उसे रिसेंटली पता चला था की अमायरा के डांस टीचर बनने के बारे में जो अनाथ आश्रम के बच्चों को आज कल डांस सीखा रही थी। उसने उस से साहिल की शादी और वैडिंग प्लैनर की बातें की। कबीर ने उस से यह भी पूछा की उसने एमबीए करने का क्यों डिसाइड किया, भले ही उसे स्कॉलरशिप मिली थी, जबकि वोह कोई भी कॉरपोरेट जॉब करने की प्लानिंग नही कर रही है। इसके बदले उसे होटल मैनेजमेंट का कोर्स करना चाहिए था क्योंकि उसका इंटरेस्ट उसी में है। अमायरा ने कबीर के इस सवाल को टाल दिया क्योंकि उसे अपना कितना अच्छा मूड खराब नही करना था क्योंकि इस से बात आगे बढ़ती और एक हैवी कन्वर्सेशन होता फिर।
अमायरा ने एक बार फिर कबीर से समुंदर के पास जाने की इच्छा जताई तोह कबीर ने यह कह कर मना कर दिया की यहां रात में समुंदर के पास जाना डेंजरस हो जाता है और अथॉरिटीज ने भी रात में जाने के लिए मना किया हुआ है। अमायरा को थोड़ी निराशा तोह हुई लेकिन उसके पास कोई ऑप्शन भी नही था। फिर वोह दोनो गार्डन में बने एक झूले में बैठ गए और बाते करने लगे। वोह तब वहां से उठ कर गए जब दोनो ही हाफी पर हाफी लिए जा रहे थे।
अगले दिन अमायरा और कबीर खिली खिली सुबह की तरह एक दम फ्रेश उठे। बीते कल की तरह ही अमायरा ने आज भी वैसा ही क्या। वोह समुंदर किनारे थोड़ी देर खेली, गार्डन में घूमी, ताज़ी ताज़ी सब्जियां तोड़ी वापिस घर ले जाने के लिए, और ताज़ी फूलों से उसने शिव पार्वती के लिए माला बनाई ताकी शाम को उनकी पूजा कर उन्हे अर्पित कर सके। और कबीर पूरे समय उसके आस पास ही रहा। अमायरा को छोटी छोटी चीज़े करते देख उसे अच्छा लग रहा था, वोह एंजॉय कर रहा था। जो की अमायरा ने कभी नही सोचा था की कबीर उसके लिए यह सब भी करेगा। अभी वोह जानती थी की कबीर कितना बिज़ी इंसान है और उसका एक एक पल कितना कीमती है पर फिर भी वोह आज उसके साथ पालक मैथी तोड़ रहा था क्योंकि अमायरा ने उस से कहा था की जब वोह घर जायेंगे तो वो सबके लिए पालक के पकोड़े बनाएगी और मैथी उसके डायबिटिक ससुर जी के लिए फायदेमन है। इस वक्त कबीर एक टी शर्ट और जोगर्स पहने बैठा था जिसके पूरे कपड़ों पर इधर उधर मिट्टी लगी हुई थी। इस वक्त वोह बिलकुल अलग लग रहा था जैसा अमायरा उसे रोज़ देखती थी अपने एक्सपेंसिव सूट बूट में ऑफिस जाते वक्त। और वोह इंसान इस वक्त उस से यह पूछ रहा था की कौनसी पत्तियां बड़ी और अच्छी रहेंगी तोड़ने के लिए और अमायरा उसे देख मुस्कुरा पड़ी थी। मन तोह कर रहा था की कबीर की एक पिक्चर क्लिक कर लूं ताकी जिंदगी भर इस याद को संजो के रख सके, लेकिन उसके दिल ने कहीं न कहीं उस से एक बात कही की उसे यादें संजोने के लिए उसे फोन से पिक्चर क्लिक करने के क्या जरूरत है, वोह तोह ऐसे ही इस याद को अपनी आंखो में बसा कर रख सकती है हमेशा के लिए।
दुपहर तक वोह दोनो वहां से निकल गए और अमायरा पूरे रास्ते अपने ऊपर हस्ती रही की वोह क्या क्या सोच रही थी इस ट्रिप को लेकर और कबीर पर डाउट कर रही थी। एक्चुअली में अब तोह वोह इस जाग को मिस कर रही थी।
वोह अब कन्फ्यूज हो चुकी थी की उसकी सभी डेट में से कौनसी डेट सबसे अच्छी रही। और उसे अब यह भी रियलाइज हो चुका था की की ग्रैंड गैस्चर और फन करना ही नही लाइफ में मैटर करता। छोटी छोटी चीज़े भी मैटर करती है लाइफ में। जैसे की यह दो दिन, जो उसने कबीर के साथ बिताए थे। उन दोनो ने यहां पर बहुत बाते की थी, बहुत खाया था, बहुत हसे भी थे पर किया कुछ नही।
पर यह कुछ ना करना कबीर के साथ उसकी जिंदगी के सबसे अच्छे दिन थे, इतने प्रेशियस थे उसके लिए जो पैसों से भी खरीदा नही जा सकता। पूरे रास्ते घर जाते वक्त उसकी दिमाग में एक ही धुन चल रही थी जो वोह चाह कर भी नही भुला पा रही थी। इस बार भी वोह गाड़ी ड्राइव कर रही थी पर पिछली बार से ज्यादा स्पीड से चला रही थी और लबों पर धुन थिरक रही थी।

गज़ब का है दिन..... देखो ज़रा।

यह दीवानपन..... सोचों जरा।

तुम हो अकेले..... हम भी अकेले।

माजा रहा है..... कसम से।....











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कहानी अभी जारी है...