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Secret Admirer - Part 64


"जाओ फिर। किसका इंतजार कर रही हो?" कबीर ने उसे अभी भी अपने बाहों के घेरे से आज़ाद नहीं किया था।

"उह्ह्.....आपके बर्थडे का।"

"मेरे बर्थडे का क्या? इट्स ऑलरेडी ओवर। पौने बारह बज गए हैं।"

"सो इट्स नॉट ओवर येट।"

"तोह अब मैं क्या कर सकता हूं?" कबीर ने उसके गर्दन के धुंधले से निशान से खेलते हुए कहा।

"मैने आपको कोई गिफ्ट नही दिया है।" अमायरा ने जवाब दिया।

"कोई बात नही अमायरा। तुम ही मेरा गिफ्ट हो। तुम मेरे साथ हो, यही मेरे लिए सबसे बड़ा गिफ्ट है जिंदगी भर का। इसके अलावा मुझे कुछ भी नही चाहिए।" कबीर ने हल्के से उसके चेहरे पर उंगलियाँ फेरते हुए कहा।

"पर मैं...."

"ठीक है हम एक काम करते हैं। कल कहीं बाहर चलते हैं और वहां से मेरे लिए कुछ ले लेंगे, तुम्हारी तरफ से। व्हाट्स से?" कबीर ने पूछा और अमायरा इरिटेट होने लगी। "व्हाट? एनीथिंग रॉन्ग?"

"येस। समथिंग इस रॉन्ग।" अमायरा ने हल्के गुस्से से कहा।

"क्या?"

"आप बहुत ज्यादा बोलते हैं।" अमायरा ने कहा और कबीर को किस कर लिया।

एक्चुअली अगर सच कहें तो वो किस नही था बस हल्की सी छुअन थी होठों पर। उसने बस अपने होठों से उसके होठों को हल्का सा छू लिया। और फिर वापिस पीछे हट गई। कबीर तोह हैरान ही रह गया और एक पल को तोह बर्फ ही बन गया। उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था अभी जो हुआ। उसकी आंखें हैरानी से फैल गई थी। वोह ऐसे ही उसे देख रहा था और अमायरा उसका रिएक्शन देखने के लिए इंतजार कर रही थी।

"ये.....यह क्या था?" कबीर ने उससे पूछा जब कुछ पल बाद वोह वापिस अपने होश में आया।

"आपका बर्थडे गिफ्ट। हैप्पी बर्थडे मिस्टर मैहरा।" अमायरा ने शर्माते हुए जवाब दिया।

"तुम जानती हो ना तुम्हे यह करने की जरूरत नहीं थी।" कबीर ने कहा। वोह अभी भी उस एहसास से उभरने की कोशिश कर रहा था।

"मुझे जरूरत नही थी। मैं चाहती थी। मुझे पता है की आपको यह पसंद नही आया, पर मैं ऐसे ही जाने नही देना चाहती थी। आखिर मैं आपकी वाइफ हूं। ऐसे कैसे हो सकता है की मैं आपको गिफ्ट ना दूं?" अमायरा ने कबीर के कुर्ते के बटन के साथ खेलते हुए जवाब दिया। उसकी आंखे भी उसी पर थी और कबीर यह सुन कर मुस्कुरा उठा। उसने कभी नही सोचा था की उसकी वाइफ इतनी बोल्ड हरकत कर जायेगी, इस वक्त तोह बिलकुल भी उसे उम्मीद नही थी। और इसने यह क्यों कहा की उसे पसंद नही आया होगा। तोह क्या उसने कबीर के शॉक को नापसंद समझ लिया। अब कबीर को यह बताना था की वोह गलत सोच रही है। और अगर वोह यह सोच रही है की यह किस था तोह वोह जरूर नौसिखिया है और उसका पति होने के नाते उसे उसको सीखने को जरूरत है। और इसकी शुरवात किस से ही की जानी चाहिए।

"तुमने ऐसा क्यों कहा की मुझे यह पसंद नही आया होगा?" कबीर ने पूछा। उसके चेहरे पर एक शरारती मुस्कुराहट आ गई थी।

"उह्ह्......क्योंकि आप..... उह्ह्....आप....."

"क्योंकि मैने रिएक्शन नहीं दिया?" कबीर ने कहा और अमायरा ने हां में सिर हिला दिया। अमायरा का सिर अब भी झुका हुआ था, उसकी हिम्मत ही नहीं हो रही थी कबीर से नज़रे मिलाने की।

"वोह इसलिए क्योंकि तुमने मुझे कभी चांस दिया ही नहीं। मैं तोह अभी भी सरप्राइज से बाहर नही आया हूं। लेकिन अगर तुम मुझे दुबारा एक चांस दो तोह मैं तुम्हे मेरा रिएक्शन दिखा सकता हूं।" कबीर ने लास्ट वाली लाइन फुसफुसाते हुए कहा और अमायरा शर्माने लगी। उसकी बोल्डनेस जो थोड़ी देर पहले थी वोह गायब हो चुकी थी। कबीर ने अपना हाथ उसकी कमर पर और कस दिया। उसका दूसरा हाथ उसकी थोड़ी के नीचे था उसका चेहरा ऊपर उठाने के लिए। फिर बिना कोई संकेत दिए कबीर ने उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए। वोह उसे गहराई से, जमकर, पागलों को तरह चूमने लगा। वोह उसे काफी देर तक चूमता रहा, उसे छोड़ने के लिए तैयार ही नहीं था। वोह उसे पैशनेटली चूमे जा रहा था। उसके दिमाग के कोने में यह बात घूम रही थी की फाइनली वोह उसके करीब आ चुकी है। अमायरा ने सपोर्ट के लिए कबीर को पकड़ लिया और किस के दौरान वोह कराह उठी जिस वजह से कबीर और क्रेजी हो गया। कबीर ने उसे तब छोड़ा जब दोनो की ही सांसे उखड़ने लगी और कबीर को तोह विश्वास ही नहीं हो रहा था की उसने सच में उसे किस किया था। ऐसा तोह नही की वोह सो रहा है और नींद में सपना देख रहा हो? पक्का यह सपना ही होगा क्योंकि वोह ऐसा महसूस कर रहा था की वोह हवा में तैर रहा है। उसका दिमाग अभी यह समझने की स्तिथि में नही था की यह सपना है या हकीकत। अमायरा अभी भी उस से चिपकी हुई थी। और तब कबीर ने उसके एक्सप्रेशन देखे जो उसे यह यकीन दिला रही थी की यह सपना नही हकीकत है। यह सब सच था, क्योंकि कोई भी लड़की, सपने में, किस करने के बाद कन्फ्यूज्ड नही होती। सिर्फ एक ही इंसान है जो यह कर सकती थी। उसकी पत्नी। वोह तोह ऐसे हवा में उड़ते रहना चाहता था इस माइंड ब्लोइंग किस के बाद जो उसने अपने पत्नी से शेयर किया था पर अपनी पत्नी के एक्सप्रेशन देख कर वोह मजबूर हो गया था धरती पर वापसी आने के लिए। आखिर ऐसा क्या देखा था उसने उसके चेहरे पर? वोह डर नहीं था, वोह बेबसी नही थी, क्या वोह असंतोष या घृणा थी? वोह खुश क्यों नही हुई थी? सिर्फ एक ही तरीका था जानने का।

"व्हाट्स...रॉन्ग अमायरा? तुम मुझे कंफर्टेबल नही लग रही हो। क्या....क्या मैने तुम्हारे साथ जबरदस्ती की?"

"नही। ऐसा कुछ नही है।"

"तोह तुम अजीब बिहेव क्यों कर रही हो। क्या तुम्हे मेरे किस करने का तरीका पसंद नही आया?" कबीर डरा हुआ था। वोह नही चाहता था की उसकी कोई गलती की वजह से फिर से अमायरा पहले जैसी हो जाए और दूर दूर भागने लगे, ईस्पेशियली इस किस की वजह से तोह बिलकुल नही।

"नही।" अमायरा ने जवाब दिया।

"क्या?" कबीर को बुरा लगा था। वोह जनता था की वोह बैड किसर तोह बिलकुल नही है। भले ही जंग लग चुकी हो लेकिन भुला कुछ नही है। और पहली बार वोह खुश नही था की वोह अपने रिश्ते में खुल चुके हैं।
"उह्ह्..... आई.... आई एम एस।"

"नही। मेरा यह मतलब नहीं था की मुझे आपका किस करना पसंद नही आया। मैं बस यह कहना चाह रही थी की आपके किस करने का तरीका पसंद नही आया। यह कुछ अजीब ही था। मुझे आपको गालों पर किस करना पसंद है, जैसे आप मुझे करते हैं। पहले मैं कुछ नही जानती थी, मूवीज में यह सब देखती थी तोह लगता था की कोई बड़ी बात होगी। लेकिन ऐसा तोह कुछ नही था।" अमायरा ने समझाया और कबीर शॉक्ड।

क्या यह सच में लड़की है? मेरा मतलब यह क्या सब कह रही है? मैं जानता हूं की यह समय नही है तुमसे बात करने का महिमा, लेकिन तुम जानती हो मैं बुरा किस नही करता। क्या तुम्हे कभी लगा ऐसा? यह पागल है, पूरी पागल। यह ऐसा कैसे कह सकती है? यह तोह ऐसे कह रही है जैसे इसने कभी किसी को किस ही नही किया हो। क्या इसने कभी भी किसी को किस नही किया? ओह माय गॉड। इसने नही किया। यह उसका पहला किस था। मैने इसे डरा दिया इस पैशनेट किस से। पर क्या इसका ब्वॉयफ्रेंड नही था? शायद बस ऐसे ही दोस्ती हो?

मैं यह सब क्या सोच रहा हूं? क्या यह समय है इसके बॉयफ्रेंड के बारे में बात करने का? यह मेरी वाइफ है, मेरी।

अभी जो बात जरूरी है वोह यह है की मेरी बेसब्री और वाइल्ड किस से यह डर गई है और अगर मैने अभी अपनी गलती नही सुधारी तोह जिंदगी भर के लिए मैं इसके किस के एहसास से वंचित रह जाऊंगा।

और क्या मैं नही जानता था की यह भोली मासूम है? मैं भी बेवकूफ हूं।

कबीर मुस्कुराया, उसका चेहरा फिर से अपने हाथों में थामा, और अमायरा के कुछ भी समझने या प्रतिक्रिया देने से पहले, उसके होंठों पर फिर से अपने होंठ रख दिए। वोह उसे धीरे धीरे, उसके होठों को महसूस करते हुए बिना एग्रेशनम के चूमने लगा। वोह धीरे धीरे उसके निचले होंठ को सक कर रहा था, उसके बाद फिर ऊपर के होंठ को वैसे ही सक किया। उसने उसे इस बार पूरी आज़ादी दे रखी थी। कुछ पल बाद कबीर ने अमायरा के होंठों को हल्का सा छोड़ा ताकी अमायरा सांस ले सके और फिर दुबारा उसके होंठ अपने होंठ ने दबोच लिए। अमायरा को इस वक्त यह एहसास किसी अमृत से कम नहीं लग रहा था और कबीर के लिए इतना काफी नही था। धीरे धीरे अमायरा भी कबीर को किस करने लगी और यह महसूस कर कबीर किस के दौरान ही मुस्कुरा पड़ा। कबीर बिलकुल भी नही चाहता था पर उसे करना पड़ा, उसने धीरे से उसके होंठो को आज़ाद किया और उसके सिर से अपना सिर जोड़े कुछ देर अपनी सांसों को नियंत्रित करने लगा। दोनो की ही सांसे बुलेट ट्रेन की गति से भी तेज़ चल रही थी और आंखे बंद किए उन लम्हों में खोई हुई थी। उन दोनो को ही दोनो की धड़कनों का शोर सुनाई पड़ रहा था।

तुमको देखे बिना....चैन मिलता नही....

दिल पे अब तो कोई....ज़ोर चलता नही....

जादू है कैसा....दिल की लगी में....

डूब गया हूं....इस बेखुदी में....

हो हो आ हा हा हा ला ला ला ला ला ला

अब मुझे रात दिन....तुम्हारा ही खयाल हैं....

क्या कहूं प्यार में....दीवानों जैसा हाल है....

हो हो आ हा हा हा ला ला ला ला ला ला

हो हो आ हा हा हा ला ला ला ला ला ला

हर पल ढूंढे नजर....तुम को ही जानेमन....

हद से बढ़ने लगा....मेरा दीवानापन....

दिल में बसा लूं....अपना बना लूं....

या फिर नज़र में...तुमको छुपा लूं....

हो हो आ हा हा हा ला ला ला ला ला ला

अब मुझे रात दिन....तुम्हारा ही खयाल हैं....

क्या कहूं प्यार में....दीवानों जैसा हाल है....

हो हो आ हा हा हा ला ला ला ला ला ला

हो हो आ हा हा हा ला ला ला ला ला ला

"क्या यह ठीक था?" कबीर ने फुसफुसाते हुए, अपनी सांसों को नियंत्रित करते हुए कहा। अमायरा ने बस सिर हिला दिया। उसकी नज़रे झुका हुई थी। आंख से आंख मिलाने की हिम्मत नही थी। शर्म और घबराहट सब एक साथ छाई हुई थी।

"मेरे अब तक के बर्थडे का सबसे बेस्ट गिफ्ट है ये। थैंक यू, मिसिस मैहरा।" कबीर ने कहा और अमायरा उसके सीने से जा लगी। नज़रे मिलाने की हिम्मत तो थी ही नहीं अब तो कबीर की आवाज़ भी उसके शरीर में सिहरन पैदा कर रही थी। अमायरा ने कबीर के सीने में अपना चेहरा छुपा लिया। तभी घड़ी में आवाज़ हुई जिसने यह इशारा दिया की अब रात के बारह बज गए। "और, समय पर भी मिल गया।" कबीर ने मज़ाक करते हुए कहा और अमायरा का दिल और जोरों से धड़क उठा, वोह मुस्कुराते हुए सीधे बाथरूम में भाग गई। कबीर उसके पीछे कमरे में अकेला खड़ा बस मुस्कुराए जा रहा था। ऐसा लग रहा था की मुस्कुराहट ने उसके होंठो पर डेरा जमा लिया है। उन लम्हों के एहसासों में डूबा हुआ कबीर बैड पर आ कर बैठ गया और अमायरा के बाहर आने का इंतजार करने लगा।

कुछ देर बाद अमायरा बाथरूम से बाहर निकली। उसने साड़ी बदल कर अपना नाईट सूट पहन लिया था। और कबीर अब अमायरा को साड़ी में मिस करने लगा।

"इशिता ने फोन किया था तुम्हारे फोन पर, पूछ रही थी की तुम कितनी देर में वापिस आ रही हो। मैने उसे बता दिया है की अब तुम शायद वापिस नही जाना चाहती हो।" कबीर ने उसे इनफॉर्म किया और अमायरा की सांसे ही अटक गई।



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कहानी अभी जारी है...