BOYS school WASHROOM - 22 books and stories free download online pdf in Hindi

BOYS school WASHROOM - 22

"यश!" यश नाम है हमारे बेटे का...बचपन से इसी स्कूल में पढ़ा है….और हाँ हेड बॉय है यश स्कूल का…..अविनाश-वॉचमैन को बताता है।


"ओ यश भईया आपके बेटे हैं।" वॉचमैन वो पर्दे, कांपती हुई प्रज्ञा की तरफ़ बढ़ाते हुए कहता है।


"आप जानते हैँ क्या यश को? " प्रज्ञा पर्दे ओढ़ती हुई।


जी मैडम!बिल्कुल जानते हैं और कौन ही होगा जो स्कूल में यश भईया को नहीं जानता होगा...बहुत ही अच्छे बच्चे हैं वो…..।।


वो तीनों बात कर ही रहे होते हैं की "कोई है???" कोई है यहाँ" की आवाज़ उनके कानों में पड़ती है। अविनाश उठकर दरवाज़ा खोलता है तो बारिश की बौछार ठंडी हवा के साथ तेज़ी से उस पर पड़ती हुई अंदर आने लगती है...जिसकी वज़ह से उसे वहां कुछ दिखाई तो नहीं दे रहा होता लेकिन वो फ़िर भी "जो भी है यहाँ आ जाओ ऑडीटोरयम मै" कहता हुआ ज़ोर से आवाज़ लगाने लगता है….वो अँधेरे में नज़रें गड़ाये देख ही रहा होता है कि उसके चेहरे पर तेज़ टॉर्च की रौशनी पड़ती है और उसके कदम वापस उसे अंदर धकेल देते हैं और साथ ही वो रौशनी के साथ दो लोग जल्दी से अंदर आते हुए तेज़ी से गेट बंद कर देते हैं।


प्रज्ञा और वॉचमैन भी झट से खड़े हो जाते हैं लेकिन कोई कुछ ठीक से देख नहीं पा रहा होता क्यूंकि वो अंदर आये शख्श उनके चेहरों पर अपनी टॉर्च की चमक मार रहे होते हैं….


"अरे अविनाश और प्रज्ञा तुम!" कुछ एक पल में एक आवाज़ आती है।..

आप अपनी टॉर्च तो हटाइये प्रज्ञा अपना हाथ चेहरे के सामने रखते हुए बोलती है...और वो दोनों लोग अपनी टॉर्च वहीं फर्श पर रख देते हैं...और अगले ही पल "अरे गिन्नी तू….तू यहाँ!" कहती हुई प्रज्ञा अपने ऊपर लपेटे पर्दे को, बर्फ़ जैसी सफ़ेद पड़ रही गिन्नी को उसमें लपेटते हुए गले लगा लेती है।


"नील तू यहाँ इस वक़्त गिन्नी के साथ…." हैरानी से कहता हुआ अविनाश, नील को कुर्सी पर बैठाता है।


"अब आप दोनों कौन हैँ? " वॉचमैन पूछता है!

ये इंस्पेक्टर नील हैं और ये इनकी बेटी है गुंजन...अविनाश-वॉचमैन को बताता है।। तुम लोग इतनी रात को यहाँ, हमने तो तुम्हें कॉल किया नहीं…..कहीं नीरजा ने तो तुम्हें नहीं भेजा और नीरजा...वो भी आयी है क्या?? प्रज्ञा गिन्नी और नील के आगे सवालों की बाढ़ ला देती है।...आंटी हमें नहीं पता आप हमारे घर से आ रहे हैं...पापा और मै तो "अम्मू" को ढूंढते हुए यहाँ तक आये हैं….हम कई घंटो से उसे ढूंढ़ रहे हैँ...उसका फ़ोन भी नहीं लग रहा है….हम उसके सभी दोस्तों के घर भी होकर आये..लेकिन वो कहीं नहीं है...पता नहीं अम्मू कहाँ हैँ आंटी !"गिन्नी सिसकते हुए वहां सारी बात बताती है। "


क्या! अमन भी घर नहीं पहुंचा-अविनाश


नील-क्या मतलब, अमन, भी….


अविनाश-दरअसल नील यश….यश भी पार्टी के बाद घर नहीं लौटा है…


नील-ओ माय गॉड।….दोनों बच्चे आखिर गए कहाँ???? तुम्हारी प्रिंसिपल से बात हुई क्या….कहीं बच्चे उनके साथ तो नहीं चले गए!


नहीं बच्चे वहां भी नहीं हैँ नील ! अविनाश-नील के कंधे पर हाथ रखते हुए कहता है और ये सुनकर नील अपना सर पकड़ लेता है और सबके चेहरों पर थकान और चिंता तूफ़ान के पानी के साथ उन्हें सता रही होती हैँ….और पूरे कमरे में एक अजीब सन्नाटा सा छा जाता है।। वॉचमैन इधर खिड़की से बाहर की आफत को तकने लगता है….और इसी बीच उसकी नज़र किसी पर पड़ती है।