Rest of Life(Stories Part 20) books and stories free download online pdf in Hindi

शेष जीवन(कहानियां पार्ट 20)

यह बात एक दिन उर्मिला की बहू रमा को पता चली।रमा लेक्चरार थी।वह सारी बात सुनकर बोली,"माजी इसमें बुराई क्या है"?
"बहू तू कैसी बात कर रही है।सास के गर्भ में दामाद का बच्चा?रमा की बात सुनकर उर्मिला बोली थी।
"माँ सास और दामाद का शारीरिक सम्बन्ध अनैतिक है और पाप है'.।लेकिन कोख उधार देने में कोई बुराई नही है।टेस्ट ट्यूब बेबी में होगा क्या?डॉक्टर रचना और महेश के भ्रूण को आपके गर्भाशय में प्रत्यारोपित करेंगे।जब रचना को कोई कोख उधार नही दे रहा तो आप ही बेटी की मदद कर दीजिए।"रमा ने अपनी सास को समझाया था।
"बहू मैं तुम्हारी बात समझ रही हूँ लेकिन मुझे समाज का डर है।"
"उर्मिला तुम समाज और नाते रिश्तेदारों की चिंता मत करो।मुझे कोई ऐतराज नही है।तुम अपनी बेटी को अपनी कोख उधार दे सकती हो।"सुरेश पत्नी को समझते हुए बोला,"सन्तान न होने पर आदमी पत्नी को तलाक दे देते है।अगर महेश ने ऐसा कर दिया तो हमारी बेटी से कौन पुनर्विवाह करेगा? क्या होगा बेटी का?"
पति,बेटा बहू ने उर्मिला को समझाया था।उर्मिला अजीब दुंद में फस गयी।एक तरफ समाज था।परिचितो का डर था।दूसरी तरफ बेटी का भविष्य।कई दिनों के सोच विचार के बाद उर्मिला बेटी को कोख देने के लिए तैयार हो गयी।रचना मुम्बई आयी और डॉक्टरों ने भ्रूण प्रत्यारोपित कर दिया।
और नौ महीने बाद उर्मिला ने बच्चे को जन्म दिया।
मीडिया पर इस समाचार की चर्चा थी।उर्मिला सोच रही थी।उसने नैतिक कार्य किया या अनैतिक।
थोपी गयी दुल्हन
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"कौन हो तुम?मुझे जबरदस्ती यहां क्यो लेकर आये हो?"कमरे में पहले से मौजूद सरदार के इशारे पर अनुपम को बांधकर लाने वालो ने उसे बन्धन मुक्त कर दिया था।बन्धन मुक्त होते ही अनुपम ने उस आदमी से पूछा ग
था।
",कुछ देर इन्तज़ार करो।फिर तुम्हारी समझ मे सब कुछ आ जायेगा।"सरदार उससे बोला था।
अनुपम को गांव के बाहर से जबरदस्ती उठाकर लाने वाले हथियारबन्ध लोग उसे घेरकर खड़े थे।उसे समझ मे नही आ रहा था उसे जबरदस्ती क्यो लाया गया है।उसकी गांव में किसी से दुश्मनी भी नही थी।कुछ देर बाद एक आदमी नए कपड़े लेकर आया।वह उससे बोला,"इन्हें पहन लो।"
"क्यो?"अनुपम ने पूछा था।
"दूल्हे को नए कपड़े ही पहनने होते हैं।'
"क्या मतलब?"अनुपम की समझ मे उसकी बात नही आयी।
"आज तुम्हारी शादी है इसलिए तुम्हे नए कपड़े पहनाए जा रहे है।'
"मेरी शादी?'अनुपम आश्चर्य से बोला।
'हा तुम्हारी शादी।आज तुम्हारी शादी है।'
"मेरी शादी है और मुझे ही मालूम नही,"अनुपम बोला,"कौन करा रहा है मेरी शादी"
"हम करा रहे है।"सरदार कमरे में आता हुआ बोला।
"तुम कौन होते हो मेरी शादी कराने वाले?"
"हमने पचास हजार में तुम्हारी शादी का ठेका लिया है और हम ही कराएंगे तुम्हारी शादी।'
"देखता हूँ मेरी शादी कैसे कराते हो?'सरदार की बात सुनकर अनुपम बोला।
"तो देखते रहो"सरदार ने अपने साथियों से कहा,"इस के तेवर देखकर लग रहा है।यह वैसे नही मानेगा।इसे जबरदस्ती दूल्हा बनाकर मंडप के नीचे ले आओ।"
सरदार का आदेश मिलते ही उन लोगो ने जबरदस्ती अनुपम को कपड़े पहनाकर दूल्हा बना दिया।उसे दूल्हे के कपड़े पहनाकर मंडप के नीचे ले गए।वहाँ पर पहले से ही कुछ औरते और आदमी मौजूद थे।मंडप के नीचे बैठा पंडित मन्त्र पढ़ रहा था।मंडप के नीचे दुल्हन बनी एक युवती बैठी थी।अनुपम को जबरदस्ती उस युवती के पास बैठा दिया गया।