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चाहत

में हर सुबह उसकी खिड़की पर एक नया आसमां टांग देना चाहती हूं और हर शाम सिर टिकाने को एक जाना पहचाना कंधा हजारों खुशियां हे जो मांगी जा सकती हैं दुआ ओ में पर मेने हर दुआ में उसकी नींद मांगी अपनी कल्पनाओं में उसे सुकून से सोते देखा और उसकी बंद पलकों चूम ते हे उसकी बाहों के बीच उनके सल्वटो के बीच सपाट होते महसूस किया में उसकी उम्मीदी रातों को अपने मन्नतो के धागों में लपेट दूर किसी बरगद में बांध आना चाहती हूं चाहने और कर पाने के बीच में आसमताओ के गहरे दलदल में धस्ती जा रही हैं और ये देह बन सी जा रही है खुवाहिसो के कब्रिस्तान में जानती हूं एक दिन उसका अनिदापन आखों के रास्ते मेरे जीवन में उतार जायेगा और कुछ न कर सकते के अपराध में ताउम्र के लिए मेरी नींद को छिपा देगा किसी उल्लु के कटारे में कई सालो से उसके लिए एक अच्छी घड़ी खरीदना चाहती हूं उसके साथ एक लंबी यात्रा पर जाना चाहती हूं बेबाक उसे चूमना चाहती हूं की उससे उसकी हर बात से कितना प्रेम है मुझे में उसे बताना चाहती हूं उसकी उदाशिया मुझे कितना बैचेन करती है हम हर चीज को कल पर टालते जाते है ये जानते हुए भी की मौत शस्तत हैं कभी भी आ सकती हैं एक दिन जब उसने पूछा अगर आज तुम्हे पता चले कि कल मे मर रहा हूं तो तभी तुम क्या करोगी में एक पल भी बिना सोचे दौड़ के उसके पास जाऊंगी और कस के उसे गले लगा लूंगी इतना कस के की उसकी मौत मेरी देह में उतर जाए और वो कहे की सुनो अब मैं मर नही जाऊंगा तुम आ गई अब मैं मर marna नही चाहता और मेने और उसने मुझे गले लगा लिया हर इंसान की अपनी एक चाहत होती हैं और मेरी चाहत तो सिर्फ तुम हो और तुम्हारी में मोहब्बत कभी बदनाम नही होती अगर दो लोगों के बीच हो बदनाम जब होती हैं जब कोई तीसरा आता है दर्द तो हर किसी की जिंदगी में हे कोई बीना प्यार के भी दर्द झेल रहा है आईना देख कर कहते है sawrne वाले आज बे मौत मरेंगे देखने वाले फर्क जरूरतों का हे जनाब कोई मोहब्बत में लूट गया कुछ को मोहब्बत लूट गई तेरे बगैर में अधूरा हु तेरे बिना मेरा सब कुछ आदा आदा मेरे दिल में तू बसा है इस तरह जैसे श्री कृष्ण के दिल में राधा कभी हो जाता हूं इतना बैचेन कभी कुछ नहीं अच्छा लगता हर रोज तेरी यादें मेरी chati करती है में करता हूं तेरा इंतजार इस कदर जैसे शिव का इंतजार सती करती है तेरे लिए मेने अपना दिल संभाल कर रखा है तेरा हक मेने किसी को नही दिया मेरा दिल पुकारता है तुम्हे इस तरह जैसे वन में पुकारे राम सिया सिया ये एक छोटी सी रचना थी sayad आप लोगो को पसंद आए कोशिश यही करती हूं कुछ अच्छा लिखे लिखना भी अभी अभी shika है पहले तो ये पता नहीं था जल्दी कुछ अच्छा भी लिखूंगी