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सपने - (भाग-35)

सपने.......(भाग-35)

आदित्य, नचिकेत, राजशेखर और श्रीकांत ने सब कुछ जैसे परफेक्ट कर दिया था विजय और सविता के लिए......नवीन भी पीछे नहीं हटा......आस्था बहुत खुश थी कि उसके दोस्त कितने अच्छे हैं.....वो अच्छे लोगो के बीच में है, सोच कर ही एक अलग सुकून मिलता है.......आदित्य तो स्कूल और कॉलेज टाइमसे ही दोस्तों पर खुले हाथ से खर्च करता रहा है.....पर किसी ने पीठ पीछे कभी तारीफ शायद ही की हो....क्योंकि सबके लिए तो वो बस बिगड़ा हुआ रईसजादा था, पर इस बार सविता ताई और विजय के लिए जो कुछ भी उसने किया....उसके बदले उसे बहुत सारा आशीर्वाद और दुआएँ मिली थी, जो आदित्य के विए किसी खजाने से कम कीमती नहीं थी......! श्रीकांत की शादी की डेट नजदीक आ रही थी और आस्था के प्ले की भी.......! आदित्य ने श्रीकांत की शॉपिंग करवा दी......और एक दिन राजशेखर, नवीन और आदित्य भी अपनी शॉपिंग कर आए....। सोफिया ने भी कुछ शॉपिंग करनी थी जो वो श्रीकांत के साथ कर चुकी थी.....सिर्फ आस्था रह गयी थी और उसके पास बिल्कुल भी टाइम नहीं था.....सविता ताई भी 10 दिन के बाद काम पर आयी थी और वो बहुत खुश भी लग रही थी.......! उससे पहले तो आस्था सुबह सुबह कभी नाश्ता बना कर जाती या फिर सब लोग अपने आप कुछ भी खा लेते थे......पर शाम का खाना ज्यादातर आदित्य और नवीन मिल कर बना लेते थे। नवीन तो रोटी भी बहुत सही बना लेता था और आदित्य सब्जियाँ और दाल वगैरह राधा अम्मां से पूछ कर बना कर रखते......पर सविता के आने के बाद सब पहले जैसा हो गया.....! उन दिनों श्रीकांत के साथ आदित्य भी सब तैयारियों में बिजी हो गया था......। आदित्य ने जब देखा कि आस्था पहले जैसे बात भी नहीं कर रही तो थोड़ा मायूस तो हो गया था.....पर उम्मीद का दामन नहीं छोड़ बैठा था क्योंकि आस्था ने "हाँ" नहीं कहा तो "न" भी तो नहीं कहा.......! इधर तय हुआ कि पहले हिंदु रीति रिवाज से ही शादी होगी, उसके बाद चर्च में.....ये बदलाव भी सोफिया के पैरेंटस ने किया था....जबकि सोफिया को ये बात पसंद नहीं आ रही थी कि हर बात श्रीकांत की फैमिली को ही माननी पड़ रही है। शादी के दिन नजदीक थे, श्रीकांत और सोफिया दोनो ही नर्वस थे....श्रीकांत तो फिर भी अपने दोस्तों से बात कर लेता था, पर सोफिया की सहेलियाँ खास थी नहीं और आस्था जो कि उसकी बेस्ट फ्रैंड बन गयी थी वो सुबह जाती और शाम तक थक कर वापिस आती.......तो ऐसे में सोफिया बहुत मिस कर रही थी आस्था को........आस्था तो Bridemate थी उसकी.....। श्रीकांत के पैरेंटस 2 दिन पहले ही आ गए थे और सब इंतजाम देख रहे थे.......उनके खास मेहमान सीधे होटल पहुँचे जहाँ श्रीकांत के आई बाबा स्वागत के लिए पहले ही मौजूद थे...।श्रीकांत और आदित्य भी वहाँ पहुँच गए.....। राजशेखर और नवीन ने भी 4-5 दिन के लिए काम से छुट्टी ले ली थी.....आस्था हर फंक्शन पर टाइम पर पहुँच जाएगी ये प्रॉमिस वो सोफिया से बहुत बार कर चुकी थी। सोफिया का कहना था कि, "तीनो दिन वो उसके साथ रहे", तो आस्था ने कहा कि" वो हर रस्म अटैंड करेगी.....चिंता मत करो"। सोफिया और उसकी फैमिली का भी होटल में ही ठहरने का इंतजाम किया गया था.....सो वो अपना सारा सामान ले कर आ गए थे....। सोफिया की तरफ से 2-3 कजिन थे जो उनकी हेल्प कर रहे थे......आदित्य को तो सोफिया के मॉम डैड सेल्फिश लग रहे थे, जो हर खर्च वाले काम का बिल श्रीकांत के परिवार पर फाड़ने पर तुले थे.......आदित्य सोच रहा था," दिल्ली के लड़के से शादी करती सोफिया तब पता चलता जब ये लोग वहाँ शादी करने जाते.....कितने नखरे होते हैं लड़के वालों के......यहाँ उलटा हो रहा है सब"! वो यही बात राजशेखर और नवीन को बहुत बार कह चुका था.....और वो सुन कर मुस्कुरा देते..! श्रीकांत भी देख और समझ सब रहा था पर फिर भी चुप था.....पहले दिन हल्दी और रात को मेहंदी रात का फंक्शन किया गया........आस्था काले सूट के साथ सतरंगी दुपट्टा करके आई थी और कान में बड़े बड़े झुमके......वहीं सोफिया ने मेंहदी रात पर एक प्यारा सी हरे और लाल रंग की साड़ी पहनी थी.......मेंहदी के साथ साथ संगीत का माहौल बना हुआ था.....गायक तो घर का ही था तो शुरूआत मैंहदी लगा के रखना से हुई और उसके बाद कई रोमांटिक गाने गा कर नवीन ने समां ही बाँध दिया। थोड़ी सी मेंहदी श्रीकांत के हाथ पर भी लगायी गयी........अगले दिन सुबह ही रिंग सेरेमनी की गयी और उसके बाद फिर से माहौल खुशनुमा हो गया.....सोफिया के परिवार की तरफ से कोई रिश्तेदार मौजूद नहीं था, सिवाय वही 2-3 कजिन्स के.....। श्रीकांत और सब लड़के रात को बैचलर पार्टी मनाने वाले थे तो वो उसी होटल के पाँचवे फ्लोर पर मजे कर रहे थे........सोफिया और आस्था अपनी पार्टी कर रही थीं....सविता तो दिन में आ कर चली गयी थी। रात को जब बातें करते करते सोफिया जब सो गयी तो आस्था उठ कर होटल की छत पर चली गयी। 2 दिन का भागदौड़ ने उसे थका दिया था...। अपनी रिहर्सल का काम पूरा खत्म करके ही 2 दिन की छुट्टी मिली थी क्योंकि शनिवार को प्ले है तो नचिकेत कोई कमी नहीॆ छोड़ना चाहता। बहुत बड़े स्केल पर पब्लिस्टि की जा रही थी......कई लोगो का फ्यूचर बनना तय है तो ऐसे मेॆ सब अपनी जान लगा कर काम कर रहे थे.......। छत पर थोड़ी हवा चली तो आस्था को फ्रैश लगा। "तुम इतनी रात को यहाँ क्या कर रही हो आस्था"? आवाज आदित्य की थी तो आस्था को समझ ही नहीं आया वो क्या कहे," तुम भी तो यहाँ आए इतनी रात को क्यों? तुम्हारी तो पार्टी चल रही है न"! सवाल के बदले आस्था ने सवाल कर दिया। "मुझे पता नहीं क्यों नीचे थोड़ी घुटन हो रही थी तो ऊपर आ गया, अब तुम बताओ"! आस्था बोली, मैं भी फ्रेश एयर के लिए आ गयी थी, अब जा रही हूँ"। "क्या हुआ आस्था? मैं आया तो तुम जा रही हो! तुम यहीं रहो मैं ही चला जाता हूँ"।आदित्य की बात ने उसे फिर चुप करा दिया। वो बोली, "नहीं ऐसी कोई बात नहीं है, तुम गलत समझ रहे हो"!
आदित्य-- अगर मैं गलत समझ रहा हूँ तो तुम सही समझा दो!
आस्था--- मेरे पास समझाने को कुछ है ही नहीं, तो क्या समझाऊँ? मैं जा रही थी क्योंकि थोडी देर हो गयी मुझे आए...अब बैटर लग रहा है तो जा रही थी।
आदित्य--- ठीक है, तुम्हारी बात मान ली, पर अब मैं कह रहा हूँ कि थोड़ी देर रूक जाओ...काफी दिन हुए तुम बिजी हो तो ठीक से बातें ही नही हुई....चलो बातें करते हैं...फिर साथ ही नीचे चलते हैं.....!
अब आस्था के पास बैठने के सिवा कोई चारा नहीं था.....वो दोनों उसके प्ले की श्रीकांत की शादी की सब बातें करते रहे....!
आदित्य तो बस आस्था को देखते ही रहना चाह रहा था, पर वो अब ये भी नहीं कर सकता था.....क्योंकि ऐसा करने पर तो आस्था यकीनन नाराज हो जाएगी.....यही सोच वो उसकी तरफ देख ही नहीं रहा था।
काफी दिनो बाद दोनो के बीच छायी चुप्पी तो खत्म हो गयी थी यही सोच आदित्य हल्का महसूस कर रहा था.....कुछ देर बाद दोनो नीचे अपने अपने कमरे में सोने चले गए।
क्रमश:

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