Revenge: A Romance Singham Series - Series 1 Chapter 18 books and stories free download online pdf in Hindi

Revenge: A Romance Singham Series - Series 1 Chapter 18

एक हफ्ता बीत चुका था अभय को वापिस आए और तबसे उन दोनो के रिश्तों में काफी ज्यादा फर्क आ चुका था। अनिका के लिए यह उसकी जिंदगी का सबसे एक्साइटेड समय था, और उसने कभी यह एक्सपेक्ट भी नही किया था जिस जगह पर वोह आज है। वोह बेवकूफों की तरह हर समय मुस्कुराती रहती थी यह सोच कर की जो भी वोह दोनो नॉटी चीजें एक दूसरे के साथ करते थे वोह भी बिना, एक दूसरे का एहसास लिए, बिना एक हुए। अनिका हर समय अभय के साथ रहना चाहती थी, वोह उसके दिन भर हर दिनचर्या में भागीदार बनना चाहती थी, उससे बात करने के लिए, उसकी बातें सुनने के लिए।

अपनी शादी को आगे बढ़ाने से पहले इस अनकहे हिस्से को दोनो ही बहुत एंजॉय कर रहे थे। वोह दोनो धीरे धीरे आगे बढ़ रहे थे जो की अनिका को बहुत अच्छा लग रहा था। अभय के उसको यह दिखाने के बाद की एक लड़की इस तरह से भी प्लेजर महसूस कर सकती है, अनिका इसके लिए एडिक्टेड हो गई थी। वोह अब टीनएजर की तरह महसूस कर रही थी और सेक्सुअलिटी को और एक्सप्लोर करना चाहती थी।

दोनो एक दूसरे से दूर नही रह पाते थे लेकिन दोनो के पास ही अपनी कुछ जिम्मेदारियां और प्राथमिकता थी। उन दोनो का एक कॉमन काम भी था जो की तब पूरा होता था जो वोह दोनो रात में अभय के वापिस आने के बाद साथ होते थे और यह कॉमन काम फिर सुबह तक चलता था जब तक की उन्हे नींद ना आ जाए।

अनिका हल्का सा हिली जब उसने अलार्म की आवाज़ सुनी। धीरे से, बार बार झपकाते हुए उसने अपनी आंखें खोली तब उसने अपने नीचे कराहने की आवाज़ सुनी।

अनिका नींद में ही बिना कपड़ो के अपने पति अभय के ऊपर आ गई थी और अपने गाल को उसके सीने पर टिकाए सो रही थी। अपनी पकड़ को कसते हुए अनिका अभय के शरीर की सुगंध और उसके महंगे परफ्यूम की महक का कॉम्बिनेशन इनहेल करने लगी।

अनिका बिल्ली की तरह अंगड़ाई लेने लगी जब अभय ने अपने जागे होने का सबूत देने के लिए उसके हिप्स पर सहलाना शुरू कर दिया था।

"आज की सुबह और देर तक ऐसे ही रहते हैं ना," अनिका ने अपना चेहरा अभय की गर्दन में छुपाया हुआ था और वैसे ही वोह धीरे धीरे बोली।

अभय हंस पड़ा।

"प्लीज़," अनिका गिड़गिड़ाई।

"कोई बहाना नहीं," अभय गड़गड़ाहट जैसी आवाज़ में बोला।

"पर बाहर बहुत ठंड है और यहां ऐसे मुझे अच्छा लग रहा है।" अनिका ने अपनी पकड़ और कस दी।

अभय चुप हो गया जबकि वोह अभी भी उसकी पीठ सहला रहा था।

"हमे हर रोज़ सुबह क्यूं जाना है?" अनिका अपना शरीर अभय के और करीब करने लगी।

अनिका के करकर्श भरे स्वर को सुन कर अभय और खुशी से हंस पड़ा।

अनिका ने अपना सिर उठा कर अभय के चेहरे को देखा। धीरे से वोह भी मुस्कुरा पड़ी, अपने दिमाग के अंदर चल रहे खयालों को सोच कर।
"तुम जानते हो हम क्या क्या कर सकते हैं अगर हम ऐसे ही रहे और बाहर नही गए तो?" अनिका ने पूछा, अपने शरीर के निचले हिस्से को अभय के मॉर्निंग अराउज्ड कॉक पर रगड़ते हुए।

अनिका अभय की तपती नज़रों को देख कर मुस्कुरा गई। "सोचिए वोह हम तब तक करते रहेंगे जब तक क्लिनिक खोलने का टाइम नही हो जाता।"

अभय ने अपनी पकड़ उसकी हिप्स पर कस दी और उसे और करीब कर लिया जिससे दोनो ही कराह गए। पर जो शब्द अभय के मुंह से निकले वोह पूरी तरह से उलट थे।
"फाइव फिफ्टीन हो चुके हैं, डॉक्टर सिंघम। हमे अगले पंद्रह मिनट में यहां से बाहर निकल जाना है, तोह या तो जल्दी करो और तैयार हो जाओ, या फिर मैं तुम्हे ऐसे ही बाहर ले जाऊं।"

अनिका ने अभय को थोड़ी देर घूरा और फिर रोल होते हुए बैड से उतर गई। "डॉमिनेटिंग, कंट्रोलिंग, इन्फ्यूरिएटिंग, टास्कमास्टर।" अनिका ने शिकायती लहज़े में कहा, वोह अचानक गरमाहट चले जाने से कांपने लगी थी।

अनिका ने देखा की अभय खुशी से मुस्कुरा रहा है और पलट कर अनिका भी मुस्कुरा पड़ी और फिर तैयार होने चली गई।

दस मिनट बाद वोह दोनो अपने कमरे से बाहर निकल गए।

अनिका अपने पैरों को थोड़ा सा अलग कर खड़ी थी, उसकी एक आंख बंद थी और दूसरी अपने टारगेट पर निशाना साधे हुए थी।

"शूट!" अभय ने आदेश दिया, अनिका ने ट्रिगर दबाया और एक ज़ोर दार आवाज़ हुई।

इस बार वोह बस हल्का सा पीछे हो गई थी। प्रैक्टिस शुरू करने के पहले दिन तो वो अपने हिप्स के बल पर गिर पड़ी थी जो की उसे दो दिन तक दर्द करता रहा था।

"नॉट टू बैड," अभय ने टारगेट को अच्छी तरह से देखते हुए कहा।

अनिका दांत दिखा के हँसने लगी, "तुम्हारा मतलब की इस बार मैंने कम से कम टारगेट के घुटनों को तोह छुआ जबकि मुझे उसके सिर पर निशाना लगाना था?"

अभय की आंखों में भी मुस्कुराहट झलक रही थी लेकिन वोह जल्द ही अपने सीरियस टास्क मास्टर मोड में वापिस आ गया। "ऑलराइट, मैं चाहता हूं की तुम टारगेट पर ज्यादा फोकस करो। इस बार मैं तुम्हे एक छोटी गन देता हूं। दस और राउंड और फिर आज की प्रैक्टिस खतम।"

अनिका का मुंह बन गया लेकिन वोह अभय की बात मानने के अलावा कुछ नही कर सकती थी। सोनू और मीना पर अटैक होने के बाद, अभय और ज्यादा सतर्क हो गया था और और ज्यादा सावधानी बरतना चाहता था जब बात उसके सिंघम के लोगों की आती है तो।

वोह चाहता था की सब के पास अपना एक हथियार हो और क्योंकि ज्यादा तर लोगों को बचपन से ही गन चलाना आता था, तोह अभय का फोकस अनिका पर था। जिस दिन वोह अपनी ट्रिप से वापिस लौटा था उसके अगले दिन से ही उसने अनिका को शूटिंग रेंज में खींच लिया था, सुबह सूरज निकलने से भी पहले, उसे यह सिखाने के लिए की अपनी रक्षा कैसे करते हैं।

उनके प्राइवेट मोमेंट के दौरान, अभय हॉट और सेक्सी होता था। पर जब अनिका की सिक्योरिटिकी बात होती थी, उसके गन चलाने सीखने की बात होती थी, अभय बहुत सीरियस होता था। अभय अनिका से बार बार प्रैक्टिस करवाता था जब तक की उसके मन मुताबिक अनिका ना कर ले।

"मच बैटर," अभय ने कहा, जब अनिका ने इस बार टारगेट के मिडिल में गोली चलाई।

"क्या मुझे कोई प्राइज नही मिलेगा?" अनिका ने पूछा।

"तुम कुछ भी मांग सकती हो, और तुरंत ही वोह चीज़ तुम तक पहुँच जायेगी।"

अनिका हँसने लगी। "नही। नही मुझे उस तरह का प्राइज नही चाहिए। मुझे आपसे प्राइज में आपका पूरा दिन चाहिए। मैं चाहती हूं की मैं आप के साथ एक पूरा दिन बिताऊं।"

अभय कुछ सोचते हुए उसे देख रहा था। "डन। कल कैसा रहेगा? मैं अपनी अपॉइंटमेंट आगे बढ़ा दूंगा।"

अनिका उत्साहित हो गई। "रियली? मैं चैक कर लेती हूं की डॉक्टर राव मेरी अपॉइंटमेंट हैंडल कर लेंगे की नही।"

तीस मिनट बाद दोनो एक साथ शावर ले कर निकले और अपने आज के दिन के लिए तैयार होने लगे।

"क्या हम किसी पिकनिक पर जा सकते हैं, सिंघम एस्टेट के अंदर ही?" अनिका ने पूछा।

"द आर्केड," अभय ने जवाब दिया। "तुम्हे वहां अच्छा लगेगा, पर वहां हमें शायद थोड़ी और सिक्योरिटी की जरूरत पड़ेगी अपने साथ।"

"ओह!" अनिका निराश हो गई थी। वोह दोनो के लिए प्राइवेट स्पेस की उम्मीद कर रही थी। "मुझे लगता है की घर में ही रह कर समय बिताए तो ज्यादा अच्छा रहेगा।"

अभय अनिका को देख रहा था और साथ ही कुछ सोच भी रहा था और फिर उसने कहा, "एक और जगह है जो उससे थोड़ी प्राइवेट है और सिक्योर भी। द सिंघम लेक हाउस। हम वहां चलते हैं।"

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"आप प्रेगनेंट हो," अनिका ने अनाउंस किया और औरत के सामने जो साफ तौर पर हैरान नज़र आ रही थी।

एक औरत अनिका के क्लिनिक आई थी एक कंप्लेंट ले कर की उसे ऐसा लग रहा है की उसे फूड प्वाइजनिंग हो गई है।

"आप भगवान हैं, और आप जरूर यहां आई हैं यह भगवान की कृपा है, और हमे श्राप से मुक्त कराने। मैने कभी नही सोचा था की मैं मां बन भी पाऊंगी। मैं पिछले दस साल से मां बनने की कोशिश कर रही हूं पर मेरी किस्मत में नही था।"

अनिका उस औरत को देख कर मुस्कुरा गई। "मैने कुछ नही किया है बस यह न्यूज आपको सुनाने के।"

"मुझसे बिल्कुल भी इंतजार नही हो रहा यह खबर अपने हसबैंड को सुनाने के लिए। मुझे पूरा यकीन है की वोह भी आपको पर्सनली थैंक यू कहना चाहेंगे।" वोह औरत खुशी से बोल रही थी।

"इसकी कोई जरूरत नही है, और मैं बस अब यहां सब बंद करने ही वाली हूं। आज की दिन की आप मेरी लास्ट पेशेंट हैं।"

"मैं रवि से कहूंगी जब वोह जब वापिस आ जाएगा। वोह आज अभय के साथ गया हुआ है।" उस औरत ने कहा।

अनिका ने रियलाइज किया की यह औरत उस आदमी की पत्नी है जो अभय का भरोसेमंद आदमी है जो गोदाम वाले हादसे के बाद वापिस आ गया था। और रवि ही उसके बाद से उसका भी बॉडीगार्ड है, जबसे वोह बिना उसे बताए हॉस्पिटल चली गई थी।

"फिर से बहुत बहुत बधाई, आपको और रवि को।"

जब से क्लिनिक की शुरुवात हुई थी तब से अब तक क्लिक काफी बढ़ चुका था, अब ज्यादा सुविधाएं थी। अनिका के पास अब इंपोर्टेंट इक्विपमेंट भी थे, जैसे अल्ट्रा साउंड मशीन अरुंधती हॉस्पिटल से अनिका के क्लिनिक पहुंचा दी गई थी। डॉक्टर राव ने भी अपना विजिटिंग टाइम बढ़ा दिया था और ज्यादा से ज्यादा पेशेंट देखने लगे थे। अभय भी ज्यादा से ज्यादा एडॉक्टर अप्वाइंट करने के काम में लगा हुआ था ताकी अरुंधती हॉस्पिटल बिना किसी रुकावट के फिर से चलने लगे। तब तक, अनिका ने अभय को यह सजेस्ट किया था की वोह कुछ डॉक्टर को हायर कर ले जो वीडियो कान्फ्रेंसिंग के थ्रू लोगों का इलाज कर सके।

जैसे ही वोह औरत अनिका के क्लिनिक से बाहर निकली, अनिका भी वहां से निकल कर सीधे किचन में चली गई। उसने कुक को अगले दिन पिकनिक पर जाने के लिए कुछ नाश्ता पैक करने को कहा।

"तुम और अभय कहां जा रहे हो?" मालिनी ने उत्सुकता जताते हुए पूछा।

अनिका मुस्कुराई। "द सिंघम लेक हाउस," अनिका ने जवाब दिया।

अचानक ही हवा में शांति छा गई और सभी हैरान और दंग रह गए। सब एक दम जड़ से गए।

"अभय तुम्हे ले कर सिंघम लेक हाउस जा रहा है?" मालिनी ने फिर पूछा।

इस बार अनिका मुस्कुराई नही। "हां। इसमें क्या गलत है?"

कुछ देर तक सब फिर से ऐसे ही चुप रहे और फिर सब खुशी से उछल पड़े। सब खुशी से ताली बजा रहे थे और कूद रहे थे।

"क्या? मुझे भी बताओ बात क्या है?" अनिका ने पूछा।

सभी लोग एक दूसरे को देखने लगे और उत्सुक हो रहे थे की अनिका को बता दें।

"हम नही बता सकते। हमे फैमिली के बारे में बात करने की इजाजत नहीं है। अभय से पूछना," उनमें से एक औरत ने कहा।

अनिका ने जबरदस्ती नहीं की उनसे पूछने के लिए। वोह जानती थी की भले ही अभय उसके लिए थोड़ा सॉफ्ट हो गया है लेकिन वोह अलाउ नही करेगा की कोई भी उसके बनाए हुए नियमों को तोड़े। "ठीक है, मैं उससे कल पूछ लूंगी," अनिका ने उन सभी की तरफ स्माइल करते हुए कहा।

उस शाम अनिका ने कुछ और समय लाइब्रेरी में बिताया और कुछ समय अपने लैपटॉप पर काम करने में भी। उसने कुछ और बुक्स भी पढ़ी। उसका ध्यान तब हटा जब अभय उसे लेने लाइब्रेरी में आ गया, उसने उसे बाहों में उठाया और अपने कमरे में ले जाने लगा जहां उनका डिनर इंतजार कर रहा था।

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अगली सुबह जब अनिका घर के मेन दरवाज़े से बाहर निकली तोह छह गाडियां उसका इंतजार कर रही थी। एक आदमी ने उनमें से एक गाड़ी का दरवाज़ा खोला तो अनिका अभय के साथ पैसेंजर सीट पर बैठ गई।
वोह लोग लगभग एक घंटे की ड्राइव के बाद उस जगह पहुंचे जो की एक बहुत बड़ा बगीचा था।

"हम यहां पूरा दिन रहेंगे। चारों तरफ फैल जाओ और कोई भी बाउंड्री लाइन के इधर ना आ पाए।" अभय ने अपने आदमियों को ऑर्डर किया और अनिका को ले कर झाड़ियों के रास्ते आगे बढ़ गया। आगे कुछ पेड़ थे जिस वजह से आगे का सीन नहीं दिखाई पड़ रहा था। जैसे ही वोह पेड़ के पीछे से निकल कर आगे बढ़ते गए, रास्ता साफ होता गया, और अनिका को बहते पानी की आवाज़ सुनाई देने लगी।

"क्या यहां कोई नदी है?" अनिका ने एक्साइटेड होते हुए पूछा।

अभय मुस्कुराया। "एक झील है," अभय ने जवाब दिया।

दस मिनट बाद अनिका ने एक गहरी सांस ली क्योंकि वोह एक बहुत खूबसूरत नज़ारे के सामने खड़ी थी। उन पेड़ों के पीछे छुपा था एक बहुत बड़ी और खूबसूरत झील जो की आसपास की रंगो के जंगली फूलों से घिरी हुई थी। एक साइड में एक छोटा सा कॉटेज था। "यह सब बहुत सुहाना है।"

अभय उसे उस छोटे कैबिन जैसे दिखने वाले कॉटेज में ले गया और दरवाज़ा को जोर से धक्का दे कर अभय उसे लिए अंदर आ गया। अनिका ने फिर एक आह भरी, अंदर का नज़ारा बेहद सिंपल पर बहुत खूबसूरत था। उस कैबिन का एक साइड पूरे शीशे का था जिससे झील का मन मोहक नज़ारा अंदर बैठे देखा जा सकता था।

अनिका ने पलट कर अभय की तरफ देखा। "इट्स सो ब्यूटीफुल। थैंक यू मुझे यहां लाने के लिए।" अनिका ने प्यार से कहा।

अभय ने पिकनिक बास्केट वहां रखे एक छोटे से डाइनिंग टेबल पर रख दी। इससे पहले की अनिका और आगे कुछ कहती अभय ने उसे खींचा, बाहों में भरा और होंठों को होठों से जोड़ दिया। अभय उसे लगातार किस किए जा रहा था पैशनेटली और अनिका मदहोश होती जा रही थी, कुछ अभय की वजह से , कुछ आसपास की खूबसूरती को वजह से।

कुछ पल दोनो अलग हुए ताकी सांस ले सकें। अनिका ने उसके सीने पर हाथ रखा ताकी वोह उसे गोद में ना उठाए। वोह हँसने लगी। "रुको! मेरे पास तुम्हारे लिए स्पेशल ट्रीट है। इससे पहले की तुम मुझे बाहों में उठाओ, पहले नाश्ता कर लेते हैं।" अनिका ने चिढ़ाते हुए कहा।

अभय ने उसकी कमर को नही छोड़ा और नाही उसे गोद में उठाया। फिर से हँसते हुए अनिका अभय का हाथ हटा कर डाइनिंग टेबल से बास्केट उठा कर उसमे से अच्छी तरह से पैक्ड करे हुए सिल्वर डिशेज निकालने लगी।

सिंघम मैंशन में सब कुछ उम्मीद से ज्यादा ही होता था। लक्ष्मी ने उसे डरा दिया था आज सुबह जब उसने उससे प्लास्टिक के कंटेनर और बॉटल्स मांगे थे पिकनिक पर खाना पैक कर ले जाने के लिए। लक्ष्मी ने उससे सिल्वर और क्रिस्टल कंटेनर में ले जाने के लिए कहा था।

अभय ने अनिका के लिए चेयर खींची और अनिका ने कंटेनर्स और बॉटल्स डाइनिंग टेबल टॉप पर रखे और दो प्लेट्स निकाल कर उसमे खाना सर्व करने लगी। इधर अभय उसके सामने वाली चेयर खींच कर उसपर बैठ गया।

"आपकी दावत इंतजार कर रही है, माय लॉर्ड," अनिका ने मुस्कुराते हुए अभय की तरफ देखते हुए कहा।

"माय लॉर्ड?" अभय ने हँसते हुए पूछा।

"हां! मुझे पक्का यकीन है की यह पहली बार है जो मैं चाइना प्लेट्स, क्रिस्टल बोल्स, और सिल्वर डिशेज लाई हूं पिकनिक पर।"

अभय चमकती हुई सिल्वर फोक और स्पून उठाते हुए धीरे से हंस पड़ा। जैसे ही उसने खाने की एक बाइट ली और चबाई वोह एक दम हैरानी से रुक गया।

"कैसा है? मैने आज सुबह ही बनाया था। तुम्हे पसंद आया?" अनिका ने चिंतित स्वर में पूछा। आज अनिका जल्दी उठ गई थी और किचन में जा कर पिकनिक पर ले जाने के लिए नाश्ता खुद ही बनाया था।

अभय के चेहरे पर उदासी भरे भाव आ गए पर उसने हां में सिर हिला दिया। "आई लव इट," अभय ने जवाब दिया।

अनिका ने भी रैप करे हुए डिश को खोला जिसमे स्पाइसी श्रिंप, एगस, एंड वॉलनट थे। चखने के बाद अनिका को भी उसका स्वाद बढ़िया लगा पर खाना इतना गर्म था की अपने मुंह को ठंडा करने के लिए उसने तुरंत चॉकलेट मिल्क शेक पिया जो उसने क्रिस्टल ग्लास में भरा था।

अभय ने भी अपने ग्लास से एक सिप लिया और दुबारा ही जम गया। उसने फोर्क और स्पून वापिस प्लेट में रखा और बिना किसी भाव के अनिका को देखने लगा। "तुमने कैसे पता लगाया?" अभय ने शांति से पूछा।

अनिका ने बिलकुल भी ऐसे प्रिटेंड नही किया जैसे उसे कुछ समझ ही ना आ रहा हो की अभय क्या पूछ रहा है। उसने अभय को सर्प्राइज करने का सोचा था ताकी वोह खुश हो जाए और इसी वजह से उसने यह स्पेशल खाना बनाया था, पर अभय के चेहरे के भाव देख कर अनिका को लग रहा था कहीं उसने यह सब करके कोई गलती तोह नही करदी।

"कैसे, अनिका?" अभय ने फिर पूछा। "सिर्फ मेरी मॉम ही वोह इकलौती है जिन्हे यह पता था की मुझे श्रिंप और वॉलनट का कॉम्बिनेशन पसंद है। और अगर तुमने गैस कर के बनाया है और यह कोई कॉइंसिडेंस हुआ है तो मुझे चॉकलेट मिल्क में क्रिस्टल सॉल्ट का कॉम्बिनेशन पसंद है यह तुम गैस कर ही नही सकती।"

अनिका ने अपना निचला होंठ दबा दिया। "मुझे एक रेसिपी बुक मिली थी लाइब्रेरी में," अनिका ने जवाब दिया। उनमें से कुछ रेसिपी पर ऊपर तुम्हारा नाम लिखा हुआ था।"

अभय चुप रहा। "हम्म्म।"

"क्या तुम.........गुस्सा हो?" अनिका ने यूहीं पूछा।

"नही," अभय ने जवाब दिया। "मुझे बस उनकी याद आ गई।"

अनिका ने अंदर ही अंदर चैन की सांस ली।

"थैंक यू, यह सब बनाने के लिए," अभय ने अनिका की तरफ प्यार भरे भाव से देखते हुए कहा। उसकी नज़रे ऐसी थी की दोनो का ही दिल पिघलने लगा और बस मन किया दोनो एक दूसरे की बाहों में समा जाए। अनिका को अभय पर भर भर के प्यार आ रहा था।

अनिका ने अपनी भावनाओं को कंट्रोल करते हुए एक गहरी सांस ली। अनिका ने रियलाइज किया की भले ही वोह दोनो हफ्ते भर से एक साथ हो गए थे, फिजिकली कनेक्टेड हो गए थे, इन जनरल एक दूसरे से बातें करते थे, पर कभी अपनी पर्सनल बातें एक दूसरे से शेयर नही की थी।

अनिका अभय को देखने लगी जो इस वक्त अपना खाना खा रहा था पर अनिका की नज़रे खुद पर साफ देख पा रहा था।

"तुम क्या सोच रही हो?" अभय ने भी उसे ऐसे ही देखते हुए पूछा।

"मैं यह सोच रही थी की हम दोनो इंटिमेटली एक दूसरे को जानने लगे हैं..... कम से कम फिजिकली तौर पर......मेरा मतलब है, पूरी तरह फिजिकली नही.....पर..." अनिका हल्का सा हँस दी। "यू नो व्हाट आई मीन।" अनिका ने बात पूरी की।

अभय की आंखों में खुशी नज़र आने लगी। "हम्मम, मुझे लगता है की तुम्हारे यह कहने का मतलब है की हर रात मैं तुम्हारे बॉडी के हर एक हिस्से को किस करता हूं पर असल बात यह है की तुम मेरे बारे में कुछ भी नही जानती, सिर्फ मेरी खाने की पसंद के अलावा और मैं क्या महसूस करता हूं उसके अलावा, जी की तुम्हे परेशान कर रहा है। मैने सही कहा ना?" अभय ने पूछा।

"हां," अनिका ने धीरे से बोली, उसने चॉकलेट मिल्क शेक का एक बड़ा घूंट पी लिया।

अभय मुस्कुराया। "पूछो जो पूछना चाहती हो?" अभय ने कहा।

जबसे अनिका ने सिंघम की ज़मीन पर दुल्हन बन कर कदम रखा था तब से उसके दिलों दिमाग में एक ही सवाल कब से चल रहा था।
"तुमने मुझसे शादी क्यूं की, अभय?"

अनिका के सवाल पर, अभय कुछ पल रुक गया और फिर बिना चेहरे पर कोई भाव लाए अनिका को देखने लगा। "क्योंकि मैने अपनी दादी को एक वादा किया था।"

अनिका तो सुन कर दंग ही रह गई। कुछ कारणों की वजह से अनिका को लगता था की अभय किसी की भी बात नही सुनता होगा, ना ही अपनी दादी की, जब बात अपनी वाइफ चुनने की होगी।
"कैसा वादा?" अनिका ने पूछा।

"प्रजापति से शादी करने का।"

अनिका का दिल जोरों से धड़क उठा। "पर मैने तोह सुना था अपनी बुआ से की यह कोई श्राप तोड़ने के लिए हो रहा है। मुझे लगता था की तुमने मुझसे इसलिए शादी की है क्योंकि यहां के लोग चाहते थे। अपनी दादी को किया हुआ यह वादा क्यों किया तुमने?"

"मैं इन श्राप वगराह जैसी चीजों को नही मानता," अभय ने जवाब दिया। एक बार फिर अनिका को शॉक लगा। "हां, यह बात सही है की मैं अपने लोगों की परवाह जरूर करता हूं और मैं अपने पूर्वजों के रिवाजों और मान्यताओं की भी रिस्पेक्ट करता हूं। उनकी परंपरा के अनुसार मुझे सेनानी से शादी करनी चाहिए थी, पर मेरी दादी चाहती थी की मैं एक प्रजापति से शादी करूं।

"क्यूं?"

"क्योंकि जब मेरे डैड की बारी थी एक प्रजापति से शादी करने की तोह उन्होंने उससे शादी ना करके अपने प्यार को चुना था।"

अनिका की भौंहे सिकुड़ गई। "इसमें क्या गलत है अपने प्यार से शादी करने में?" अनिका ने पूछा।

"कुछ नही, बस हमारे जैसे परिवार में पैदा ना हुआ हो, और हमारी जैसी इस जमीन पर पैदा ना हुआ हो। हमारी जिंदगी हमारे लोगों के लिए ही है और सालों पुरानी चली आ रही परंपरा पर टिकी है।"

अभय ने हमारी कहा जैसे की वोह अनिका को अपना ही समझता हो और अनिका इस जगह, इसी जमीन का ही समझता हो।

"पर में सच में तुम्हारी दुनिया की नही हूं। मेरी परवरिश किसी और ही देश में हुई है।"

"मैं जानता हूं," अभय ने धीरे से कहा। "पर तुम्हारी बुआ ने मुझे प्रस्ताव भेजा की तुमने जबसे सिंघम्स के बारे में सुना है तब से आकर्षित हो गई हो। की तुम्हे कब से ख्वाइश थी की तुम्हे एक पावरफुल और रिच आदमी से शादी करनी है वोह तुम्हारे अपने पापा के ही राज्य से।

अनिका की भौंहे सिकुड़ गई। "मैने ऐसा कभी नहीं कहा।"

"हां। मैने यह कुछ हफ्ते पहले ही पता लगा लिया था।"

"तोह तुम्हे लगता था की मैं खुद तुमसे शादी करना चाहती थी और फिर बाद में अपना मन बदल लिया था?"

"हां।"

"पर तुमने तो मुझे देखा था ना की शुरवात में मैं तुमसे कितना डरती थी।"

पछतावे की एक झलक अभय के चेहरे पर दिखने लगी। "मुझे तुम्हारी बुआ पर भरोसा था। मेरे दिमाग में उस वक्त यह बात आई ही नहीं की शायद वोह तुम्हे बेवकूफ बना रही होंगी। मेरा यकीन करो, यह पहली बार नही था की मेरे पास विदेश से किसी लड़की से शादी करने का प्रपोजल नही आया हो। दूसरे दुनिया की औरतें रोमांटिक और एक्साइटेड समझती हैं किसी अमीर और पावरफुल आदमी की वाइफ बन कर रहने में।"

अनिका को यकीन था अभय की बातों पर। वोह जानती थी की कुछ औरतें होती हैं ऐसी की जो किसी शेख़ या गुंडों या खतरनाक तकतवारों से शादी करने की कल्पना करती हैं।

"मुझे किसी अजनबी से शादी करने में कोई रोमांटिक बात नही लगती।"

"मैं अब यह जानता हूं। पर शादी के दौरान, मुझे लगता था की उस दिन मंदिर के बाहर की हिंसा देख कर, जहां हम पहली बार मिलने वाले थे, तुम अपना मन बदल रही हो, और पीछे हट रही हो। और तब तक बात भी काफी आगे बढ़ चुकी थी और बहुत कुछ दांव पर लग चुका था की पीछे हटने का कोई रास्ता नही था।"

एक और वजह अपनी बुआ से नफरत करने की। उन्होंने अभय से अनिका के बारे में झूठ बोला था की अनिका उससे शादी करना चाहती है।

"क्या दांव पर लग चुका था?" अनिका ने उत्सुकता से पूछा।

अभय चुप रहा।

"प्लीज," अनिका ने जिद्द की। "मैं जानना चाहती हूं की मुझे झूठ बोल कर यहां क्यों लाया गया। मैं जानना चाहती हूं की क्यों किसी को भी सिंघम, प्रजापति और सेनानी फैमिली के बारे में बात करने का इजाज़त नहीं है।"

"तुम्हारी सुरक्षा के लिए," अभय ने जवाब दिया। "हमारी शादी होने से पहले, मैने सबको चेतावनी दे दी थी की कोई भी परिवार के बारे में बात नही करेगा क्योंकि सिंघम्स प्रजापतियों से नफरत करते हैं। तीस सालों दोनो परिवार में लड़ाई छिड़ी हुई है और एक दूसरे को मार रहें हैं। जब भी कोई उस कांड के बारे में बात करते हैं, तोह हमेशा ही लोग भड़क जाते हैं और अंत में लड़ाई झगडे पर ही खतम होता है। इस लिए मैंने कड़क आदेश दे रखें हैं की कोई भी फैमिली और अतीत के बारे में बात नही करेगा।"

"मुझे अभी भी कुछ समझ नही आ रहा है," अनिका की भौंहे सिकुड़ गई। "अगर सिंघम और प्रजापति दुश्मन है क्योंकि तुम्हारी डैड ने परंपरा के अनुसार शादी नही की, तोह इसमें सेनानी को भड़केंगे और हमारी जमीन और हमारे लोगों को नुकसान क्यों पहुंचाएंगे?"

अभय मुस्कुरा पड़ा।

"क्या?" अनिका सोच में पड़ गई की इतने गंभीर बात के बीच में अभय मुस्कुरा क्यों पड़ा।

"तुमने कहा हमारी जमीन और हमारे लोग।" अभय ने तुरंत ऑब्जर्व कर लिया था।

अनिका भी हैरान हो गई। अभय सही कह रहा था। उसे खुद नही पता कब, पर धीरे धीरे वो इस जगह और यहां के लोगों से घुलने मिलने लगी थी।

अनिका ने अपना सिर झटका। "तोह बताओ मुझे, सेनानी क्योंकि इतने भड़के हुएं हैं?" अनिका ने फिर पूछा बार तुरंत ही उसकी भौंहे फिर सिकुड़ गई। "क्योंकि तुमने भी परंपरा तोड़ी सेनानी की लड़की से शादी करने की और इस बात से उन्हे इंसल्ट फील होता है।"

अभय ने हां में सिर हिला दिया जब अनिका ने सही गैस कर लिया।

"पर तुम्हारी दादी ने इतना बड़ा रिस्क क्यों लिया सेनानी को अपमानित महसूस करा कर उनकी जगह प्रजापति से शादी करवाने का?" अनिका ने पूछा।

अभय ने आह भरी। "यह बहुत लंबी कहानी है, अनिका। मैं जानता हूं की तुम्हे अपने सभी सवालों के जवाब चाहिए, पर मैं इतना ही कह सकता हूं की मेरी दादी ने यह रिस्क इसलिए लिया क्योंकि उन्हें को लगता था की सेनानी उनके लिए फैसले को समझेंगे और इससे तुम्हारी बुआ को जो ठेस पहुंची, जो उन्हे अपमान सहना पड़ा उसका शायद हर्जाना भर पाएंगे।"

"सेनानी तुम्हारी दादी के फैसले को क्यों समझेंगे?" अनिका ने पूछा।

"क्योंकि मेरी दादी एक सेनानी थी।"

अनिका को थोड़ा शक हुआ। "तुम्हारी दादी का नाम क्या था?"

"देवसेना सिंघम।"

तोह इसका मतलब अनिका उसकी दादी के जर्नल्स पढ़ रही थी लाइब्रेरी में इतने दिनो से। उसने अपना निचला होंठ दबा दिया और सोचने लगी की अभय को यह बात बताए की नही। एक चांस लेते हुए, उसने बता दिया।
"मुझे तुम्हारी दादी की कुछ डायरिया मिली थी। मैने उनमें से कुछ लाइब्रेरी में पढ़ी भी हैं।"

अभय की आंखों में हैरानी झलकने लगी, पर वोह गुस्सा नही हुआ।

"हां, मेरी दादी को पढ़ने का बहुत शौक था और अपनी खुशी के लिए वोह लिखती भी थी। कुछ हमारे कमरे में भी रखें हुए हैं।"

"हां, वहीं से तोह मुझे उनके बारे में पता चला था। तुम्हारी दादी बहुत तेजस्वी और दयालु औरत थी।"

"हां। वोह थी।" अभय के चेहरे पर स्नेहशील भाव थे।

"अभिमन्यु सिंघम के साथ क्या हुआ था?" अनिका ने पूछा।

"अनिका....."

"प्लीज। मुझे जानना है।" अनिका ने जिद्द की।

अभय ने तेज़ सांस ली। "उन्हे तुम्हारे पापा के भाई ने मार दिया था"

अनिका चौंक गई और दुखी भी हो गई।
"क्या? क्यों?"

"क्योंकि प्रजापति भड़के हुए थे की मेरे दादा जी ने कुछ नही किया मेरे डैड को मेरी मॉम से शादी करने से रोकने के लिए। तोह उन्होंने मेरे मॉम डैड की शादी में मेहमान बन कर आने का नाटक किया और धोखे से मेरे दादा जी को मार डाला।"

अनिका की तोह सांस ही अटक गई।

"उन्होंने तुम्हारे दादाजी को तुम्हारी मॉम डैड की शादी के दिन ही मार डाला?"

"हां।"

"तोह फिर सिंघम्स ने क्या किया?"

"मेरे परिवार ने कुछ नही किया पर मेरे कुछ रिश्ते दरों ने तुम्हारे दादा जी पर अटैक किया और गलती से तुम्हारी दादी को मार डाला। वोह तुम्हारे दादाजी के सामने आ गई और गोली उन्हे लग गई। उन्होंने तुम्हारे दादा जी पर भी दुबारा अटैक किया पर वोह बच गए और हमेशा के लिए पैरालिसिस हो गए।"

"ओह माय गॉड," अनिका ने फुसफुसाते हुए कहा।

"इस बारे में बात नही करते हैं, अनिका।" अभय ने चेयर खिसकाई और उठ खड़ा हुआ।

वोह अनिका के पास आया, उसे बाहों में उठाया और अंदर बैडरूम में ले गया। वहां उसने प्यार से अनिका को बैड पर लेटाया और उसे किस करना शुरू कर दिया। उसने धीरे से अनिका का टॉप उतारा और नीचे जमीन पर फेंक दिया। वोह अब उसकी गर्दन पर किस करने लगा और फिर धीरे धीरे नीचे की ओर बढ़ने लगा।

अनिका धीरे से कराह गई और एक सरसरी दौड़ गई अनिका के शरीर में। अनिका का शरीर भी प्रेम की लालसा से भर चुका था पर दिमाग में अभी भी कई बातें घूम रही थी, उसी बारे में जो अभी थोड़ी देर पहले दोनो कर रहे थे। अभय ने अनिका का ध्यान भटकता हुआ महसूस कर लिया था, अभय उसे किस करते हुए रुक गया, और उठ कर बैठ गया।

"आई एम सॉरी," अनिका ने फुसफुसाते हुए कहा। "बात बस इतनी सी है की मुझे यहां आए हुए तीन महीने हो चुके हैं, और अब मैं यहां के लोगों को और तुम से अच्छी तरह से घुल मिल चुकी हूं। पर मैं अभी भी शांति से नही रह पाती, बिना यह जाने की किस वजह से मुझे शादी कर के यहां लाया गया था।"

अभय बैड के सिरहाने पर अपनी पीठ टिका कर बैठ गया। "तुम क्या जानना चाहती हो?"

"देवसेना को कैसे, मेरा मतलब है तुम्हारी दादी को, कैसे कोई फर्क नही पड़ता था उस परिवार की लड़की से अपने पोते की शादी करवा कर जिस परिवार की वजह से उनके पति को मार दिया गया था?" अनिका ने पूछा।

"जैसा मैंने पहले कहा था, जब तुम उनकी तरह बढ़े होते हो, तोह जिंदगी का एक हिस्सा लोगों के लिए होता है। वोह यह खून खराबा खतम करना चाहती थी। वोह इतनी मजबूत और कठोर थी की वोह प्रजापतियों के साथ सब सही करना चाहती थी भले ही......"

यह अजीब बात थी अभय किसी बात को कहने में हिचकिचा रहा हो। "भले ही?" अनिका ने पूछा।

"भले ही प्रजापतियों ने यह लड़ाई खतम, मेरी दादी के दोनो बेटों को, मेरी मॉम को और मेरे छोटे भाई को, मार कर किया हो।"

अनिका तो दंग ही रह गई। "कैसे?"

"मेरी मॉम और मेरे डैड की शादी को दस साल हो चुके थे। तुम्हारे पापा और उनके भाई ने मेरे परिवार को मंदिर में मिलने बुलाया, शादी के प्रस्ताव के बारे में डिस्कस करने के लिए, तुम्हारी बुआ और मेरे चाचा के बीच। पर इसकी बजाय, वहां पर तुम्हारे चाचा ने मेरी मॉम पर अटैक कर दिया और उन्हे मार दिया जो की खूनी हिंसा में बदल गया और बदले में तुम्हारे पापा और चाचा दोनो मारे गए।"

अनिका का दिल यह सब सुन कर धक से रह गया। "पर मुझे तो यह कहा गया था की मेरे पापा एक फायर एक्सीडेंट में मारे गए थे। बल्कि मेरी मॉम भी यही मानती है।"

अनिका की आंखों में आंसू भर गए यह सोच कर बिना वजह एक लड़ाई में उसके पिता मारे गए। "मुझे तोह यकीन ही नहीं होता," अनिका ने आंखों में आंसू लिए धुंधली नज़रों से अभय को देखा और उसका दिल जोरो से धड़क उठा।

"तुम कैसे सहन कर रहे हो उस इंसान के साथ रहना जिसके परिवार का सीधा संबंध है तुम्हारे मॉम डैड और भाई को मारने में?" अनिका ने पूछा।

"यह सब बहुत पुरानी बात है, अनिका।"

"अब मुझे समझ आया की लोग मुझसे क्यों इतनी नफरत करते थे और मुझ पर भरोसा नही करते थे, जब मैं यहां पर आई थी तब।"

अभय ने प्यार से अनिका की पीठ सहलाई। "अब वोह तुम्हे अपना भगवान समझते हैं। तुमने उनकी बहुत मदद की है, और वोह तुम्हारी सच्ची परवाह देख सकते हैं।"

अनिका ने अपने आंसू पोछे ताकि अभय साफ साफ देख पाए। "और तुम्हारा क्या?" अनिका ने पूछा। "एक समय पर तुम भी मुझसे नफरत करते थे।"

अभय चुप था। "हां।" अभय ने ईमानदारी से कबूला। "मैं विरोध था उस लड़की से जबरदस्ती शादी करने में जिसकी पिता मेरे डैड के सबसे अच्छे दोस्त होने के बावजूद भी उन्हे धोखा दिया और बुरे वक्त में उन्हे अकेला छोड़ दिया।" अभय अनिका की तरफ देख रहा था, और अनिका के दिल में कसक सी उठी। "एक समय था जब मैं तुम्हे भी तुम्हारे पिता के गुनाहों की सज़ा देना चाहता था।

अनिका ने अपनी आंखें बंद कर ली, वो अब और अभय का चेहरा नही देख सकती थी। "कितने साल के थे तुम तब, जब....."

"मैं नौ साल का था, और देव सात साल का, और मेरा सबसे छोटा भाई पांच साल का। देव और मैं दादी के साथ घर पर ही रुके हुए थे और सबसे छोटे भाई को मॉम और डैड अपने साथ ले गए थे।

"आई एम सॉरी।" अनिका ने फुसफुसाते हुए कहा।

"देव और मुझे यह कहा गया था की यह एक एक्सीडेंट था जब यह सब हुआ था, और मेरी दादी ने हम से काफी लंबे समय तक यह बात छुपा कर रखी थी। उन्होंने हम दोनो बोर्डिंग स्कूल भेज दिया था, लंदन में। जब तक मुझे फोन नही आया था की मेरी दादी बहुत बीमार है और एक पुरानी और लंबी बीमारी से जूझ रही तब तक मुझे इस मंदिर कांड और मेरे मॉम डैड के बारे में कुछ नही पता था। बल्कि उस वक्त भी मेरी दादी ने मुझे ज्यादा कुछ नही बताया था। उन्होंने बस मुझसे वादा लिया की मैं एक प्रजापति लड़की से ही शादी करूं।"

अनिका इमेजिन कर सकती थी देवसेना कितनी निस्वार्थी है। जब वोह जानती थी की वोह मर रही है तब भी वोह अपने पोते को ही प्रोटेक्ट कर रही थी।
"तोह तुम वापिस क्यों नही गए जब तुम्हारी दादी गुज़र गईं?"

"मैं नही कर पाया। लोग मर रहे थे, लोगों का जीना भी मुश्किल हो रहा था यहां सूखे की वजह से, और वोह लोग समझते थे किसी अभिशाप की वजह से यह सब हो रहा है। उस औरत का अभिशाप जिस के साथ धोखा हुआ था। मैं बस शांति बनाए रखना चाहता था और अपनी जमीन, अपने लोगों की खुशहाली चाहता था, किसी भी कीमत पर।"

अनिका की आंखों में फिर से आंसू आ गए। "आई एम सो प्राउड ऑफ यू। मुझे नही लगता कोई भी यह जिंदगी खुद से चुनेगा जो तुमने की जबकि कई और रास्ते भी थे तुम्हारे पास।" अनिका ने याद किया ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की एलुमनी मैगज़ीन जहां से अभय ने ग्रेजुएशन किया था।

अभय ने अनिका के आंसू पोछे। "मुझे कभी भी, एक पल के लिए भी, जो मैने चुना, उसके लिए, कभी पछतावा नहीं हुआ है।" अभय ने कहा।

अनिका ने अभय का चेहरा थामा। "मैं भी नही चाहती।" अनिका ने कहा और अभय के होंठों को प्यार से चूम लिया। "मुझे असल मायने में सिंघम की दुल्हन बना दो अभय। मैं हर तरीके से तुम्हारी होना चाहती हूं।"






कहानी अभी जारी है...
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