Beshak Ishq - 5 books and stories free download online pdf in Hindi

बेशक इश्क - Part-5

सीटी हॉस्पिटल

देहरादून, उतराखण्ड

" क्या हुआ तुम्हें,, तुम,,, तुम ठीक तो हो,,,???"वदान्य नें कहा ।

"मैं,,,, ठीक हूं,,,, पर तुम,,, तुम कौन हो "रूपिका ने डरते हुए कहा ।

" वो मैं,,,, "वदान्य आगे कुछ कहता तभी एक औरत डॉक्टर के साथ अन्दर आते है ।

" वदान्य,,,, रूपिका हो क्या हुआ,,,, उसकी चीखने की आवाज,,?

" पता नही बुआ,,, अचानक ही उठते ही चीखने लगी,,, "

" लेट जाइये, मिस रूपिका,,,,!!! आप इतना कांप क्यो रही है,,,, डॉक्टर नें रूपिका को लेटाते हुए कहा ।

" नो डॉक्टर मुझे नही लेटना,,, मुझे बस यह बताइये मेरी बहन, गार्गी कहा है,,,, और मैं यहां कैसे,,,,,,

"बेटा, अभी शांत रहो,,, और लेट जाओ, इतना पैनिक मत हो बेटा, तुम्हारी तबीयत अभी ठीक नहीं है" वदान्य की बुआ निवेदिता ने कहा ।

" आप,,,,???

" मैं उस दिन तुम्हारे घर आयी थी, तुम्हारे डैड की दोस्त हू मैं,,," कहते हुए निवेदिता नें रूपिका को गले से लगा लिया ।

" आंटी,,,आप बताइये ना,,,,, मेरी बहन कहां है,,,, !??? वो हम दोनो कार में थे, हम दोनों एयरपोर्ट जाने वाले थे, फिर अचानक बारिश हुई और फिर डैड थे सडक पर, उन्हें देखकर गार्गी चीख पड़ी और मैंने भी डैड को बचाने के लिए ब्रेक लगाना चाहा, पर फिर कल पता नहीं कैसे आउट ऑफ कंट्रोल हो गई हो, उसके बाद मुझे पता नहीं,,,,,!!!

"क्या,,, बेटा क्या बोल रही हो, तुम्हारे डैड सडक पर कैसे हो सकते है,,,???

" नही वो थे उस वक्त सडक पर,, आंटी,,, पर आप यह सब सवाल छोड़िये बस मुझे इतना बताइएगा जी कहां है ?? वो ठीक तो है ना,,,,???रूपिका की तबियत बिल्कुल खराब हो गयी थी, वो यह सब बोलते हुए बिल्कुल कांप रही थी ।

" बेटा रिलेक्स,,, शांत हो जाओ,,,,, "

" लगता है पेसेन्ट तो पैनिक अटैक आ रहा है,,,, आप शांत रहिये इनसे कुछ मत कहिये,,,, !!! "डॉक्टर नें इंस्ट्रक्शन देते हुए कहा ।

" आंटी,,,गार्गी कहा है बताइये,,,,!??? "रूपिका नें निवेदिता का हाथ कसकर पकड़ते हुए कहा ।

" बेटा, बिल्कुल, बताएगे,, पर अभी तुम शांत हो जाओ,,,, " निवेदिता , रूपिका को शांत कराने की कोशिश करती है पर उसकी हालत और भी ज्यादा खराब होती जा रही थी, वही डॉक्टर अब उसे बेहोशी का इंजेक्शन लगा देती है जिस कारण रूपिका वापस बेहोश हो जाती है ।

निवेदिता से भी रूपिका की हालत नही देखी जाती तो वो उसकी आंखो से भी आंसू आ जाते है । वही वदान्य भी बेहद सहानुभूति के साथ रूपिका को देख रहा था, रूपिका की हालत इस वक्त किसी से भी नही देखी जा रही थी । एक ही महिने के अंदर उसने अपना सब कुछ खो दिया था, जिस तरह वो गार्गी के बारे में बार-बार पूछ रही थी और उसकी हालत देखकर किसी की भी हिम्मत नही थी कि रूपिका को गार्गी के हालत के बारे में बता पाये ।

" वदान्य,, इस बच्ची की इतनी बुरी हालत मुझसे देखी नहीं जा रही है,,,,," निवेदिता बेहद दुःख के साथ कहती है ।

वदान्य निवेदिता के कंधे पर हाथ रखते हुए-: बुआ,, मुझे भी बुरा लग रहा है पर हमें खुद को मजबूत रखना होगा ताकि हम रूपिका को सम्भाल पाये,,,,!! कहते हुए वदान्य, निवेदिता को सम्भालता है ।

निवेदिता, वदान्य की तरफ देखकर सिर हिला देती है फिर दोनो रूपिका की तरफ देखने लगते हैं, रूपिका, बेखबर, बेड पर बेहोश सो चुकी थी ।

एक हफ्ते बाद

" बेटा,,, कैसी हो तुम,,,, ??? निवेदिता ने रूपिका के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा ।

रूपिका हॉस्पिटल के बेड पर बैठी दिवार को एकटक घूर रही थी, उसकी शकल बिल्कुल उतरी हुई थी, आंखों के चारों ओर डार्क सर्कल्स और चेहरे की फीकी रंगत साफ बता रही थी कि जैसे वो न जाने कितनी ही रातों से सोई नहीं, और न जाने कितना ही रो चुकी थी, शायज इतना कि उसकी आंखों से अब आंसू भी सुख चुके थे । जब उसे गार्गी के बारे में पता चला था तब वह बिल्कुल ही टूट चुकी थी, उसकी बहन जो कल तक उसके साथ थी वो ही आज उसे छोडतर बहुत दूर जा चुकी थी , इन सात दिनो में वो कितना रोई थी शायद वही जानती थी पर अब उसके आंसूओ का सैलाब थम चुका था और अकेला रोने से उसके अकेलेपन नें अब उसे बेहद मजबूत कर दिया था ।

" आंटी मेैं ठीक हूं,,,,,!!" रूपिका नें निवेदिता की तरफ देखते हुए कहा ।

" बेटा तुम रो रही थी,,, ??? "

" नही आंटी बस,,,,, मुझे,,," रूपिका कहते-कहते रुक गई ।

" बेटा,,,, तुम मुझसे झूठ बोलोगी,,,, ????? बोलो, रो रही थी ना,,,, ???निवेदिता नें रूपिका के पास बैठते हुए कहा । रूपिका ने उसके सवाल का कोई जवाब नहीं दिया हर चुपचाप बैठी रही ।

" बेटा जानती हूं, यह सब तुम्हारे लिये आसान नही है, और मैं तुम्हें इस तरह नहीं दे सकती हूं आखिर मैं भी एक मां हूं और मुझे तुममें अपनी बेटी राव्या की झलक दिखाई देती है, ऐसा लगता है जैसे तुम मेरी ही बेटी हो,,,,!!! अगर तुम चाहो तो मुझे अपनी मां की तरह समझ सकती हो, और अपने मन की बातें मुझसे शेयर कर सकती हो,,,, !!!

रूपिका, निवेदिता की बात सुनकर एक हल्की मुस्कान दे देती है पर कुछ कह नही सकती है ।

" बेटा एक सप्ताह हो गया है, और आज हॉस्पिटल वाले तुम्हे डिस्चार्ज करने के लिए तैयार हो गए हैं तो मैं तुमसे कहना चाहती हूं कि अगर तुम्हें परेशानी ना हो तो हमारे साथ हमारे घर चल सकती हो, क्योकि मैं चाहती हूं कि तुम कुछ दिनो तक हमारे साथ रहो, जब तक कि तुम पूरी तरह ठीक नही हो जाती हो,,,,!!!

" आंटी पर मै,,, अपने घर ही जाना चाहती हूं क्योंकि मैं नहीं चाहती अब आप लोग और ज्यादा परेशान होवे,,, पहले ही मेरे कारण एक वीक से आप लोगो पूरी तरह परेशान है,,,,, !!!! रूपिका नें बेहद धीमी आवाज में कहा ।

" बेटा परेशानी है क्या बात है तुम मेरी बेटी जैसी हो मैंने अभी कहा अगर तुम्हारी जगह मेरी राब्या होती तो, और अगर मेरी जगह तुम्हारे डेड होते तो भी क्या तुमने ही बात बोलती,,,,, ????

" नही,,, पर आप लोगो को परेशा,,,,"

" हमे कोईपरेशानी नहीं है, और प्लीज तुम मना मत करो,मैं चाहती हूं तुम कुछ दिनो तक मेरे साथ रहो,,,, भले ही तुम ठीक होते ही चले जाना पर अभी अपनी हालत देखो, कितनी चोट आई हुई है तुम्हें, सिर से लेकर पैर तक पट्टिया बंधी हुई है,,,, इस हालत में तुम कह रही हो, मैं तुम्हें अकेला छोड़ दूं कभी नहीं,,,,, !!!!

" आंटी पर,,,,!!!

" अरे बुआ,,, आप अभी तक यहां हो,,, मैनें हॉस्पिटल के सारे बींस वगैरह पे कर दिए, सारे रिपोर्ट्स वगैरह निकाल लिये है, और आपको बोला था , रूपिका को लेकर गाड़ी में जाकर बैठ जाइयेगा,,,, पर आप दोनो अभी भी यही बैठे हो,,,,,???? वदान्य नें अन्दर एन्टर करते हुए कहा ।

" मैं तो आ रही थी पर रूपिका ही हमारे साथ जाने से मना कर रही है यह कह रही है कि उसके कारण हमें परेशानी होगी"

" वॉट ए नॉनसेन्स थॉट,,,, "वदान्य नें मुंह बनाते हुए कहा ।

" यस एप्सलूटली मैं भी यही कह रही हूं, यह ऐसा सोच भी कैसे सकती है,,, मेरी बेटी जैसी है यह, इसके कारण किसी को भी परेशानी कैसे हो सकती है,,, ,????

" नो आंटी मतलब,,,," रूपिका कुछ कहने को हुई पर वदान्य उसकी बात काटतें हुए-: व्हॉट आंटी, रूपी,,, अब आप मुझसे बात करिये,,,,, बुआ को कोई सफाई देने की जरूरत नही है,,,, आप हमारे साथ चल रही है,,, और यह मैं बोल रहा हू आपसे,,,,, !!!!

" पर मैं आप लोगो को तकलीफ "

" चुप रहिये आप, क्या तकलीफ - तकलीफ लगा रखा है आपने, क्या हमने कहा हमें आपसे तकलीफ है, अगर आपकी तकलीफ होती है तो हम आपके पास यू 7 दिनों तक कर नहीं लगा रही होते, आप के कारण बुआ जी सात दिनो से कितनी परेशान है, हालत देखिये आप अपनी ऊपर से लेकर नीचे तक टूटी पडी है, और आप कह रही हैं आप अकेले रहोगी,,,, " वदान्य नें रूपिका से सख्ती से कहा ।

" पर,,, मैं ठीक हूं,, और अपना ख्याल रख सकती हूं, आप दोनो सात दिन से इतने परेशान है तभी तो कह रही हूं अब मैं आपको ओर परेशान,,,,!!!

" आप चुपचाप, बुआ के साथ चलेगी या आपको जबरदस्ती उठाकर लेकर जाऊ,,,,"

" व्हॉट,,,, ??? क्या मतलब है आपका,,,,??"

" बुआ,,, इन्हें बताइये क्या कहना चाह रहा हूं मैं,,,,, " वदान्य नें एक तिरछी मुस्कान के साथ कहा ।

निवेदिता, वदान्य को देखकर मुस्कुरा देती है । रूपिका उन दोनो को बारी-बारी देखने लगती है ।

" अरे बेटा परेशान मत हो,,,, !!! यह मजाक कर रहा है, पर तुम अब चुपचाप चलो वरना,,,, वदान्य को तुम जानती नही हो,,, "

" पर,,,,"

" अभी भी पर,,,,,, उफ,,, "वदान्य नें रूपिका को घूरते हुए कहा ।

" मैं बस कहना चाह रही हूं कि मेरा सामान,,,, वो लेना है,,,,, "

" औह,,,, पर उसकी आप चिन्ता मत करिये,,, मैं सब देख लूंगा, बस आप चलिये,,,, "

रूपिका, वदान्य की बात सुनकर सिर हिला देती है फिर निवेदिता, रूपिका को लेकर बाहर निकल जाती है , वही वदान्य , उन दोनो के जाते ही एक सरसरी नजर से पूरे रूम को देखती है, फिर कुछ सोचते हुए वहां से बाहर की तरफ चला जाता है, उसके जाते कुछ खून की भरे हाथो के निशान रूपिका के बैड पर अपने आप छपने लगते है ओर धीरे -धीरे वो पूरी बैडसीट लाल धब्बो से लाल पड जाती है और अचानक ही पूरे रूम में अंधेरा छा जाता है ।

धारिवाहिक जारी है.........

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