Beshak Ishq - 9 books and stories free download online pdf in Hindi

बेशक इश्क - Part-9

उसी रात,

रहैजा हाऊस,

" वदान्य,,,,, आज तुम रूपिका के घर गए थे क्या,,,,, !!!! निवेदिता ने डिनर टेबल पर चेयर पर बैठते हुए कहा ।

" हां बुआ गया था मैं पर,,, "

" पर क्या,,,,, क्या तुम मुझसे मिले नहीं कैसी है वो,,,??? अपना ख्याल रख रही है ना,,,,,????

" बुआ मैं उससे नहीं मिल पाया क्योकि जब मैं उसके घर गया वो घर पर नही थी,,,,,,,"

" क्या घर पर नही थी,,,,?? फिर,,,,???

" हां वो मैने उनके घर की केयर टेकर से पूछा था, माधवी आंटी करके कुछ नाम है उनका,,,, मैं शाम को रूपिका के घर से ही आया हूं, तो माधवी आंटी ने दरवाजा खोला था,उनसे पूछने पर पता चला कि रूपिका आज सुबह ही मानावत अंकल के ऑफिस चली गयी है,,,,, !!! आई थिंक वो अब मानावत अंकल का बिजनेस संभालने वाली है,,,, "

" क्या,,,, ??? अभी वह पूरी तरह से ठीक नहीं हुई है और बिजनेस कैसे संभालेगी,,,,, ,??? इस बार रघुवीरजी ने कहा ।

" आई एम आल्सो कन्फ्यूज्ड डैड,,, वो लडकी पूरी तरह से जिद्दी मालूम पडती है मतलब दो दिन हुए नही और वो ऑफिस भी चली गयी , वो कल घर से गयी थी तभी हमें समझ जाना चाहिए था कि वो चुपचाप नहीं बैठेगी, मतलब उसका भी कुछ दिनों पहले ही एक्सीडेंट हुआ है और अब काम पर लग गयी है,,,,,," वदान्य नें आंखे बनाते हुए कहा ।

" हम्म, तुम सही कह रहै हो,, मुझे कल उससे मिलना है वदान्य,,,, !!!! तुम कल सुबह कॉलेज जाते वक्त मुझे अपने सथ लेकर चलना,,,,,, मैं उससे मिलना चाहती हूं,,,,," निवेदिता ने कहा ।

" औके बुआ,,,, बट वो घर पर होगी यानही यह बात मुझे नही पता है,,,,," वदान्य नें कंधे उठाते हुए कहा ।

" कोई बात नही अगर वो घर पर नही हुई तो मैं उसके ऑफिस चली जाऊंगी,,,,,,!!!! पर मुझे उसकी क्लास लेनी है एक तो बिना हमें बताए चली गई और ऊपर से काम का लोड भी ले रही है,,, जब तक वह पूरी तरह ठीक नहीं हो जाती मुझे लगता है उसे आराम करना चाहिए था,,,,,,,, "

" हम्म,,,,!!!

" हा निवेदिता तुम सही कह रही हो, मुझे तो लगता है रूपिका बिल्कुल अपने डैड की तरह है, वो भी आराम करना पसन्द नहीं करते थे चाहे कितने भी बीमार हो जाए और यह भी बिल्कुल ऐसी ही है,,,,,"

" हां भैय्या सही कह रहे है आप, मुझे तो मानव की झलक दिखती है उसमें,,,,,,,"

" किसकी बात कर रहे हैं आप लोग,,,,,,!!!! राव्या नें डायनिंग टेबल पर बैठते हुए कहा ।

" लो आ गयी बंदरियां,,,,,,!!!! वदान्य नें धीरे से कहा पर राव्या ने सुन लिया था ।

" मॉम,,, देख लो, यह भाई मुझे बन्दरिया बोल रहे है,,,,,!!! राव्या नें चिडते हुए कहा ।

" अरे रावी क्या बोल रही है,,,, मैने कब कहा तुझे बंदरिया,,,????

" अभी कहा आपने और सुबह,,,,"

" रावी,,, मैने तुझे बन्दरिया नही कहा है,,,,और सुबह,,,, सुबह हमने बात कब की, तू तो लेट उठती है और मैं तो जल्दी ही कॉलेज चला जाता हू,,,,,"

" भाई झूठ मत बोलो , ,, मै आज जल्दी उठ रही थी क्योंकि मुझे आपके साथ जाना होगा और मैं चाहती थी आप मुझे अपनी कॉलेज लेकर जाएं मेरा कितना मन है आपके साथ कॉलेज जाने का,,, ,, पर आप मुझे हर बार नहीं लेकर जाते हैं,,,,,, "

" कॉलेज में तुम्हारा आना अलाउड नहीं है क्योंकि तुम अभी छोटी बन्द,,,,,, "

" देखो,,, देखो मॉम,,, यह दोबारा मुझे बंदरियां कह रहे है,,,,,, "

" अरे मैने,,,,!!!!

" बस करो तुम दोनो,,,,!!! खाते टाइम भी लडते रहते हो, वदान्य यह तो बच्ची है तुम तो तेइस साल के हो गये हो,,, एटलिस्ट तुम तो ऐसे बच्चे की तरह मत लडा करो,,,," रघुवीर नें वदान्य को देखते हुए कहा ।

" डैड मैने कुछ नही किया यही,,, चढ रही है मेरे ऊपर,,,,, !!! देखो अभी कैसे घूर रही है मुझे,,,,, !!!

" मामाजी मुझे लगता है, वदान्य भाई की कॉलेज में कोई सेटिंग है, तभी यह मुझे लेकर नही जाते, वरना यह जानते हैं कि अगर मुझे लेकर गए ना तो मैं इनका दो सैकैण्ट में ब्रेकअप करवा दूंगी,,,,," राव्या नें बालो पर हीथ घुमाते हुए कहा ।

" औह बन्दरियां,,,,!! चुप कर,,, बडी आई सेटिंग वाली, कितना बोलती है और क्या-क्या वर्ड बोलती है,,,, ??? सेटिंग यह क्या वर्ड है,,,,!!!! डैड इसकी बात पर ध्यान मत दो आप, यह लडकी पागल है सुबह-सुबह मेरी कार से मुझे ही बाहर निकाल दिया था इसने,,,,,, और इसके कारण आज मुझे कॉलेज के लिये देरी हो गयी,,,,,,!!! बंदरियां कही की,,,,,"

" मैं बंदरिया हूं तो आप बंदर है, मुछमुंडे बन्दर,,,!!! बन्दर भाई,,,,," राव्या नें वदान्य की आंखो में देखते हुए कहा , उन दोनो की आंखे इस वक्त लड रही थी ।

" अरे बस करो अब,,,,!!! तुम दोनो भाई-बहनो का बस चले तो एक-दूसरे से ऊपर तोप के गोले दाग दो,,,,!! कितना लडते हो तुम दोनों,,,," निवेदिता नें गुस्से से उन दोनो को डांटते हुए कहा ।

" बुआ मैंने क्या किया यह खुद ही मुझसे लड़ रही है,,,,,"

" अभी डिनर करो दोनो,,, मुझे कुछ नही सुनना,,,, और राव्या तुम्हे कॉलेज जाना है ना,,, अपनी ट्वेल्थ की एग्जाम दो फिर चली जाना कॉलेज,,,, वदान्य के कॉलेज मे ही तुम्हारा एडमिशन करवाऊंगी,,,,,"

" ठीक है मॉम,,,," राव्या नें कहा ।

वदान्य, राव्या की तरफ देखकर मुंह बना देता है । राव्या भी बदले मे मुंह बना देती है ।

दूसरी तरफ

रहैजा कम्पनीज

रूपिका के ऑफिस का सारा स्टाफ जा चुका था, वो अपना सारा वर्क करके अपने केबिन से बाहर निकलती है, वो आज ऑफिस तो नही आना चाहती थी पर ऑफिस से मैनेजर का कॉल आने के कारण उसे आना पडा क्योकि ऑफिस की काफी मिटिंग्स पैडिंग पडी हुई थी और ऑफिस में कोई भी काम सही से नही हो रहा था, सारा स्टाफ अपना मनमर्जी कर रहा था जिस कारण रूपिका को अब नया स्टाफ अपॉइंड करना पडा, उसनें आज बहुत से इंटरव्यू लिये थे इस कारण वो हद से ज्यादा थक गयी थी ।

रूपिका लिफ्ट के अन्दर आती है, वो लिफ्ट का बटन दबा देती है फिर अपने मोबाइल स्क्रीन पर नजरें टिका लेती है ।

कुछ देर तक लिफ्ट में शांति रहने के बाद रूपिका के पीछे एक सफेद परछाई प्रकट होती है, परछाई की आंखे लाल थी और चेहरे पर घाव के निशान बने हुए थे । जैसे-जैसे लिफ्ट नीचे आती है वैसे-वैसे एक-एक करके उन परछाईयो की संख्या बढने लगती है । वो परछाईयां कुछ आदमियो की थी तो कुछ औरतो की । वो सभी परछाईयां रूपिका के पीछे खडी थी ।

रूपिका का पूरा ध्यान अपने मोबाइल पर था तभी अचानक लिफ्ट रूकती है और लिफ्ट का दरवाजा खुल जाता है । रूपिका, लिफ्ट के खुलते ही वहां से बाहर निकलने लगती है पर अचानक पूरे ऑफिस की लाइट्स चली जाती है ।

"औह गॉड,,, यह लाइट्स कैसे चली गयी,,,,,,???? रूपिका नें मोबाइल की टॉर्च ऑन करते हुए कहा ।

" खैर मैं नीचे तक तो पहुच ही गयी हूं,,,,!!! अब कार तक अंधेरे मे जाना पडेगा,,,,," कहते हुए रूपिका कुछ कदम बढाती है पर तभी उसे ऐसै लगता है ऐसे उसके आस-पास तेजी से धुंआ उठने लगा हो,, इसके साथ ही उसके पीछे कोई खडा हो ।

वो पलटकर देखती है तो उसकी आंखे फटी की फटी रह जाती है उसके पीछे मानव और गार्गी खडे हुए थे, उनके चेहरे से खून निकल रहा था, चेहरे पर काफी घाव बने हुए थे ।

" डैड,,, , गार्गी,,,,,, ???? " रूपिका नें कांपते होठो के साथ कहा ।

वो दोनो रूपिका की तरफ अजीब नजरो से देख रहे होते है साथ ही उनके शरीर से काले सफेद रंग का धुआं भी उठ रहा था ।

" डैड, ,, आप दोनो,,,,, ???" रूपिका नें आंखो में आंसू लिये कहा ।

गार्गी और मानव एक-दूसरे की तरफ देखते है रूपिका उन्हें गले से लगाने के लिये कदम बढाती है पर वो उन दोनो को छू भी नही पाती,,,, उसके हाथ उन दोनो के शरीर से आर-पार निकल जाते है,,,, वो अपने हाथ की तरफ हैरानगी से देखती है फिर उन दोनो की तरफ ।

" डैड,,, गार्गी मैं आप दोनो को हाथ क्यो नही लगा पा रही हूं ,,,,,,,, ???? रूपिका हैरानगी के साथ कहती है ।

रूपिका की बात सुनकर उन दोनो के चेहरे पर एक तिरछी मुस्कान आ जाती है वो दोनो अचानक ही उसका गला पकड लेते है ।

" डै,,,डैड,,,,, गार्गी,,,, आप दोनो यह क्या कर रहे है, मुझे,,, मुझे सांस नही आ रहा है,,"रूपिका ने अटकते हुए कहा य उन दोनो की पकड इतना टाइट थी कि रूपिका की आवाज तक गले से बाहर नही निकल पा रही थी और आंखो से आंसू आ चुके थे ।

तभी गार्गी के हाथ में एक धारदार तलवार आ जाती है गार्गी तलवार रूपिका के गले के आर-पार निकालने को होती है पर एक हाथ बीच में आ जाता है, जिससे तलवार उस हाथ से आर-पार हो जाता है सामने एक लडका काली हूडी मे खडा था, उसकी आंखे नीली आंखे चमक रही थी और चेहरे पर एक काला मास्क था । लडके के हाथ के आर-पार तलवार निकलकर रूपिका के पास आकर रूक गयी थी । तलवार पूरी तरह से खून से लाल- लाल हो चुकी थी और उस लडके के हाथो से खून जमीन पर टपक रहा था ।

धारावाहिक जारी है...............