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बचपन का प्यार


बचपन में एक सीधा साधा और शांत स्वाभाव का लड़का था। घर से स्कूल और स्कूल से घर फिर शाम को दोस्तों के साथ खेलना और बाकि समय बस पढ़ाई यही मेरा रोज का दैनिक कार्य था। जिस जगह हमारा परिवार रहती था, उसी बिल्डिंग के सेकंड फ्लोर पर रोशनी नाम की लड़की रहती थी।

जिसकी एक छोटी बहन और एक छोटा भाई भी था। मैं और रौशनी भी अक्सर साथ में खेला करते थे, क्योंकि शाम के समय हम सब हमेसा साथ में मिल कर खेला करते थे जिसमें लड़के और लड़की दोनों थे। मैं शुरू से ही रौशनी को देखा करता था, रौशनी को देखने का सबसे बड़ा कारण था उसकी दिलकश मुस्कान।

जब रौशनी मुस्कुराती थी तो उसके गाल पर एक प्यारा सा डिंपल पड़ता था। जो रौशनी की खूबसूरती को और भी बड़ा देते थे जो मुझे बहुत पसंद था और आज भी हैं। रौशनी के गालो का डिंपल और उसकी प्यारी आँखे उसे दूसरो से ज्यादा आकर्षक बनाती थी। मैं हर दिन स्कूल से घर आकर शाम का ही इंतज़ार करता था।

क्योंकि यही शाम का वक़्त होता था जब मैं रौशनी को देखता था उससे करता और हम मिल कर खेलते थे। हालांकि रौशनी इस बात से अंजान थी की मैं उसे देखता हूँ और उसे पसंद करता हूँ। उसके पास आते ही मुझे एकदम अच्छी वाली फीलिंग क्यों आता हैं ये मुझे तब पता नहीं था पर वो फीलिंग मुझे बहुत पसंद था।

मेरे दिन की सुरूवात भी रौशनी को देख कर होता था और रात भी रौशनी को देख कर ही होता था। क्योंकि रोशनी और मेरे स्कूल का टाइमिंग एक था, मैं कॉन्वेंट स्कूल में पड़ता था, वही रोशनी शिशु निकेतन में पड़ती थी। हर रोज सुबह मैं और रोशनी एक दूसरे को देख कर मुस्कुराया करते थे। मेरी और रौशनी के दिन की सुरूवात इसी तरह होता था।

मैं और रोशनी अक्सर शाम के समय मिलते थे जब सभी दोस्त मिल कर खेलते थे। जब भी बैडमिंटन का गेम होता था तो रोशनी भी अक्सर मेरी टीम में ही रहती थी, क्योंकि मैं बैडमिंटन अच्छा खेलता था और जीतता भी था। मेरा रौशनी के घर और रौशनी के घर काफी आना जाना था।

मेरे शर्मीले स्वाभाव के कारण मैं तो रोशनी के घर ज्यादा नहीं जाता। पर रोशनी अक्सर मेरे घर आती थी इसकी वजह था मेरी छोटी बहन जिसकी रोशनी से अच्छी दोस्ती थी। एक दिन की बात हैं जब सारे दोस्त मिल कर छुपा छुपी खेल रहे थे वक्त शाम का था थोड़ा अँधेरा हो चूका था।

हम सब घर में जहा छुपने की जगह था वहाँ छुपने लगे थे, मैं तो अपने ही घर में जाकर लाइट ऑफ करके चुप गया। मेरी छोटी बहन, रोशनी और एक दोस्त पिंकी भी हमारे घर में ही चुप गए उस दिन जिस जगह मैं बैठा छुपा हुआ था। उसी जगह पिंकी और रोशनी भी आ गए लाइट ऑफ होने वजह से रोशनी का पैर चेयर से टकराया और मुझ पर आकर गिर गई।

रोशनी की हाथ मेरी आँखों पर लगा इस पर रौशनी ने पहले तो मुझे सॉरी कहा। फिर जब पता चला उसके हाथो से मेरी आंख पर जोर से लग गया तो रौशनी अपने मुँह से मेरे आँखों को फुक मारने लगी ताकि मुझे आराम मिले।पर मैं तो कही और ही खोया था क्योंकि पहली बार मुझे रोशनी की गर्म सांसो को महसूस करने का मौका मिला था। कुछ पल के लिए तो मुझे लगा की मैं रौशनी को गले लगा लूँ।

फिर मैंने खुद को कंट्रोल किया, पर उस दिन मुझे नहीं पता वह एक छोटी सी खूबसूरत पल मेरी जिन्दगी की सबसे खूबसूरत यादें बन जायेगा। जो मुझे जिंदगी भर एक प्यारा एहसास दिलाएगा, उस पल को मैं दोबारा जीने की कई कोशिश किया पर वह दिन कभी नहीं आया।

हम सभी दोस्त ठण्ड के मौसम मे कभी – कभी शनिवार रात को खाना खाने के बाद घर के नीचे बने गार्डन में छोटी सी आग जलाया करते थे। जहां बहुत सारी बातें, किस्से, कहानीयाँ सुना और सुनाया जाता था। तो कभी- कभी हम अन्ताकक्षड़ी का खेल खेला करते थे। एक दिन हम सब दोस्त मिल कर शनिवार को आग जला कर अन्ताकक्षड़ी खेल रहे थे।

27 दिसंबर का रात था काफी ठण्ड था उन सर्द रातों में आग की गर्म लपटें शरीर को गर्माहट दे रही थी। उन सर्द रातों में आग की लपटों से रोशनी को झाँक कर देखना मुझे अच्छा लग रहा था। क्योंकि रौशनी और मैं एक दूसरे के आमने सामने थे। उस ठण्ड में आग की गर्माहट का एहसास मुझे रोशनी की ओर और भी आकर्षित कर रहा था।

कभी मेरी नज़र उस पर पड़ती तो कभी उसकी नज़रे मुझ पर। उस रात वैसे तो मैंने कई गाने गाये थे पर एक गाना उस रात को और भी यादगार बना दिया या ये कहें उस गाने से पूरा माहौल बन गया था। मैंने उस दिन अपना पसंदीदा गाना गया जो मैं हमेशा से रोशनी के लिए गाना चाहता था।

जो रॉक ऑन मूवी का सांग था गाने के बोल थे ये तुम्हारी मेरी बातें हमेशा यूँ ही चलती रहे। जैसे ही मैंने यह गाना पूरा किया मेरे दोस्त ने मजाकिया अंदाज़ में कहा की यह गाना किसके लिए हैं मैं समझ रहा हूँ मैंने कहा मैं किसके लिए गाऊँगा यार ये तो बस ऐसे ही गाया कुछ खास नहीं।

उतने में ही मेरे एक दोस्त संजय ने कहा ये आग की रौशनी आज कुछ ज्यादा चमक रही हैं न। इस पर जब मैं रौशनी की तरफ देखा तो उसके चेहरे पर एक हल्की सी प्यारी सी मुस्कान थी। उसकी उस रात की वो मुस्कान मेरे लिए बेशक़ीमती था, जो हमेशा के लिए आज तक मेरे दिल में बसा हैं।

उस रात जब आग की लपटो की तपिश रौशनी के चेहरे पर पड़ रही थी, तो उस रात सच में रौशनी बहुत सुन्दर लग रही थी। जब दिल में किसी के लिए प्यार हो तो माहौल खुद ब खुद रोमांटिक हो जाता है और ऐसा लगता बैकग्राउंड में रोमांटिक म्यूजिक चल रहा हो। इस तरह कुछ देर बात करने के बाद हम सब अपने – अपने घर चले गए।

प्यार में न जाने ऐसा क्यों होता हैं,
जिसे हम चाहें सच्चे दिल से,
वही हमसे दूर क्यों होता हैं।

एक दिन मुझे पता चला की रोशनी अपनी पूरी फैमली के साथ हमेशा के लिए चंडीगढ़ जा रही हैं। जहाँ उनका खुद का घर और दादा दादी रखते थे यह सुन कर मेरे अंदर एक अजीब सी बेचैनी होने लगा की यह अचानक क्या हो रहा हैं। अभी तो मुझे रोशनी से अपने प्यार का वो एहसास मिला था जिसका मैं कब से इंतज़ार कर रहा था।

और अब एक पल में ही हमेशा के लिए बिछड़ने वाले है। रौशनी फाइनल एग्जाम के बाद चले जाने वाली थी। इस बीच मैं जितना ज्यादा हो सकता था रोशनी के साथ वक़्त बिताता था। इस बिच हम सभी दोस्त मिल कर कई जगह साथ घूमने भी गए। क्योंकि मुझे पता था की वह मुझसे दूर होने वाली हैं जो मुझे न चाहते हुए भी दुखी होने को मजबूर कर देता था।
इसलिए मैं समय रहते रौशनी के साथ रह इतनी सारी यादें बना लेना चाहता था जिसके सहारे मैं जी सकू। यूँ ही वक़्त बीतता गया अंत में वह दिन भी आ ही गया जब रोशनी मुझे हमेशा के लिए छोड़ कर जाने वाली थी। शाम को अंतिम बार हम मिले, रौशनी दिल से तो उदास थी पर चेहरे पे हसते हुए मुझसे मिली। रौशनी ने मुझसे कहा अनुराग मुझे तुम्हारे साथ बिताया वक़्त याद आएगा, तुम बहुत अच्छे हो और हमेशा ऐसे ही रहना।

हमने कई सारे खुशी पल साथ बिताए थे चाहें वो फेस्टिवल्स सेलेब्रेट करने हो, होली हो, एक दूसरे का बर्थडे सेलिब्रेट करना हो या शनिवार को रात में बैठ कर ढेर सारी बातें हो। कुछ देर यूँ ही बात करने के बाद मैं अपने इमोशन रोक नहीं पाया और अंत अपने दिल की सारी बात बता दिया।
मैंने कहा रौशनी मैं तुम्हें बहुत पसंद करता हूँ I Like You Roshani. साथ ही यह भी बता दिया की मैं किस तरह पहले छुप- छुप कर तुम्हें खेलते हुए देखा करता था। जब तुम हॅसते थे तो खुशी मुझे महसूस होता था और तुम्हारे दुःख होने पर मैं भी दुःख होता था। तुम्हारे साथ बिताए पल को अपने डायरी में लिखा करता था।

यह सब बातें सुन कर रौशनी हैरान भी हुई और फिर इमोशनल भी हो गई। उसने मुझसे कहा तुम यह सारी बातें मुझे पहले नहीं कह सकते थे, बताये भी तो अब जब मैं जा रही हूँ। इतना कह कर वह मुझे छत पर मिलने को कहा।

छत पर वह मुझसे और भी बहुत सी बाते की और कहा मैं जा तो रही हूँ पर कभी मौका मिले तो पापा से कहके वापस यहाँ कुछ देर के लिए जरूर आऊंगी। इतना कह कर वह जाने लगी मैं भी उदास होकर सर झुका कर वही बैठ गया। रोशनी ने कुछ कदम चलने के बाद मुझे वापस मुड़ कर देखा पर पता नहीं उसे क्या हुआ।

वह मेरे पास आयी और फिर मुझे जोर से गले लगा लिया। शायद रौशनी ने मेरे दर्द को आंखे के जरिये समझ लिया था। मैंने भी पहली बार रौशनी को अपनी बाँहो में लिया उस दिन मुझे सुकून मिला था और फिर मैंने उसे कहा मुझे तुम्हारी बहुत याद आएगी।

इतने में रौशनी ने मुझसे कहा की चिंता मत करो मई तुम्हें अपने चंडीगढ़ का फ़ोन नंबर दे रही हूँ। तुम मुझे रविवार को शाम को कॉल करना फिर मैंने भी अंतिम बार रौशनी को गुड बाय कहा और अपना ख्याल रखने को कहा इतना कह कर रौशनी चले गई।

फिर उसी रात करीब 12 : 30 बजे उनका परिवार सारा सामान ट्रक में लोड कर जाने लगे और मैं अपनी खिड़की से बस उन्हें देखता रहा जब तक वे सब चले न गए। मुझे इस बात की खुशी हुई की रौशनी ने कई बार मेरे घर की खिड़की को देखा उसे शायद नही पता की मैं भी उसे देख रहा हूँ।

पर क्योकी रूम का लाइट ऑफ था और मैं उसे चुपके से देख रहा था तो उसे पता ही नहीं चला। कुछ देर बाद वो चली गई मैं भी अपने घर से बाहर निकला और उसे अंतिम बार जाते हुए देखा।