pyaar me sab kuch jayaj hai books and stories free download online pdf in Hindi

प्यार मे सब कुछ जायज है।


"रवि और अनिता की पहली मुलाकात कॉलेज के दिनों में हुई थी। अनिता की आँखों ने पहली नजर में ही रवि को अपने प्यार के मोहजाल में फँसा लिया था और रवि भी बिना कुछ सोचे समझे उसकी तरफ खिंचता जा रहा था।

धीरे-धीरे यह प्यार परवान चढ़ने लगा। दोनों को लगा कि कुदरत ने उनको एक-दूसरे के लिए ही बनाया है। दोनों ने निश्वय किया कि जब उनकी पढ़ाई खत्म होगी और रवि को किसी कंपनी में अच्छी जॉब मिल जाएगा तब वह अपने माता-पिता से अपनी शादी की बात करेंगे।

वक्त गुजरता गया और रवि को एक मल्टीनेशनल कंपनी में अच्छे पैकेज पर जॉब भी मिल गया। रवि अनिता को बहुत प्यार करता था और अनिता भी जान से ज्यादा रवि को चाहती थी और एक-दिन दोनों ने अपने माता-पिता के समक्ष अपनी शादी का प्रस्ताव रखा, लेकिन शायद किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।

कहते हैं ना कि दुनिया का हर शख्स किस्मत के बारे में जानता जरूर है लेकिन किस्मत में क्या लिखा होता है वह कोई भी नहीं जानता। अनिता के माता-पिता किसी भी हालात मैं अपनी बेटी का हाथ रवि के हाथ में सौंपना नहीं चाहते थे। क्योंकि दोनों की जाति अलग थी और अनिता के पिता अंतरजातीय विवाह में बिल्कुल भी भरोसा नहीं करते थे उन्हें यह रिश्ता पसंद नहीं था। जब बात बिगड़ने लगी तो रवि अलग होने के लिए तैयार हो गया। वह अनिता की नजरों से बहुत दूर हो गया।

इस घटना को छ: साल बीत गए और एक दिन फिर रवि और अनिता एक-दूसरे के सामने आकर खड़े हो गए लेकिन अब हालात पूरी तरह बदल चुके थे शिवा नाम के एक शख्स के साथ अनिता की सगाई हो चुकी थी। अनिता अपनी पिछली जिंदगी और पहले प्यार को पूरी तरह भुला चुकी थी और अपने नए जीवन की शुरुआत करने जा रही थी लेकिन रवि तब भी उसे भुला नहीं पाया था। उसने सगाई तोड़ने के लिए अनिता को मनाया भी लेकिन वह असफल रहा।

किसी ने सच ही कहा है कि, 'प्यार को पाने के लिए आदमी किसी भी हद तक जा सकता है।' रवि भी अपने प्यार को पाने के लिए हैवानियत की हद तक जा पहुँचा उसने किसी भी तरह शिवा को रास्ते से हटाने का मन ही मन फैसला कर लिया और क्रोध में आकर जून 2002 में उत्तरी दिल्ली की एक इमारत की सातवीँ मंजिल से शिवा को फेंक दिया।

शिवा की मौत के आरोप में रवि की गिरफ्तारी हुई, पूरा मामला कोर्ट में गया और जिसे वह अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करता था उसी अनिता की गवाही पर रवि को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुना दी। रवि को जेल की सलाखों के पीछे धकेल दिया गया।

प्यार एक ऎसा नशा है जो कभी उतरने का नाम नहीं लेता। रवि भी इस नशे की गिरफ्त मैं पूरी तरह आ चुका था। जेल जाने के बावजूद भी उसके मन में अनिता के प्रति प्रेम जीवित था। जब वह जमानत पर छूटकर बाहर आया तो वही प्यार फिर से परवान चढ़ने लगा। इस बार किस्मत ने रवि का पूरा साथ दिया और अनिता ने उसके प्यार को स्वीकार करके उसके साथ शादी कर ली।

दूसरी तरफ रवि का मामला दिल्ली हाईकोर्ट में चला गया। किसी समय अपने भावी पति शिवा की हत्या के आरोपी को सजा सुनाने के लिए कोर्ट में गवाही देने वाली अनिता अब उसी आरोपी पति रवि को बचाने के लिए बेताब हो गई उसने अपने पहली गवाही बदलने की इच्छा जाहिर की लेकिन भारत का कानून कहाँ कभी किसी को छोड़ता है। कोर्ट ने अनिता की याचिका खारिज करते हुए रवि की सजा को बरकरार रखा। आज भी अनिता रवि को कानून की गिरफ्त से बचाने के लिए पूरी तरह जद्दोजहद कर रही है। किसी ने गलत नहीं कहाँ कि 'प्यार' और 'युद्ध' में सब कुछ जायज होता है।"