Sapne - 50 in Hindi Fiction Stories by सीमा बी. books and stories PDF | सपने - (भाग-50)

Featured Books
Categories
Share

सपने - (भाग-50)

सपने.......(भाग-50)

आस्था ने नचिकेत से शादी बेशक हालातों से मजबूर हो कर की थी, पर दोनो में Understanding गजब की थी। नाम की शादी को आस्था ने नचिकेत की महानता समझी और जाना की असली प्यार किया होता है। धीरे धीरे वो नचिकेत की हर जरूरत का ध्यान रखने लगी, उसके कहने ले पहले ही वो समझ जाती है कि कब उसे क्या चाहिए.....ये भी तो एक तरह का प्यार था जिसमें लगाव, प्यार और एक दूसरे के लिए इज्जत का भाव है। नचिकेत के सामने आस्था ने समर्पण भी करना चाहा पर नचिकेत को लगा कि जो कुछ उसने आस्था के लिए किया वो उसके बदले उससे उसका शरीर पा कर प्यार का मोल लगाना जैसा है,वो जिंदगी भर आस्था का दोस्त बन कर रहना चाहता है। बाहर से कोई उनके रिश्ते को शायद मतलब का रिश्ता या बोझ समझ सकता है, पर उन दोनो की नजरों में खासतौर पर नचिकेत के लिए प्यार की परिभाषा रिश्ते को दिल से अपनाने की है, जिसे आस्था ने कुछ वक्त लिया पर अपना लिया था। जब रिश्ते दिल से जुड़े होते हैं तो बाकी चीजें बेमानी सी हो जाती हैं, फिर नचिकेत तो वैसे भी श्रीअरबिंदो का अनुयायी है,जिससे उसकी सोच भी उनसे ही प्रभावित रही है। खैर ये तो आस्था और नचिकेत के बीच की बात थी तो किसी ने भी उसमें कभी दखल नहीं दिया। नवीन, राजशेखर, नचिकेत, श्रीकांत और आदित्य सब एक साथ बैठे थो और बातें कर रहे थे साथ ही खाना पीना भी चल रहा था। नवीन ने शादी उसकी ही तरह सिंगर लता से की थी। दोनो के दो बेटे हैं, जो अभी स्कूल में पढ रहे हैं, वहीं नवीन और उसकी पत्नी लता अपना संगीत विद्धयालय चला रहे हैं, नवीन की बहन की शादी उसके साथ पढाने वाले फिजिक्स के प्रोफेसर से हो गयी थी कोलकाता में ही और नवीन की माँ इस दुनिया में नही रही थी तो नवीन मुंबई में ही सैटल हो गया था। श्रीकांत और सोफिया के पास एक बेटाऔर बेटी हैं। श्रीकांत के पैरेंटस अभी भी वैसे ही गाँव के लोगो के कामों में लगे रहते हैं और श्रीकांत ने वहाँ इंग्लिश मीडियम स्कूल खुलवाया है, जिससे बच्चे 12 वीं तक अपने ही गाँव में पढ सके। राजशेखर के अप्पा और आई दोनो इस दुनिया में नहीं रहे तो रश्मि की जिद के आगे दोनो ने U.S में जॉब ले ली थी, दोनो का एक ही बेटा है। जब आस्था ने अनिका को जन्म दिया तो उस वक्त आदित्य को छोड़ कर सब उसके पास थे। अनिका का शादी के 6 महीने बाद ही पैदा होना आस्था के परिवार के लिए अचानक शादी करने का कारण समझ आ गया था पर उनकी नजर में नचिकेत ही उसका पिता है , समझा तो नचिकेत ने ही आस्था को आदित्य के बारे में कुछ भी किसी को बताने से मना कर दिया था। अनिका के पैदा होने के बाद सभी दोस्तों ने प्रॉमिस किया कि कोई जहाँ भी होगा 14 अप्रैल को हर साल इकट्ठा हो कर अनिका का जन्मदिन मनाएँगे और ये रवायत पिछले 18 साल से कायम है! सबने आदित्य को भी बुलाया पर वो काम में बहुत बिजी था तो शुरू के साल वो आया नहीं, आस्था के बाद वो किसी रिलेशनशिप में बंध नहीं पाया तो अभी तक सिंगल है। उसने अपने आप को काम में पूरी तरह डुबो रखा था। आस्था, अनिका और नचिकेत के बारे में लगातार दोस्तों से पता चलता ही रहा है और आदित्य के बारे में तो बिचनेस मैग्जीन्स में छपता ही रहा है तो दूर रह कर भी सबको ......सबकी खबर थी। सब के बच्चे अनिका से छोटे हैं तो वो लोग दीदी बुलाते हैं उसको.....तकरीबन हर गर्मियों की छुट्टी में कोई न कोई अनिका के साथ छुट्टियाँ मनाने आते ही रहे हैं। सब आदित्य से पूछ रहे थे कि वो इतने सालों से आया क्यों नहीं? और भी बहुत सवाल थे जिनका जवाब वो मुस्कुरा कर दे रहा था। दूसरी तरफ आस्था, अरूणा दी, रश्मि, लता सब बैठे अपनी बातें कर रहे थे। आदित्य को देख कर वो थोड़ी परेशान हो गयी थी, जो कि नेचुरल ही था। अरूणा जी ने उसे शादी के बाद जल्दी से अपनाया नहीं था, पर जब अनिका ने नचिकेत को डैडा कहाऔर उसे बुआ तो उसने भी सब कुछ भूल कर आस्था और अनिका को अपना बना लिया। जो संवेदनशील इंसान होता है, वो बहुत देर तक किसी से नाराज नहीं रह पाता।
अनिका बिल्कुल आस्था पर गयी है, बहुत ही मिलनसार और जिंदादिल जिसकी वजह से आस्था को डर लगता है कि इतिहास फिर से अपने आप को ना दोहरा दे। शायद यही वजह रही है कि अनिका के साथ सख्ती से पेश आने लगी है। आदित्य की नजर रह रह कर आस्था पर जा रही है, वो देख रहा है कि आस्था पहले से ज्यादा खूबसूरत तो हो ही गयी है, सुंदर आँखो पर चश्मा लग गया है।हँसी का दूर दूर तक नामोनिशान नहीं दिख रहा। आदित्य की बैचेनी बढ़ रही थी, पर आदित्य किस मुँह से आस्था से बात करता? वो उसे छोड़ कर इस सिचुएशन में गया जब आस्था को उसके सपोर्ट की सबसे ज्यादा जरूरत थी, उसने तो सोचा था कि," आस्था उसके बिना नहीं रह पाएगी, वो जरूर उसके पास आएगी। आस्था ने अपना फैसला नहीं बदला, इतना ही नहीं उसने अपने सपने भी पूरे किए हैं और अभी तक कर रही है"। नचिकेत उसकी बेचैनी समझ रहा था, पर वो आस्था को भी जानता था। दोनो माँ बेटी जल्दी से आदित्य की बात नहीं सुनेगी पर इतनी दूर से आदित्य कुछ बात करने आया है खास कर अपनी बेटी से......जिसके लिए नचिकेत ने भी न नही बोला। सबके रूकने का इंतजाम नचिकेत ने कर रखा था हर साल की तरह....बस एक आदित्य ही था जिसने अपने लिए होटल का कमरा बुक किया हुआ था। नवीन और लता तो मुंबई में ही रहते हैं पर अनिका के बर्थ डे पर वो भी सब दोस्तों के साथ ही रूकते हैं और देर तक पार्टी करते हैं।
आदित्य जैसा था वो 18 साल बाद भी वैसा ही था, बस थोड़ा और गोरा हो गया था और बालों में सफेदी झलक रही थी, पर उसकी पर्सनेल्टी का जादू बरकरार था,ये बात सब की जबान पर थी। अनिका कुछ देर सबके साथ बिता कर अपने कमरे में चली गयी। उसके कॉलेज के पेपर जो चल रहे हैं। उसने आदित्य को पुरानी फोटोज में ही देखा था तो आदित्य को सामने देख कर वो झट से पहचान गयी थी, वो चोर नजरो से आदित्य को देख रही थी......उसके डैड ने जब उसे बताया कि उसके बॉयलोजिकल पापा वो नही हैं तो उसे गुस्सा आया पर सामने देख कर वो आदित्य को अपना गुस्सा जता नहीं पायी। आस्था सब के बीच बैठी सोच रही थी कि अब ये क्यों आया है? पर इसका जवाब तो आदित्य से बात करने पर ही मिलेगा। नचिकेत ने नवीन को आँखो ही आँखो में कुछ इशारा किया और नवीन ने सब को 5 मिनट में अपने साथ बाहर चलने को मजबूर कर दिया, ये कह कर की चलो एक बार फिर पुराने दिनों को याद करते हैं। आदित्य ने भी साथ चलना चाहा, पर नचिकेत ने उसे कुछ बात करनी है, कह कर रोक लिया तो सब समझ गए कि इन दोनो को बात करनी है तो वो लोग बाहर वॉक करने के बहाने चले गए, वैसे भी मुंबई का दिन तो रात को ही निकलता है। सड़को पर कारों की और लोगो की भीड़ देख लगता है कि ये शहर कभी सोता ही नही हो जैसे, हर वक्त बस इंसान इधर उधर बेहिसाब भागता रहता है। आस्था भी उठ कर चल दी, " आप लोग बैठ कर बातें कीजिए नचिकेत मैं अपने रूम में जा रही हूँ"।
"रूको बीवी, आदित्य इतनी दूर से तुमसे और गुल्लो से मिलने आया है, जो हो गया सो हो गया अब तुम दोनो कुछ देर बैठ कर बात करो"! नचिकेत की बात सुन कर आस्था बोली, " आप लोग बात कूजुए, मुझे कोई बात नहीं करनी है"। "आस्था रूको, तुम एक पुराने दोस्त की तरह बात कर सकती हो आदित्य से, मैं जा रहा हूँ रूम में तुम दोनो बात करो"। नचिकेत ने आस्था के कंधे पर हाथ रख कर कहा तो आस्था वहीं बैठ गयी, बिल्कुल आदित्य के सामने सोफे पर ।
क्रमश: