Revenge: A Romance Singham Series - Series 1 Chapter 22 books and stories free download online pdf in Hindi

Revenge: A Romance Singham Series - Series 1 Chapter 22

अनिका बाहर हो रही सेरेमनी में वापिस आ गई थी। एक घंटे बाद, नीलांबरी, अपने साथ कुछ लोगों को लिए, सिंघम मैंशन के एंट्री गेट के पास इंतजार कर रही थी, अपनी गाड़ी आने का।

नीलांबरी को अपना सामान के साथ खड़ा देख कर वहां के लोगों में कुछ टेंशन कुछ गंभीरता बन गई थी।

अनिका अपनी बुआ के पास चलती हुई आई। "काश आप हमारे साथ कुछ और वक्त रुकती," अनिका ने यह बात जानबूझ कर तेज़ आवाज़ में कहीं। "पर आपकी यह बात बहुत अच्छी लगी की आपने अपने लोगों को यहां रुकने की इजाज़त दे दी ताकि वोह फेस्टिवल एंजॉय कर सकें जबकि आप वापिस जाना चाह रही हैं प्रजापति एस्टेट आराम करने के लिए।"

नीलांबरी बिलकुल चुप ही रही।

"उम्मीद करती हूं की आप जल्द ही ठीक हो जाएंगी। अभी तो बहुत कुछ है देखने के लिए और बहुत कुछ है अभी आपके बारे में जानने के लिए। मैं वादा करती हूं की मैं जल्दी ही अपने प्रजापति के घर आऊंगी।

नीलांबरी चुपचाप अपनी गाड़ी में बैठ गई और सामने ही देखती रही। ना ही उसने अनिका की किसी बात का जवाब दिया और ना ही कोई प्रतिक्रिया दी।

जल्द ही गाड़ी सिंघम मैंशन से बाहर निकल गई।

अनिका अपने आस पास के लोगों की तरफ मुड़ी। "सिंघम्स की ओर से, मैं आप प्रजापतियों का सिंघम एस्टेट में स्वागत करती हूं। प्लीज आप सेलिब्रेशन और हमारी मेहमान नवाज़ी का आनंद लीजिए।"

चारों ओर लोगो का शोर और उत्साह की गूंज उठने लगी, उन में से ज्यादातर लोग आधे नशे में थे और उनके पेट शाही खाने की वजह से भरे हुए थे जो खास तौर पर कल होने वाले सेलिब्रेशन के लिए ही बनवाए गए थे।

अनिका ने एक आदमी का स्पर्श अपनी कमर पर महसूस किया। "बहुत ही शानदार और प्रभावशाली था यह। क्या हम अभी इसी वक्त अपना सेलिब्रेशन कर सकते हैं, डॉक्टर सिंघम?" उसके पति की गहरी आवाज़ उसके कानों में फुसफुसाते पड़ी।

मुस्कुराते हुए उसने अपने पति की ओर देखा और उसे अपने आप को अपने मास्टर बेडरूम में ले जाने दिया जहां उन्होंने अपना प्राइवेट सेलिब्रेशन किया अपने स्टाइल में।

अगली सुबह भी सेलिब्रेशन जारी रहा। सेलिब्रेशन के बीच में अभय ने एक एनाउकमेंट किया।

"हमे जरूरी अनुमति मिल चुकी है सिंघूर नदी को डायवर्ट करके सिंघम और प्रजापति के बॉर्डर तक लाने के लिए। नहर की खुदाई के लिए प्रोजेक्ट अगले हफ्ते शुरू हो जाएगा। हमारे ही राज्य में तीन और नई फैक्ट्रियां भी बनने वाली हैं।"

अभय ने पहले अपने भाई की तरफ देखा और फिर सबिता की तरफ देखा।

"देव और सबिता आप लोगों के साथ काम करेंगे इस प्रोजेक्ट को कामयाब बनाने के लिए। हम हमारी ज़मीन को फिर से समृद्ध बना देंगे।"

चारों तरफ जय जयकार का शोर गूंजने लगा और साथ ही अच्छे भविष्य का पूर्वानुमान भी।

अनिका अभिभूत महसूस करने लगी और साथ ही उसे गर्व महसूस कर रही थी अपने पति पर।

अभय सिंघम एक सच्चा लीडर था।

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अनिका लाइब्रेरी में बैठी थी, और एक किताब पढ़ रही थी जब उसका फोन बजने लगा।
अनिका ने अपने चेहरे पर मुस्कान लिए अपना फोन आंसर किया। "डॉक्टर सिंघम हेयर।"

"अन्न?"

अनिका तो जम सी गई जब उसने जानी पहचानी आवाज़ सुनी।

"अन्न? क्या तुम्ही हो?" एक लड़की की हड़बड़ाहट में आवाज़ आई।

"मायरा...." अनिका ने फुसफुसाते हुए कहा और उसकी आंखों में नमी छा गई।

"ओह माय गॉड, अन्न। तुम सेफ हो.....तुम सेफ हो!" फोन के दूसरी तरफ किसी के रोने की आवाज़ आ रही थी जिससे अनिका भी टूटने लगी। वोह अपना रोना नहीं रोक पा रही थी, उसे अपनी बहन की आवाज़ सुन कर बहुत राहत मिल रही थी।

उसने अपने आंसू पोछे और एक गहरी राहत भरी सांस ली। "मायरा। तुम कैसी हो? मॉम डैड कैसे हैं? और नाथन?" अनिका ने जल्दी जल्दी सब सवाल पूछ दिया।

"हम सब सेफ हैं, अन्न। हम सब को तुम्हारी चिंता हो रही थी। हमने सुना तुम्हारे साथ क्या हुआ था।"

"मेरे बारे में फिक्र मत करो, मायरा। बस मॉम और डैड को सेफ रखो जब तक की सब कुछ ठीक नहीं होता।"

"हां। हम अभी भी एक सुरक्षित घर में हैं, और जस्टिन इसी पर काम कर रहा है की यह खतरा जल्द जल्द पूरी तरह से टल जाए। उन्होंने कुछ आदमियों को भी पकड़ा है और उनसे पूछताछ की जा रही है।"

अनिका अपने दिमाग में राहत महसूस करने लगी मायरा की बात सुन कर। "यह तोह बहुत अच्छी बात है। आखरी बार जब मैने जस्टिन से बात की थी, उसने बताया था की वोह लोग उन्हें इंडियन कोर्ट में भेजने की कोशिश कर रहें हैं।"

"हां। दुर्भाग्य से यही कानून है," मायरा ने शिकायत की।

जैसे जैसे उसकी फैमिली सुरक्षित हो चुकी थी, अनिका को कोई फर्क नही पड़ता था की नीलांबरी के गुंडे कानून का सहारा लेने को कोशिश कर रहे थे।

"तुम कैसी हो, अन्ना? हम अब और इंतजार नही कर सकते तुम्हे अपने पास वापिस बुलाने के लिए।" उसकी बहन रो पड़ी।

अनिका को समझ नही आ रहा था की वोह अपनी बहन को क्या कहे। वोह कब से यही प्लानिंग तो कर रही थी की उसकी फैमिली एक सुरक्षित जगह पहुंच जाए, उस दिन से जिस दिन से उसे अभय के कंप्यूटर का एक्सेस मिला था। खुद भागने के लिए प्लानिंग करते हुए, हालांकि उस वक्त उसकी प्रायोरिटी नही थी, वोह हमेशा यही सोचती थी की वोह कैसे भी करके अपनी पुरानी जिंदगी में वापिस लौट जाए।
पर अब... वोह वापिस नही जाना चाहती थी।

"अन्न?"
एक गहरी सांस लेते हुए अनिका ने अपनी बहन का जवाब दिया। "मैं तुम सब से जल्द ही मिलूंगी, मायरा। मैं अभय को भी....मेरे पति को अपने साथ लाऊंगी।"

दूसरी तरफ एक दम शांति छाई रही।

"तुम यह क्या कह रही हो, अन्न। क्या तुम उसे छोड़ने के बारे में नही सोच रही हो और वापिस अपनी पुरानी जिंदगी में नही आओगी, जैसा की तुम कहती थी?"

अनिका ने अपना सिर ना में हिलाया, जबकि वोह जानती थी की उसकी बहन फोन से नही देख सकती। "नही मायरा। मैं उनसे बहुत प्यार करती हूं। अब जब तुम सब सुरक्षित हो, तोह मैं उसे सब कुछ बताने वाली...."

"अन्न, बंद करो अपना यह पागलपन।" उसकी बहन को अब चिंता होने लगी थी। "क्या यह वोही आदमी है जिस ने तुम्हे शादी करने के लिए फोर्स किया था?" मायरा ने पूछा।

अनिका ने अपने होंठ दबा दिए। "हां। पर उसके पास इसकी वजह...."

"क्या यह वोही आदमी है जो लोगों को मार डालता है, और तुम्हे भी मारने के लिए धमकाया था, अगर तुम उसकी बात नही सुनोगी?"

"नही। नही। उस वक्त मुझे गलातफेमी हुई...."


"किस बात पर, अन्न? लोगों को मारने या तुम्हे धमकाने वाली बात पर?" मायरा ने अविश्वास से पूछा।

"मायरा मेरी बात सुनो। तुम समझ नही रही..."

"प्लीज़ अन्न। मैं तुम से भीख मांगती...." मायरा के रोने से अनिका आगे सुन नही पाई। "मैं नही जानती की उन लोगों ने तुम्हारे साथ क्या किया है या कैसे तुम्हे अपनी तरफ कर लिया है। प्लीज, वापिस आ जाओ।"

"मैं जरूर आऊंगी, मायरा, मैं वादा करती हूं, पर...."

"नही। अभी इसी वक्त, अन्न। इसलिए तो मैं तुम्हे कॉल कर रही हूं। जस्टिन ने पहले ही वहां से भागने का प्लान बना लिया है। पवन, जस्टिन का आदमी, वोह तुम्हारा इंतजार करेगा करनूल जंक्शन पर। वहां किसी भी पैसेंजर ट्रेन में चढ़ जाना। रवि भी तुम्हारी की फ्लाइट और पासपोर्ट रेडी कर देगा।"

अनिका एकदम चुप हो गई, प्लान सुनने के बाद, वहीं मायरा घबराने लगी। "अन्न, मुझसे वादा करो की तुम आओगी। प्लीज।"

अनिका ने अभी भी कोई जवाब नही दिया, उसका दिमाग अपनी फैमिली और अभी अभी मिले अपने नए प्यार के बीच फंस चुका था।

"अन्न, मेरी बात सुनो। तुम शायद जिसने तुम्हे कैद कर रखा है उसके बारे में कंफ्यूज हो रही हो। पर प्लीज यह याद रखना, आखिर में, वोह तुम्हारा किडनैपर ही रहेगा। तुम्हे शायद लग रहा है की तुम उससे प्यार करती हो, पर असल में, जो भी तुम महसूस कर रही हो जो भी तुम सोच रही हो वोह सच नही है। इसे स्टॉकहोम सिंड्रोम कहते हैं। एक बार देखना!"

मायरा क्रिमिनल साइकोलॉजी के बारे में ही पढ़ाई कर रही थी और वह जानती थी कि वह क्या कह रही है। हालांकि, अनेका ने उस पार्टिकुलर शब्द का मतलब जानने में कोई रुचि नहीं दिखाई। वो पहले से ही जानती थी कि इसका क्या मतलब है।

उसका दिल तेजी से धड़कने लगा और दिमाग में हजारों चीज चलने लगी थी, उसका अगला कदम क्या होगा और आगे कैसे क्या करेगी। "मैं पहुंच जाऊंगी," अनिका ने कॉल काटने से पहले फुसफुसाते हुए कहा।

अगले कुछ मिनिट तक अनिका लाइब्रेरी में ही बैठी खाली दीवार को घूरती रही। फिर उसके बाद अपनी आंखें बंद की, अपनी आंखें खोलने से पहले उसने एक गहरी सांस ली।
वोह सीढ़ियों से होती हुई नीचे आई और सिंघम मैंशन के बड़े से पार्किंग एरिया की तरफ गई। उसकी आंखें बड़ी हो गई, जैसे वोह किसी और दुनिया में खोई हुई हो और बिना कुछ समझे यहां चलती चली आई हो।
रवि उनमें से एक गाड़ी के पास खड़ा था और वहीं खड़े एक और ड्राइवर से बात कर रहा था। रवि ने अनिका को देखा और उसकी तरफ आ गया। "अनिका, क्या तुम्हे कोई मदद चाहिए?" रवि ने पूछा।

"हां। मुझे अपने एक फ्रेंड को पिक करना है करनूल रेलवार स्टेशन है। क्या तुम मुझे वहां लेकर का सकते ही?" अनिका की आवाज़ बहुत धीरे निकल रही थी।

रवि मुस्कुराने से पहले एक पल हिचकिचाया। "जरूर। मुझे बताइए कि हमे कौनसी गाड़ी की जरूरत है। क्या तुम्हारा दोस्त बहुत सार लगेज ले कर आ रहा है?"

"नही। कोई भी कार चलेगी। पर हमे अकेले जाना होगा। हम अपने साथ किसी और को नही ले जा सकते।"

रवि एकदम जड़ गया।

"प्लीज रवि। मैं चाहती हूं की तुम मेरा यह ऑर्डर मानो। इट्स अर्जेंट। प्लीज मान लो।"

रवि बिलकुल कन्फ्यूज्ड और टूटा हुआ लग रहा था पर उसने हां कर दी। "ईस्ट साइड वाले एंट्री गेट की तरफ आ जाओ। मैं गाड़ी वहीं ले आता हूं," रवि ने कहा।

अपने धड़कते दिल के साथ अनिका घर में भिड़ से होते हुए ईस्ट साइड के गेट की तरफ पहुँची, जिस तरफ लंबे लंबे पेड़ और अनंत खुला मैदान था बस।

जल्दी रवि उस तरफ एक गाड़ी ले कर पहुंचा जो की सिंघम्स की नही थी, तोह जाहिर तौर पर यह उसकी अपनी पर्सनल गाड़ी थी।

गाड़ी का दरवाज़ा खोल कर अनिका आगे की सीट पर रवि के साथ बैठ गई। रवि ने उसकी बताई हुई जगह पर जाने के लिए गाड़ी चला दी। अनिका चुप बैठी थी और रवि भी चुप था जबकि उसे अनिका की चुप्पी में आज कुछ और ही नज़र आ रहा था जो की आमतौर पर उसे नही दिखता था।

अनिका की आंखें बाहर सिंघम एस्टेट के नज़ारे को यूहीं देखे जा रही थी।

मैं तुम्हारा दीवाना हो चुका हूं। मैं अब इतना एडिक्टेड हो चुका हूं की अब मुझे नही लगता की मैं अपनी जीभ पर तुम्हारा टेस्ट लिए और अपनी हर सांस से तुम्हारी सेक्सी स्मेल महसूस किए बिना रह सकता हूं।


अनिका ने अभय के कहे हुए शब्दों को याद करते हुए अपने आंसू दबा लिए।

अनिका ने याद किया की कैसे कई बार उससे बात करते वक्त उसने पाया था की अभय उसे ऐसे निहार रहा था जैसे की उसके लिए वोह दुनिया की सबसे कीमती चीज़ हो।

एक साथ बिताए हुए वोह पल याद करके, उनके बीच जो बातें होती थी, बचपन की बातें और कारनामे सुन कर जो बॉन्डिंग बनी थी, और वोह बातें जो उन दोनो एक दूसरे के अलावा किसी और से नही कही थी, वोह सब बातें उसके दिमाग में घूमने लगी।

क्या इससे कोई फर्क पड़ता है की आपको कितना समय लगता है किसी से सच्चा प्यार होने में?

वोह जानती थी की जो भी वोह अपने पति के बारे में महसूस करती थी वोह सच है और इस लायक है की उसके लिए लड़ा जा सके। बिना किसी शक के वोह यह भी जानती थी की अभय भी उसके बारे में ऐसा ही महसूस करता है।

"रवि।"

"हां अनिका," रवि ने काफी गंभीर आवाज़ में कहा।

"प्लीज़ वापिस चलो। मुझे अपने फ्रेंड को लेने नही जाना इस वक्त। मैं बाद में वापिस आऊंगी....अभय के साथ।"

रवि ने बिना कुछ कहे हां में सिर हिला दिया। उसने गाड़ी धीरे की यू टर्न लिया और वापिस सिंघम एस्टेट की तरफ मोड़ दी।

जबकि उसके दिमाग उसके मॉम डैड और बहन की चिंता थी, पर तब भी उसका दिल हल्का महसूस हो रहा था उसके अब के डिसीजन से।

"आई एम सॉरी, रवि। मैने तुम्हारा समय खराब कर दिया।"

"कोई बात नही। मैं समझता हूं," रवि ने प्यार से कहा।

क्या रवि को यह पता चल गया था की वोह सिंघम एस्टेट को छोड़ने का प्लान कर रही थी? और अगर सच में ऐसा है तोह उसने कुछ कहा क्यों नही और अभय को तुरंत कॉल क्यों नही किया? उसे ज्यादातर सिंघम्स की वफादारी और भरोसा जो वोह दिखाते थे वोह देख कर बहुत खुशी हो रही थी।

"रवि....मैं.."

जो भी अनिका कहने जा रही थी वोह शब्द बोलते बोलते रुक गए जब उसे एक जोरदार झटका लगा और उनकी गाड़ी किसी और गाड़ी से जा टकराई। उनकी गाड़ी रुकने से पहले थोड़ी देर गोल गोल घूमती रह गई थी। इससे पहले की वोह अपनी सांसों को नियंत्रित करती और रवि से पूछती की क्या वोह ठीक है, दोनो के चारों ओर दर्जन भर एसयूवी गाड़िया आ कर गोल घेरे में उनकी गाड़ी को घेर लिया।

"सेनानी," रवि घबराते हुए फुसफुसाया। और फिर उसने घबराहट से बड़ी हुई आंखों से अनिका की तरफ देखा।

"प्लीज़, यहीं रहिएगा। मैं बाहर जा कर देखता हूं और बात संभालें की कोशिश करता हूं। और चाहें कुछ भी हो जाए आप गाड़ी से बाहर मत निकालना।"

डर से अनिका का दिल जोरों से धड़कने लगा। "यह सिर्फ नहीं है, रवि। प्लीज यहां से बाहर मत जाओ। मैं बाहर जाकर उनसे बात करती हूं।"

रवि ने जोर से ना में सर हिला दिया। "प्लीज इस बात पर मेरे मुझसे बहस मत कीजिए। मैने पहले ही अभय और बाकी के घर वालों को कोड भेज दिया है। जल्द ही मदद पहुँच जायेगी। बस—"

इससे पहले की रवि आगे कुछ बोलता एक तेज़ आवाज़ ने अनिका के साइड की गाड़ी का हिस्से पर ज़ोर से मारा। उस दरवाजे पर किसी कुल्हाड़ी से मारा गया था। अनिका जानती थी कि यह गाड़ी बुलेट प्रूफ है पर कुल्हाड़ी से बार-बार मारने से यह कितनी देर तक टिक सकती थी यह पता नहीं था। उनकी गाड़ी के बाहर चारों तरफ करीब बीस आदमी खड़े थे और सारे उसे हैवानी नजरों से घूर रहे थे जैसे उनसे इंतजार ना हो रहा हो इस गाड़ी के चूर होने का।

कुछ और संभावित घटना को सोचते हुए अनिका और भी ज्यादा घबराने लगी।

पाँच मिनट से भी कम देर बाद अनिका की साइड का दरवाजा पूरी तरह से उखाड़ लिया गया था और अनिका को खींचकर गाड़ी से बाहर निकाला गया। रवि ने उसे बचाने की कोशिश की थी पर उस पर गाड़ी में बैठे ही गोली चला दी गई थी।

"नहीं! उसे मत मारो!" अनिका घबराने लगी थी रवि के बांह से खून निकलता हुआ देखकर। "मैं तुम्हारे साथ आती हूं।"

"यह तो बहुत अच्छी बात है। अब हमें और परेशान मत करो और तुरंत बाहर निकलो," उनमें से एक आदमी ने कहा।

"डर से, अपने तेज धड़कते दिल के साथ अनिका बेमन से बाहर निकली और तुरंत ही उन आदमियों ने उसका बांह पकड़ लिया।

"आखिरकार, हमे प्रजापति प्रजापति रंडी मिल ही गई रंडी मिल ही गई," एक लंबे आदमी ने कहा जो की उन आदमियों जैसा ही लग रहा था पर उनसे कुछ अलग था। बाकी सब आदमी इस भद्दे कमेंट पर हँसी उड़ाने लगे। "तुमने हमें बहुत समय से इंतजार करा है, स्वीटहार्ट। वह हरामी सिंघम सब जानता होगा इसलिए वो तुम्हे हमेशा संरक्षित करके रखता था।"

अनिका चुप रही है। वह किसी को यह नहीं दिखाना चाहती थी कि वह कितनी डरी हुई है। उसके सामने खड़े हैंडसम से चेहरे वाले आदमी के चेहरे पर एक शैतानी मुस्कुराहट थी। "मैने झूठ कहा था। मुझे सभी सिंहम्स से नफरत है। और सबसे ज्यादा नफरत मुझे उन्हे जिंदा छोड़ने में है," उस आदमी ने कहा, गाड़ी की तरफ कई सारी गोलियाँ चला दी।

अनिका ज़ोर से चिल्लाई और रवि के पास जाने के लिए संघर्ष करने लगी। "जाने दो! मुझे उसके पास जाने दो!" वोह चिल्लाई।

वोह उससे छूटने के लिए लड़ने लगी। उसने लात मारी, उसे नोचा, और अपने दूसरे खुले हुए हाथ से उसे आदमी को मारने की कोशिश की जिस आदमी ने उसका दूसरा हाथ कस कर पकड़ा हुआ था मानो अभी हड्डी चूर चूर हो जायेगी। अनिका अपने हाथ पर दर्द की परवाह ना करते हुए उससे छूटने की कोशिश कर रही थी। तभी उस आदमी ने उसके गाल पर ज़ोर से उसे थप्पड़ मार दिया। अनिका को सच में दिन में तारे दिख गए और दर्द भी महसूस होने लगा। उसे चक्कर आने लगा पर वोह कोशिश करती रही और अपने आंखों के सामने अंधेरा नही आने दिया।

एक सख्त आदमी का हाथ उसकी ठोड़ी के नीचे आया और उसके चेहरे को ऊपर की ओर उठाने लगा ताकि वोह उसकी ठंडी मुस्कुराती आँखो में देख सके। "बहुत मज़ा आने वाला है तुम्हे तोड़ने में।"

उस आदमी ने उसे घसीटते हुए एक गाड़ी में बिठाया। झटके से उसका सिर चकराने लगा, और अब उसके लिए बहुत मुश्किल हो रहा था फोकस करने में। उसने स्ट्रगल करना छोड़ दिया, पर उसकी पकड़ से सकपका गई। उसने बहुत कोशिश की अपनी साइड का गाड़ी का दरवाज़ा खोल ले पर उससे पहले ही चाइल्ड लॉक लग चुका था।

अनिका ने पीछे मुड़ कर उस गाड़ी की तरफ देखा जो बिलकुल टूट गई थी, क्षतिग्रस्त हो चुकी थी और उसके अंदर रवि अभी भी था। वोह गाड़ी अब उस से बहुत दूर जाति जा रही थी और कुछ पल बाद नज़रों से ओझल हो गई। "मुझे माफ कर देना," अनिका ने आँखो में आंसू लिए फुसफुसाते हुए कहा। यह उसकी गलती थी। उसकी वजह से ही सेनानियों ने रवि को मार दिया था क्योंकि उसने रवि से यहां से भागने के प्लान में उसे शामिल किया था और मदद मांगी थी।

क्या अभय को पता लग पाएगा की क्या हुआ था? वोह जान जायेगा की मैं अपने किसी फ्रेंड को स्टेशन रिसीव करने का बहाना दे कर भागने की कोशिश कर रही थी।

क्या वोह मुझसे नफरत करेगा? या मुझे छोड़ देगा?


अनिका न अपना सिर झटका अपने मन से यह सब ख्याल निकालने के लिए जो भी उसके साथ अभी कुछ देर पहले हुआ। यह सेनानी कभी उसका फायदा नही उठा पाएगा।

"अगर तुम मुझे मार दोगे, तोह अभय को यह बात ज़रा भी पसंद नही आयेगी," अनिका ने आत्मविश्वास से कहा।

उसके बगल में बैठा इंसान ज़ोर से हँस पड़ा। "ओह, मुझे तब भी खुशी होगी अगर अभय को यह बात बिलकुल भी पसंद नही आयेगी। पर चिंता मत करो मैं तुम्हे जान से नही मारूंगा।" उस आदमी की कहते हुए नज़रे चेहरे से फिसल कर उसके सीने पर जा रुकी। "मैं बस तुम्हारा रेप करूंगा और तुम्हे उसके पास वापिस भेज दूंगा।"

अनिका ने डर से एक गहरी सांस ली। "वोह मेरे लिए आयेंगे। तुम्हे मौका ही नही मिलेगा मुझे उसके पास वापिस भेजने का।"

"आह," उस आदमी ने कहा। अनिका पीछे हट गई जब उस आदमी ने अपने अंगूठे से उसके होंठ को सहलाना शुरू किया। "हां ज़रूर। इस जैसे चेहरे के लिए, खासकर यह होंठ, वोह तुम्हारे लिए जरूरी आएगा। क्या उसने तुम्हे कॉक को सक करना और आदमी को कैसे खुश रखना सिखाया है?" उस आदमी ने कपटी की तरह पूछा।

अनिका ने उसे जवाब देने के लिए अपना मुंह नही खोला, उसे डर था की अगर उसने मुंह खोला तो यह आदमी अपना अंगूठा उसके मुंह में ना डाल दे। इसकी बजाय, वोह उसे घूर कर देखती रही जब तक की वोह आदमी ज़ोर ज़ोर से हँसने ना लगा।

उस आदमी ने अपना अंगूठा उसके मुंह से हटा लिया। "क्या अभय सिंघम न तुम्हे कभी मेरे बारे में बताया है?" उस आदमी ने पूछा।

"नही।"

"चलो, मैं ही तुम्हे अपना परिचय दे देता हूं। मैं हेमंत सेनानी हूं, तुम्हारा फ्यूचर लवर, और अगर तुम लकी हुई, तोह तुम्हारे बच्चे का बाप।"

गुस्से से अनिका के उंगलियों के नाखून कार की सीट में गड़ गए और डर ने उसके अंदर युद्ध छेड़ रखा था जबकि गाड़ी में सब उसका मज़ाक उड़ाने में लगे हुए थे। गाड़ी चलती जा रही थी चलती जा रही थी और उसे सिंघम की ज़मीन से दूर ले जा रही थी।













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कहानी अभी जारी है
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