Soundless Love - 8 books and stories free download online pdf in Hindi

साउंडलेस लव - 8

नमन और आकाश को मिले अब काफी समय हो चुका था, आकाश ने तो कई बार सोचा नमन से मिलने के लिये पर उसने कहा नही, वो ऐसा ही था ज्यादा सोचता जो था, उसे लगता था कि नमन पूजा के साथ बिजी होगा उसे क्या परेशान करना |



उधर नमन भी अब आकाश से मिलने के लिये कई दिनों से सोच रहा था इसलिये कुछ दिन बाद वो पूजा के साथ अचानक आकाश से मिलने उसके घर आ गया |



दोनों एक दूसरे के गले लगकर हाल पुछने लगे कि तभी नमन बोला "क्या यार ना कोई फोन, ना कोई कॉल, ना मिलना, एक शहर में होते हुए भी तुम कभी तो मिल लिया करो, बस इन्हीं पेंटिंग में उलझे रहते हो, फोन तो तुम उठाते नहीं हो और खुद कभी करते नहीं हो |



आकाश यह सुनकर हैरानी से बोला “ वाह.... क्या बात है तुम्हारी बातों में बिल्कुल पूजा के बोल महक रहे हैं यार, बहुत गहरा असर हुआ है तुम्हारे ऊपर पूजा का वरना इतनी शिकायत तुम तो कभी नहीं करते और हां रही बात तुम्हारी शिकायत की तो मैं तो पहले से ही जैसा हूं, अभी भी वैसा ही हूं, लेकिन तुम ही बहुत बिजी हो गए हो तुम्हें ना फुर्सत है आने की ना फोन करने की और शिकायत मुझसे कह रहे हो, वाह भाई वाह, यह तो बिल्कुल भी अच्छी बात नहीं है” |



यह सुनकर नमन झेंप गया और बोला “ खैर छोड़ो यार, ये बताओ कैसी चल रही है, तुम भी यार लाइफ को एंजॉय करना सीखो, थोड़ी पार्टी-शार्टी किया करो, और वैसे भी तुम तो सिंगल हो, सिंगल तो हमेशा मिंगल करने के लिए तैयार रहते हैं " |





यह सुनकर पूजा ने नमन को घूर कर देखा और कहा," नमन कंट्रोल.. मैं यहां पर खड़ी हूं, ज्यादा मिंगल करने की जरूरत नहीं क्योंकि तुम सिंगल नहीं हो, ठीक है..., कुछ सीखो आकाश से.. कितना सुलझा और अच्छा लड़का है, तुम्हारी तरह नहीं है कि मेरे साथ होते हुए भी दूसरों पर लाइन मारने की बात करते हो, हाउ डेयर यू " |



नमन और पूजा की खट्टी मीठी नोकझोंक होते देख आकाश ने हंसते हुए कहा - "चलो ये सब बातें छोड़ कर ये बताओ पूजा, मेरे दोस्त के साथ कैसा लग रहा है”?

पूजा ने हंसते हुये कहा “ अभी तक तो ठीक ही है” |



ये सुनकर सारे हंसने लगे और आकाश ने कहा “ वैसे आपने नमन का इलाज बहुत ही अच्छी तरह से किया, मुझे तो ये समझ नही आया कि आखिर आप को कैसे पता लग गया था कि ये नाटक कर रहा है, मै तो बहुत घबरा रहा था” |



पूजा ने बडे एटीट्यूड मे कहा “ भला मैं ना जान पाती कि ये नाटक कर रहा है, ओह कम ऑन, मै ना दिन भर ऐसे ना जाने कितनों की हवा निकाल देती हूं, मुझे तो तभी पता चल गया था जब नमन ने इतनी हवस भरी नजरों से पहली बार मुझे देखा था” |



पूजा की बात सुनकर नमन और आकाश दोनों एक दूसरे को देखने लगे |

नमन ने थोडा सा गुस्से में कहा “ अच्छा ....तो मै तुम्हे हवस भरी नजरों से देख रहा था??, हद है यार ...चलो मान लिया कि मै देख भी रहा था ऐसे तो तुम्हे कैसे पसंद आ गया मैं”?



इस पर पूजा ने बडी सरलता से कहा “ ओहो......अभी तक नही समझे, तुम मुझे इसीलिये पसन्द आ गये क्युं कि मुझे जंगली और रोड छाप आशिक़ टाइप लोग पसंद हैं, अब बेकार की बकवास मत करो मेरे से प्लीज” |

ये कहकर पूजा सोफे से उठ कर कमरे में लगी तस्वीरें देखने लगी |



कमरे में कुछ देर के लिये शांती छा गई तो आकाश ने कहा “ अरे यार तुम लोग अपना झगडा ना अपने घर करना जाके, अभी तो तुम लोग मेरा नया मास्टर पीस देखो, यह मेरी सबसे लेटेस्ट पेंटिंग है"|



पेंटिंग में एक आदमी पहाड़ी पर किसी सुनसान जगह पर बैठा था, आसमान लाल था, सूर्यास्त अपने अंतिम पड़ाव पर था, सूर्य की लाल किरणें उस आदमी के चेहरे पर ऐसे पड रही थीं कि मानो उसके चेहरा आग में तप रहा हो और वह एकदम खामोश बैठा एक उदास चेहरे की पेंटिंग बना रहा था, उस पेंटिंग पर भी सूरज की लाल किरणों का असर साफ साफ दिखाई दे रहा था | इस तस्वीर को देखकर कोई भी आश्चर्यचकित रह जाता, मानो उसकी पेंटिंग जीवित हो रही हो | वह तीनों गौर से इस पेंटिंग को देख रहे थे |



कुछ देर बाद नमन और पूजा ने ध्यान से उस पेंटिंग को देखते हुए कहा," क्या बात है!!! यार कमाल कर दिया है तुमने तो, कैसे कर लेते हो ये सब, एक पेंटिग करते हुये आदमी की पेंटिग बना दी, वाह भाई, लेकिन .......” |

नमन इतना कह कर चुप हो गया तो आकाश ने हैरानी से पूछा “ लेकिन क्या ???, कुछ कमी है तो बताओ? वैसे पूजा तुम्हारा क्या कहना है”? पूजा ने कहा “ ये तो बहुत अच्छी है मेरे हिसाब से और वैसे भी मुझे ज्यादा इसके बारे मे पता नहीं” |



तभी नमन ने आकाश को गौर से देखा और कहा “ यार ये तस्वीर तो बहुत ही अच्छी है लेकिन तू कुछ हैपनिंग पेंटिंग्स बनाया कर, हमेशा वही सैड…सैड.... तू इतना सैड क्यों रहता है, आखिर क्या बात है? मुझे तो तेरा कभी-कभी नेचर ही समझ में नहीं आता है कभी तो लगता है तो मेरा बहुत अच्छा दोस्त है, मैं सब कुछ तेरे बारे में जानता हूं तो कभी-कभी लगता है न जाने कितनी ही राज तूने छिपा रखे हैं, अनजान सा लगने लगता है तू मुझे” |



आकाश ने उसकी बात टालते हुये हंसकर कहा," अरे यार तुम लोग तो बस जब से आए हो तब से सवाल पर सवाल कर रहे हो, मैं यहां केबीसी खेलने नहीं बैठा हूं, अब ऐसा है, तुम लोग आपस में बातें करो मैं तुम दोनों के लिए कॉफी बना कर लाता हूं" |



इतना कहकर आकाश किचन में जाने लगा तो नमन ने कहा “ क्या यार तू भी ना कैसी बातें करता है, अगर हमें ही आपस में बात करनी होती तो हम तेरे पास क्यों आते हैं अपने घर में रहते ना, चल मैं भी कॉफी बनाने में तेरी हेल्प करता हूं” |



यह कहकर वो दोनों किचेन में चले गए और पूजा वहीं बैठ कर एक मैगजीन पढने लगी, जिनमे पेज थ्री की फोटो देख देख के पूजा सोचने लगी कि ना जाने वो कब इन मैजजीनों मे आयेगी” |



आकाश किचेन मे आकर कॉफी बनाने लगा तभी नमन ने कहा, "आकाश क्या बात है? अगर कुछ बात हो तो मुझे बता सकते हो यार, मैं तुम्हारा अच्छा दोस्त हूं you can believe me” |



आकाश ने बिना नमन की ओर देखे ही कहा “ अरे यार.....ये कहकर शर्मिंदा मत करो, तुम्हारे सिवा इस शहर में मेरा अच्छा दोस्त है ही कौन जो मै तुमसे कुछ छिपाऊंगा और रही बात मेरी परेशानी की तो तुम बेकार में परेशान होते हो, मैं बचपन से ही ऐसा हूं और मैं खुश हूं मैं ऐसा ही रहता हूं यह मेरी आदत है, मुझे कोई परेशानी नहीं है, तुम न जाने क्यों ऐसा बोल रहे हो"|