Teri Chahat Main - 22 in Hindi Love Stories by Devika Singh books and stories PDF | तेरी चाहत मैं - 22

तेरी चाहत मैं - 22

संडे का दिन बहुत खुशनुमा था, वो अपने साथ रूबी और और जावेद के लिए एक नई जिंदगी का तोहफा ले कर आया था। मेजर शेखर का घर फूलो और छोटे छोटे बल्ब से रोशन था। गार्डन मैं एक खूबसूरत सा स्टेज बना था। अजय, राज, न्यूटन, रोहित दौड़ दौड़ कर सब तयारी कर रहे थे। सना और हीना रूबी को तैयार करने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती थी।

तभी राज का फोन रिंग किया, उसे देखा की सिमरन का कॉल था। उसने उत्तर किया।
सिमरन बोली "कैसे हो माई डियर बेबी?"
राज ने जवाब दिया "ठीक हूं स्वीटू, बस तैयारी मैं थक गया हूं। तुम तैयार हो। मैं आता हूं तुमको लेने।"
सिमरन ने जवाब दिया "है मेरा सोना साजन, मेरी कितनी फ़िकर है! मैं तो खुशी से पागल हुईं जा रही हूं। पर तुम बहुत थक गए हो लो ये जूस पी लो। तकत आ जाएगी।
राज के सामने एक दम से सिमरन जूस का गिलास ले कर आ गई। उसे एक दम से देख कर राज हड़बडा गया और बोला "त... तुम यहां कब आई?"
सिमरन ने जल्दबाजी हुई कहा "कोई दो घंटे हो गए हैं, मैं तो पापाजी और हीना के साथ खाने का इंतजार कर रही थी। तभी मैंने अपने जानू को थका हुआ, मुरझाया हुआ देखा, तो कसम से रहा ना गया। बस आ गई मैं तुम्हारे लिए! और तुम ऐसे घबरा रहे हो जैसे कोई भूतनी देख ली हो!
तभी मेजर शेखर भी आ गए और बोले "सिमरन बेटा, क्या हुआ? क्या नमूने ने कुछ कहा तो नहीं ना”
सिमरन बिलकुल भोली बन कर बोली "देखिए ना पापाजी, मैं इतनी डेर से जूस लिए खडी हूं, पर ये लेह ही नहीं रहे।"
क्या पर मेजर शेखर बोले "ये क्या हरकत है राज, बच्ची इतनी मेहनत से तेरे लिए जूस लायी है और तू नखरे कर रहा है?"
राज के कुछ समझ ही नहीं आ रहा था, सिमरन ने एक घंटे मैं मेजर शेखर को अपना पापा बना लिया था और वो अब उसके लिए राज की खिचाई कर रहे थे। उसे झट से जूस का गिलास लिया और एक सांस में पी डाला। सिमरन ने फिर टांग खीची "पापाजी, देखिए कैसे जानवरों की तरह पी रहे हैं। जूस तो कपड़ो पर भी गिर गया ”

“बिलकुल बिगड़ गया है ये जानवर हो गया है। पता नहीं ये बचपना और जानवरो की आदत कब जाएगी" मेजर शेखर बोले।
क्या पर सिमरन ने कहा "आप परेशान ना होये पापाजी। मैं सब संभाल लुंगी।” "हां बेटा अब बस तेरे पे ही भरोसा है, और तुम राज इसे परेशान नहीं करना। कितनी अच्छी और प्यारी बच्ची है। ख्याल रख इसका, बेचारी कब से कामों में हलकान हो रही है।" ये कह के मेजर शर्मा चले गए दुसरे कामों को देखने।
उनके जाने के बाद सिमरन बोली "अब आप कैसा महसूस कर रहे हैं, जानेमन? सब ठीक!"
राज अभी तक सकते में था "मुझे ये समझ नहीं आ रहा की अभी-अभी जो इंसान यहां से गए हैं कौन सच में मेरे ही पापा है? दो घंटे मैं उनको मेरे ही खिलाफ कर डाला। तुम क्या चीज हो यार।"
"हम नचीज़ हैं मेरी जान" सिमरन ने आदा से कहा तो राज ने कहा "मुझे लग रहा है की मैंने तुमको प्रपोज कर के कहीं गलती तो नहीं कर दी। क्या घंटे में ये हाल है तो अब क्या होगा?”

सिमरन ने बनावटी गुस्से से बोला "बुलाओ अभी पापाजी को!" तो राज बोला "अरे बुरा ना मानो क्यूं मुझे जूते खिलवाने पे उतारू हो।" फिर दोनो हंसने लगे और दुसरे कामों मे लग गए।
कुछ देर मैं न्यूटन दौड़ता हुआ आया और बोला "जावेद भाई आ गए! जावेद भाई आ गए!" इसपर रोहित बोला "भाई बारात आ गई हैं कहते हैं।" न्यूटन बोला "भाई इसको एक्साइटमेंट कहते हैं।"
फिर थोड़ी देर में काज़ी साहब रूबी और जावेद का दुबारा से निकाह पढ़ा रहे थे। निकाह के बाद सबने रूबी और जावेद को मुबारकबाद दी। मुबारकबाद देने वाले में मुकेश रॉय और मिस्टर शर्मा भी थे। कुछ देर बाद जावेद और रूबी चांडाल चौकड़ी से घिरे हुए थे। वो सब ख़ूब मजे कर रहे थे। सिमरन भी अब उसी ग्रुप मैं शमिल हो गई थी।

मेजर शेखर और मिस्टर शर्मा एक तरह खाने का लुत्फ उठा रहे थे। तभी मिस्टर मुकेश रॉय उनके पास पहुचे और बोले "शेखर साहब, आपको बेटी की शादी की दिल से मुबारक बाद।"

मेजर शेखर बोले "रॉय साहब सब ऊपर वाले का करम है, मुझे बेटी नहीं दी पर बेटी को रुखसत करने का मौका दे दिया। साथ में मुझे लगता है की एक बेटी परमानेंट आने भी वाली है!"
"वाह भई क्या बात है" दोनो हाथ मैं लड्डू। राज के लिए लड़की देख ली क्या?” अब की बार मिस्टर शर्मा बोले।
"क्या भाई हमको भी तो बताओ की किसको चुना है आपने राज के लिए।" गरम जोशी से मुकेश रॉय बोले।
“ मुकेश साहब, आप तो जाते ही हैं, बच्ची को, सिमरन! बड़ी ही प्यारी बच्ची है। जी थोड़ी देर मे दिल जीत लिया। लगा ही नहीं की अपनी बेटी नहीं है।"
“वाह क्या बात है, सिमरन बहुत ही प्यारी बच्ची है। सच्ची और जिंदादिल, कोई दिखावा नहीं है। दोनो की जोड़ी बहुत ही अच्छी है। अब तो बस अब इंतजार ना करिए। "रॉय साहब ने भी अपनी रज़ामंदी दे डाली।
"हां, सही कहा आपने, राज का फाइनल ईयर है, इसके बाद थोड़ा बहुत सेटल हो जाए, बस मैं दोनो की शादी कर दूंगा।" मेजर शेखर बोले
"थोडा सेटल तो वो है हाय, भगवान करे जिस तरह ये बच्चे काम कर रहे हैं, मैं तो इन्हें फुल-टाइम जॉब देने की सोच रहा हूं। बस ये बात अभी जाहीर नहीं करियेगा!” मुकेश रॉय बोले

क्या बात हैं। मिस्टर शर्मा और मेजर शेखर की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
“रिया कहीं नहीं दिख रही रॉय साहब। वो नहीं आई।" श्री शर्मा बोले।
“नहीं जनाब, लड़की ने मुझे परेशान कर दिया है। ज़िद्दी हो गई है। समझ नहीं आता क्या होगा आगे? कोई ज़िम्मेदारी नहीं उठा सकती है। इसकी आदत कौन सुधारेगा? गलती मेरी है, मैंने ही ज्यादा लाड प्यार से पाला जो है।” जवाब देते हुए मुकेश रॉय ने बताया।
अरे साहब अभी उमर ही क्या है वो अभी, बच्ची है! जब जिमेदारी मिलेगी तो निभा भी लेगी। मेजर शेखर ने तरफदारी वाले लेहजे मैं कहा।
मिस्टर शर्मा कुछ सोचते हुए बोले "एक राय दूं मैं, रॉय साहब?" मुकेश रॉय बोले को "शर्मा साहब पूछने वाली क्या बात है?" मिस्टर शर्मा फिर बोले "रिया को ऑफिस ज्वाइन करवा दिजिए, काम तो उसे सीखना ही है, ऑफिस जाने से जिम्मेदारी का भी एहसास हो जाएगा। इससे आप का भी बोझ कुछ कम हो जाएगा।”
“ये राय तो कमाल की है, वैसा मुझे लगता नहीं उसमे कुछ बदलाव आयेगा, पर कोशिश को करने में क्या हरज है। रही बात मेरे बोझ की, उसके आने से और बढ़ जाएगा।” मुकेश रॉय के ये कहने पर सब खिलखिला के हंस पडे।
कुछ देर बाद रूबी को सब ने खुशी-खुशी रुखसत किया। कार मैं बैठने से पहले उसे सबने मुबारक बाद दी। फिर जावेद और रूबी अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करने के लिए आगे बढ़ गए। सब बहुत खुश थे।

अगली सुबह
मुझसे तुमसे कुछ जरूरी बात करनी है रिया। सुबह ब्रेकफास्ट टेबल पे मुकेश रॉय ने रिया से कहा।
जी पापा बोलिये "तुम्हारी स्टडी कैसी चल रही है" मुकेश रॉय ने पुछा।
"अच्छी चल रही है" रिया ने जवाब दिया
"आगे क्या करना है?"मुकेश रॉय ने मुस्कुराते हुए पुछा।
“पापा मुझे क्या करना है, इतना कुछ तो है हमारे पास। बस मुझे तो जिंदगी के मजे लेने है, काम तो सब विक्रम ही करेगा। आखिर हम दोनो की शादी जो होनी है" रिया एक रॉ मैं सब बोलती चली गई।
मुकेश रॉय कुछ नराज़ होते हुए बोले "तुमको विक्रम पसंद है? रिया बेटा, बच्चा छोड़ो, शादी कोई खेल नहीं होती जिंदगी का सवाल है। और विक्रम की कॉलेज की हरकते देखने के बाद, मैं हज़ारबार सोचूंगा।”
रिया भी नराज होते हुए बोली "पापा हम दोनो बचपन से साथ खेलते हुए बड़े हुए हैं, आपने पहले कभी भी नहीं कहा ऐसा। उस दो टके के अजय और उसके दोस्त के नाटक पर आपको यकिन है। आपने तो अजय को ज्यादा ही सर चढ़ा रखा है। उनकी औक़ात ही क्या है!”
मुकेश रॉय गुस्से से बोले "अपनी जबान को संभालो, रिया, इंसान को पहचानो, मैंने जिंदगी तुमसे ज्यादा देखी है। कोई मुझे बहका नहीं सकता इतनी आसानी से। अजय और उसके दोस्त मेहनती है। जिंदगी मैं कुछ करना चाहते हैं। मैंने उनको सर पे नहीं चढ़ाया, जो हसील कर रहे हैं, उनकी मेहनत का नतीजा है। वो उसी कॉलेज मैं पढ़ते हैं, जहां तुम। कॉलेज की पढाई और साथ मैं इंटर्नशिप, आसान नहीं होती। उसके बवजूद, उनके परिणाम और काम की प्रगति देखो। अगर तुम मेरी बेटी नहीं होती तो शायद आज फाइनल सेमेस्टर मे बैठ भी नहीं पाती।”
रिया गुस्से से उठ कर जाने लगी। मुकेश रॉय ने कहा "जाने से पहले, एक बात सुनती जाओ, अपनी स्टडीज पे ध्यान दो। रोज़ शाम को विक्रम के साथ घुमाना आज से बंद, आप रोज़ कॉलेज के बाद घर आएगी, यहाँ बाकी के काम करके डेली आप अब कम से कम दो घंटे के लिए ऑफिस आएगी। और ध्यान रहे की CWS की बिल्डिंग और उसके आस पास भी मुझे विक्रम आपके साथ नहीं दिखना चाहिए। विक्रम को कैसे डील करना है, आपका मसला है।”
"पर पापा..." रिया के कुछ बोलने से पहले,मुकेश रॉय उठ कर खड़े हो गए दरवाजे पर रुकते हुए बोले "रिया अगर हमने जो कहां है वो आपने नहीं किया तो हमको सख्ती करनी पड़ेंगी और आप यह बिल्कुल नही चाहती की हम ऐसा ऐसा करे
रिया उन्हे जाते हुए देखती रह गई।"


To be continued
in 23th part

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