Teri Chahat Main - 26 books and stories free download online pdf in Hindi

तेरी चाहत मैं - 26

न्यूटन जल्दी ही रिकवर हो के वापस हॉस्टल आ गया। मेहनती तो वो था। बस जल्दी ही उसे अपना प्रोजेक्ट भी सबमिट कर दिया। सभी लोग अब खुश थे। आखिर न्यूटन फिर से पहले जैसा हसमुख जो हो गया था। जिंदगी फिर से खुशनुमा हो गई थी।

उस दिन न्यूटन लाइब्रेरी मैं बैठा था की अलविना उसके पास आई। "कैस हो न्यूटन?"
"बस ठीक हूं, फाइनल सेमेस्टर के पेपर्स की तैयारिया चल रही है।" न्यूटन ने जवाब दिया।
"कितना पढते हो तुम, जब देखो किताबो से चिपके रहते हो! थकते नहीं हो तुम।" अलविना ने मुस्कुराते हुवे पुछा।
“थकता हूं, पर कोई चारा भी नहीं है। अच्छे ग्रेड लाने है। अगर अच्छा ग्रेड नहीं आएगा तो करियर पे असर पड़ेगा। और वैसे भी मेरे पास करियर बनाने के लिए यही एक मौका है। अगर मार्क्स अच्छे नहीं आए तो, हू थ्री इडियट्स वाली बात हो जाएगी, बैंक क्रेडिट कार्ड नहीं देगा, कोई बाप अपनी बेटी नहीं देगा। और मैं सारी जिंदगी अकेला नहीं रहना चाहता।" न्यूटन ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।

"ओह तो आप सेटल होना चाहते हैं, मतलब इतनी मेहनत किसी लड़की के लिए हो रही है। कौन है। जिसके बाप को इम्प्रेस करने के लिए चिपके हो बुक्स मे।" अलविना ने न्यूटन की टांग खीची।
"आप भी कहां की बात करने लगी अलविना जी! मेरे जैसे लड़के की गर्लफ्रेंड। सोच कर देखिये। मेरे जैसे लड़कों की गर्लफ्रेंड नहीं होती। हमारे जैसे लड़के सिर्फ इग्नोर किए जाते हैं। मुझे तो लगता ही नहीं कभी मेरी जिंदगी में कोई लड़की आएगी या मेरी शादी भी होगी।" न्यूटन ने मुस्कुराते हुए कहा।
“क्यूं, ऐसा क्या सोचते हो, क्या समस्या है तुम्हारे में। अच्छे इंसान हो। देखने मैं भी क्यूट हो।” अलविना ने कहा।

"बस अलविना जी, तजुरबा है।" न्यूटन ने ज़बरदस्ती मुस्कुराते हुए कहा।
"तजुरबा, बड़ा तजुरबा है तुमको! अगर तुम किसी को पसंद करते हो तो उसे जा के बोलो तो। उसे ख्वाब थोड़े ही आएगा। मुझे तो नहीं लगता की कोई लड़की तुमको इंकार करेगी। जब तक अपने दिल की बात नहीं कहोगे तब तक कैसे बात बनेगा।” अलविना ने अपनी बात रखी। उसके दलील सुन के बाद न्यूटन ने अपनी किताब बंद की। अपनी आंखें बंद की। गहरी सांस ली, फिर बोला "उसका नाम फ़िज़ा था ... फ़ाइनल ईयर मैं मेरे साथ पढती थी। कॉलेज मिड टर्म मे उसने ज्वाइन किया था। तो पढाई मैं मुश्किल हो रही थी। इसी चक्कर मैं उसकी और मेरी जान पहचान हो गई। मैं उसकी हेल्प करने लगा। हमारी दोस्ती बढ़ने लगी। वो पूरे दिन मेरे साथ ही रहती थी। कैंटीन हो या क्लास। शॉपिंग हो या मूवी, हर जगह मेरे साथ। यहां तक ​​की कपड़े भी मुझसे चुनवाया करवाती थी। हमेशा बस एक बात कहती थी, की मेरे बगैर अपने को अधूरा और अकेला समझती है।" इतना कह के न्यूटन चुप हो गया।

“उस दिन मेरा बर्थडे था। मैं फ़िज़ा को बर्थडे ट्रीट देने के लिहाज़ से एक रेस्टोरेंट ले गया था। मैं फ़िज़ा को पसंद करने लगा था। और चाहता था की उसे उसी दिन प्रपोज करूं। तो जब डिनर के बाद मैने उससे मुझसे पुछा की गिफ्ट क्या लोगे तो मैंने कहा की थोड़ी देर बाद बताउंगा। रेस्टोरेंट के पास एक पार्क था। हम अक्सर वहां जाते थे। वहा पहुच के मैंने उसे अपने दिल की बात उसी के दी। मेरी बात सुन कर उसके चेहरे का रंग बदल गया। फिर बस मुझे इतना याद है की मेरे गाल पर दो तमाचे पाए थे। उसे मुझसे कहा की, अपनी शक्ल देख के बात करो। तुम हो हो क्या। मैं जरा देर तुमसे अच्छे से बात करने क्या लगी तुम मुझसे ये उम्मीद करने लगें

मैं तुमसे प्यार करता हूं। हैं तुम्हारे जैसे लड़कों को तो मैं भाव भी नहीं देती। वो तो तुम मेरी स्टडीज मेन हेल्प कर रहे थे तो मैं भी तुमसे अच्छे से पेश आ रही थी। और तुम्हारी इतनी हिम्मत बढ़ गई की तुम मुझसे मोहब्बत के ख़्वाब देखने लगे। तुम दो कौड़ी के मिडिल क्लास लोगो को मुंह लगाना ही नहीं चाहिए। ये कह कर वो वहां से चली गई। मैं वही खड़ा उसे जाते हुए देखता रहा।

ना जाने कब तक वही खड़ा रहा। आँखों से आँसू रुक नहीं रहे थे। मैं टूट सा गया था उस दिन। पहली बार किसी को सच्चे दिल से चाहा था।” इतना कह के न्यूटन चुप हो गया। उसकी आंखें नम थी।
अलविना ने कहा "सॉरी न्यूटन, मैंने बिना वजह तुम्हारी पुरानी यादें ताजा कर तुमको हर्ट कर दिया। मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था। बस मेरे से मजाक में…. प्लीज मुझे माफ कर दो।” अलविना जनता थी की अंजाने मैं उसे न्यूटन की जिंदगी का एक दर्द भरा पहला छेड दिया था। उसे बहुत अफसोस हो रहा था।
न्यूटन फिर ज़बरदस्ती अपने चेहरे पे मुस्कान लाते हुए बोला "कोई बात नहीं अलविना जी। बस पता नहीं कैसे मैं ये सब आपको बता गया। खैर अब चलता हूं, मुझे ऑफिस भी जाना है। हॉस्टल मैं अजय मेरा वेट कर रहा होगा।" न्यूटन उठते हुए बोला। अलविना उसे जाते हुए देखती रही। और ये सोच रही थी की कोई इतने अच्छे शक के साथ ऐसा कैसे कर सकता है। फ़िज़ा की वजह से न्यूटन का भरोसा ही उठा चुका है मोहब्बत से।


To be continued
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