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जुड़ी रहूँ जड़ों से - भाग 3

अब्बू की बात सुनकर तबस्सुम का गुस्सा थोड़ा कम हुआ और उन्होंने गर्दन को झटकते हुए कहा- "पर ये दोनों भाई- बहन हमें कुछ समझें तब ना।"
अब्बू के कहने के अंदाज से अमन समझ गया था कि अब्बू चाहते है कि अम्मी को गुस्सा ना दिलाया जाए वरना आज फिर अम्मी बिना खाना खाए सो जाएंगी, जो उनकी तबीयत के लिए बिल्कुल ठीक नहीं।
अमन ने अम्मी का गुस्सा शांत करने की नीयत से अम्मी पकड़ कर कहा - ‘‘मेरी प्यारी.. अम्मीजान आज मैं भी आपके साथ हूँ हम उसे अच्छी तरह समझा देंगे कि रोज-रोज झगड़ा करके अम्मी को परेशान ना करे । ’’
इसपर अम्मी प्यार से अमन का माथा चूम लेती है और अमन हॉल के सामने की सीढ़ियों पर जल्दी-जल्दी चढ़कर शबनम के कमरे की तरफ जाता है। वहाँ जाकर शबनम को देखकर उसे हँसी आ जाती है और वो कहता है- ‘‘अहा! जी यहाँ हम सोच रहे है कि हमारी एंकर बहन अपने कमरे में बैठी रो रही है, पर यहाँ तो मस्त कॉक-चिप्स पार्टी चल रही है।’’
भाई को देखकर शबनम बोल पड़ती है -‘‘आइए भाईजान आप भी खाइए आज शायद इसी से काम चलाना पड़ेगा । अम्मी आज खाना तो देगी नहीं हमें।’’ कहकर दोनों भाई-बहन हँस पड़े ।
‘‘पर आज इस तूफानी एंकर ने ऐसा क्या कर दिया ?’’
‘‘अरे भाईजान क्या बताऊँ ये बिलाल है ना हम माँ-बेटी के बीच में दीवार बनता जा रहा है।’’
"ओहो..तो ये बात है, हेंडसम बिलाल की तस्वीर देखी जा रही है.. नाइस! ’’
शबनम के लेपटॉप में बिलाल की तस्वीर देखकर अमन उसे चिढ़ाता है तो उसकी बात पर शबनम के माथे पर सलवटें पड़ जाती है और वो गुस्सा करते हुए कहती है-
" बस भी कीजिए भाई जान।"
"अब आज ऐसा क्या कह दिया अम्मी ने।
" अम्मी इसी महीने हमारा निकाह करवाने पर तुली है ।’’
‘‘ इसी महीने.. वो तो हम आगे करवा देंगे, सच बताओ तुम्हारा क्या ख्याल है! " अमन ने शबनम की टांग खींचते हुए कहा।
" ओ शटअट भाईजान ।"
"फिर ये फोटो क्यों देख रही हो,ये तो दस साल पहले की फोटो है। हैंडसम तो पहले भी था हैंडसम और सच कहूँ तो अब भी ग़ज़ब पर्सनलेटी है बिलाल की। तुम दोनों की जोड़ी क्या खूब जचेगी, बाई गॉड।’’।
अमन की बात से थोड़ी सी नाराज़ होते हुए शबनम बोल पड़ी- "जाओ भाईजान मैं नहीं बात करती आपसे, मुझे रिपोर्ट तैयार करने दो सुबह ग्यारह बजे न्यूज है मेरी।’’
‘ओहो! मेरी डॉल, चलो तो सही अब्बू बुला रहे हैं, अगर तुम नहीं आई तो हमेशा की तरह अब्बू आएँगे तुम्हें बुलाने । देखो टाइगर और ब्राउनी भी तुम्हें बुलाने आए हैं और तुम चिंता मत करो शब्बो, अब्बू हैं ना। "
अमन के प्यार भरे आश्वासन से शबनम नीचे आ गई और वो अच्छी तरह समझ भी गई कि अम्मी से जो भी बात करनी है वो शांति से ही हो सकती हैं ऐसे गुस्से से या रूठने से नहीं ।
अमन और अब्बू जानते थे कि माँ बेटियाँ कुछ ही देर एक दूसरे से नाराज रहती हैं। एक दूसरे से ज्यादा देर नाराज रहना इनके बस की बात नहीं इसीलिए माँ-बेटी को अकेला छोड़कर अब्बू और अमन-अपने कमरे में कपडे़ बदलने चले गए।
इधर शबनम ने पीछे से जाकर अम्मी को पकड़ लिया और - "अम्मी .... अम्मी, मेरी प्यारी अम्मी सॉरी ....!" कहती हुई उनसे चिपक गई ।
क्रमशः.

सुनीता बिश्नोलिया