Vishwash - 6-7 books and stories free download online pdf in Hindi

विश्वास - कहानी दो दोस्तों की - 6-7

विश्वास (भाग -6)

"जी जरूर माँजी", कह मीनल ने उनके हाथ से मोबाइल ले कर चार्जिंग पर लगा दिया।
धन्यवाद, मैं थोड़ी देर में आ कर ले जाऊँगीं।
"बहन जी आपने कुछ खाया"? उमा जी ने पूछा तो वो बोली," एक बार इनको होश आ जाए तभी कुछ खा पाऊँगीं"।

"आपके पति बिल्कुल ठीक हो जाँएगे, चिंता मत कीजिए"। उमा जी ने दिलासा दी, तब तक मीनल ने एक प्लेट में सेब काट उनकी ओर बढाया, "माँजी आप थोड़ी बहुत खा लीजिए"। "धन्यवाद बेटा", कह सेब की एक फाँक प्लेट से ली।

उमा जी--- "बहन जी आप के साथ जो आए थे, भाई साहब को ले कर वो कहाँ हैं"?
महिला---- "वो हमारे मुखिया जी का बेटा भुवन है। कॉलेज में पढाते हैं। छुट्टियाँ अपने गाँव में ही सबकी मदद करने में बिताते हैं। दिनरात अपने लोगों की मदद को तैयार रहते हैं। तभी हम यहाँ आने का सोच पाये। अभी वो अपनी डयूटी पर गया है, बोल कर गया है कि शाम को आएगा"।

"यह तो बहुत अच्छा है , आपके गाँव के मुखिया और उनका परिवार बहुत अच्छा है। वरना आज के समय में अपने ही काम नहीं आते", उमा जी की इस बात पर मीनल ने भी अपनी सहमति जताई।

"आपके अपने बच्चे कहाँ रहते हैं? उनको फोन कर दिया"? उमा जी ने पूछा। बहन जी हमारी दो बेटियाँ हैं। दोनो की शादी हो गयी है। एक अमेरिका और दूसरी लंदन में। दोनों नौकरी करती हैं, उनको बता दिया है। उनका तुरंत आ पाना मुश्किल है। इसलिए ही मैंने कहा कि चिंता मत करो जैसे समय मिले आ जाना। उनको अपने बच्चों के पढाई भी तो देखनी है"।

"बिल्कुल ठीक कहा आपने, बच्चों की शादी के बाद जिम्मेदारियाँ बढ़ जाती हैं फिर नोकरी कर रहे हो तो उसकी भी जिम्मेदारी बच्चों के कंधों पर ही होती है"। उमा जी ने बात आगे बढ़ाते हुए कहा।

"माँ जी आप को किसी हेल्प की जरूरत हो तो आप बेहिचक कहना। माँ तो यहाँ होती ही हैं आप अपने को अकेले मत समझिए.".. मीनल ने कहा अभी कुछ और कहती उससे पहले ही उसके फोन की घंटी बज गयी। "माँ ड्राइवर नीचे आ गया है, मैं निकलती हूँ। माँ जी रात का खाना मैं भेज दूँगी। आप लोग बाहर से मत खाना"। टीना के माथे को चूम कर मीनल चली गयी।

"बहन जी मैं भी एक बार डॉं. से पूछ कर आती हूँ कि उनको कमरे में कब ला रहे हैं, मेरा फोन यहीं है। अभी आकर ले जाऊँगी"। "आप बेफिक्र होकर आओ"। उमा जी ने कहा।

कुछ ही देर में टीना का खाना आ गया। लिक्विड डायट पसंद तो नही आ रही थी, पर जबडे में दर्द की वजह से कोई उपाय भी भी नही है।

विश्वास (भाग -7)

रोज की तरह खाना देख टीना का मुँह बन गया।दूध और जूस तो उसको वैसे भी नहीं पाता था पर अब मजबूरी थी तो पीना पड़ रहा था।जैसे- तैसे थोड़ा बहुत खा कर टीना ने प्लेट पलंग पर रखी टेबल पर सरका दी।
नर्स आई उसने टीना को दवा खिला कर इंजैक्शन लगा दिया।

नर्स के जाने के बाद उमा जी उसको साथ वाले कमरे के पेशेंट और उनकी बीवी और परिवार के बारे मेॆ जो पता चला था वो बताने लगी। वो चुपचाप दादी को सुन रही थी।अभी दादी बता ही रही थी कि वो महिला अपना फोन लेने आ गयीं।

"आप आ गयीं कब शिफ्ट कर रहे हैं भाई साहब को रूम में"? "जी अभी उनको होश नही आया है, शाम तक बोल रहे हैं कि कमरे में आ जाँएगें। मैं फोन लेने आयी थी, अब तक चार्ज हो गया होगा"!!

फोन चार्ज हो चुका था, वो शुक्रिया बोल कर जाने लगी तो उमा जी ने रोक लिया। "आप कुछ खा लो। मेरे पास घर का खाना है, चलो दोनो खाते हैं"। पहले तो वो महिला ने काफी मना किया पर उमा जी ने अपने साथ बिठा ही लिया ये कह कर कि, भाई साहब के पास आप बैठ नहीं सकती , कमरे में अकेली क्या करेंगी? यहीं बैठिए, जब कोई आएगा तब चले जाना।

महिला बैठ गयी तो उमा जी ने खाना लगा दिया। "मेरा नाम उमा है बहन जी और मेरी पोती टीना है, महिला को अपनी ओर देखते हुए पाया तो टीना ने हाथ जोड कर अपना सिर हिला नमस्ते कर दी। जिससे आप सुबह मिली थी, वो मेरी सबसे बड़ी बहु और इसकी मम्मी है"।

"मेरा नाम सरला है, बहन जी। आप मुझे सरला कहिए। आप लोगों से मिल कर अच्छा लगा। मेरे पति सरकारी स्कूल में टीचर हैं। रिटायरमेंट में 2 साल अभी बाकी हैं, किसी काम से साथ वाले गाँव गए थे , वहाँ से लौटते हुए ये हादसा हो गया। भुवन बेटा गाँव न आया होता तो परेशानी हो जाती। बचपन में भुवन इन्हीं से पढ़ा है तो सम्मान करता है, हमारी बेटियों को भी बहनों जैसा मान देता है। हीरा है लड़का"।

"गाँव मेॆ सबको पढाई, सफाई और आगे बढने की प्रेरणा देता है। लोग भी कहते हैं कि उसकी बातों में जादू है, तभी तो लोग कहना मानते हैं"। "सरला बहन इतनी तारीफ सुन कर तो हमारा भी आपके भुवन से मिलने का दिल है"। उमा जी ने कहा

"हाँ जी क्यों नही, आज ही मिलवाती हूँ"। सरला जी ने कहा।"आज का खाना आप लोग हमारे साथ खा ही रहे हैं तब मिलते हैं"। दोनो ने एक दूसरे का नंबर ले लिया।
"टीना बेटा तुम क्या करती हो"? सरला जी ने पूछा।

टीना की चेहरे पर उदासी छा गयी वो दादी की तरफ देखने लगी। "सरला बहन टीना ने बी.ए कर लिया है उसका एक्सीडेंट हो गया था जिसकी वजह से अभी बोल नहीं पाती"।
उमा बहनजी आप लोग चिंता मत कीजिए, "जल्दी ठीक हो जाएगी हमारी टीना बेटी"।
अभी मैं जाती हूँ ड़ॉ साहब के आने का टाइम भी हो गया है, उनसे मिल कर आती हूँ।
क्रमश:

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