Pyar ek anokha rishta - 8 books and stories free download online pdf in Hindi

प्यार का अनोखा रिश्ता - भाग ८


हिना अतीत में कालेज में बैठ कर राज को याद करते हुए कहती हैं अभी तक नहीं आया?आज आने दो उसे मैं छोडुगी नहीं उसे।।
राज आकर कहता है अरे बाबा मैं छोड़ने दुंगा तभी तो।।
अब नाराजगी छोड़ दो हां, ये बताओ आज ये बेरंग क्यों पहनी हो ?मैं मर गया हुं क्या?
तभी हिना दौड़ कर राज के मुंह पर हाथ रख देती है और फिर बोलती है कि ऐसा मत बोलो।।
राज ने कहा मुझे नहीं देखना है ऐसे अभी के अभी चलो तुम।।
हिना ने कहा हां,पर कहां?
राज ने हाथ पकड़ कर अपनी बाइक पर बैठ गया और फिर पीछे हिना बैठ गई और फिर राज एक शापिंग मॉल में गया और वहां से एक गुलाबी रंग का सूट खरीद लिया और फिर हिना को बोला जाओ change कर लो।
हिना भी मुस्करा कर चैंजिंग रूम चली गई।
फिर वापस आई तो राज देखता है और फिर बोला आज के बाद तुम कभी बेरंग नहीं पहनोगी वरना मेरी जिंदगी ही बेरंग हो जाएगी।
हिना ने कहा अच्छा बाबा ठीक है अब चलें।
हिना वापस अपने वर्तमान में आ गई और फिर फूट फूट कर रोने लगी और फिर बोली अब क्या करूं इस बेरंग ही मेरा जिंदगी का हिस्सा बन गया है इसको कैसे मैं रंग दूं?
ऐसा सोचना भी पाप है मेरे लिए।।
राज दरवाजा पर दस्तक दिया और फिर बोला कि मैं अन्दर आ सकता हूं?
हिना ने अपने आंसु पोंछ कर बोली अरे आइए देवर जी।।
राज ने कहा हां, मैं आपको कुछ देने आया हूं?
हिना ने कहा अरे क्या?
राजीव ने एक गहरी सांस ली और फिर बोला वो कुछ सलवार सूट!
हिना ने कहा देवर जी आप ने ये सब क्यों लाया? मेरी ये सब देखना पाप है।।
राज ने कहा मैं पाप और पुण्य नहीं जानता हूं पर इतना जानता हूं कि पापा मां ये चाहते हैं कि आप यह सब पहनो।
हिना ने कहा ऐसा नहीं हो सकता है मैं मम्मी जी और पापा जी को समझा दुंगी।
राज ने कहा हां ठीक है पर मैं, मैं ये बेरंग सा नहीं देख सकता यह शायद भुल गई?
हिना ने कहा देवर जी आप जाइए यहां से!
राज ने कहा क्याyou are hurting me demit
हिना अब रोने लगी और फिर बोली अरे आप तो गलत समझ रहे हैं।
राज आगे बढ़ कर पैकेट हिना के हाथों में दे देता है।
हिना अपनी आंखें बंद कर लेती है। और फिर राज जानें लगता है तो हिना को भी गुस्सा आ जाता है और फिर वो कहती हैं रूक जाइए देवर जी यह दया मुझे नहीं चाहिए हां कह कर सारे पैकेट को फेक देती है। राज भी गुस्से में चला जाता है।
फिर हिना दरवाजा बंद कर लेती है और फिर रोते हुए बेड पर गिर जाती है। और फिर खुद को बुरा भला कहती हैं कि यह सब मेरे साथ होना था।अमर आप क्यों मुझे छोड़ कर चले गए किसके सहारे?
फिर नीचे तक हिना के रोने की आवाज सुनाई देती है और फिर आभा ऊपर दौड़ कर पहुंच जाती है दरवाजा खटखटाने लगती है और फिर बोलती है हिना दरवाजा खोलो बेटा! एक बार बात करो।।
हिना उठकर दरवाजा खोल‌ देती है और फिर आभा से लिपट कर रोने लगती है।
आभा ने कहा हां ठीक है इसने रोने वाली क्या बात है हमने कहां था राजीव को।
देख बेटा हमने भी अपना बेटा खोया है। और फिर तुझे नहीं खोना चाहतें।
तुम चिंता मत करो मैं हुं ना। राजीव को डांट लगाऊंगी।
फिर आभा ने वो सारे पैकेट उठा कर हिना के सूटकेस में रख दिया।
और फिर बोली चल फेश् होकर आ जा , जल्दी खाना खाने।।
हिना ने कहा हां, ठीक है मैं आती हूं।
हिना बेमन से बाथरूम में चली जाती है।।

फिर हिना नीचे पहुंच जाती है और उसकी नजरें राज को खोजने लगती है पर राज वहां नहीं दिखता।।
फिर हिना खाने की टेबल के पास जाकर बैठ जाती है और फिर आभा और रमेश जी आ जाते हैं और फिर पुछते है कि हिना कैसी हो?
हिना बोलती है कि मैं ठीक हूं पापा जी।।
फिर सब खाना खाने लगते हैं और फिर भी हिना की बेचैन आंखें उसे ढुढने लगती है।।
अब और सहन नहीं होता तो हिना पुछने लगती है अरे देवर जी कहां है?
आभा ने कहा अरे वो अपने दोस्तों के साथ गया है।
हिना ने कहा हां, पर बिना कुछ खाए?
आभा ने कहा हां, वो बोला कि किसी ने पार्टी रखी है तो लंच कर लेगा।
हिना ने कहा ओह।।
हिना भी थोड़ा सा खा कर उठने लगी।
आभा ने कहा अरे हिना तुने कुछ खाया नहीं?
हिना ने कहा नहीं, अब और मन नहीं है।।
हिना अपने कमरे में चली गई और फिर बेड पर लेट गई।

फिर कब आंख लग गई पता नहीं चल पाया और फिर जब आंख खुली तो घडी देखी तो आठ बजे थे।
हिना ने कहा ओह माई गॉड इतना लेट हो गया।

हिना जल्दी से फ्रेश होकर नीचे पहुंच गई और फिर देखा तो कुछ मेहमान आए हुए थे।
आभा ने कहा हिना इधर आओ देखो।
हिना सोंफे के पास आकर बोली हां मम्मी जी।
तभी वहां बैठी एक औरत ने कहा ओह। क्या हाल बना रखा है बेटा तुम मायके में हो कर आओ।
हिना ने बैठते हुए कहा कि नहीं ऐसा ही मैं मम्मी जी पापा जी को छोड़ कर नहीं जा सकती हुं। मैं ठीक हूं।।
एक ने कहा अरे बाबा तूने बहु के बाल क्यों नहीं कटवाया?
आभा ने कहा अरे ये क्या बोल रही है तू, इतनी सी बच्ची के साथ ये अन्याय कैसे?
वो औरत फिर से बोली अरे घर में एक जवान खून भी तो है।।
आभा ने गुस्से में कहा देखो तुम लोग अब जा सकती हो, मैं कुछ भी ग़लत नहीं सुनना चाहती हुं।
हिना रोने लगी और फिर हिना के ससुर जी आ गए और फिर बोलें बहुत देर से यह सब सुन रहा हूं आप लोग अब जा सकतें हैं।
फिर सारी औरतें उठ गई और फिर बोली हां, हां जा रहें हैं।
हिना बेटा अब तू ऊपर जाकर आराम कर।
हिना ने कहा जी पापा जी।।
फिर हिना हिम्मत करके वहां से उठ कर सीधे सीढ़ी चढ़ते हुए अपने कमरे में जाकर दरवाजा बंद कर दिया और फिर खुब रोने लगी।

फिर फोन की घंटी से हिना थोड़ी सजग हो गई और फिर फोन उठाया और फिर बोली हेलो।
उधर से आवाज आई अरे हिना!
जीनत बोल रही हूं।
हिना ने कहा हां,बोल।
जीनत ने कहा अरे तेरी आवाज़ को क्या हुआ?
हिना ने कहा अरे बाबा कुछ भी नहीं! ठीक हुं।
जीनत ने कहा हां, अब बताओ क्या चल रहा है?
हिना ने कहा हां, ठीक है पता है हम सब अमर के मासी के घर जा रहे हैं।
उटी में।
जीनत ने कहा हां,सच बहुत अच्छा लगा सुन कर।
कब जा रही हो ?सब कोई जा रहे हैं क्या,?
हिना ने कहा हां,सब।
जीनत ने कहा अच्छा ठीक है चल रखती हुं।
फिर हिना सोचने लगी कि अभी तक राज क्यों नहीं आए?
फिर कुछ देर बाद आभा आ गई और फिर बोली बेटा चल अब खाना खाने।
हिना ने कहा हां, मम्मी जी चलिए।
फिर तीनों खाना खाने बैठ गए।
आभा ने कहा अरे अमर के पापा एक बार राजीव को फोन करो कहां रह गया?
रमेश ने कहा हां अभी करता हूं।
फिर बहुत बार फोन मिलाने के बाद भी राजीव का फोन नहीं लगा।
रमेश ने कहा पता नहीं कहां घुम रहा होगा।।
हिना सोचने लगी कि उसकी वजह से ये सब हुआ, बहुत मन से लेकर आएं थे वो सब कुछ मेरे लिए पर मैंने।।
आभा ने कहा मालती राज़ के लिए रोटी रख दें।
फिर मालती ने सबको खाना परोसा।
हिना भी बेमन से खा रही थी।
आभा ने कहा अरे बेटा पनीर ले ना, तुम्हें पसंद है ना?
हिना ने मन में सोचा कि मम्मी जी को कैसे पता कि मुझे पनीर पसंद है?
हिना ने कहा हां बस और नहीं खाया जाता, मम्मी जी।।
फिर सब खाना खाने के बाद अपने अपने कमरे में चले गए।
हिना को राज की कमी महसूस होने लगी वो बार बार घड़ी देखने लगीं।
हिना ने कहा ओह बारह बजने वाले हैं राज कहां हो तुम?
कुछ ही देर बाद आभा टहलते हुए हिना के दरवाजे के पास आई और बोली अरे देखा अब तक नहीं आया?
हिना ने कहा अरे मम्मी जी आप चिंता मत करिए आ जाएंगे देवर जी।।
आप जाकर सो जाइए।
आभा ने कहा हां, बेटा जा रही हुं।
फिर हिना बालकनी में जाकर देखने लगी पर कोई भी नहीं था।
हिना इधर उधर टहलने लगी।
कुछ देर आराम कुर्सी पर बैठ गई और फिर घड़ी देखने लगीं तो पौने एक बज रहा था और तभी गाड़ी की होर्न बजने लगा और फिर हिना समझ गई कि कुछ गड़बड़ है।
हिना सीढ़ियों से नीचे उतर गई और फिर दरवाजा खोला और फिर बाहर पहुंच कर गार्ड को गेट खोलने को कहा।
गार्ड ने गेट खोला और गाड़ी अन्दर पहुंच गई पर हिना ने देखा कि गाड़ी एक लड़की चला रही थी।
फिर वो लड़की बारह निकल आईं और फिर बोली हिना मैं नताशा।
हिना ने कहा हां ठीक है।
नताशा ने कहा वो राजीव ने ज्यादा पी ली तो वो पीछे बैठा है।
हिना ने कहा थैंक यू नताशा।।
नताशा ने कहा मैं राजीव की दोस्त हुं।
हिना ने गार्ड को कहा कि आप राजीव को बाहर निकाल कर ऊपर ले आइए।
कुछ ही देर बाद राजीव के कुछ दोस्त भी आ गए और फिर उनके साथ मिलकर गार्ड ने राजीव को उसके कमरे तक पहुंचा दिया और फिर उसके सब चले गए।
हिना ने गार्ड से कहा कि आप यह सब बातें मम्मी जी और पापा जी ने नहीं कहेंगे उनको तकलीफ होगी।
गार्ड ने कहा हां, बेटा ठीक कहा तुमने।
फिर गार्ड चला गया।
हिना ने राजीव के पैरों में से जूते मोजे निकाला,हाथ से घड़ी और राजीव को ठीक से सुला दिया और फिर जैसे ही जाने लगी तो देखा कि राजीव के गले में वह लोकेट जो हिना को एक बार फिर अतीत में ले गया।
हम कालेज टूर पर जा रहे थे मैं और राज एक साथ बैठ गए थे बस में और सब गाना बजाना हो रहा था।
दो दिल मिल रहे हैं मगर चुपके चुपके।।।।।
कुछ देर बाद बस एक जगह रूकी थी और हम नीचे जा कर घुमने लगें।
राज मुझे बहाने से पेड़ के पीछे ले जाकर कर किस करने लगा और फिर मैं उससे खुद को छुड़ा कर जाने लगी और फिर वहां पर राज ने देखा कि कई सारे लाकेट मिल रहा था तो राज ने दो लाकेट खरीद लिया और फिर बोला कि ये देखो एक में दो तस्वीरें लगाने की जगह। एक मेरे पास एक तुम्हारे पास। और वादा करो कि गले से कभी इसे अलग नहीं करोगी।
हिना ने कहा हां ठीक है वादा किया।
फिर राज ने एक हफ्ते बाद ही वो लाकेट और हार में डालकर हिना के पास जाकर बोला लो ये मुझे पहना दो और मैं तुम्हें पहना देता हूं।
फिर हम दोनों ने एक-दूसरे को एक साथ ही वो हार पहना दिया था।
अब वर्तमान में हिना को यह देख कर कि राज अब तक उसे अपने गले में पहन रखा है और फिर हिना को रोना आ गया पर उसने अपने हाथों से मुंह को दबा दिया और फिर सोचने लगी कि मैंने तो उस दिन ही वो‌ हार उतार दिया जिस दिन मेरी शादी तय हो गई थी।
हिना जाने ही लगी थी कि राज ने हिना का हाथ पकड़ लिया और फिर हिना जैसे ही मुड़ी तो देखा कि राज की आंखें बंद थी पर वो कुछ बोल रहा था धीरे धीरे।
सब कोई चले जाओ मुझे छोड़ कर।वो भी चली गई अब तुम भी जाओ।
नहीं देख सकता मैं उसके बेरंग में। तकलीफ़ मुझे भी होती है पर बता नहीं सकता, क्या करूं,किसे कहुं हाले दिल, भगवान ने दिया भी और लिया भी।
हिना अपने हाथ को छुड़ाकर वहां से सीधे अपने कमरे में चली गई और फिर दरवाजा बंद कर दिया और रोने लगी खुद को कोसने लगीं।
हे भगवान ये क्या कर दिया तूने जिसकी चाहत में सब कुछ भुला बैठी थी आज उसे फिर सामने ला कर खड़ा कर दिया।
ये सोच कर हिना के आंखों से आंसू बहते जा रहें थे और हिना की आंखें खुली थी और नम सी थी।

फिर कब आंख लग गई पता नहीं चल पाया।
दूसरे दिन सुबह जल्दी से उठकर तैयार हो गई हिना।
और जब नीचे पहुंच गई तो देखा कि पापा जी और मम्मी जी गार्ड से कुछ पुछ रहें थे।
हिना डर गई और फिर बोली अरे कहीं गार्ड ने कुछ बोल न दिया हो?
हिना ने कहा अरे मम्मी जी आप लोग सो गए थे तो मैंने जगाया नहीं।देवर जी देर रात आएं और अपने कमरे में चलें गए मैंने डिनर के लिए पुछा था पर वो मना किए।
आभा ने कहा ओह ये बात है।
अच्छा आप जाओ।
रमेश ने कहा हां, ठीक है हिना।पर राजीव सो रहा है। अभी तक?
हिना ने कहा हां,कल काफी देर से आएं थे।
कुछ ही देर में राजीव नीचे आ गया और फिर बोला मां सर दर्द से फट रहा है मालिश कर दो।
आभा ने कहा हां, बैठ अभी करती हुं।
आभा ने कहा अरे राजीव तेरी आंख लाल हो रखा है।
हिना समझ गई थी और फिर किचन में चली गई और फिर कुछ देर बाद एक ग्लास नींबू पानी लेकर आ गई।
हिना ने कहा देवर जी ये नींबू पानी पी लिजिए आराम मिलेगा।
आभा अब समझ गई कि राज ने शराब पी थी और हिना उसको छुपाने की कोशिश कर रही है।
राजीव हिना को देख रहा था और सोच रहा था कि कैसे यह सब कर लेती है ये।।
आभा ने कहा राज चल ये पी लें।
हिना ने ग्लास आगे पकड़ा दिया और राज हिना को देखते हुए पी गया नींबू पानी।।
कुछ ही देर बाद राज को काफी ताजगी महसूस होने लगा और फिर वो बोला , मां भुख लगी है।
आभा ने कहा हां ठीक है।
कुछ ही देर बाद हिना नाश्ता लेकर टेबल पर रखने लगी। ।
फिर हिना पुरी और दम आलू सबके लिए प्लेट पर देने लगी और फिर बोली आइए आप लोग नाश्ता लग चुका है।
फिर सब नाश्ता करने बैठ गए।
राज बैठते ही खानें लगा और फिर बोला अरे वाह क्या बात है आज मालती दी ने कमाल कर दिया।
मालती ने पानी ग्लास में देते हुए बोली अरे भैया आज तो हिना भाभी ने नाश्ता बनाया है।
राज चौक गए और फिर हिना को देखने लगा।
हिना भी खानें बैठ गई और फिर बोली अरे मालती जी आप भी खा लिजिए।
आभा ने कहा हां, बहुत ही स्वादिष्ट बना है हिना, तुमको पता है राज को नाश्ते में ये बहुत ही पसंद है।
हिना मन में सोचने लगी कि हां, इसलिए बनाया!
राज खाते हुए सोचते हुए हिना तुमको याद है?

फिर राज के आंखों में आसूं आ गए और फिर वो खानें लगा और फिर खाते हुए बोला और पुरी चाहिए मुझे।।
हिना ने और पुरियां राज के प्लेट में देती गई और राज बस खाता गया जैसे कोई बरसों भुखा हो।
फिर आभा ने कहा अरे बस कर बेटा! हिना कितना पुरी तलेगी और?
राजीव ने कहा ओह! हां ठीक है बस और नहीं खा सकता यह कहते हुए ऊपर चला गया।।
आभा ने कहा पता नहीं क्या दुःख है इसे पहले ऐसा कभी नहीं था।
हिना भी किचन में चली गई।

फिर आभा राजीव के कमरे में जाकर बैठ गई और फिर बोली अरे तुम पैकिंग कर लिए थे?
राजीव ने कहा हां,सब हो गया पैकिंग।।
आभा ने कहा हां ठीक है परसों फ्लाइट है?
राजीव ने कहा हां मां।।
आभा ने कहा हां ठीक है पर एक बात तो बता तू ठीक है ना?
मुझे ऐसा लग रहा है कि कोई बात है जो तू बताना चाहता है पर नहीं बता पा रहा है।
राजीव ने कहा नहीं ,नहीं ऐसा नहीं है।
आभा ने कहा हां, ठीक है मां हुं तेरी सब कुछ समझ सकती हुं।

राजीव ने कहा हां ठीक है मां तू चिंता मत कर सब कुछ ठीक है।
आभा ने कहा हां पर कोई है तो बता देना बेटा शादी तो करना है।।
राजीव ने कहा क्या मां आप भी कहां से कहां तक चली जाती हो।।

आभा ने कहा हां ठीक है सुन पापा की और मेरी सारी दवाई लेकर आना।
राजीव ने कहा हां, मां मुझे याद है।
फिर आभा भी चली गई।
राजीव अपना सर पकड़ कर बैठ गया और फिर बोला कि क्या बताऊं तुम्हे मैं मां।
कितना परेशान हुं मैं और मेरी इस परेशानी की वजह कोई और नहीं हिना है मां जो मेरी जिंदगी है।।
ओह माई गॉड किसी तरह से मैं इस सब से निकल सकता हूं।
फिर दोपहर के खाने के समय राजीव नीचे नहीं आया तो आभा ने कहा अरे निर्मला जा कर राजीव का खाना देकर आ।
निर्मला ने कहा अरे बाबा अरे।
रमेश ने हंसते हुए कहा अरे वाह अब तू भी डरने लगी है।
रमेश ने हिना को कहा आज तू जाकर राजीव को खाना देकर आ।
हिना ने कहा पापा जी मैं।
रमेश ने कहा हां,तू।
हिना ने कहा हां ठीक है मैं देकर आती हूं।
फिर हिना ने एक ट्रे में सब प्लेट लगा कर खाना लेकर ऊपर पहुंच गई। और राज के दरवाजे के पास जाकर खड़ी हो गई।


क्रमशः