Pyar ek anokha rishta - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

प्यार का अनोखा रिश्ता - भाग १

कुछ रिश्ते ऊपर वाले ही तय कर के रखता है और हमारे ऊपर छोड़ देता कि किसी तरह से भी इनको मिलना ही है पर प्यार का दूसरा नाम समर्पण त्याग बलिदान भी होता है।।

इंसान सोचता कुछ है और होता कुछ और है।
कहते हैं कि भगवान ने ही ये सब सोचा होगा या फिर नियति कह लिजिए जनाब।
मैं अब कहानी शुरू करने जा रही हुं।
आज पुरा मेहता परिवार खुश हैं घर में सजावट और लाईट लग रही है और पुरा घर दुल्हन की तरह सजा हुआ है।
आज महेता जी की एकलौती बेटी हिना की शादी हो रही थी पर क्या हिना खुश थी इस शादी से।।तो चलिए हिना से पुछ लेते हैं।
हिना बहुत ही खूबसूरत शोख अदाओं वाली लड़की है और पढ़ी लिखी वकालत की पढ़ाई पुरी होते ही पापा की जान को सब विदा करने में लगे हैं ये बात सिर्फ हिना ही जानती है।
जीनत ने कहा अरे बाबा हिना तू एक दम चहेरा को परेशान मत कर वरना मेकअप गया।
हिना ने कहा हां जिसकी पुरी जिंदगी में परेशानी हो वो भला चहरे का क्या होगा।।
हिना बार बार किसे फोन कर रही है ये कौन है?
तभी आशा हिना की मां ने आकर कहा अरे सब हो गया, दुल्हा आ रहा होगा।
जीतन ने कहा हां आंटी जी सब हो गया है।
हिना ने कहा मम्मी आप लोगों ने मेरे साथ ठीक नहीं किया। आशा ने कहा देखो हिना अब पापा की इज्जत तुम्हारे हाथ में है हां।
हिना मुंह बनाकर बैठ गई।
चंदा ने कहा अरे आंटी आप जाओ हम हिनू को लेकर आ रहे हैं।
पता नहीं किस की नजर लगी थी इनके घर को।।
सब कुछ तो था पर कुछ तो है जो दिख नहीं रहा था।।
कुछ देर बाद ही बारात भी आ गई थी। हिना की सारी सहेलियां हिना को छोड़ कर दुल्हे को देखने चली गई।
हिना ने जल्दी से दरवाजा बंद किया और फोन करने लगी तो राज ने फोन उठाया और बोला भुल जाओ मुझे मैं कभी वापस नहीं आ सकता।।
हिना ने कहा हां ठीक है आज मेरी शादी है।
राज ने कहा हां ठीक है मैं तो छोड़ दिया है तुम्हें।
हिना ने कहा हां तुम तो धोखेबाज हो और अब मन भर गया है ना।।
राज की आंखें भर आईं थीं और फिर बोला हां सही कहा अब रखो फोन।
जाने क्या मजबूरी थी राज ने इतना बड़ा कदम क्यों उठाया।।
हिना ने कहा हिना बिल्कुल नहीं रोएंगी तू वरना ये दुनिया बहुत तड़पाएगी।।
बस फिर क्या था ज़ीनत आ गई और फिर बोली हिना दुल्हा तो ठीक है चलो अब।।
हिना उठ गई और फिर नीचे आ गई।
अमर बेटा तुम माला पहना दो ।अब हिना पहना देंगी।
एक दूसरे को देखे बिना ही जय माला हो गया।
पंडित जी ने कहा अब बाकी रस्में होगी।
दुल्हन और दूल्हा बैठ जाएं।
अमर और हिना दोनों बैठ गए।
चारों तरफ लोगों की भीड़ और कानाफूसी चल रही थी।।
हिना की सारी सहेलियां भी आसपास बैठी थी।
रमेश महेता और महेंद्र सिंह दोनों आपस में बात करते नजर आ रहे थे।
महेंद्र सिंह ने कहा कि ये दोस्ती कब रिश्तेदारी में बदल गई ‌।
रमेश ने कहा सच कहा जाए मुझे बहुत ख़ुशी हुई कि हिना तेरे घर की बहू बनेगी।पर तेरा छोटा बेटा नहीं आया?
महेंद्र ने कहा मत पूछो इसी का रोना है कि अपनी दुनिया में रहता है अपने लिए जीता है।पर अमर तो देखा ना तूने।।
महेंद्र ने कहा हां तभी तो हिना के लिए चुना हमने।।
तभी पंडित जी ने कहा अब दुल्हा दुल्हन की मांग भरेगा।
सभी लोग बहुत ही खुश हो रहे थे और फिर अमर ने हिना का मांग भर दिया।
पंडित जी बोले विवाह सम्पन्न हुआ।
सभी लोग एक-दूसरे को मुबारक देने लगें।
महेंद्र और रमेश एक दूसरे के गले लग गए।।
फिर अमर और हिना सबका आशीर्वाद लिया और फिर स्टेज पर बैठ गए।
वहां पर काफी देर तक फोटोग्राफी हुए। हिना को ना चाहते हुए वो सब करना पड़ा।
अमर बार बार हिना को देखता और समझने की कोशिश करता रहा।
हिना की सारी सहेलियां फोटो खिंचवाने आ गई थी।
जीनत ने कहा जीजू बात करते हो?अमर ने कहा आपने सोचा मैं गुगा हुं।
जीनत ने कहा अरे नहीं।
हिना एक दम चुप चाप सी बैठी रही।
अमर ने धीरे से बोला क्या आपको कुछ चाहिए था?
हिना ने कहा जी नहीं।
अमर ने जूस का गिलास देते हुए कहा ये लिजिए।
हिना ने कहा शुक्रिया पर नहीं चाहिए।
तभी वहां हिना की मां आशा आ गई और फिर बोली हिना जमाई से कैसे बात कर रही है।
हिना ने कहा मम्मी आप जाओ यहां से।
अमर ने कहा आंटी आप लोगों ने हिना को सर पर चढ़ा कर रखा है इसलिए।।
आशा ने कहा हां इकलौती है ना बस।
दामाद जी मै आपसे माफ़ी चाहती हुं।

अमर ने कहा अरे नहीं नहीं सब ठीक है।
रमा ,काव्या ने कहा था कि नहीं आएगी।अब आ गई।।

चलो अब खाना खाने चले।
फिर सब लोग खाना खाने लगे।
हिना अभी तक चुपचाप बैठी रही।
कुछ देर बाद अमर के दोस्त आ गए और फिर बातचीत करने लगे।
एक ने कहा अरे अमर तेरा छोटा भाई राजीव नहीं आया।
अमर ने कहा हां कल आ रहा है।
हिना ने कहा अच्छा आपने कभी बताया नहीं कि आपके छोटे भाई भी है?
अमर ने कहा हां कभी मौका नहीं मिला आज तक आया नहीं हमेशा बाहर ही रहा है मेरा उल्टा है एकदम।।

हिना ने कहा अच्छा ठीक है क्या नाम है।।
अमर ने कहा राजीव है उसका नाम।।

हिना ने कहा हां ठीक है। कुछ देर बाद हिना और अमर भी खाना खाने बैठ गए।
हिना की सहेलियां सब आकर अमर को परेशान करने लगी। जीजा जी क्या खाना है?
अमर ने कहा आप लोग खाओ मैं ले लूंगा।
हिना ने कहा हां, हां तुम लोग यहां पर बैठ जाओ मुझे अकेले में मत छोड़ो।
जीनत ने कहा हां वही तो तेरे साथ भी जाना होगा क्या?
हिना ने कहा अरे बाबा नहीं किसी को नहीं जाना होगा।
अमर ने कहा जिसको भी जाना है वो चलें।
हिना ने कहा आप ये क्या बोल रहे हो।
चलो अब।।
वर वधू ने एक दूसरे को खिलाया और फिर अपने आप खाना खाने लगे।
इसके बाद हम मिलकर एक रुम में बैठ गए।
जीनत, तब्बू और रैना अन्त्याक्षरी खेलने लगें।
हिना एक दम चुप चाप सी बैठी थी उसे ये शादी करनी नहीं थी जो जबरदस्ती वाला शादी हो।।
कुछ देर बाद रत्ना बुआ आई और बोली कि मुझे हिना से कुछ बातें करनी हैं।
हिना इधर उधर देखने लगीं और फिर अमर ने कहा अरे बुआ जी आप ले जाईए।।
अभी तो सिर्फ शादी हुई है।।
हिना उठकर बुआ के साथ चली गई।
दूसरे रूम में रत्ना बुआ ने जल्दी से दरवाजा बंद कर दिया और हिना को पलंग पर बैठा दिया।
रत्ना ने कहा देखो हिना अब शादी हो गई है तुम्हारी तो अब कुछ भी ऐसा मत करना जिससे तुम्हारे पापा का नाक कट जाएं।
हिना हंसने लगी और फिर रोते हुए कहा कि बुआ चिंता मत करो जिसके लिए यह बगावत था वो ही धोखा दिया तो मैं और क्या करुंगी।
वैसे भी पापा ने अपनी लाडली बेटी को तो विदा कर दिया और फिर मैं जीयु या मरूं इससे किसी को क्या?

दूसरे शब्दों में इसे मरना कहते हैं पापा ने मेरी वकालत की पढ़ाई छुड़वा कर मुझे बेसहारा कर दिया।
रत्ना ने कहा धीरे बोलो हां अब तुम दुसरे घर जाओगी वहां पर उनके मन का करना हां।।
हिना ने हंस कर कहा अरे बाबा ये हिना तो नहीं हिना की लाश है जिसे आप लोगों ने बलि चढ़ा दिया।

रत्ना ने कहा चलो अब दूसरे कमरे में।
फिर रत्ना बुआ ने हिना को वहां छोड़ कर चली गई।

अमर ने कहा हिना सब ठीक तो है?
हिना ने कहा हां ठीक है लेकिन आप क्यों पुछ रहे हो?
अमर ने कहा हां पुछ सकता हूं तुम्हारा पति हूं।
रिया ने कहा अरे बाबा अब बस करो जीजू अगर यहां से जाना है तो पैसे देने पड़ेंगे।
अमर ने कहा अब जाना कौन चाहता है?
सब हंसने लगे।
फिर काफी रात हो गई सब वही पर सोने लगे।
पर हिना की आंखों में नींद तो जैसे गायब ही हो गया था उसे किसी की याद जो आ रही थी।

हिना ने कहा मन में मुझे राज से एक बार बात करना है कि ऐसा क्यों किया उसने? मेरे साथ सब दिखावा था वो प्यार कोई खेल था, उसने का कि वो ऐसा सबके साथ करता है।चार साल से मैं किस अंधेरे में थी।
फिर सुबह हो गई।

अमर के पापा ने कहा भाई अब हमें चलना चाहिए वरना तुम्हारी भाभी तो मुझे,बार बार फोन आ रहा है।।
आशा ने कहा हां भाईसाहब बस एक आखिर रस्म बाकी है ‌।
हिना ने मुठी भर चावल तीन बार अपनी मां के आंचल में फेक दिया।
सारा चावल आंचल में ही आ कर गिरा।
सारे रिश्तेदार मेहमानों सब आश्चर्य हो गए थे।
हिना न तो पापा के पैर छुए और ना ही मां के।
एक आंसु तक नहीं निकाला उसने।
बस चली गई एक बार भी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
घर आंगन एक दम खाली हो गया।
आभा रोने लगी।तो आशा की बहन लता ने आशा को सम्हाल कर कहा अरे हिना का रवैया कुछ ठीक नहीं था।
सब कुछ समझाया ना उसे।।
रत्ना बुआ ने कहा हां जीजी सब कुछ समझा दिया अब देखते हैं कि क्या करती है।
रमेश एक दम से टूट कर बैठ गए और फिर उन्होंने कहा बेटियां पराई होती है अरे हिना की मां सुनो, सब कुछ समझाहिना दिया।
आशा ने कहा अरे वो तो कब से बात नहीं कर रही थी उसे लगा कि हम कुछ ग़लत कर दिए हैं।

आशा ने कहा हां इसी बात का रोना है इतना अच्छा पति मिला और फिर इतना बड़ा घर मिला पर उसे तो वो ही

फिर सभी को बहुत ही अच्छे से खिलाया गया।।
अतिथि सत्कार किया गया और फिर एक एक करके गाड़ी निकल गई।
चंडीगढ़ में अमर का घर था तो गाड़ी सीधे एयरपोर्ट के लिए निकल गई।
घर आंगन बहुत ही सुना हो गया और फिर सब रिश्तेदार मेहमानों भी चलें गए।
रमेश ने कहा आशा मुझे अन्दर ले चलो।
आभा ने कहा हां चलिए पर हिना तो गलत समझ लिया हमें। और वो कभी आएगी नहीं ऐसा कहा।
रमेश ने कहा हां ठीक है पर वहां सब अच्छा हो। आभा ने कहा हमें सच बता देना चाहिए था।
रमेश ने कहा क्या बताता नाक कट जाता मेरा। सारे रिश्तेदार भी थुकते हम पर।।

आशा ने कहा हां ठीक है मैं चाय लेकर आती हूं।

उधर एयरपोर्ट पर सारी फारमालिटज करने के बाद सब प्लेन में जाकर बैठ गए।
अमन और हिना साथ बैठ गए थे।
पर हिना एक दम बुत बन कर बैठी रही।
अमर बार बार उसे देखता और पुछता कुछ चाहिए क्या?
हिना खीज कर बोली अरे क्या लगता है कि मैं पहली बार प्लेन में बैठ गई हुं।
अमर ने कहा हां ठीक है मैं तो बस।।
हिना ने कहा मैं ठीक हूं ओके।
फिर नाश्ता भी मिल गया था।

फिर चार घंटे बाद ही हम सब चंडीगढ़ पहुंचे और फिर वहां से बड़ी गाड़ी में बैठ गए और घर पहुंच गए।
वहां पर सब इंतजाम हो गया था।। ऐसे ही सब थके हुए थे।
हिना ने देखा इतना बड़ा सा बंगला, बगीचा, पांच, छः गाड़ी लगी हुई थी।
हिना को अमर की मां आशा ने दरवाजे पर पहले नजर उतारा और फिर आरती किया और फिर कलश को पैर से धक्का देकर प्रवेश करने को कहा।।
आभा ने कहा आओ बेटी अन्दर आओ। आज से ये सब तुम्हारा है।।
हिना ने पैर छुए और फिर बोली मैं बहुत थक गई हूं क्या मैं आराम कर लूं।
अमर की ताई जी, चाची ने कहा अरे बाबा ये क्या बहु आते ही।
आभा ने कहा अरे ऐसा मत कहो।बहु नहीं बेटी आई है मुझे तो सिर्फ दो बेटे ही है भगवान ने एक प्यारी सी गुड़िया दी है। ठीक है हिना तुम सो जाओ मैं कंचन से कहती हुं कि तुम्हें तुम्हारा कमरा दिखाएगी।

क्रमशः